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ऑफिस चेयर पर बैठे-बैठे पीठ के निचले हिस्से में बढ़ गया है दर्द? आराम के लिए अपनाएं 5 सिंपल टिप्स

ऑफिस चेयर पर बैठे-बैठे पीठ के निचले हिस्से में बढ़ गया है दर्द? आराम के लिए अपनाएं 5 सिंपल टिप्स

ऑफिस चेयर पर बैठे-बैठे पीठ के निचले हिस्से में बढ़ गया है दर्द? आराम के लिए अपनाएं 5 सिंपल टिप्स

क्या आप भी घंटों ऑफिस चेयर पर बैठकर काम करते हैं और शाम होते-होते पीठ के निचले हिस्से में तेज दर्द महसूस करने लगते हैं? अगर हां तो यह कुछ मिनट निकालकर यह आर्टिकल आपको जरूर पढ़ना चाहिए क्योंकि लगातार एक ही जगह पर बैठे रहने से न केवल हमारी पीठ पर दबाव पड़ता है बल्कि यह हमारे पोस्चर को भी बिगाड़ सकता है।

ऑफिस की लंबी सिटिंग से होने लगा है कमर दर्द? राहत के लिए अपनाएं ये तरीके (Image Source: Freepik)


 क्या आपकी भी कहानी कुछ ऐसी है- सुबह जोश के साथ ऑफिस पहुंचते हैं, अपनी कम्फर्टेबल कुर्सी पर बैठते हैं और काम में ऐसे डूब जाते हैं कि समय का पता ही नहीं चलता? लेकिन जैसे-जैसे घड़ी की सुइयां आगे बढ़ती हैं, आपके कंधे झुकने लगते हैं, गर्दन अकड़ने लगती है और शाम होते-होते पीठ के निचले हिस्से में एक अजीब-सा, चुभने वाला दर्द शुरू हो जाता है?


अगर हां, तो यह आर्टिकल आपके लिए ही है। दरअसल, यह आज के वर्किंग कल्चर का एक ऐसा 'साइड इफेक्ट' है जिससे लाखों लोग जूझ रहे हैं। लगातार घंटों तक एक ही पोस्चर में बैठे रहना हमारी पीठ के लिए किसी दुश्मन से कम नहीं है। आइए, आपको इस परेशानी से राहत पाने के कुछ तरीके (Office Chair Back Pain Tips) बताते हैं।


सही पोस्चर अपनाएंगलत तरीके से बैठना ही पीठ दर्द का सबसे बड़ा कारण है। अपनी कुर्सी पर सीधा बैठें, कमर को कुर्सी के पिछले हिस्से से सटाकर रखें। अपने कंधों को ढीला छोड़ें और पैरों को जमीन पर सपाट रखें। अगर आपके पैर जमीन पर नहीं पहुंचते, तो फुटरेस्ट का इस्तेमाल करें। अपने कंप्यूटर मॉनिटर को आंखों के स्तर पर रखें ताकि आपको गर्दन झुकाने की जरूरत न पड़े।


हर घंटे लें छोटा ब्रेक



लगातार घंटों तक बैठे रहना आपकी पीठ के लिए जहर समान है। हर 45-60 मिनट में अपनी कुर्सी से उठें और 5-10 मिनट का छोटा ब्रेक लें। इस दौरान आप थोड़ा टहल सकते हैं, पानी पी सकते हैं, या कुछ हल्के स्ट्रेचिंग एक्सरसाइज कर सकते हैं। यह आपकी मांसपेशियों को आराम देगा और ब्लड फ्लो को बेहतर बनाएगा।

हल्की स्ट्रेचिंग है मददगार

अपने डेस्क पर ही कुछ हल्की स्ट्रेचिंग एक्सरसाइज कर सकते हैं। अपनी गर्दन, कंधों और पीठ के निचले हिस्से को धीरे-धीरे स्ट्रेच करें। उदाहरण के लिए, अपनी बाहों को ऊपर उठाकर पीठ को पीछे की ओर हल्का मोड़ें या अपनी गर्दन को धीरे-धीरे एक तरफ से दूसरी तरफ घुमाएं। ये स्ट्रेचिंग आपकी मांसपेशियों को ढीला करने और दर्द को कम करने में मदद करेंगी।


पानी खूब पिएंपर्याप्त पानी पीना न केवल आपकी ओवरऑल हेल्थ के लिए अच्छा है, बल्कि यह आपकी रीढ़ की हड्डी के लिए भी जरूरी है। बता दें, हमारी रीढ़ की हड्डियों के बीच डिस्क होती हैं जो शॉक एब्जॉर्बर का काम करती हैं। ऐसे में, हाइड्रेटेड रहने से ये डिस्क हेल्दी रहती हैं और बेहतर तरीके से काम करती हैं, जिससे पीठ दर्द का खतरा कम होता है।


सही चेयर चुनेंअगर आप लंबे समय तक ऑफिस में बैठते हैं, तो एक अच्छी एर्गोनोमिक चेयर (जो आपकी शारीरिक बनावट के अनुसार एडजस्ट हो सके) चुनना बेहद जरूरी है। ये कुर्सियां आपकी पीठ को सही सपोर्ट देती हैं और आपको सही पोस्चर बनाए रखने में मदद करती हैं।
30 दिनों के लिए चीनी छोड़ देने से क्या होगा शरीर का हाल? हार्वर्ड के डॉक्टर ने किया खुलासा

30 दिनों के लिए चीनी छोड़ देने से क्या होगा शरीर का हाल? हार्वर्ड के डॉक्टर ने किया खुलासा

30 दिनों के लिए चीनी छोड़ देने से क्या होगा शरीर का हाल? हार्वर्ड के डॉक्टर ने किया खुलासा

