हारने वाले मजबूत निर्दलीयों पर रहेगी भाजपा-कांग्रेस की नजर, अपने पाले में लाने की कोशिश करेंगे दल

November 25, 2023

 हारने वाले मजबूत निर्दलीयों पर रहेगी भाजपा-कांग्रेस की नजर, अपने पाले में लाने की कोशिश करेंगे दल





मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव मैदान में उतरे 2533 प्रत्याशियों की टकटकी अब तीन दिसंबर को होने वाली मतगणना पर लगी है। जीतने वालों का भाग्य तो चमकेगा ही पर कड़ी टक्कर देने वाले यानी मजबूत निर्दलीय का भी बेड़ा पार हो सकता है। वर्ष 2018 का चुनाव जीते चार निर्दलीयों में इस बार दो कांग्रेस और दो भाजपा से प्रत्याशी बने।

राज्य ब्यूरो, भोपाल। मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव मैदान में उतरे 2,533 प्रत्याशियों की टकटकी अब तीन दिसंबर को होने वाली मतगणना पर लगी है। जीतने वालों का भाग्य तो चमकेगा ही, पर कड़ी टक्कर देने वाले यानी मजबूत निर्दलीय व अन्य दलों के उम्मीदवारों का बेहतर राजनीतिक भविष्य भी इन परिणामों से निर्धारित होगा।अगले वर्ष होने वाले लोकसभा चुनाव के चलते प्रदेश के प्रमुख राजनीतिक दल भाजपा और कांग्रेस इन्हें अपने पाले में लाने की पूरी कोशिश करेंगे।
दोनों दल ऐसे उम्मीदवारों को अगले विधानसभा चुनाव में टिकट का आश्वासन दे सकते हैं या फिर पार्टी संगठन में भी जिम्मेदारी देकर उन्हें अपने साथ रख सकते हैं। पिछले विधानसभा चुनाव के परिणाम देखें तो कई ऐसे प्रत्याशी हैं, जो दूसरे या तीसरे नंबर पर रहे और इसी वजह से इस चुनाव में वह भाजपा या कांग्रेस के टिकट पर लड़े हैं।
भाजपा-कांग्रेस के प्रत्याशी बने पिछले चुनाव के निर्दलीय

वर्ष 2018 का चुनाव जीते चार निर्दलीयों में इस बार दो कांग्रेस और दो भाजपा से प्रत्याशी बने। इसी तरह, सतना जिले की नागौद विधानसभा सीट में तीसरे नंबर पर रहीं निर्दलीय प्रत्याशी डॉ. रश्मि सिंह को कांग्रेस ने टिकट दिया। सिहावल सीट से निर्दलीय प्रत्याशी विश्वमित्र पाठक को भाजपा ने उम्मीदवार बनाया। वर्ष 2018 में वह भी तीसरे नंबर पर थे।

वहीं, गुढ़ विधानसभा सीट से सपा से लड़कर दूसरे नंबर पर रहे कपिध्वज सिंह को कांग्रेस ने इस बार चुनाव लड़ाया। इतना ही नहीं अपने ही दल से टूटकर निर्दलीय चुनाव लड़कर खूब वोट बटोरने वाले उम्मीदवारों को भी दलों ने फिर पार्टी में शामिल कर टिकट देने में संकोच नहीं किया। इस चुनाव में भी ऐसी स्थिति है।



क्या चुनाव बाद इन नेताओं की होगी घर वापसी?

भाजपा और कांग्रेस के कई मजबूत दावेदार टिकट नहीं मिलने पर निर्दलीय या किसी छोटे दल से चुनाव लड़ रहे हैं। तीन दिसंबर को परिणाम आने पर यह जीते या दूसरे नंबर पर रहे तो दल फिर घर वापसी करा सकते हैं। लोकसभा चुनाव के चलते भाजपा-कांग्रेस दोनों दल यह कदम उठा सकते हैं। ऐसा पहले हुआ भी है।

वर्ष 2018 में महेश्वर से निर्दलीय चुनाव लड़कर दूसरे नंबर पर रहे राजकुमार मेव को इस चुनाव में भाजपा ने अपना उम्मीदवार बनाया। बड़वानी में निर्दलीय लड़कर दूसरे स्थान पर रहे राजन मंडलोई इस बार कांग्रेस से मैदान में उतरे।

पिछली बार बालाघाट से सपा से लड़कर दूसरे क्रम पर रहीं अनुभा मुंजारे को कांग्रेस ने उम्मीदवार बनाया। इस चुनाव में भी भाजपा या कांग्रेस से टूटकर निर्दलीय या अन्य दल से मैदान में उतरे प्रत्याशियों ने कुछ जगह चुनावी संघर्ष को त्रिकोणीय या चतुष्कोणीय बना दिया है।

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