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 चीन में महंगा हुआ कंडोम, 13 फीसद बढ़ाया टैक्स, सरकार बोली- महंगा होगा तो यूज कम करेंगे लोग

चीन में महंगा हुआ कंडोम, 13 फीसद बढ़ाया टैक्स, सरकार बोली- महंगा होगा तो यूज कम करेंगे लोग

 चीन में महंगा हुआ कंडोम, 13 फीसद बढ़ाया टैक्स, सरकार बोली- महंगा होगा तो यूज कम करेंगे लोग



चीन ने गिरती जन्म दर को देखते हुए एक बड़ा फैसला लिया है। जनवरी 2026 से कंडोम और अन्य गर्भनिरोधक उत्पादों पर 13% वैट लगेगा। 32 साल बाद यह टैक्स लगाया ज ...और पढ़ें






चीन में महंगा हुआ कंडोम (सांकेतिक तस्वीर)


 चीन ने जन्म दर में लगातार गिरावट के बीच एक बड़ा फैसला लिया है। चीन करीब 32सालों बाद कंडोम और अन्‍य गर्भनिरोधक प्रोडक्‍ट्स पर टैक्‍स लगाने जा रहा है। चीन जनवरी 2026 से कंडोम समेत सभी गर्भनिरोधक उत्पादों पर 13% वैट लगाने जा रहा है।


दरअसल, जनसंख्या दर में हो रही लगातार गिरावट को देखते हुए चीन ने प्रमुख नीतिगत बदलाव किया है। चीन 32 सालों में पहली बार कंडोम और अन्‍य गर्भनिरोधक प्रोडक्‍ट्स पर 13 प्रतिशत टैक्स लगाने जा रहा है। इसके पीछे की वजह जन्म-दर को बढ़ावा देना है। सरकार का मानना है कि अगर गर्भनिरोधक प्रोडक्‍ट्स महंगे होंगे तो लोग कम यूज करेंगे और ज्यादा बच्चे पैदा होंगे।


बता दें कि 1993 में जब चीन में वन चाइल्‍ड पॉलिसी' लागू थी और जन्म नियंत्रण को बढ़ावा दिया जा रहा था, तब वहां गर्भनिरोधक उत्पाद टैक्स फ्री थे। लेकिन अब चीनी नागरिकों को कंडोम सहित सभी गर्भनिरोधक उत्पाद खरीदने पर 13 प्रतिशत टैक्स देना होगा।

क्यों लिया गया ऐसा फैसला?

2024 में चीन की जनसंख्या में लगातार तीसरे वर्ष गिरावट देखने को मिला है। जनवरी में एक रिपोर्ट में, राष्ट्रीय सांख्यिकी ब्यूरो ने घोषणा की कि एशियाई विशाल देश में कुल लोगों की संख्या 2024 में 1.39 मिलियन घटकर 1.408 बिलियन हो जाएगी, जबकि 2023 में यह 1.409 बिलियन थी। संयुक्त राष्ट्र (UN) के अनुसार, प्रजनन आयु वर्ग की चीनी महिलाओं (15 से 49 वर्ष) की संख्या सदी के अंत तक दो तिहाई से अधिक घटकर 100 मिलियन से कम हो जाएगी।

इन चीजों पर मिली छूट

जनसंख्या दर में लगातार हो रही गिरावट के बीच चीन ने गर्भनिरोधक उत्पादों पर टैक्स लगाने का निर्णय लिया है। वहीं, जन्मदर को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने रकार ने बच्चों की देखभाल और परिवार से जुड़ी सेवाओं, जैसे नर्सरी, किंडरगार्टन, बुजुर्गों की देखभाल, विकलांगों की सेवा और शादी से जुड़ी सेवाओं को टैक्स से छूट दी है।
 न पाकिस्तानी न बांग्लादेशी, रशियन लड़कियों की पसंद भारतीय लड़के; ब्लॉगर का Video वायरल

न पाकिस्तानी न बांग्लादेशी, रशियन लड़कियों की पसंद भारतीय लड़के; ब्लॉगर का Video वायरल

 न पाकिस्तानी न बांग्लादेशी, रशियन लड़कियों की पसंद भारतीय लड़के; ब्लॉगर का Video वायरल



सोशल मीडिया पर वायरल एक वीडियो में पाकिस्तानी ब्लॉगर ने रूसी लड़कियों से पूछा कि वे किससे शादी करना चाहेंगी- भारतीय, पाकिस्तानी या बांग्लादेशी लड़के स ...और पढ़ें



रशियन लड़कियों की पसंद भारतीय लड़के (स्क्रीनग्रैब- 'X')


 सोशल मीडिया पर एक पाकिस्तानी ब्लॉगर का वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है। जिसमें वो रशियन लड़की से पूछता है कि अगर आपको इंडियन, पाकिस्तानी और बांग्लादेशी लड़कों का ऑप्शन दिया जाए तो आप किससे शादी करोगी? इसके जवाब में तीनों लड़कियों ने एक साथ भारतीय लड़के रो चुना।


दरअसल, रूस की सड़कों पर गए पाकिस्तानी ब्लॉगर ने पूछा ने तीन रूसी युवतियों से हल्के-फुल्के अंदाज में सवाल पूछा- अगर आपको भारतीय, पाकिस्तानी या बांग्लादेशी लड़कों में से अपना पति चुनना तो किसे चुनोगी?
भारतीय लड़कों को ही क्यों चुना?

वीडियो में लड़कियां मुस्कुराती हुई इंडियन लड़कों को चुनती हैं और मुस्कुराते हुए कारण बताती हैं कि वो इसलिए भारतीय लड़कों से शादी करना चाहेंगी, क्योंकि भारतीय बहुत केयरिंग, अच्छे और सम्मान करने वाले होते हैं।


मेरे भाईयों का दिल छोटा मत करना

लड़कियों का जवाब सुन पाकिस्तानी ब्लॉगर थोड़ा सा निराश हो गया। लेकिन उसने हंसते हुए रूसी लड़कियों से कहा कि मेरे पाकिस्तानी और बांग्लादेशी भाइयों, दिल छोटा मत करना।

पाकिस्तानी ब्लॉगर का रूसी लड़कियों के साथ का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। वीडियो देख भारतीय युवक खुश हो रहे हैं और तरह-तरह के कमेंट कर रहे हैं
सोशल मीडिया पर आ रही तरह-तरह की प्रतिक्रियाएं

यह छोटा सा वीडियो सोशल मीडिया पर आग की तरह फैल गया। एक्स (ट्विटर) पर अब तक इसे 6 लाख से ज्यादा बार देखा जा चुका है और हजारों भारतीय यूजर जश्न मना रहे हैं। सोशल मीडिया पर प्रतिक्रियाओं की बाढ़ आ गई।


एक यूजर ने लिखा, ये भारत की सॉफ्ट पावर की जीत है। रूसी लोग भारतीयों को बहुत पसंद करते हैं। दूसरे ने मजाक में कहा, ऐतिहासिक जीत! अब तो रूस में शादी के प्रस्ताव भेजने पड़ेंगे। एक यूजर ने लिखा, रूस-भारत दोस्ती सिर्फ सरकारों तक नहीं, दिलों तक है।
 पाकिस्तान में 1867 हिंदू मंदिरों में केवल 37 खुले, रिपोर्ट में खुली शहबाज सरकार की पोल

पाकिस्तान में 1867 हिंदू मंदिरों में केवल 37 खुले, रिपोर्ट में खुली शहबाज सरकार की पोल

 पाकिस्तान में 1867 हिंदू मंदिरों में केवल 37 खुले, रिपोर्ट में खुली शहबाज सरकार की पोल



पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों के धार्मिक स्थलों की स्थिति चिंताजनक है। एक हालिया रिपोर्ट के अनुसार, 1867 हिंदू मंदिरों और सिख गुरुद्वारों में से केवल 37 ...और पढ़ें





पाकिस्तान में हिंदू मंदिरों और गुरुद्वारों की दुर्दशा उजागर। (फोटो- एएनआई)


 पाकिस्तान भले दावा करता हो कि वहां पर अल्पसंख्यक पूरी तरीके से सुरक्षित हैं और उनकी भावनाओं का पूरा ध्यान रखा जाता है। लेकिन हाल में आई एक रिपोर्ट में शहबाज सरकार की पोल खुल गई है।


दरअसल, अल्पसंख्यक कॉकस की संसदीय समिति के समक्ष प्रस्तुत एक हालिया रिपोर्ट में बताया गया है कि पाकिस्तान में 1867 हिंदू मंदिरों और सिख गुरुद्वारों में से केवल 37 ही चालू हैं।
रिपोर्ट ने वास्तविकता को किया उजागर

सामने आए ये आंकड़े एक गंभीर वास्तविकता को उजागर करते हैं। वहीं, पाकिस्तान अखबार डॉन की एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि सदियों पुराने पूजा स्थल खराब सरकारी रखरखाव और हिंदू व सिख समुदाय की घटती आबादी के कारण बदतर हो गए हैं।


समिति के पहले सत्र के दौरान संयोजक सीनेटर दानेश कुमार ने संकल्प लिया कि कॉकस अल्पसंख्यकों की सुरक्षा के संवैधानिक वादों को मूर्त रूप देने का प्रयास करेगा। उन्होंने जोर देकर कहा कि पाकिस्तान के अल्पसंख्यक संवैधानिक गारंटियों के व्यावहारिक कार्यान्वयन के हकदार हैं और न्याय एवं समानता सुनिश्चित करने के लिए तत्काल नीतिगत सुधारों की मांग की।

टीपीबी का नेतृत्व किसी गैर-मुस्लिम को सौंपा जाए

बैठक में बोलते हुए डॉ. रमेश कुमार वंकवानी ने मांग की कि ईटीपीबी का नेतृत्व किसी गैर-मुस्लिम को सौंपा जाए। इस दौरान उन्होंने तर्क दिया कि तभी उपेक्षित धार्मिक संपत्तियों का जीर्णोद्धार ईमानदारी से किया जा सकेगा। वहीं, समिति ने इन धरोहर स्थलों की सुरक्षा के लिए तत्काल कदम उठाने की भी सिफारिश की, जो न केवल धार्मिक महत्व बल्कि पाकिस्तान के बहुसांस्कृतिक अतीत का भी प्रतिनिधित्व करते हैं।
 ट्रंप के दामाद और दूत भी नहीं करवा पाए रूस-यूक्रेन का समझौता, 5 घंटे की मीटिंग के बाद भी नहीं बनी सहमति