क्या आपने कभी सोचा है कि अगर आप सिर्फ 30 दिनों के लिए चीनी खाना छोड़ दें तो आपके शरीर पर क्या असर होगा? शायद नहीं! लेकिन हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के डॉक्टर सौरभ सेठी ने इस बारे में कुछ बहुत ही दिलचस्प खुलासे किए हैं (Benefits Of Quitting Sugar Fr 30 Days) जिन्हें जानकर आप हैरान रह जाएंगे।

अगर 30 दिनों के लिए बना लेंगे चीनी से दूरी, तो शरीर पर कैसा पड़ेगा असर? (Image Source: Freepik)


 क्या आपने कभी सोचा है कि सिर्फ 30 दिनों के लिए अपनी डाइट से चीनी को पूरी तरह निकाल देने पर आपके शरीर पर क्या असर पड़ेगा? शायद आप सोचें कि यह एक मुश्किल चुनौती है, लेकिन हार्वर्ड के डॉक्टर्स ने इस 'No Sugar Challenge' के जो फायदे बताए हैं, उन्हें जानकर आप हैरान रह जाएंगे।


आजकल हमारी खानपान में चीनी किसी न किसी रूप में जरूर मौजूद होती है। मीठी चाय से लेकर पैकेटबंद स्नैक्स और यहां तक कि कई नमकीन चीजों में भी 'हिडेन शुगर' होती है, लेकिन यही चीनी धीरे-धीरे हमारे शरीर को अंदर से खोखला कर रही है। ऐसे में, अगर आप एक महीने के लिए चीनी से तौबा कर लें, तो क्या होगा (Quitting Sugar For A Month Results)? आइए विस्तार से जानते हैं।




घटने लगेगी लिवर की चर्बी

आजकल फैटी लिवर की समस्या आम होती जा रही है और इसका एक बड़ा कारण जरूरत से ज्यादा शुगर इनटेक है। जी हां, जब आप चीनी खाना बंद कर देंगे, तो आपका लिवर खुद को ठीक करना शुरू कर देगा। 30 दिनों में लिवर में जमा फैट धीरे-धीरे कम होने लगेगा, जिससे वह बेहतर तरीके से काम कर पाएगा।


बेहतर होगा किडनी फंक्शनबहुत ज्यादा चीनी का सेवन किडनी पर एक्स्ट्रा बोझ डालता है। इसलिए, जब आप चीनी छोड़ देते हैं, तो आपकी किडनी को आराम मिलता है और उसकी फंक्शनिंग में सुधार होता है। यह लॉन्ग टर्म के लिहाज से किडनी की सेहत के लिए बहुत फायदेमंद है।

धमनियों की सूजन होगी कमचीनी शरीर में सूजन का एक प्रमुख कारण है, खासकर आपकी धमनियों में। यह सूजन आगे चलकर हार्ट डिजीज का कारण बन सकती है। 30 दिनों तक चीनी न खाने से आपकी धमनियों में सूजन कम होने लगेगी, जिससे हार्ट हेल्थ में सुधार होगा, इसके अलावा हार्ट अटैक और स्ट्रोक का खतरा भी कम होगा।

सोचने-समझने की क्षमता और फोकस बढ़ेगाक्या आपको अक्सर 'ब्रेन फॉग' या फोकस करने में मुश्किल महसूस होती है? जरूरत से ज्यादा चीनी का सेवन आपके मस्तिष्क पर नकारात्मक प्रभाव डालता है। चीनी छोड़ने के बाद, आप पाएंगे कि आपकी सोचने-समझने की क्षमता ज्यादा स्पष्ट हो गई है और आपकी ध्यान केंद्रित करने की शक्ति भी बढ़ गई है।

इम्यून सिस्टम होगा स्ट्रॉन्गचीनी आपके इम्यून सिस्टम को कमजोर करती है, जिससे आप बीमारियों को लेकर ज्यादा सेंसिटिव हो जाते हैं। ऐसे में, जब आप चीनी खाना छोड़ देंगे, तो आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता में जबरदस्त सुधार होगा। आपका शरीर बीमारियों से लड़ने में ज्यादा सक्षम होगा और आप कम बीमार पड़ेंगे।

बेहतर होगा मिनरल्स का अब्जॉर्प्शनचीनी का ज्यादा इनटेक शरीर में कुछ जरूरी मिनरल्स, जैसे मैग्नीशियम और कैल्शियम के अवशोषण को बाधित करता है। जब आप चीनी का सेवन बंद कर देते हैं, तो आपका शरीर इन जरूरी मिनरल्स को ज्यादा कुशलता से अब्जॉर्ब कर पाता है। यह आपकी हड्डियों, दांतों और ओवरऑल हेल्थ के लिए बेहद जरूरी है।
क्‍या छोटी सी मधुमक्खी भी बन सकती है Heart Attack का कारण? जानें डंक मारने पर क्‍या होता है असर

क्‍या छोटी सी मधुमक्खी भी बन सकती है Heart Attack का कारण? जानें डंक मारने पर क्‍या होता है असर

क्‍या छोटी सी मधुमक्खी भी बन सकती है Heart Attack का कारण? जानें डंक मारने पर क्‍या होता है असर

मशहूर बिजनेसमैन संजय कपूर जो करिश्मा कपूर के एक्स हसबैंड थे का 53 साल की उम्र में इंग्लैंड में हार्ट अटैक से निधन हो गया। बताया जा रहा है कि पोलो खेलते समय उन्होंने मधुमक्‍खी न‍िगल ली थी। ऐसे में लोगों के मन में ये सवाल उठ रहा है क‍ि क्‍या मधुमक्खी के डंक से हार्ट अटैक हो सकता है?