ट्रंप के दामाद और दूत भी नहीं करवा पाए रूस-यूक्रेन का समझौता, 5 घंटे की मीटिंग के बाद भी नहीं बनी सहमति

 ट्रंप के दामाद और दूत भी नहीं करवा पाए रूस-यूक्रेन का समझौता, 5 घंटे की मीटिंग के बाद भी नहीं बनी सहमति



रूस और यूक्रेन के बीच जारी युद्ध को समाप्त करने के लिए डोनल्ड ट्रंप के दूतों ने रूसी राष्ट्रपति पुतिन से मुलाकात की, लेकिन कोई समझौता नहीं हो सका। क्र ...और पढ़ें




5 घंटे की मीटिंग के बाद भी नहीं बनी यूक्रेन को लेकर सहमति (फोटो- रॉयटर्स)

 रूस और यूक्रेन के बीच जारी जंग को रोकने की कोशिश में जुटे डोनल्ड ट्रंप को एक बार फिर निराशा हाथ लगी है। ट्रंप ने शांति प्रस्ताव के लिए अपने दूत को रूस भेजा था। हालांकि, इस बैठक के बाद भी वो बात नहीं बन पाई, जिसके लिए ट्रंप ने अपने दूत भेजे थे, क्योंकि यूक्रेन के इलाकों को लेकर दोनों देशों में सहमति नहीं बन पाई।


दरअसल, रूस के क्रेमलिन में यूक्रेन से जारी विवाद को लेकर शांति बैठक आयोजित हुई। बैठक के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने अपने दो दूत भेजे थे। रूसी राष्ट्रपति पुतिन और ट्रंप के दूतों के बीच करीब पांच घंटे बैठक हुई। इसके बावजूद अमेरिका को यूक्रेन में युद्ध को समाप्त करने के लिए संभावित शांति समझौते में सफलता नहीं मिली।


ट्रंप के दामाद ने पुतिन से की मुलाकात

क्रेमलिन के सहयोगी यूरी उशाकोव ने बताया कि पुतिन ने मंगलवार देर रात ट्रंप के विशेष दूत स्टीव विटकॉफ और उनके दामाद जेरेड कुशनर से मुलाकात की, लेकिन दोनों पक्षों ने केवल अमेरिकी प्रस्तावों की व्यापक रूपरेखा की समीक्षा की और किसी समझौते पर नहीं पहुंचे।

नहीं बनी सहमति

न्यूयॉर्क टाइम्स के अनुसार, उशाकोव ने कहा, ' ट्रंप के दूत और पुतिन के बीच हुई चर्चा बहुत उपयोगी, रचनात्मक और ठोस थी, यह बैठक पांच मिनट नहीं, बल्कि पांच घंटे तक चली।' लेकिन इस वार्ता में सहमति नहीं बनी।


बैठक के दौरान पुतिन ने उन चारों प्रस्तावों पर चर्चा की, जिसे अमेरिका की ओर से भेजा गया था। इसमें कुछ बातों पर सहमत हो सके और अपने वार्ताकारों के सामने इसकी पुष्टि की। वहीं, कुछ अन्य बातों की आलोचना हुई।


पुतिन ने ट्रंप को कई महत्वपूर्ण संकेत दिए और व्यक्तिगत शुभकामनाएं दीं, हालांकि, दोनों पक्षों ने मीडिया को विशेष जानकारी न देने पर सहमति व्यक्त की।
इन मुद्दों पर भी हुई चर्चा

उशाकोव ने यह भी पुष्टि की कि चर्चा में "क्षेत्रीय समस्या" पर भी चर्चा हुई, जो क्रेमलिन द्वारा पूरे डोनबास क्षेत्र पर रूस के दावों के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला शब्द है। हालांकि, यूक्रेन अब भी उस क्षेत्र के लगभग 5,000 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र पर नियंत्रण रखता है, जिसे रूस अपना बताता है, और लगभग सभी देश डोनबास को यूक्रेन का हिस्सा मानते हैं।


उशाकोव ने कहा,अभी भी वाशिंगटन और मॉस्को दोनों जगह बहुत काम किया जाना बाकी है। इसी पर सहमति बनी है और संपर्क जारी रहेंगे।
 अफगानिस्तान में तालिबानी सजा, 13 साल के बच्चे ने युवक को दी सजा-ए-मौत; देखने के लिए उमड़ी हजारों की भीड़

अफगानिस्तान में तालिबानी सजा, 13 साल के बच्चे ने युवक को दी सजा-ए-मौत; देखने के लिए उमड़ी हजारों की भीड़

 अफगानिस्तान में तालिबानी सजा, 13 साल के बच्चे ने युवक को दी सजा-ए-मौत; देखने के लिए उमड़ी हजारों की भीड़



अफगानिस्तान में तालिबान ने एक खौफनाक सजा दी। एक 13 साल के बच्चे ने 80 हजार लोगों के सामने एक आरोपी को गोली मार दी। आरोपी युवक पर बच्चे के परिवार के सद ...और पढ़ें




अफगानिस्तान में तालिबानी सजा देखने के लिए उमड़ी हजारों की भीड़ (स्क्रीनग्रैब- 'X')


 अफगानिस्तान से एक दिल दहला देने वाली घटना का वीडियो सामने आया है। जिसमें 80 हजार लोगों के सामने एक युवक को गोली मारकर सजा दी गई। हैरानी की बात यह है कि यह सजा एक 13 साल के बच्चे ने दी।


दरअसल, सजा पाने वाला युवक पर गोली मारने वाले लड़के के परिवार के लोगों की हत्या का आरोप था। तालिबानी अधिकारियों ने आरोपी की पहचान की। जिसके बाद अफगानिस्तान के सुप्रीम कोर्ट ने उसे दोषी करार दिया था। इसके बाद तालिबान के सुप्रीम लीडर हिबतुल्लाह अखुंदजादा ने उसकी फांसी की मंजूरी दी थी।


बच्चे ने किया माफी से इनकार

इसके बाद 13 वर्षीय लड़के से पूछा कि क्या वह दोषी ठहराए गए व्यक्ति को माफ करना चाहता है, इस पर बच्चे ने साफ मना कर दिया। इसके बाद अधिकारियों ने सार्वजनिक रूप से निवासियों को फांसी की सजा देखने के लिए प्रोत्साहित किया था। इसके लिए बकायदा नोटिस भी जारी किया गया और उसे व्यापक रूप से प्रसारित किया गया।

फांसी देखने पहुंचे हजारों लोग

सार्वजनिक फांसी देखने के लिए स्टेडियम में करीब 80 हजार लोगों की भीड़ जुटी थी। जिसके बाद तालिबानी अधिकारियों ने 13 साल के लड़के के हाथ में एक बंदूक थमा दिया और उसे हत्या करने का निर्देश दिया। कुछ ही देर में बच्चे ने स्टेडियम के अंदर घातक गोलियां चलाकर आरोपी को मौत के घाट उतार दिया।


टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्टस के मुताबिक, तालिबान के सर्वोच्च न्यायालय ने फांसी दिए गए व्यक्ति की पहचान तलाह खान के पुत्र मंगल के रूप में की। मंगल को अब्दुल रहमान की हत्या करने का दोषी पाया गया था।

सजा देने वाली घटना का खौफनाक वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। जिसमें करीब 80 हजार लोगों से खचाखच भरे स्टेडियम में गोली मारकर सार्वजनिक फांसी दी गई। गोलियों की आवाज के बीच धार्मिक नारे भी सुनाई दे रहे हैं।
 अमेरिका में भारतीय मां-बेटे की हत्या करने वाले नजीर पर 50 हजार डॉलर का इनाम, FBI ने भारत सरकार से की प्रत्यर्पण की मांग

अमेरिका में भारतीय मां-बेटे की हत्या करने वाले नजीर पर 50 हजार डॉलर का इनाम, FBI ने भारत सरकार से की प्रत्यर्पण की मांग

 अमेरिका में भारतीय मां-बेटे की हत्या करने वाले नजीर पर 50 हजार डॉलर का इनाम, FBI ने भारत सरकार से की प्रत्यर्पण की मांग



अमेरिका में 2017 में एक भारतीय महिला और उसके बेटे की हत्या के मामले में फरार नजीर हमीद की तलाश तेज हो गई है। FBI ने उसकी गिरफ्तारी में मदद करने वाले क ...और पढ़ें





अमेरिका में भारतीय मां-बेटे की हत्या करने वाले नजीर पर 50 हजार डॉलर का इनाम, FBI ने भारत सरकार से की प्रत्यर्पण की मांग


 अमेरिका में 2017 में एक भारतीय महिला और उसके 6 साल के बेटे की नृशंस हत्या के मामले में फरार नजीर की तलाश तेज हो गई है। संघीय जांच ब्यूरो (FBI) ने हमीद की गिरफ्तारी में मदद करने वाले को 50,000 डॉलर का इनाम भी रखा है। FBI ने भारत सरकार से अपील की है कि हमीद के प्रत्यर्पण में मदद करे।


दरअसल, अमेरिका के न्यू जर्सी में 23 मार्च 2017 को मेपल शेड स्थित अपार्टमेंट में शशिकला नर्रा (38) और उनके बेटे अनीश नर्रा (6) के शव मिले थे। शव के पोस्टमॉर्टम में सामने आया कि दोनों की हत्या गर्दन पर चाकू से वार कर की गई है। बेटे अनीश का सिर शरीर से अलग हो गया था और दोनों के शरीर पर अनगिनत घाव के निशान थे।


जांच के दौरान हुआ खुलासा

जांच के दौरान सामने आया कि आरोपी नजीर हमीद जो भारतीय नागरिक है, पीड़ितों के ही अपार्टमेंट कॉम्प्लेक्स में रहता था। हत्याओं की जांच आगे बढ़ने पर उसकी पहचान संदिग्ध व्यक्ति के रूप में हुई, क्योंकि यह पता चला कि वह पीड़ितों के पति और पिता का पीछा कर रहा था। हत्याओं के छह महीने बाद वह भारत भाग आया और तब से यहीं छिपा है।


घटनास्थल पर मिली खून की एक बूंद किसी पीड़ित की नहीं थी। बाद में उस खून का डीएनए हमीद से मैच हो गया। हमीद पर फरवरी 2025 में हत्या समेत छह गंभीर आरोप लगाए गए।
न्याय की कोई सीमा नहीं होती

न्यू जर्सी गवर्नर फिल मर्फी ने पिछले हफ्ते भारत के राजदूत विनय क्वात्रा को फोन कर हमीद को प्रत्यर्पण में तुरंत सहयोग करने की मांग की। बर्लिंगटन काउंटी अभियोजक लाचिया ब्रैडशॉ ने कहा, 'न्याय की कोई सीमा नहीं होती। हम भारत सरकार से अपील करते हैं कि इस जघन्य अपराधी को बिना देरी अमेरिका लाया जाए ताकि वह अपने किए की सजा भुगते'।

मोस्ट वांटेड लिस्ट में हमीद

FBI ने हमीद को अपनी मोस्ट वांटेड लिस्ट में डाला है। अधिकारियों ने बताया कि हमीद के खिलाफ आरोपों की घोषणा में देरी हुई, क्योंकि जांचकर्ता अतिरिक्त साक्ष्य जुटाने का प्रयास कर रहे थे और भारत से उसके प्रत्यर्पण के लिए संघीय कानून प्रवर्तन भागीदारों के साथ काम कर रहे थे। वहीं, अब FBI ने उसकी जांच में सहयोग करने वाले 50,000 डॉलर इनाम देने की घोषणा की है।
 बांग्लादेश में तेजी से पनप रहा 'अंडरव‌र्ल्ड' माफिया, ढाका में बढ़ रहे आपराधिक गिरोह

बांग्लादेश में तेजी से पनप रहा 'अंडरव‌र्ल्ड' माफिया, ढाका में बढ़ रहे आपराधिक गिरोह

 बांग्लादेश में तेजी से पनप रहा 'अंडरव‌र्ल्ड' माफिया, ढाका में बढ़ रहे आपराधिक गिरोह



बांग्लादेश में चुनाव से पहले आपराधिक गिरोहों का उदय चिंताजनक है। ढाका में हथियारों की तस्करी बढ़ गई है, और कई गिरोह ड्रग्स, फिरौती और वसूली जैसे अपराधों में शामिल हैं। जेनेवा कैंप में 'सीक्रेट किचन' नामक बम बनाने की इकाइयाँ स्थापित की गई हैं। राजनीतिक संरक्षण के कारण पुलिस को इन पर कार्रवाई करने में कठिनाई हो रही है। विशेषज्ञों का मानना है कि चुनाव से पहले स्थिति और बिगड़ सकती है।




बांग्लादेश में तेजी से पनप रहा अंडरव‌र्ल्ड माफिया (फाइल फोटो)


 बांग्लादेश में चुनाव सिर पर हैं, लेकिन इससे पहले देश के भीतर आपराधिक गिरोहों का उदय और हथियारों की खुलेआम तस्करी गंभीर सुरक्षा चुनौती बन गई है। 2024 के व्यापक हिंसक उथल-पुथल के दौरान सुरक्षा बल जब भीड़ नियंत्रण में व्यस्त थे, तब एक वृहद आपराधिक नेटवर्क चुपचाप खड़ा हो गया।


ढाका के कई थानों और पुलिस चौकियों पर हमले हुए, जहां से अपराधी एसएमजी, एलएमजी, पिस्टल, शाटगन और चीनी राइफलों जैसी बड़ी मात्रा में हथियार लूटकर जेनेवा कैंप और पल्लबी बिहारी कैंप में ले गए। ये दोनों स्थान अब ढाका के अंडरव‌र्ल्ड के प्रमुख ठिकाने बन गए हैं।

लूट, ड्रग नेटवर्क और किशोर गिरोहों का कब्•ााखुफिया रिपोर्टों के अनुसार, इन गिरोहों के सदस्य ड्रग तस्करी, फिरौती, वसूली और संगठित अपराध में सक्रिय हैं। कई किशोर गिरोह भी बड़े पैमाने पर मादक पदार्थों के सौदों और उगाही में शामिल पाए गए हैं।अधिकारियों का कहना है कि अपराधी गिरोह ढाका के अत्यधिक घनी आबादी वाले बिहारी कैंपों में बिना किसी रोक-टोक के सक्रिय हैं।


चुनावों की तैयारियों में जुटी सुरक्षा एजेंसियों पर पहले ही दबाव है, जिसके कारण इन गिरोहों पर अंकुश लगाना मुश्किल हो रहा है।भारतीय एजेंसियों का आकलन है कि इन गिरोहों की बढ़ती ताकत भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए भी जोखिम पैदा करती है।गुप्त 'बम किचन' बने नई ¨चतासबसे ¨चताजनक पहलू यह है कि जेनेवा कैंप के सेक्टर 4 और 7 में गिरोहों ने स्थायी बम निर्माण इकाइयां खड़ी कर ली हैं।


बड़े ढांचे बनाकर इन्हें 'सीक्रेट किचन' नाम दिया गया है, जहां विस्फोटक उपकरण तैयार किए जा रहे हैं।भारतीय अधिकारियों का कहना है कि ये गिरोह किसी वैचारिक संगठन से नहीं जुड़े हैं, अत: पैसे के लिए बड़े पैमाने पर बम बनाने को तैयार हो सकते हैं।


ऐसी स्थिति में पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आइएसआइ इनके नेटवर्क का आसानी से इस्तेमाल कर सकती है।चुनाव से पहले बढ़ा जोखिमबांग्लादेश पुलिस गिरोहों पर कार्रवाई करने की कोशिश कर रही है, लेकिन राजनीतिक संरक्षण और कमजोर सुरक्षा व्यवस्था के कारण अधिक सफलता नहीं मिल पा रही।


फरवरी में होने वाले चुनावों से पहले आशंका है कि कई राजनेता सुरक्षा या क्षेत्रीय दबदबे के लिए इन गिरोहों का उपयोग कर सकते हैं। हथियारों के विशाल भंडार और मजबूत नेटवर्क को देखते हुए विशेषज्ञ मानते हैं कि इन गिरोहों को चुनाव बाधित करने के लिए भड़काया जा सकता है।


भारत के लिए एक स्थिर और शांतिपूर्ण बांग्लादेश अत्यंत महत्वपूर्ण है। नई दिल्ली ढाका के साथ संबंधों को नए सिरे से मजबूत करना चाहती है, जिसके लिए सुरक्षित और निष्पक्ष चुनाव आवश्यक हैं। लेकिन मौजूदा हालात चुनाव प्रक्रिया में अवरोध और क्षेत्रीय सुरक्षा पर बड़ा प्रभाव डाल सकते हैं।
 BLF ने पहली बार महिला फिदायीन को भेजा, विद्रोह में बड़े बदलाव की आहट

BLF ने पहली बार महिला फिदायीन को भेजा, विद्रोह में बड़े बदलाव की आहट

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बलूचिस्तान के चगाई में हुए एक आत्मघाती हमले में 6 पाकिस्तानी सैनिकों की मौत हो गई। हमले की जिम्मेदारी बलूच लिब्रेशन फ्रंट (BLF) ने ली है। हमले में शामिल महिला आत्मघाती हमलावर जरीना राफीक ने खुद को पाकिस्तानी सैनिकों के साथ उड़ा लिया। यह हमला चीन के कॉपर और गोल्ड माइनिंग प्रोजेक्ट पर हुआ था, जिसकी सुरक्षा में पाकिस्तानी सैनिक तैनात थे।



चीनी प्रोजेक्ट पर आत्मघाती हमला करने वाली जरीना रफीक। फोटो- X
 बलूचिस्तान के चगाई में रविवार को भीषण बम ब्लास्ट हुआ, जिसमें 6 पाकिस्तानी सैनिकों की मौत की खबर सामने आ रही है। यह हमला चीन के एक प्रोजेक्ट पर हुआ, जिसकी सुरक्षा में पाकिस्तानी सैनिक तैनात थे। यह एक आत्मघाती हमला था, जिसे बलूच लिब्रेशन फ्रंट (BLF) की महिला ने अंजाम दिया था।


BLF ने फिदायीन हमला करने वाली महिला की जानकारी साझा की है। महिला सुसाइड बॉम्बर का नाम जरीना राफीक था, जिसने पाकिस्तानी सैनिकों के साथ खुद को भी उड़ा लिया। हालांकि, पाकिस्तान ने अभी तक इसपर कोई बयान नहीं दिया है।




आत्मघाती हमला करने वाली जरीना रफीक। फोटो - X
चीनी प्रोजेक्ट पर हुआ हमला

यह हमला चीन की कॉपर और गोल्ड माइनिंग प्रोजेक्ट केंद्र पर हुआ। पाकिस्तान की फ्रंटियर कॉप की यूनिट यहां तैनात थी। हालांकि, यह हमला इसलिए भी चर्चा है, क्योंकि BLF ने पहली बार इस तरह का आत्मघाती हमला किया है।


बलूच लिब्रेशन आर्मी (BLA) की मजीद ब्रिगेट ने पहली बार आत्मघाती हमले को सफलापूर्वक अंजाम दिया है। इससे पहले यह विद्रोही गुट जाफर एक्सप्रेस को भी हाइजैक कर चुका है।

BLF के प्रवक्ता ग्वाहराम बलूच के अनुसार,


यह फिदायीन हमला हमारी साड्डो ऑपरेशन बटालियन (SOB) ने अंजाम दिया है। इस बटालियन का नाम कमांडर वाजा साडो उर्फ सदाथ मैरी के नाम पर रखा गया है।
कई जगहों पर किया ब्लास्ट