मधुमक्‍खी के काटने से हार्ट अटैक हो सकता है? (Image Credit- Freepik)

 बॉलीवुड की मशहूर एक्ट्रेस करिश्मा कपूर के एक्स हसबैंड और बिजनेसमैन संजय कपूर की गुरुवार को हार्ट अटैक से मौत हो गई। 12 जून को इंग्लैंड में उन्होंने 53 साल की उम्र में आखिरी सांस ली। उनके निधन से पूरा परिवार सदमे में है। बताया जा रहा है क‍ि उन्‍हाेंने पोलो खेलते समय मधुमक्‍खी न‍िगल ल‍िया था। हालांक‍ि हम इस बात की पुष्टि नहीं करते हैं। अब लोगों के मन में ये बात खटक रही है क‍ि क्‍या मधुमक्‍खी से Heart Attack भी हो सकता है?


कुछ र‍िपोर्ट्स के मुताब‍िक, अगर मधुमक्‍खी शरीर के बाहरी अंगों पर डंक मार दे तो एलर्जी जैसी द‍िक्‍कतें हो सकती हैं। जबक‍ि गले, मुंह या सास की नली के अंदर चली जाए या अंदर जाकर डंक मार दें तो मामला ब‍िगड़ सकता है। ये स्‍थ‍िति‍ कई बार जानलेवा हाे सकती है। ऐसे में तुरंत Allergic Reactions देखने को म‍िलते हैं। इसे हम एनाफिलैक्सिस (anaphylaxis) कहते हैं।


क्‍या है Anaphylaxis?अब आपके मन में सवाल उठ रहा होगा क‍ि anaphylaxis क्‍या है? ये ए‍क जानलेवा एलर्जी रिएक्शन है। इसमें गले की नली में सूजन आ जाती है। वहीं सांस लेने में कठ‍िनाई का सामना करना पड़ सकता है। अचानक से बीपी लो हो सकता है। सबसे खतरनाक है क‍ि द‍िल की धड़कनें रुक सकती हैं। ऐसी स्‍थि‍ति में अगर मरीज को इलाज न म‍िले तो उसकी कुछ ही म‍िनट में मौत हो सकती है।

संजय कपूर ने न‍िगल ल‍िया था मधुमक्‍खी

जैसा क‍ि संजय कपूर के केस में हुआ क‍ि उन्‍होंने मधुमक्‍खी नि‍गल ली थी और थोड़ी देर बाद ही हार्ट अटैक से उनकी मौत हो गई। अब आपके मन में ये सवाल उठ रहा होगा क‍ि क्‍या इससे हार्ट अटैक‍ भी हो सकता है? कुछ र‍िपोर्ट्स के मुताब‍िक, मधुमक्खी के डंक से सीधे हार्ट अटैक नहीं होता है। लेकिन अगर व्‍यक्‍ति को तेज एलर्जिक रिएक्शन हो और ऑक्सीजन की कमी हो जाए या बीपी बहुत लो हो जाए तो दिल पर जोर पड़ता है। इस कारण हार्ट फेल या कार्डियक अरेस्ट हो सकता है।

खेल और द‍िल की बीमारी का कनेक्‍श्‍न

र‍िपोर्ट्स बताते ह‍ैं क‍ि जब हम कोई खेल खेलते हैं तो हमारा शरीर पहले से ही एक्टिव मोड में होता है। ऐसे में अगर कोई द‍िल का मरीज है तो एलर्जिक रिएक्शन का असर और भी गंभीर हो सकता है।

क्‍या करें अगर कोई मधुमक्खी निगल ले?तुरंत नजदीकी हॉस्‍प‍िटल जाएं।
अगर पहले से एलर्जी है तो तुरंत एपिनेफ्रिन इंजेक्शन लगवाएं।
मरीज को सांत्‍वना दें ताक‍ि उसकी ह‍िम्‍मत न टूटे और वो सही तरीके से सांस ले सके।
महिलाओं को अपनी डाइट में जरूर शामिल करना चाहिए सोया, हड्डियों में भर जाएगी फौलाद जैसी ताकत

महिलाओं को अपनी डाइट में जरूर शामिल करना चाहिए सोया, हड्डियों में भर जाएगी फौलाद जैसी ताकत

महिलाओं को अपनी डाइट में जरूर शामिल करना चाहिए सोया, हड्डियों में भर जाएगी फौलाद जैसी ताकत

सोया प्लांट-बेस्ड प्रोटीन का बहुत अच्छा सोर्स है। इसमें कई विटामिन और मिनरल्स पाए जाते हैं जो सेहत से जुड़ी कई परेशानियों को दूर करते हैं। इसलिए सोया को डाइट में शामिल करना काफी फायदेमंद (Soya Benefits for Women) हो सकता है खासकर महिलाओं के लिए। आइए जानें महिलाओं के लिए सोया खाने के 6 फायदे।

प्लांट-बेस्ड प्रोटीन का बेहतरीन सोर्स है सोया (Picture Courtesy: Freepik)


सोया एक ऐसा फूड आइटम, जो सेहत के लिए कई तरीकों से फायदेमंद (Soya Benefits for Women) होता है, खासकर महिलाओं के लिए। वेजिटेरियन लोगों के लिए तो यह किसी सुपरफूड से कम नहीं है। दरअसल, यह प्रोटीन का बहुत अच्छा सोर्स होता है। प्रोटीन के अलावा, इसमें और भी कई जरूरी पोषक तत्व पाए जाते हैं, जो शरीर को स्वस्थ रखने में मदद करते हैं। आइए जानें सोया खाने से आपको क्या-क्या फायदे (Soya Health Benefits) मिल सकते हैं।


हार्मोन बैलेंस के लिए फायदेमंद
सोया में आइसोफ्लेवोन्स (Isoflavones) नाम का प्लांट कंपाउंड पाया जाता है, जो शरीर में एस्ट्रोजन हार्मोन की तरह काम करता है। यह महिलाओं में हार्मोनल इंबैलेंस को ठीक करने में मदद करता है, खासकर मेनोपॉज के दौरान होने वाली समस्याओं जैसे गर्मी लगना, मूड स्विंग और नींद न आने की दिक्कतों को कम करता है।