BLF ने 28-29 नवंबर को पाकिस्तान में 29 बड़े हमलों को अंजाम दिया था, जिसमें 27 पाकिस्तानी सैनिकों की मौत हो गई। BLF के लड़ाकों ने गवादर में स्थित पाकिस्तानी सेना के कोस्ट गार्ड कैंप पर भी ग्रेनेड लॉन्च किया था। इस IED हमले में BLF ने खुफिया अधिकारियों को निशाना बनाया था। इसके अलावा BLA ने मस्तुंग शहर में स्थित पाकिस्तानी सेना के मेजर के घर पर भी हमला किया था।
 इमरान खान के समर्थकों को लेकर खौफ में शहबाज सरकार, रावलपिंडी में कर्फ्यू; सड़कों पर मुनीर की सेना

इमरान खान के समर्थकों को लेकर खौफ में शहबाज सरकार, रावलपिंडी में कर्फ्यू; सड़कों पर मुनीर की सेना

 इमरान खान के समर्थकों को लेकर खौफ में शहबाज सरकार, रावलपिंडी में कर्फ्यू; सड़कों पर मुनीर की सेना



Rawalpindi Curfew: पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की हत्या की अफवाहों के बीच उनकी पार्टी के समर्थक आदियाला जेल के बाहर प्रदर्शन कर रहे हैं। परिजनों को उनसे मिलने नहीं दिया जा रहा, जिससे प्रदर्शनकारियों का गुस्सा बढ़ रहा है। रावलपिंडी में धारा 144 लागू कर दी गई है, क्योंकि सरकार को पीटीआई समर्थकों द्वारा हंगामा खड़ा करने का डर है।




पाकिस्तान सरकार को सता रहा हिंसा भड़कने का डर। फाइल फोटो



 पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान की हत्या की अटकलें लगातार तूल पकड़ रही हैं। उनकी पार्टी के समर्थक आदियाला जेल के बाहर प्रदर्शन कर रहे हैं। इमरान खान के परिजनों को उनसे मिलने नहीं दिया जा रहा है, जिससे प्रदर्शनकारियों का गुस्सा बढ़ता जा रहा है। ऐसे में पाक सरकार ने रावलपिंडी में धारा 144 लगा दी है।


पाकिस्तान को डर सता रहा है कि इमरान खान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (PTI) के समर्थक रावलपिंडी में हंगामा खड़ा कर सकते हैं। रावलपिंडी को पाक सेना का गढ़ कहा जाता है। ऐसे में हिंसा भड़कने के डर से पाक सरकार ने पूरे शहर में कर्फ्यू लगा दिया है।


रावलपिंडी के डिप्टी कमीश्नर डॉक्टर हसन वकार चीमा ने कोड ऑफ क्रिमिनल प्रोसीजर (पंजाब संशोधन) अधिनियम 2024 के तहत धारा 144 लागू करने का आदेश दिया है। 3 दिनों के लिए लगाया गया यह कर्फ्यू 1-3 दिसंबर तक लागू रहेगा।

कर्फ्यू से कई चीजों पर लगा प्रतिबंधभारी संख्या में लोगों के एकजुट होने, पार्टी, धरना, जुलूस या विरोध प्रदर्शन करने पर रोक लगा दी गई है।
रावलपिंडी में हथियार, कीलें, डंडे, पेट्रोल बम समेत अन्य विस्फोटक चीजें लेकर घूमने पर भी पाबंदी लगा दी गई है। इससे हिंसा भड़कने का खतरा है।
हथियार लहराने या भड़काऊ भाषण देने पर भी रोक लगा दी गई है।
अगर पुलिस ट्रैफिक की आवाजाही के लिए कोई भी प्रतिबंध लगाती है, तो उसका पालन करना होगा।
धारा 144 लागू होते हुए शहर में लाउडस्पीकर का इस्तेमाल भी नहीं किया जा सकता है।

1 दिसंबर को कर्फ्यू का आदेश जारी करते हुए रावलपिंडी प्रशासन ने कहा कि यह फैसला सार्वजनिक सुरक्षा और शांति के मद्देनजर लिया जा रहा है। कर्फ्यू की कड़ी निगरानी रखने के लिए पुलिस समेत पाकिस्तानी सेना भी सड़कों पर उतर आई है। कर्फ्यू का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की चेतावनी दी गई है।




पाकिस्तान में PTI के समर्थकों का विरोध प्रदर्शन। फाइल फोटो
शहबाज सरकार की बढ़ी मुश्किल

बता दें कि इमरान खान को लेकर पाकिस्तान के हालात दिन-ब-दिन बिगड़ते जा रहे हैं। इमरान के बेटे ने पिता के जिंदा होने के सबूत मांगे हैं। पाकिस्तान सरकार ने इमरान को अगस्त 2023 में सलाखों के पीछे बंद किया था।


पिछले 1 महीने से किसी को इमरान से मिलने नहीं दिया गया है। ऐसे में कयास लगाए जा रहे हैं कि पाक सेना ने जेल में ही इमरान की हत्या कर दी है। मगर, पाकिस्तान ने इसे अफवाह बताते हुए सभी दावों को खारिज कर दिया है।
 इंग्लैंड में भारतीय छात्र की चाकू गोदकर हत्या, हरियाणा का था युवक; शव लाने की मांग तेज

इंग्लैंड में भारतीय छात्र की चाकू गोदकर हत्या, हरियाणा का था युवक; शव लाने की मांग तेज

 इंग्लैंड में भारतीय छात्र की चाकू गोदकर हत्या, हरियाणा का था युवक; शव लाने की मांग तेज



इंग्लैंड के वॉर्सेस्टर में एक भारतीय छात्र, विजय कुमार शेओरण की चाकू मारकर हत्या कर दी गई। पुलिस ने छह संदिग्धों को गिरफ्तार किया है, जिनमें से पांच को जमानत मिल चुकी है। हरियाणा के विधायक ने भारत सरकार से शव को वापस लाने और निष्पक्ष जांच की मांग की है। पुलिस मामले की जांच कर रही है और लोगों से जानकारी देने की अपील की है।




इंग्लैंड में भारतीय छात्र की चाकू गोदकर हत्या (फाइल फोटो)


 इंग्लैंड के वॉर्सेस्टर शहर में एक 30 साल के भारतीय छात्र की चाकू से हमला कर हत्या कर दी गई। हमला मंगलवार सुबह हुआ और गंभीर हालत में युवक को अस्पताल ले जाया गया, जहां उसकी मौत हो गई। स्थानीय रिपोर्ट्स के मुताबिक, मृतक युवक की पहचान हरियाणा के चरखी दादरी जिले के विजय कुमार शेओरण के रूप में हुई है, हालांकि ब्रिटिश पुलिस ने आधिकारिक पहचान अभी नहीं की है।

हमला कैसे हुआ

वेस्ट मर्सिया पुलिस के अनुसार, 25 नवंबर सुबह करीब 4:15 बजे उन्हें वॉर्सेस्टर की बारबॉर्न रोड पर एक युवक गंभीर चोटों के साथ मिला। उसे तुरंत अस्पताल ले जाया गया, लेकिन उसी दिन उसकी मौत हो गई। पुलिस ने इस मामले में छह लोगों को हत्या के आरोप में गिरफ्तार किया था। इनमें से पांच आरोपी अब बेल पर हैं, जबकि छठे व्यक्ति को पुलिस ने बिना किसी आगे की कार्रवाई के रिहा कर दिया है।


पुलिस की अपील

जांच अधिकारी डिटेक्टिव चीफ इंस्पेक्टर ली होलहाउस ने कहा कि उनकी टीम लगातार यह जानने की कोशिश कर रही है कि मंगलवार सुबह आखिर क्या हुआ जिसकी वजह से एक युवक की जान चली गई।

उन्होंने बताया कि पुलिस की टीमें पूरे सप्ताहांत बारबॉर्न रोड पर मौजूद रहेंगी, ताकि सबूत जुटाए जा सकें। उन्होंने लोगों से अपील की कि वे घबराएं नहीं और यदि किसी के पास कोई भी जानकारी होचाहे वह कितनी ही छोटी क्यों न लगेउसे पुलिस को जरूर दें।

परिवार के लिए मदद की मांग

हरियाणा के चरखी दादरी के विधायक सुनील सतपाल सांगवान ने इस घटना पर गहरा दुख जताया है। उन्होंने कहा कि यह परिवार के लिए असहनीय दुख का समय है और भारत सरकार को तुरंत हस्तक्षेप कर विजय के शव को जल्द से जल्द भारत लाने की व्यवस्था करनी चाहिए। उन्होंने साथ ही निष्पक्ष और समयबद्ध जांच की मांग की ताकि दोषियों को सख्त सजा मिल सके।
 'X' अक्षर क्यों है फेवरेट, 1999 का सपना कैसे बना हकीकत? एलन मस्क ने किए कई खुलासे

'X' अक्षर क्यों है फेवरेट, 1999 का सपना कैसे बना हकीकत? एलन मस्क ने किए कई खुलासे

 'X' अक्षर क्यों है फेवरेट, 1999 का सपना कैसे बना हकीकत? एलन मस्क ने किए कई खुलासे



एलन मस्क ने अपने पसंदीदा अक्षर 'X' के प्रति अपने प्रेम का खुलासा किया। उन्होंने बताया कि कैसे 1999 में X.com खरीदने का विचार आया, जिसका उद्देश्य वित्तीय लेनदेन को सरल बनाना था। मस्क ने PayPal और फिर Twitter के माध्यम से 'X' के विचार को आगे बढ़ाने की बात कही। उन्होंने SpaceX और अपने बेटे के नाम में भी 'X' के महत्व पर प्रकाश डाला।




एलन मस्क ने किए कई खुलासे 


 टेस्ला और स्पेसएक्स के सीईओ एलन मस्क ने खुलकर बताया कि उन्हें अक्षर 'X' से इतना लगाव क्यों है। जेरोधा के को-फाउंडर निखिल कामत के पॉडकास्ट 'WTF is?' में मस्क ने कहा कि 1990 के दशक से ही उनका X के साथ एक खास कनेक्शन रहा हैफिर वह X.com हो, SpaceX हो या उनके बेटे का नाम।

X.com का पुराना आइडिया

मस्क ने बताया कि 1999 में उन्होंने एक-अक्षर वाला डोमेन X.com खरीदा था। उस समय उनके दिमाग में एक ऐसा प्लेटफॉर्म बनाने का विचार था, जो पैसे को तकनीक के नजरिए से और आसान बना सके। उन्होंने कहा कि उस समय सिर्फ तीन एक-अक्षर वाले डोमेन थेX, Q और Zऔर वे X को चुनना चाहते थे ताकि उसे 'फाइनेंशियलक्रॉसरोड्स' यानी एक बड़ा वित्तीय प्लेटफॉर्म बनाया जा सके।


मस्क के मुताबिक पुरानी बैंकिंग व्यवस्था कई अलग-अलग डेटाबेस पर चलती है, जो न तो रियल-टाइम हैं और न ही बहुत सुरक्षित। उनका सपना था कि एक सिंगल, रियल-टाइम और सिक्योर डेटाबेस बने, जो पैसे से जुड़ी जानकारी को और आसान और तेज बना दे।

X.com से PayPal और फिर Twitter तक

मस्क ने बताया कि X.com बाद में PayPal बन गया, जिसे eBay ने खरीदा। बाद में eBay की ओर से किसी ने उनसे पूछा कि क्या वह यह डोमेन वापस खरीदना चाहेंगे। मस्क ने कहा कि ट्विटर खरीदने का एक कारण यह भी था कि वे X.com का पुराना आइडिया फिर से शुरू कर सकें, एक ऐसा प्लेटफॉर्म जो फाइनेंशियल ट्रांजैक्शंस का क्लियरिंग हाउस बन सके।


मस्क ने कहा कि चीन में लोग WeChat पर अपनी पूरी डिजिटल जिंदगी जीते हैं, लेकिन चीन के बाहर ऐसा कोई ऐप नहीं है। X का आइडिया कुछ ऐसा है कि वह WeChat से भी आगे का प्लेटफॉर्म बने।
SpaceX नाम में भी छिपा है 'X' का कनेक्शन

मस्क ने बताया कि SpaceX का पूरा नाम Space Exploration Technologies है, लेकिन यह नाम बहुत लंबा था, इसलिए इसे SpaceX कर दिया गया। उन्होंने कहा कि उन्हें X को कैपिटल में लिखना डिजाइन और लुक के हिसाब से अच्छा लगता है।


मस्क ने बताया कि उनके बेटे X Æ A-Xii, जिसे वह मजाक में 'Lil X' कहते हैं, उसका नाम उनकी मां ने सुझाया था। मस्क ने कहा कि उन्होंने मजाक में कहा भी था कि लोग समझेंगे कि उन्हें X अक्षर का बहुत ज्यादा शौक है, लेकिन उनकी पार्टनर यह नाम रखना चाहती थीं।
 ऑस्ट्रियन इंफ्लूएंसर की हत्या, Ex ने शव को सूटकेस में भरकर जंगल में फेंका; कबूल किया जुर्म

ऑस्ट्रियन इंफ्लूएंसर की हत्या, Ex ने शव को सूटकेस में भरकर जंगल में फेंका; कबूल किया जुर्म

 ऑस्ट्रियन इंफ्लूएंसर की हत्या, Ex ने शव को सूटकेस में भरकर जंगल में फेंका; कबूल किया जुर्म



Stefanie Pieper Death: ऑस्ट्रिया की मशहूर इंफ्लूएंसर स्टेफनी पीपर लापता हो गईं थीं, जिनकी लाश स्लोवेनिया के जंगलों में एक सूटकेस में मिली। पुलिस जांच में सामने आया कि उनके पूर्व प्रेमी ने उनकी हत्या की थी। आरोपी को स्लोवेनिया में एक जलती हुई कार के पास से पकड़ा गया और उसने अपना गुनाह कबूल कर लिया। इस घटना से पूरे यूरोप में सनसनी फैल गई है।




ऑस्ट्रिया की मशहूर इंफ्लूएंसर स्टेफनी पीपर की हत्या। फोटो - X


 ऑस्ट्रिया की एक जानी मानी हस्ती पिछले काफी दिनों से लापता थी। परिजनों की शिकायत पर जब पुलिस ने छानबीन शुरू की, तो उसकी लाश स्लोवेनिया के जंगलों में सूटकेस के अंदर मिली। इस घटना से पूरे यूरोप में सनसनी फैल गई है।


लाश की पहचान ऑस्ट्रिया की मशहूर इंफ्लूएंसर स्टेफनी पीपर (Stefanie Pieper Death) के रूप में हुई है। 31 वर्षीय स्टेफनी की मौत से उनके फैंस को भी गहरा धक्का लगा है। इस हत्याकांड को स्टेफनी के पूर्व प्रेमी ने अंजाम दिया।




ऑस्ट्रिया की मशहूर इंफ्लूएंसर स्टेफनी पीपर की हत्या। फोटो - X
घर से हुई थी लापता

पुलिस के अनुसार, 23 नवंबर को एक पार्टी से घर लौटने के बाद स्टेफनी अचानक गायब हो गईं थीं। 23 नवंबर की रात स्टेफनी ने अपनी एक दोस्त को मैसेज करते हुए बताया था कि वो सुरक्षित घर पहुंच चुकी हैं। इसके कुछ देर बाद ही स्टेफनी ने दूसरा मैसेज किया कि शायद उनके घर की सीढ़ियों में कोई छिपा है।


स्टेफनी के पड़ोसियों ने बताया कि देर रात उनके घर से लड़ाई-झगड़े की आवाज आ रही थी। लोगों ने स्टेफनी के पूर्व प्रेमी को भी बिल्डिंग में देखा था। स्टेफनी के परिजन भी लाख कोशिशों के बाद उन तक नहीं पहुंच पा रहे थे।




ऑस्ट्रिया की मशहूर इंफ्लूएंसर स्टेफनी पीपर की हत्या। फोटो - X
पूर्व प्रेमी ने कबूला गुनाह

पुलिस ने जब स्टेफनी के पूर्व प्रेमी की तलाश शुरू की, तो उसे स्लोवानिया में एक जलती हुई कार के पास से पकड़ा गया। पुलिस के अनुसार, कई बार ऑस्ट्रिया से स्लोवानिया जाने के कारण 24 नवंबर को उसकी कार में आग लग गई। यह कार ऑस्ट्रिया और स्लोवानिया की सीमा पर मौजूद एक कैसीनो की पार्किंग में खड़ी थी।


पुलिस ने जब आरोपी को पकड़कर पूछताछ शुरू की, तो उसने अपना गुनाह कबूल कर लिया। उसने पुलिस को बताया कि स्टीफेन की हत्या करने के बाद उनके शव को सूटकेस में भरकर स्लोवेन फॉरेस्ट में फेंक दिया है। पुलिस ने आरोपी के 2 अन्य संबंधियों को भी हिरासत में लिया है।
 होंडुरस में चुनाव से पहले ट्रंप का बड़ा एलान, ड्रग तस्करी के दोषी पूर्व राष्ट्रपति को दिया क्षमादान

होंडुरस में चुनाव से पहले ट्रंप का बड़ा एलान, ड्रग तस्करी के दोषी पूर्व राष्ट्रपति को दिया क्षमादान

 होंडुरस में चुनाव से पहले ट्रंप का बड़ा एलान, ड्रग तस्करी के दोषी पूर्व राष्ट्रपति को दिया क्षमादान



अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप ने होंडुरास के पूर्व राष्ट्रपति जुआन ऑरलैंडो हर्नांडेज को ड्रग तस्करी के मामले में माफी दे दी है। हर्नांडेज को अमेरिकी कोर्ट ने 45 साल की जेल की सजा सुनाई थी। होंडुरास में चुनाव से पहले ट्रंप के इस फैसले ने राजनीतिक हलचल पैदा कर दी है।




ड्रग तस्करी के दोषी पूर्व राष्ट्रपति को ट्रंप ने दिया क्षमादान (फाइल फोटो, सोर्स- सोशल मीडिया)


 अमेरिकी राष्ट्रपित डोनल्ड ट्रंप ने होंडुरस के पूर्व प्रेसिडेंट जुआन ऑरलैंडो हर्नांडेज को माफ करने का एलान किया है। सजान ड्रग तस्करी के मामले में सजा काट रहे हैं। वह न्यूयॉर्क की फेडरल जेल में बंद हैं।


दरअसल, होंडुरास के पूर्व राष्ट्रपति जुआन ऑरलैंडो हर्नांडेज को अमेरिकी कोर्ट ने ड्रग तस्करी के मामले में दोषी ठहराते हुए 45 साल के जेल की सजा सुनाई थी और 80 लाख डॉलर का जुर्माना लगाया था।

ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया पोस्ट में कहा कि "जिन लोगों का मैं बहुत सम्मान करता हूं, उनके अनुसार हर्नांडेज के साथ बहुत कठोर और अनुचित व्यवहार किया गया है।"

न्यूयॉर्क की फेडरल जेल में सजा काट रहे होंडुरास के पूर्व राष्ट्रपति जुआन ऑरलैंडो हर्नांडेज को ट्रंप ने क्षमादान दे दिया है। ट्रंप ने कहा कि वह पूर्व राष्ट्रपति जुआन को क्षमादान देंगे, जिसे पिछले साल अमेरिकी अदालत ने मादक पदार्थों की तस्करी के आरोप में दोषी ठहराया था और 45 साल की जेल की सजा सुनाई थी।


चुनाव से पहले नई हलचल

बता दें कि होंडुरास में रविवार को राष्ट्रपति, संसद और स्थानीय चुनाव हो रहा है। ट्रंप ने होंडुरास में होने वाले चुनाव से ठीक पहले जुआन ऑरलैंडो हर्नांडेज को ट्रंप ने क्षमादान वहां की राजनीति में नई हलचल पैदा कर दिए हैं। ट्रंप ने होंडुरास आम चुनाव में कंजर्वेटिव नेशनल पार्टी के उम्मीदवार नासरी 'टिटो' असफुरा का खुलकर समर्थन किया और कहा, 'अगर टिटो जीतते हैं तो अमेरिका होंडुरास की पूरी मदद करेगा। वहीं, यह भी कहा कि अगर गलत नेता जीता तो हम अपना पैसा बर्बाद नहीं करेंगे।