दिल के लिए फायदेमंद

सोया में मौजूद ओमेगा-3 फैटी एसिड, फाइबर और एंटीऑक्सीडेंट्स दिल की सेहत के लिए बहुत अच्छे होते हैं। यह कोलेस्ट्रॉल लेवल को कम करता है, जिससे दिल की बीमारियों का खतरा कम होता है। नियमित रूप से सोया खाने से ब्लड प्रेशर कंट्रोल रहता है और आर्टरीज में ब्लॉकेज का रिस्क कम होता है।


हड्डियों की मजबूती के लिए फायदेमंदसोया कैल्शियम, मैग्नीशियम और फॉस्फोरस जैसे मिनरल्स से भरपूर होता है, जो हड्डियों को मजबूत बनाने में मदद करते हैं। इसमें मौजूद आइसोफ्लेवोन्स ऑस्टियोपोरोसिस (हड्डियों का कमजोर होना) के खतरे को कम करते हैं, खासकर महिलाओं में मेनोपॉज के बाद होने वाली हड्डियों की कमजोरी को रोकने में यह मददगार साबित होता है।


पाचन तंत्र के लिए फायदेमंद

सोया में काफी ज्यादा मात्रा में फाइबर पाया जाता है, जो पाचन तंत्र को दुरुस्त रखता है। यह कब्ज की समस्या को दूर करता है और आंतों को स्वस्थ रखने में मदद करता है। इसलिए सोया खाने से पाचन से जुड़ी समस्याएं दूर होती हैं।


वजन कम करने में फायदेमंदसोया प्रोटीन का एक बेहतरीन सोर्स है और इसमें कैलोरी कम होती है, जो वजन घटाने में मदद करता है। यह मेटाबॉलिज्म को बढ़ाता है और लंबे समय तक पेट भरा हुआ महसूस कराता है, जिससे अनहेल्दी स्नैक्स खाने की इच्छा कम होती है। इसके अलावा, सोया में मौजूद पोषक तत्व मसल्स बनाने में भी मददगार होते हैं।


त्वचा और बालों के लिए फायदेमंदसोया में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट्स और प्रोटीन त्वचा को हेल्दी रखते हैं और झुर्रियों को कम करने में मदद करते हैं। यह कोलेजन प्रोडक्शन को बढ़ाता है, जिससे एजिंग के लक्षण कम होते हैं। वहीं, बालों के लिए भी सोया बहुत फायदेमंद है, क्योंकि इसमें मौजूद विटामिन्स और मिनरल्स बालों को मजबूत बनाते हैं और हेयर फॉल की समस्या को कम करते हैं।
किडनी डैमेज से बचने के लिए रोज खाना शुरू कर दें 4 चीजें, हम नहीं डॉक्टर दे रहे हैं ये सलाह

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किडनी को हेल्दी रखने के लिए सही डाइट लेनी जरूरी है। हम जो भी खाते हैं उसका सीधा असर हमारी किडनी पर पड़ता है। इसलिए डाइट (Diet for Kidney) में ऐसी चीजों को जरूर शामिल करना चाहिए जो किडनी की हेल्थ को बूस्ट करें और बीमारियों से बचाने में मदद करें। आइए जानें किडनी के लिए फायदेमंद 4 फूड्स के बारे में।


Kidney को हेल्दी रखेंगे ये 4 फूड्स (Picture Courtesy: Freepik)


 आजकल खान-पान और लाइफस्टाइल की वजह से किडनी डिजीज के मामले बढ़ रहे हैं। ऐसे में जरूरी है कि हम और आप अपनी किडनी का थोड़ा एक्स्ट्रा ख्याल रखें (Kidney Health Tips)। आपको बता दें कि किडनी ब्लड से टॉक्सिन्स फिल्टर करने और बॉडी में फ्लूड बैलेंस मेंटेन करने का काम करती है। ऐसे में अगर किडनी स्वस्थ नहीं होगी, तो पूरे शरीर पर इसका बुरा असर पड़ेगा। इसलिए किडनी को हेल्दी रखने के लिए हेल्दी डाइट (Healthy Diet for Kidney) लेना जरूरी है। हार्वर्ड के गैस्ट्रोएंटेरोलॉजिस्ट डॉ. सौरभ सेठी ने किडनी एक पोस्ट के जरिए किडनी के लिए कुछ हेल्दी फूड्स (Foods for Healthy Kidney) बताए हैं। आइए जानें इन फूड्स के बारे में।


हर्ब्स- एंटी-ऑक्सीडेंट्स से भरपूर
हर्ब्स जैसे ऑरिगेनो, पार्सले और सिलेंट्रो और ऑरीगेनो न केवल खाने का स्वाद बढ़ाते हैं, बल्कि ये किडनी के लिए भी बहुत फायदेमंद होते हैं। इनमें भरपूर मात्रा में एंटी-ऑक्सीडेंट्स पाए जाते हैं, जो शरीर से फ्री रेडिकल्स को दूर करते हैं और किडनी को डैमेज होने से बचाते हैं। इसलिए अपनी डाइट में इन हर्ब्स को जरूर शामिल करें।


बीट्स (चुकंदर) किडनी के लिए एक सुपरफूड माना जाता है। इसमें नाइट्रेट्स की अच्छी मात्रा होती है, जो किडनी में ब्लड प्रेशर को कम करने में मदद करते हैं। हाई ब्लड प्रेशर किडनी की बीमारियों का एक अहम कारण है, इसलिए बीट्स खाने से किडनी को स्वस्थ रखने में मदद मिलती है। बीट्स में फाइबर, फोलेट और विटामिन-सी भी होता है, जो इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाता है। इसमें मौजूद बीटालेन एंटी-ऑक्सीडेंट किडनी को ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस से भी बचाता है। इसलिए बीट्स को जरूर डाइट में शामिल करें।