गौरतलब है कि जुआन ऑरलैंडो हर्नांडेज ने 2014 से 2022 तक मध्य अमेरिकी राष्ट्र (होंडुरास) का नेतृत्व किया था। इन पर अमेरिकी अभियोजकों ने करीब 400 टन कोकीन के आयात की सुविधा प्रदान करने का आरोप लगाया था। जिसके बदले उन्हें लाखों डॉलर की रिश्वत मिली। इस रिश्वत का इस्तेमाल उन्होंने अपनी सत्ता मजबूत करने में किया।

वकील ने दिया ट्रंप को धन्यवाद

अमेरिकी न्याय विभाग ने उनके विरुद्ध तीन मादक पदार्थों की तस्करी और हथियारों से संबंधित आरोप दायर करने के बाद उन्हें होंडुरास से प्रत्यर्पित किया था। पिछले साल 2024 में उन्हें सजा सुनाई गई। जिसे ट्रंप ने माफ कर दिया है। माफी के ऐलान के बाद हर्नांडेज के वकील रेनाटो स्टेबाइल ने ट्रंप का धन्यवाद देते हुए कहा, 'हम राष्ट्रपति ट्रंप और सभी समर्थकों के आभारी हैं। जुआन ऑरलैंडो हर्नांडेज राजनीतिक उत्पीड़न के शिकार थे। एक बड़ा अन्याय दूर हुआ है।
 'इमरान खान जिंदा हैं,' PTI सांसद का दावा- पूर्व PM की लोकप्रियता से डरी पाकिस्तान सरकार

'इमरान खान जिंदा हैं,' PTI सांसद का दावा- पूर्व PM की लोकप्रियता से डरी पाकिस्तान सरकार

 'इमरान खान जिंदा हैं,' PTI सांसद का दावा- पूर्व PM की लोकप्रियता से डरी पाकिस्तान सरकार




पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की हत्या की अफवाहों के बीच, पीटीआई सांसद ने उन्हें जिंदा बताया और कहा कि वे अदियाला जेल में हैं। उन्होंने सरकार पर इमरान खान को देश छोड़ने के लिए मजबूर करने का आरोप लगाया। उन्होंने यह भी कहा कि पाकिस्तान सरकार इमरान खान की लोकप्रियता से डरी हुई है।




पाकिस्तान सरकार को इमरान खान की लोकप्रियता का डर (फाइल फोटो)


पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की हत्या को लेकर सोशल मीडिया पर तरह-तरह के दावे किए जा रहे हैं। इस बीच उनकी पार्टी के सांसद ने दावा किया है कि इमरान खान अभी जिंदा है। वह अभी अडियाला जेल में ही है। सरकार ने भी इमरान खान की हत्या से इनकार कर दिया है।


दरअसल, क्रिकेटर से नेता बने इमरान खान को लेकर इस सप्ताह की शुरुआत में दावा किया गया कि रावलपिंडी की जेल के अंदर उनकी हत्या कर दी गई है। इस बीच इमरान खान की मौत के अफवाहों का खंडन करते हुए पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के सीनेटर खुर्रम जीशान ने कहा कि इमरान खान जीवित हैं और फिलहाल अदियाला जेल में बंद हैं।


खुर्रम जीशान ने आरोप लगाया कि इमरान खान को परेशान करके देश छोड़ने के लिए मजबूर किया जा रहा है। जीशान ने कहा कि पाकिस्तान छोड़ने के लिए दबाव बनाने की रणनीति के तहत ही पूर्व प्रधानमंत्री को अलग-थलग रखा जा रहा है।

इमरान खान की लोकप्रियता से डरी पाकिस्तान सरकार

इमरान खान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) से जुड़े खुर्रम जीशान ने समाचार एजेंसी एएनाई से बातचीत करते हुए बताया कि देश में शासन इमरान खान की लोकप्रियता से भयभीत और डरा हुआ है, यही वजह है कि उन्होंने उनकी कोई भी तस्वीर या वीडियो जारी करने की अनुमति नहीं दी है। पाकिस्तान में सत्तारूढ़ सरकार खतरे में दिख रही है, उन्हें डर है कि एक भी तस्वीर जनता का समर्थन जुटा सकती है।


गौरतलब है कि इस सप्ताह की शुरुआत में अफगानिस्तान के कई सोशल मीडिया हैंडलों ने दावा किया था कि इमरान खान की रावलपिंडी की जेल के अंदर हत्या कर दी गई है। इमरान खान को लेकर यह अफवाहें ऐसे समय में उड़ी जब पाकिस्तानी अधिकारी अदालती आदेश के बावजूद पिछले एक महीने से खान को उनके फैमिली से मिलने की अनुमति नहीं दे रहे हैं।


खुर्रम जीशान ने एएनाई से बाततीच के दौरान बताया कि यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है। उन्हें लगभग एक महीने से अलग-थलग रखा गया है और उनके परिवार, उनके वकीलों और यहां तक कि पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ के वरिष्ठ नेतृत्व को भी उनसे मिलने की अनुमति नहीं दी गई है। यह मानवाधिकारों का पूर्ण उल्लंघन है। ऐसा लगता है कि वे उन्हें किसी चीज के लिए मजबूर करने की कोशिश कर रहे हैं।

जिंदा होने की गारंटी

अफवाहों खंडन करते हुए जीशान ने कहा कि पिछले कुछ दिनों में हमें गारंटी दी गई है, हमें आश्वासन दिया गया है। वह जीवित हैं और वर्तमान में अदियाला जेल में बंद हैं। वह ठीक हैं। जीशान ने आरोप लगाया कि इमरान खान को देश छोड़ने और चुप रहने के लिए दबाव बनाया जा रहा है।

देश छोड़ने को मजबूर किया जा रहा

जीशान ने कहा कि इमरान खान के साथ समझौता करने की कोशिश किया जा रहा है और उन्हें देश छोड़ने को मजबूर किया जा रहा है। उन्हें यह भी कहा जा रहा है कि अगर वह विदेश चले जाते हैं और अपनी पसंद की जगह पर चुप रहते हैं तो उन्हें रियायतें मिलेंगी। लेकिन इमरान खान इसके लिए कभी राजी नहीं होंगे।
 जेलेंस्की के सबसे ताकतवर सहयोगी का इस्तीफा... कौन हैं एंड्री यरमक, जिनके जाने से यूक्रेन में मची हलचल

जेलेंस्की के सबसे ताकतवर सहयोगी का इस्तीफा... कौन हैं एंड्री यरमक, जिनके जाने से यूक्रेन में मची हलचल

 जेलेंस्की के सबसे ताकतवर सहयोगी का इस्तीफा... कौन हैं एंड्री यरमक, जिनके जाने से यूक्रेन में मची हलचल



यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की के करीबी सहयोगी एंड्री यरमक के इस्तीफे से राजनीतिक उथल-पुथल मची है। राष्ट्रपति कार्यालय के प्रमुख के रूप में यरमक की भूमिका अहम थी। उनके इस्तीफे से जेलेंस्की सरकार पर असर पड़ सकता है और राजनीतिक अस्थिरता बढ़ने की आशंका है।




जेलेंस्की के खास सहयोगी का इस्तीफा (फोटो- सोशल मीडिया)


 यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की के चीफ ऑफ स्टाफ एंड्री यरमक ने शुक्रवार को इस्तीफा दे दिया। भ्रष्टाचार विरोधी अधिकारियों द्वारा उनके घर पर छापेमारी के बाद उन्हें अपने पद से हटना पड़ा। यह पूरा मामला 100 मिलियन डॉलर के किकबैक घोटाले से जुड़ा हुआ बताया जा रहा है।


एंड्री यरमक यूक्रेन के दूसरे सबसे शक्तिशाली व्यक्ति माने जाते थे और रूस के आक्रमण के दौरान कूटनीति व शांति वार्ताओं के प्रमुख चेहरा थे। उन्होंने विदेशी संपर्कों का प्रबंधन किया और कीव में आने वाले नेताओं की मेजबानी की। इसके अलावा वे सैन्य एवं राजनयिक समर्थन के लिए राष्ट्रपति के साथ अंतरराष्ट्रीय मिशनों पर भी गए।


कौन हैं एंड्री यरमक?

एंड्री यरमक का जन्म कीव में हुआ। यरमक ने टारस शेवचेंको नेशनल यूनिवर्सिटी से अंतरराष्ट्रीय निजी कानून की पढ़ाई की। इसके बाद 1997 में अपनी लॉ फर्म शुरू की। अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत उन्होंने पार्टी ऑफ रीजन्स के सांसद और पूर्व ओलंपिक पहलवान एल्ब्रस टेडेयेव के कानूनी सलाहकार के रूप में की। इसके साथ ही उन्होंने मीडिया में भी कदम रखा, 2012 में उन्होंने गार्नेट मीडिया ग्रुप की स्थापना की। यह ग्रुप यूक्रेनी फिल्मों और टीवी प्रोजेक्ट्स पर काम करता था।

2020 में बने चीफ ऑफ स्टाफ

2011 में उनकी पहली मुलाकात जेलेंस्की से हुई, जब वे इंटर चैनल के जनरल प्रोड्यूसर थे। जेलेंस्की के राष्ट्रपति बनने के बाद यरमक को विदेश नीति सहायक बनाया गया। यरमक ने रूस के साथ कैदियों की अदला-बदली और अमेरिका के साथ संचार संभाला। इसके बाद 2020 में वे चीफ ऑफ स्टाफ और राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के सदस्य बने।


रूस के 2022 के आक्रमण के बाद वे मानवीय मामलों के समन्वयक भी बने। अक्सर जेलेंस्की जैसी मिलिट्री स्टाइल पोशाक में नजर आने वाले यरमक को "ग्रीन कार्डिनल" का उपनाम मिला था। इसके बाद उन्हें लगभग सह-राष्ट्रपति, यूक्रेन का सबसे शक्तिशाली अनिर्वाचित व्यक्ति माना जाने लगा।

यमरक के जाने से क्या होगा असर?