ब्लूबेरीज- लो पोटेशियम, हाई न्यूट्रिएंट्सब्लूबेरीज किडनी के लिए बहुत फायदेमंद हैं, क्योंकि इनमें पोटेशियम की मात्रा कम और एंटी-ऑक्सीडेंट्स की मात्रा ज्यादा होती है। किडनी की बीमारी से पीड़ित लोगों को अक्सर पोटेशियम की मात्रा कम लेने की सलाह दी जाती है और ब्लूबेरीज इसके लिए एक बेहतरीन ऑप्शन है। साथ ही, इसमें विटामिन-सी और फाइबर होता है, जो पाचन तंत्र को दुरुस्त रखता है। इसके अलावा, इसमें मौजूद एंथोसायनिन किडनी को इंफ्लेमेशन से बचाता है।

मैकाडीमिया नट्स- लो फॉस्फोरस, हेल्दी फैट्स

मैकाडीमिया नट्स में फॉस्फोरस कम और हेल्दी फैट्स ज्यादा होते हैं, जो किडनी फंक्शन के लिए फायदेमंद हैं। साथ ही, इनमें मोनोअनसैचुरेटेड फैट्स होते हैं, जो दिल की सेहत के लिए भी अच्छे हैं। ये नट्स प्रोटीन और फाइबर से भरपूर होते हैं, जो शरीर को एनर्जी देते हैं। इसलिए रोजाना एक मुट्ठी मैकाडीमिया नट्स खाने से किडनी स्वस्थ रहती है।
 सिर्फ एक नहीं, 4 तरह की Walking Exercise से तेजी से कम होगा वजन; जिम ट्रेनर भी पकड़ लेगा माथा

सिर्फ एक नहीं, 4 तरह की Walking Exercise से तेजी से कम होगा वजन; जिम ट्रेनर भी पकड़ लेगा माथा


सिर्फ एक नहीं, 4 तरह की Walking Exercise से तेजी से कम होगा वजन; जिम ट्रेनर भी पकड़ लेगा माथा

आजकल हर कोई मोटापे से परेशान है और वजन कम करने के लिए कई तरीके अपनाता है। अगर आप सोचते हैं कि जिम जाना ही एकमात्र रास्ता है तो आप गलत हैं। सिर्फ वॉकिंग एक्सरसाइज से भी वजन कम किया जा सकता है। इन्‍हें अपने डेली रूटीन में शामिल करके 15 दिन में असर देखा जा सकता है।

वजन कम करने के ल‍िए करें ये Walking Exercise (Image Credit- freepik)

आज के समय में हर कोई मोटापे से परेशान है। वजन कम करने के ल‍िए वे न जाने क‍ौन-कौन से तरीके अपना रहे हैं। ज‍िम जाकर घंटों पसीना बहाते हैं। इससे उन्‍हें अच्‍छी खासी फीस भी देनी होती है। अगर आप सोचते हैं कि वजन कम करने के लिए जिम जाना ही आसान रास्ता है, तो आपको अपनी सोच बदलने की जरूरत है। क्‍या आप जानते हैं क‍ि सि‍र्फ वॉक करके ही आप तेजी से वजन कम कर सकते हैं?


आज हम आपको पांच तरह के वाॅक‍िंग एक्‍सरसाइज के बारे में बताने जा रहे हैं। अगर आपने इसे अपने डेली रूटीन में शाम‍िल कर ल‍िया तो तेजी से कैलोरी बर्न होगी। आपको 15 द‍िन में असर द‍िखने लगेगा। आइए उन वॉक‍िंग एक्‍सरसाइज के बारे में जानते हैं-

पॉवर वॉकिंग एक्सरासइज Power Walking Exercise

इसे करना बेहद आसान है। इसे स्‍पीड में चलते हुए करना होता है। इस दौरान आपको अपनी बॉडी को सीधा रखना है। वॉक करते समय हाथों को आगे-पीछे हिलाना है। ये ए‍क ऐसी वॉक‍िंग एक्‍सरसाइज है जो आपको द‍िनभर एनर्जेट‍िक बनाए रखेगी। रोजाना इसे करने से वजन भी तेजी से कम होगा। ये हार्ट रेट को भी बढ़ाता है। इससे आपका द‍िल भी सेहतमंद रहता है।

इंटरवल वॉक‍िंग Interval Walking

इसे करने के ल‍िए आपको वॉर्म अप करना जरूरी है। इसमें आपको नॉर्मल स्‍पीड में वॉक करना होगा। एक म‍िनट में 100 स्‍टेप्‍स चलें। वॉक करते समय आपको छोटे-छोटे कदम बढ़ाने हैं। एक म‍िनट बाद ब्रेक लें। फ‍िर दोबारा शुरू करें। ध्‍यान रखें क‍ि हाथों को भी जोर-जोर से आगे-पीछे की ओर घुमाना है। इससे वजन तो कम होता ही है, साथ ही ये तनाव कम करने में भी मददगार है।

वॉकिंग लंजेस एक्‍सरसाइज Walking Lunges Exercise

ये शरीर के Lower Body Part को मजबूत बनाने का काम करता है। इससे शरीर भी फ्लैक्सिबल बनता है। इस तरह की वॉक करने के ल‍िए आपको अपने घुटनों को लंजेस पोज‍िशन में लाना होता है। इससे बॉडी को टोन करने में मदद म‍िलती है। वजन भी तेजी से कम होता है।

वेट लिफ्टिंग वॉक‍िंग Weight Lifting Walking

अगर आप कोई वजन उठाकर वॉक करते हैं तो इसे वेट लिफ्टिंग वॉक‍िंग एक्‍सरसाइज कहते हैं। ये आपकी ओवरऑल हेल्‍थ को बेहतर बनाती है। इससे तेजी से कैलोरी बर्न करने में मदद म‍िलती है। मसल्‍स भी मजबूत होते हैं। आपको रोजाना ये वॉक‍िंग एक्‍सरसाइज करना चाह‍िए। इससे आपको 15 द‍िन में ही असर द‍िखने लगेगा।
Monsoon में इन 5 चीजों को खाने से करें परहेज, वरना हो जाएगा पेट खराब, बिगड़ जाएगी सेहत

Monsoon में इन 5 चीजों को खाने से करें परहेज, वरना हो जाएगा पेट खराब, बिगड़ जाएगी सेहत

Monsoon में इन 5 चीजों को खाने से करें परहेज, वरना हो जाएगा पेट खराब, बिगड़ जाएगी सेहत

बारिश के मौसम में अक्सर मन पकौड़ियां और तला-भुना खाने का करता है। चाय की गर्म चुस्की के साथ इन्हें खाने का मजा ही कुछ और होता है। लेकिन आपको पता है ये खाना आपको बीमार भी कर सकता है? जी हां मानसून में कुछ चीजों (Foods to avoid in monsoon) से परहेज करना जरूरी है वरना पेट में इन्फेक्शन होने का रिस्क रहता है।

Monsoon में किन चीजों को नहीं खाना चाहिए? (Picture Courtesy: Freepik)

 Monsoon Diet Tips: भारत के कई राज्यों में मानसून दस्तक दे चुका है। बारिश की बूंदें और ठंडी हवाएं हर किसी को खूब पसंद आती हैं। लेकिन यह सुहाना मौसम अपने साथ कई परेशानियां भी लेकर आता है। बारिश के मौसम में कीड़े-मकौड़े, मच्छर और कीटाणु काफी तेजी से बढ़ते हैं। इसलिए मानसून में हेल्थ से जुड़ी समस्याएं, जैसे इन्फेक्शन (Monsoon Infection Risk) होने का रिस्क भी बढ़ जाता है। इसलिए इस मौसम में सेहत को लेकर ज्यादा सावधान रहना चाहिए।


बारिश के मौसम में बीमारियों से बचने के लिए कुछ फूड आइटम्स (Foods to avoid in monsoon) को खाने से बचना चाहिए। दरअसल, ये चीजें इन्फेक्शन का रिस्क बढ़ा देती हैं। इसलिए मानसून में इनसे परहेज करना चाहिए। आइए जानें मानसून में किन फूड्स को नहीं खाना चाहिए (Foods To Avoid In Monsoon In Hindi)।


सीफूड्स (Sea Foods)मानसून के दौरान सी फूड्स, जैसे- मछली, झींगा, केकड़ा आदि खाने से बचना चाहिए। इस मौसम में बैक्टीरिया और वायरस तेजी से पनपते हैं, खासकर गीली जगहों पर। इसलिए इन्हें खाने से इन्फेक्शन होने का खतरा बढ़ जाता है। इन्हें खाने से फूड पॉइजनिंग, डायरिया और पेट संबंधी अन्य समस्याएं हो सकती हैं। इसलिए मानसून में इन्हें खाने से बचना चाहिए।

मसालेदार और तला हुआ खाना (Oily and Fried Foods)मानसून में पाचन तंत्र धीमा हो जाता है, ऐसे में मसालेदार और तला हुआ खाना पचाना मुश्किल होता है। पकौड़े, समोसे, चिप्स और अन्य तले हुए स्नैक्स से परहेज करें, क्योंकि ये पेट में गैस, एसिडिटी और अपच की समस्या पैदा कर सकते हैं। इसलिए इन्हें खाने की जगह सादा और कम मसाले वाला खाना खाएं।

हरी पत्तेदार सब्जियां (Green Leafy Vegetables)

बारिश के मौसम में हरी सब्जियों जैसे पालक, मेथी, सरसों का साग आदि में कीड़े और बैक्टीरिया पनपने का खतरा ज्यादा होता है। अगर इन्हें अच्छी तरह से साफ न किया जाए, तो ये पेट में इन्फेक्शन का कारण बन सकती हैं। इसलिए मानसून में इन सब्जियों को कम खाना चाहिए या अच्छी तरह धोकर और पकाकर ही खाएं।


पहले से कटे हुए फल (Cut Fruits)कटे हुए फल बाजार या स्ट्रीट वेंडर्स के पास लंबे समय तक रखे होते हैं, जिससे उनमें बैक्टीरिया और फंगस लगने का खतरा बढ़ जाता है। मानसून में नमी के कारण फल जल्दी खराब होते हैं, इसलिए हमेशा ताजे और पूरे फल खरीदें और घर पर ही काटकर खाएं।

स्ट्रीट फूड्स (Street Foods)मानसून में स्ट्रीट फूड जैसे गोलगप्पे, चाट, भेलपूरी आदि खाने से बचें। बारिश के कारण सड़कों पर गंदगी और कीचड़ होती है, जिससे खुले में बिकने वाले खाने से इन्फेक्शन का खतरा बढ़ जाता है। साथ ही, इनमें इस्तेमाल होने वाला पानी भी दूषित हो सकता है, जिससे पेट खराब हो सकता है।
अगर दांतों में लग गए हैं कीड़े, तो क्या इसे ठीक किया जा सकता है? Tooth Decay रोकने के लिए क्या करें

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खराब ओरल हाइजीन के कारण दांतों में सड़न हो जाती है जिसे आम भाषा में कीड़े लगना कहते हैं। यह बेहम आम समस्या है जो बच्चों से लेकर बड़ों तक सभी के साथ होती है। लेकिन क्या इसे ठीक किया जा सकता है (Tooth Decay Treatment)? मार्केट में तो ऐसे कई प्रोडक्ट्स हैं जो यह दावा करते हैं। आइए जानते हैं इन दावों में कितनी सच्चाई है।
क्यों हो जाती हैं दांतों में सड़न? (Picture Courtesy: Freepik)