बीते दिनों नेशनल एंटीकरप्शन ब्यूरो ने ऊर्जा क्षेत्र के घोटाले की जांच में उनके घर की तलाशी ली। जिसके बाद उन्हें इस्तीफा देना पड़ा। दो मंत्रियों के इस्तीफे के बाद यह तीसरा बड़ा झटका है। क्योंकि, यरमक के जाने का यूक्रेन पर गहरा असर पड़ेगा। वे युद्धकालीन राजनीति के प्रवर्तक थे, जो आंतरिक अनुशासन बनाए रखते थे।
 सूरज की किरणों से उड़ानों पर संकट, दुनियाभर के 6 हजार विमानों में सॉफ्टवेयर बदलेगा एयरबस

सूरज की किरणों से उड़ानों पर संकट, दुनियाभर के 6 हजार विमानों में सॉफ्टवेयर बदलेगा एयरबस

 सूरज की किरणों से उड़ानों पर संकट, दुनियाभर के 6 हजार विमानों में सॉफ्टवेयर बदलेगा एयरबस


एयरबस कंपनी दुनिया भर के 6 हजार विमानों का सॉफ्टवेयर बदलने जा रही है, जिससे कई उड़ानें प्रभावित हो सकती हैं। कंपनी का कहना है कि यह कदम विमानों की सुरक्षा बढ़ाने के लिए उठाया जा रहा है। उड़ानों में देरी या रद्द होने की आशंका है, इसलिए यात्रियों को अपनी उड़ान की स्थिति जांचने की सलाह दी जाती है।





एयरबस ने A320 विमानों के लिए जारी की एडवाइजरी। फाइल फोटो


डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। बीते दिन कई एयरलाइंस ने उड़ानों में देरी की घोषणा की थी। मगर, अब हवाई यात्रा करने वाले यात्रियों को कई घंटों या फिर कई हफ्तों का इंतजार करना पड़ सकता है। एयरबस ने 6000 से ज्यादा विमानों में अपडेट का एलान किया है।


एयरबस की एडवाइजरी के बाद दुनियाभर में कई उड़ानें रद कर दी गई थीं। एयर फ्रांस ने 35, तो जापान की एयरलाइंस ने 65 फ्लाइट्स रद कर दी। वहीं, भारत में एअर इंडिया और इंडिगो ने भी इसे लेकर एडवाइजरी जारी की है।


एयरबस ने A320 के लिए जारी की एडवाइजरी

एयरबस ने A320 विमानों में सॉफ्टवेयर अपडेट की घोषणा की है। दरअसल पिछले साल जेटब्लू की उड़ान में तकनीकी खराबी देखने को मिली थी। इसका आंकलन करने के बाद पता चला की तेज सोलर रेडिएशन का असर विमान के डेटा पर पड़ रहा है, जो खतरा साबित हो सकता है।



1 हफ्ते का लग सकता है समय

एयरबस ने दुनिया में संचालित होने वाले 6000 से अधिक विमानों में नया सॉफ्टवेयर अपडेट किया जाएगा। ज्यादातर विमानों में यह प्रक्रिया कुछ घंटों में पूरी होने का अनुमान है। हालांकि, 1000 के आसपास विमानों में हफ्ते भर का समय भी लग सकता है।


एयरबस के इस फैसले से यूरोपीय कंपनियों के 70 प्रतिशत उड़ानों पर असर देखने को मिल सकता है। यूरोपीय संघ विमान सुरक्षा एजेंसी (EASA) के अनुसार, इससे उड़ाने बाधित हो सकती हैं, जिससे यात्रियों को असुविधा होने की संभावना है। मगर, हमारे लिए उनकी सुरक्षा सर्वोपरी है।


अचानक क्यों पड़ी सॉफ्टवेयर अपडेट की जरूरत?

बता दें कि 30 अक्टूबर को जेटब्लू का एयर A320 विमान का कंप्यूटर अचानक खराब हो गया था। यह विमान मैक्सिको से अमेरिका जा रहा था, तभी विमान का अगला हिस्सा नीचे झुक गया। आनन-फानन में पायलट ने फ्लोरिडा में प्लेन की इमरजेंसी लैंडिंग करवाई।

जांच में पता चला कि सोलर रेडिएशन के कारण प्लेन में खराबी आई थी। ऐसे में एयरबस ने सभी A320 विमानों में सॉफ्टवेयर अपडेट करने का फैसला किया है।
पहली विदेश यात्रा पर तुर्किये पहुंचे पोप लिओ, एकता के लिए किया प्रेरित

पहली विदेश यात्रा पर तुर्किये पहुंचे पोप लिओ, एकता के लिए किया प्रेरित

 पहली विदेश यात्रा पर तुर्किये पहुंचे पोप लिओ, एकता के लिए किया प्रेरित



पोप लिओ अपनी पहली विदेश यात्रा पर तुर्किये पहुंचे, जहां उनका भव्य स्वागत हुआ। उन्होंने कैथोलिकों को एकजुट रहने के लिए प्रोत्साहित किया और तुर्किये के पादरियों व ननों के साथ प्रार्थना सभा का नेतृत्व किया। पोप निकिया काउंसिल की 1700वीं वर्षगांठ के जश्न में भी शामिल होंगे, जो ईसाई एकता के लिए महत्वपूर्ण है। इसके बाद वह लेबनान की यात्रा करेंगे।




पहली विदेश यात्रा पर तुर्किये पहुंचे पोप लिओ (फाइल फोटो)

 अपनी पहली विदेश यात्रा पर तुर्किये पहुंचे पोप लिओ का भव्य स्वागत किया गया। इस दौरान पोप ने कैथोलिकों को एकजुटता के लिए प्रेरित किया।

पोप लिओ तुर्किये के कैथोलिक पादरियों और ननों के साथ प्रार्थना सभा का भी संचालन किया। पोप निकिया की पहली काउंसिल की 1,700वीं सालगिरह के जश्न में भी शामिल होंगे। निकिया काउंसिल साल 325 में हुई बिशपों की एक सभा थी।

लेबनान जाएंगे पोप

यह सभा उस समय हुई जब पूर्वी और पश्चिमी चर्च एकजुट थे। 1054 में पोप की प्राथमिकता पर असहमति के कारण पूर्वी और पश्चिमी चर्च बंट गए, लेकिन आज भी, कैथोलिक, आर्थोडाक्स और अधिकांश ऐतिहासिक प्रोटेस्टेंट समूह निकिया को स्वीकार करते हैं। यह वर्षगांठ इज्निक में होगा जो इस्तांबुल से लगभग 150 किलोमीटर दूर है। पोप ने गुरुवार को तुर्किये पहुंचे थे। वह रविवार को लेबनान जाएंगे।
 बांग्लादेश की पूर्व PM खालिदा जिया की स्थिति है गंभीर, अस्पताल में कराया गया भर्ती

बांग्लादेश की पूर्व PM खालिदा जिया की स्थिति है गंभीर, अस्पताल में कराया गया भर्ती

 बांग्लादेश की पूर्व PM खालिदा जिया की स्थिति है गंभीर, अस्पताल में कराया गया भर्ती



बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया की हालत गंभीर होने के कारण उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया है। डॉक्टरों की टीम उनकी सेहत पर लगातार नजर रख रही है। उनके स्वास्थ्य को लेकर उनके समर्थकों और परिवार में चिंता का माहौल है और सभी उनके जल्द स्वस्थ होने की कामना कर रहे हैं।





बांग्लादेश की पूर्व PM खालिदा जिया की स्थिति है गंभीर अस्पताल में कराया गया भर्ती (फाइल फोटो)

 एकतरफ बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) की अध्यक्ष और पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया की स्वास्थ्य स्थिति ''अत्यंत गंभीर'' है। वहीं, बांग्लादेश में फरवरी 2026 के चुनाव से पहले मोहम्मद युनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार के तहत राजनीतिक हिंसा बढ़ती जा रही है।


इसी के चलते, बांग्लादेश में चुनाव प्रचार के दौरान बीएनपी और इस्लामिक पार्टी जमात-ए-इस्लामी के कार्यकर्ताओं के बीच हिंसक संघर्ष में 25 लोग घायल हो गए। चुनाव प्रचार में आपस में ही भिड़ने वाले यह वह राजनीतिक दल हैं जो पहले युनुस के साथ मिलकर शेख हसीना की अवामी लीग की लोकतांत्रिक रूप से चुनी गई सरकार को गिराने में सहयोग कर रहे थे।


खालिदा जिया की स्थिति है गंभीर

सरकारी समाचार एजेंसी बीएसएस के अनुसार 80 वर्षीय पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया को रविवार रात अस्पताल में भर्ती कराया गया जब उन्हें छाती का संक्रमण हुआ, जिसने उनके दिल और फेफड़ों को प्रभावित किया। बीएनपी महासचिव मिर्जा फखरुल इस्लाम आलमगीर ने बताया, ''डाक्टरों के अनुसार उनकी स्थिति अत्यंत गंभीर है।''


बीएनपी ने पार्टी की अध्यक्ष के शीघ्र स्वास्थ्य लाभ के लिए शुक्रवार की नमाज के बाद विशेष प्रार्थनाएं हुईं। जिया लंदन से 6 मई को चार महीने के उपचार के बाद देश लौटी थीं। बांग्लादेश के मारे गए राष्ट्रपति जिया-उर-रहमान की पत्नी खालिदा जिया कई स्वास्थ्य जटिलताओं से ग्रस्त हैं, जिनमें गुर्दे की समस्याएं, मधुमेह, गठिया व आंख की बीमारियां शामिल हैं।

दोनों पार्टियों के कार्यकर्ताओं के बीच हुई हिंसा

आईएएनएस के अनुसार बांग्लादेश में चुनाव प्रचार के दौरान बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) और इस्लामिक पार्टी जमात-ए-इस्लामी के कार्यकर्ताओं के बीच हिंसा गुरुवार दोपहर को पबना जिले के चार गर्गरी गांव में हुई।