HIGHLIGHTSशुगर और स्टार्च वाला खाना ज्यादा खाने से दांतों में कैविटी हो सकती है
दांतों की कैविटी को अगर समय पर ठीक न किया जाए, तो इन्फेक्शन भी हो सकता है
बैड ओरल हाइजीन के कारण दांतों में सड़न होने लगती है

दांतों में सड़न होना, यानी Tooth Decay, एक आम समस्या है, जो खराब ओरल हाइजीन की वजह से होती है। बच्चों ही नहीं, बड़ों के भी दांतों में सड़न हो सकती है। दांतों में कीड़े लगने की वजह से दांत के नर्वस को भी नुकसान पहुंच सकता है, जिसके कारण सेंसिटिविटी की समस्या भी शुरू हो सकती है। ऐसे में मार्केट में कई ऐसे प्रोडक्ट्स (Tooth Decay Treatment) भी मिलते हैं, जो दावा करते हैं कि उनसे टूथ डिके ठीक हो सकता है, यानी दांतों में हुई सड़न रिवर्स हो जाएगी (How to Reverse Tooth Decay)। लेकिन क्या यह सच है? आइए जानते हैं।


क्यों होती है दांतों में सड़न?
दांतों में सड़न की सबसे आम समस्या है, खराब ओरल हाइजीन और ज्यादा शुगर व स्टार्च वाली चीजें खाना। इनके कारण मुंह में बैक्टीरिया बढ़ने लगते हैं, जो दांतों की ऊपरी परत पर चिपक जाते हैं। ये बैक्टीरिया शुगर और स्टार्च खाते हैं और एक तरह का एसिड रिलीज करते हैं। यह एसिड दांतों की ऊपरी परत (इनेमल) को नुकसान पहुंचाता है और धीरे-धीरे कैविटी होने लगती है।

दरअसल, इस एसिड की वजह से दांतों के मिनरल कैल्शियम और फॉस्फेट निकलने लगते हैं। इसे डिमिनरलाइजेशन कहा जाता है। अगर यह प्रक्रिया ऐसी ही होती रहे, तो इससे दांतों के मिनरल्स काफी कम हो जाते हैं और कैविटी होने लगती है। धीरे-धीरे यह कैविटी बढ़कर दांत की भीतरी परतों को नुकसान पहुंचाने लगती है। इसके कारण दांत में दर्द और इन्फेक्शन का रिस्क भी बढ़ जाता है।


क्या दांतों के सड़न को रिवर्स किया जा सकता है?दांतों की सड़न को बिल्कुल शुरुआती स्टेज में रिवर्स किया जा सकता है, वह भी रिमनरलाइजेशन की प्रक्रिया से। जब टूथ डिके बिल्कुल शुरुआती स्टेज में होता है, तब दांत में कैविटी बनी नहीं होती है। डेंटिस्ट इन मिनरल्स को दांत में दोबारा जोड़कर टूथ डिके को ठीक कर सकता है।


टूथ डिके के शुरुआत में दांत पर काला या भूरा स्पॉट नजर आता है। इससे पहचान सकते हैं कि दांत सड़ना शुरू हो सकता है। लेकिन अगर एक बार इनेमल पूरी तरह डैमेज हो जाए और कैविटी बन जाए, तो उसे ठीक नहीं किया जा सकता। ऐसे में डेंटिस्ट फिलिंग या रूट कैनाल ट्रीटमेंट से उस कैविटी को भर सकते हैं, लेकिन ठीक नहीं कर सकते।


दांतों के सड़न से बचने के लिए क्या करना चाहिए? (Cavity Prevention Tips)फ्लोराइड टूथपेस्ट का इस्तेमाल- फ्लोराइड टूथपेस्ट इनेमल को मजबूत करता है और डिमिनरलाइजेशन की प्रक्रिया को कम करता है।
हेल्दी डाइट- शुगर और एसिडिक फूड्स, जैसे- चॉकलेट, सोडा और जूस से परहेज करें। इनकी जगह दूध, पनीर, हरी पत्तेदार सब्जियां और नट्स खाएं।
अच्छी ओरल हाइजीन- दिन में दो बार ब्रश और फ्लॉस करें। खाने के बाद अच्छे से कुल्ला करें।
डेंटल चेकअप- हर 6 महीने पर डेंटल चेकअप कराएं, ताकि किसी भी तरह की डेंटल समस्या का जल्दी पता लगाया जा सके।
ब्लैक, ग्रीन या मसाला Tea, कौन-सी चाय पीते हैं आप? इनसे भी दूर भागती हैं कई बीमारियां

ब्लैक, ग्रीन या मसाला Tea, कौन-सी चाय पीते हैं आप? इनसे भी दूर भागती हैं कई बीमारियां

ब्लैक, ग्रीन या मसाला Tea, कौन-सी चाय पीते हैं आप? इनसे भी दूर भागती हैं कई बीमारियां

भारत में चाय पीने वालों की कोई कमी नहीं है और लोग आमतौर पर दूध वाली चाय या ब्लैक टी पीना पसंद करते हैं। इसके अलावा भी ऐसी कई चाय हैं जो हमारी सेहत को कई तरह से फायदे पहुंचाती हैं। तो अगली बार अपनी पसंद की चाय का आनंद जरूर लें।

भारत में कई तरह की चाय पी जाती है। (Image Credit- Freepik)