जब जमात के उम्मीदवार अबू तालिब मंडल प्रचार के लिए क्षेत्र में गए, तो उन्हें बीएनपी उम्मीदवार के समर्थकों ने रोका। झगड़े के बाद मंडल चले गए, लेकिन लौटते समय फिर हिंसा हुई, जिसमें गोलीबारी हुई और कई वाहनों को नुकसान पहुंचाया गया।
 पिता के जिंदा होने का सबूत को दे दो', इमरान खान की मौत की अफवाहों के बीच बेटे की पोस्ट ने बढ़ाई हलचल

पिता के जिंदा होने का सबूत को दे दो', इमरान खान की मौत की अफवाहों के बीच बेटे की पोस्ट ने बढ़ाई हलचल

 पिता के जिंदा होने का सबूत को दे दो', इमरान खान की मौत की अफवाहों के बीच बेटे की पोस्ट ने बढ़ाई हलचल


पाकिस्तान की जेल में बंद पूर्व पीएम इमरान खान की मौत की अफवाहों से हड़कंप मच गया। जेल प्रशासन ने इन खबरों को गलत बताया है। इमरान खान के बेटे कासिम खान ने अपने पिता के जिंदा होने का सबूत मांगा है। उन्होंने कहा कि उनके पिता को डेथ सेल में अकेले रखा गया है और परिवार को उनसे मिलने नहीं दिया जा रहा है।




इमरान खान: मौत की अफवाहों के बीच बेटे ने मांगा पिता के जिंदा होने का प्रमाण। (फाइल फोटो)


पाकिस्तान की जेल में बंद पूर्व पीएम इमरान खान की मौत की अफवाहों ने लोगों को हैरान कर दिया। उधर, इमरान खान की बहनों ने दावा किया है कि उन्हें अपने भाई से करीब 23 दिनों से मिलने नहीं दिया गया है। इस बीच जेल प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि इमरान खान की मौत की खबरें झूठी हैं।


दरअसल, पूर्व पीएम इमरान खान पंजाब प्रांत के अदियाला में बंद हैं। जेल प्रशासन ने बताया कि वह पूरी तरीके से स्वस्थ हैं। इस बीच उनके बेटे कासिम खान ने अब उनके जिंदा होने का सबूत और पिता की रिहाई की मांग की है। बता दें कि अफगानी बेस्ड एक मीडिया रिपोर्ट में दावा किया गया था कि इमरान खान की जेल में मौत हो गई है।



बेटे ने मांगा इमरान खान के जिंदा होने का सबूत

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में कासिम खान ने कहा कि उनके पिता को गिरफ्तार हुए करीब 845 दिन से अधिक हो गए। कासिम खान ने दावा किया कि उनके पिता को पिछले डेढ़ महीने से परिवार से बिना किसी कॉन्टैक्ट के डेथ सेल में रखा गया है।


कासिम खान ने लिखा कि पिछले छह हफ्तों से उन्हें पूरी तरह से अकेलेपन के माहौल में डेथ सेल में अकेले रखा गया है। कोर्ट के साफ ऑर्डर के बावजूद, उनकी बहनों को हर मीटिंग से रोक दिया गया है। कोई फोन कॉल नहीं, कोई मीटिंग नहीं, और उनकी खैरियत की कोई खबर नहीं। मैं और मेरा भाई किसी भी तरह से अपने पिता से कॉन्टैक्ट नहीं कर पाए हैं।

मेरे पिता की सुरक्षा की जिम्मेदारी कौन लेगा?

कासिम ने अपने पोस्ट में लिखा कि यह साफ किया जाए कि क्या पाकिस्तानी सरकार और उनके मालिक मेरे पिता की सुरक्षा और इस अमानवीय अकेलेपन के हर नतीजे के लिए पूरी कानूनी, नैतिक और इंटरनेशनल जिम्मेदारी लेंगे।


कामिस ने इंटरनेशनल कम्यूनिटी और इंटरनेशनल ह्यूमन राइट्स ऑर्गनाइजेशन से भी दखल देने की अपील की है। कासिम ने कई मांगे रखी, जिनमें उनके पिता की जिंदगी की पुष्टि, कोर्ट के आदेशों के अनुसार पहुंच, अमानवीय अकेलेपन का अंत इत्यादि।
 व्हाइट हाउस के पास आतंकी हमले में घायल नेशनल गार्ड की मौत, ट्रंप ने कहा- 20 साल की थीं सारा बेकस्ट्रॉम

व्हाइट हाउस के पास आतंकी हमले में घायल नेशनल गार्ड की मौत, ट्रंप ने कहा- 20 साल की थीं सारा बेकस्ट्रॉम

 व्हाइट हाउस के पास आतंकी हमले में घायल नेशनल गार्ड की मौत, ट्रंप ने कहा- 20 साल की थीं सारा बेकस्ट्रॉम


व्हाइट हाउस के पास हुए हमले में एक नेशनल गार्ड जवान सारा बेकस्ट्रॉम की मौत हो गई। पूर्व राष्ट्रपति ट्रंप ने इस घटना के लिए बाइडेन प्रशासन की इमिग्रेशन नीतियों को जिम्मेदार ठहराया है। उन्होंने कहा कि संदिग्ध, जो एक अफगानी नागरिक है, बिना जांच के अमेरिका में प्रवेश कर गया था।



व्हाइट हाउस के पास आतंकी हमले में घायल नेशनल गार्ड की मौत


 अमेरिका में व्हाइट हाउस के पास अफगानी नागरिक द्वारा किए गए हमले में दो नेशनल गार्ड घायल हो गए। इसमें से एक जवान सारा बेकस्ट्रॉम की मौत हो गई है। वहीं, दूसरा सैनिक गंभीर हालत में अपनी जिदगी के लिए लड़ रहा है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप ने यह जानकारी दी।


अमेरिका में व्हाइट हाउस के पास हुए 'आतंकी हमले' के लिए ट्रंप ने बाइडेन-युग की इमिग्रेशन जांच की नाकामियों को जिम्मेदार ठहराया और शरण के मामलों की पूरी जांच का आदेश दिया। ट्रंप ने कहा कि 20 साल की सारा बेकस्ट्रॉम की घावों से मौत हो गई और उनके साथी गार्ड्समैन एंड्रयू वोल्फ, 24, "अपनी जान के लिए लड़ रहे थे"।


ट्रंप ने कहा कि बेकस्ट्रॉम अब हमारे साथ नहीं हैं, वह अभी हमें उपर से देख रही होगी। उसके माता-पिता उसके साथ हैं।
अमेरिका आने से पहले CIA-समर्थित यूनिट का हिस्सा

FBI ने जांच को बढ़ाते हुए कई प्रॉपर्टी की तलाशी ली, जिसमें वाशिंगटन राज्य में एक घर भी शामिल है जो संदिग्ध से जुड़ा था, जिसके बारे में अधिकारियों ने कहा कि वह 2021 में एक रिसेटलमेंट प्रोग्राम के तहत अमेरिका आने से पहले अफगानिस्तान में CIA-समर्थित यूनिट का हिस्सा था।

कई इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस जब्त

FBI डायरेक्टर काश पटेल ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि एजेंट्स ने संदिग्ध के घर से कई इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस जब्त किए, जिसकी पहचान 29 साल के रहमानुल्लाह लकनवाल के तौर पर हुई है, जिसमें सेलफोन, लैपटॉप और आईपैड शामिल हैं, और उसके रिश्तेदारों से पूछताछ की। वाशिंगटन, D.C. के U.S. अटॉर्नी जीनिन पिरो ने कहा कि संदिग्ध ने देशभर में गाड़ी चलाई और फिर बुधवार दोपहर व्हाइट हाउस के पास पेट्रोलिंग कर रहे गार्ड मेंबर्स पर हमला किया।

आतंकवादी हमला

ट्रंप ने U.S. मिलिट्री सर्विस मेंबर्स के लिए थैंक्सगिविंग कॉल में कहा, "मैं हमारे पूरे देश के दुख और डर को बताना चाहता हूं कि कल हमारे देश की राजधानी में आतंकवादी हमला हुआ, जिसमें एक वहशी राक्षस ने वेस्ट वर्जीनिया नेशनल गार्ड के दो सर्विस मेंबर्स को गोली मार दी, जो DC टास्क फोर्स के हिस्से के तौर पर तैनात थे।"

जो बाइडेन पर लगाया इल्जाम

अपने व्हाइट हाउस के पहले के राष्ट्रपति जो बाइडेन के एडमिनिस्ट्रेशन पर इल्जाम लगाते हुए, ट्रंप ने कहा कि कथित बंदूकधारी, जिसे उन्होंने "पागल" बताया, उन हजारों अफगानों में से एक था जो 2021 में U.S. के अफरा-तफरी वाले रिमूवल के दौरान बिना जांच के अंदर आ गए थे।


उन्होंने कहा कि संदिग्ध की "ज्यादती हमें याद दिलाती है कि हमारे देश में आने और रहने वाले लोगों पर पूरा कंट्रोल रखने से बड़ी कोई नेशनल सिक्योरिटी प्रायोरिटी नहीं है।" एक पावरफुल रिवॉल्वर, .357 मैग्नम से लैस, बंदूकधारी ने एक सदस्य को गोली मारी जो गिर गया और फिर दूसरे सदस्य पर कई बार गोली चलाने से पहले दोबारा गोली चलाई। गिरफ्तार होने से पहले गार्ड सदस्यों के साथ गोलीबारी में बंदूकधारी घायल हो गया था।


रिपोर्टर्स से बात करते हुए, ट्रंप ने पिरो और पटेल के आरोपों को दोहराया कि बाइडेन एडमिनिस्ट्रेशन उन पॉलिसीज के लिए जिम्मेदार है जिनके बारे में उन्होंने कहा कि उन्होंने अफगान इमिग्रेंट को U.S. में आने दिया, लेकिन उन्होंने अपने दावों को सपोर्ट करने के लिए कोई सबूत नहीं दिया।