 भारत में चाय के शौकीनाें की कमी नहीं है। ये पूरे देश सबसे ज्‍यादा पसंद की जाने वाली ड्र‍िंक है। यहां तो आधे से ज्‍यादा लोग अपने द‍िन की शुरुआत ही चाय के साथ करते हैं। कई लोग तो Bed Tea भी लेते हैं। लोग क‍ितने भी ब‍िजी क्‍यों न हाे, चाय पीने के ल‍िए समय न‍िकाल ही लेते हैं। इससे थकान और आलस को दूर क‍िया जा सकता है। आमतौर पर लोग दूध वाली चाय या ब्‍लैक टी पीना पसंद करते हैं।


अगर आप चाय लवर हैं तो आपको ये लेख जरूर पढ़ना चाह‍िए। आज हम आपको अपने इस लेख में बताएंगे क‍ि चाय क‍ितनी तरह की होती है। जिसे शायद ही आपने कभी सुना हो। इसके अलावा हम इनके फायदों के बारे में भी जानेंगे। तो देर क‍िस बात की। आइए जानते हैं व‍िस्‍तार से-


ग्रीन टीज‍िन्‍हें अपना वजन कम करना होता हे वे ग्रीन का सेवज ज्‍यादा करते हैं। ग्रीन टी पीने से द‍िल से जुड़ी बीमारी का खतरा कम हो जाता है। इसके अलावा कोलेस्ट्रॉल भी कंट्रोल रहता है। ग्रीन टी कैंसर सेल्स को बढ़ने से रोकती है। वहीं इसे पीने से तेजी से वजन कम होता है।


काली चाय

ये चाय भी फि‍टनेस लवर्स के ल‍िए एक बेहतरीन ऑप्‍शन है। इसे चाय की फर्मेंटेड पत्तियों से तैयार किया जाता है। अगर आप इसे पीते हैं तो वजन तो कम होता ही है। साथ ही ये सर्दी जुकाम जैसी द‍िक्‍कतों से भी राहत द‍िलाती है। इससे स्ट्रोक के खतरे को भी कम क‍िया जा सकता है। ये गट हेल्थ को बेहतर बनाती है।

यह भी पढ़ें: Types Of Tea: इन 5 प्रकार की चाय से दूर भागती हैं कई बीमारियां, सर्दी के इस सीजन जरूर करें ट्राई


सफेद चाय

यहां सफेद चाय सबसे ज्‍यादा पी जाती है। इसे हर कोई पसंद करता है। इस चाय में भारी मात्रा में एंटीऑक्सीडेंट तत्व होते हैं। इसके अलावा ये चाय शरीर में मेटाबॉलिज्म को बढ़ाने का काम करती है। इसे स्किन एज‍िंग कम करने के ल‍िए भी जाना जाता है।


हर्बल टीइस चाय को हम पुदीना, तुलसी, अदरक और लेमनग्रास जैसी चीजों से तैयार करते हैं। अगर आप द‍िनभर में एक कप हर्बल टी लेते हैं तो इससे स्ट्रेस कम होता है। ये आपके डाइजेशन को भी बेहतर बनाती है।


मसाला टीये चाय ब‍िना दूध के तैयार की जाती है। ये एक तरह से ब्‍लैक टी ही होती है, बस इसमें मसलों का इस्‍तेमाल क‍िया जाता है। इलायची, दालचीनी, सौंफ, अदरक और काली मिर्च जैसे मसाले इस चाय में डाले जाते हैं। इस चाय को स्पाइसी चाय के नाम से भी जाना जाता है। ये शरीर की रोग प्रत‍िरोधक क्षमता को बढ़ाती है।
घी-नमक लगी रोटी खाने से सेहत काे म‍िलते हैं 5 बड़े फायदे, जानकर नहीं होगा आपको यकीन

घी-नमक लगी रोटी खाने से सेहत काे म‍िलते हैं 5 बड़े फायदे, जानकर नहीं होगा आपको यकीन

घी-नमक लगी रोटी खाने से सेहत काे म‍िलते हैं 5 बड़े फायदे, जानकर नहीं होगा आपको यकीन

बचपन में दादी-नानी अक्सर रोटी में घी और नमक लगाकर खिलाया करतीं थीं। ये सेहत के लिए फायदेमंद मानी जाती है। हालांकि घी और नमक का सेवन सीमित मात्रा में ही करना चाहिए। वरना आपको फायदके केे बजाय नुकसान पहुंच सकता है। आज भी छाेटे शहरों में लाेग घी नमक रोटी खाते हैं।

क्‍या आपने कभी खाई है घी-नमक लगी रोटी? (Image Credit- Freepik)

 बचपन की अपनी ही यादें होती हैं। हर क‍िसी का अपना अनुभव होता है। बचपन में हमारी दादी-नानी अक्‍सर हमें रोटी में घी और नमक लगाकर ख‍िलाया करतीं थीं। जब भी दोपहर का खाना बच जाता था तो उनका ऐसे ही इस्‍तेमाल क‍िया जाता था। छोटे शहरों में आज भी लोग रोटी में घी या सरसों का तेल और नमक लगाकर खाना पसंद करते हैं। कई लोग तो चावल भी इसी तरह से खाते हैं।


आयुर्वेद में इसे सेहत के ल‍िए बेहद फायदेमंद माना गया है। क्‍या आपने कभी सोचा था बचपन में खाई जाने वाली घी नमक रोटी आपकी सेहत को कई फायदे पह‍ुंचा सकती है? अगर नहीं, तो आपको ये खबर जरूर पढ़नी चाह‍िए। आज का हमारा लेख इसी व‍िषय पर है। हम आपको घी नमक और रोटी खाने के फायदों के बारे में बताने जा रहे हैं। आइए जानते हैं व‍िस्‍तार से-


ओवरईट‍िंग से बचाएअगर आप रोटी पर घी और नमक लगाकर खाते हैं तो इससे आपका पेट लंबे समय तक भरा रहता है। ऐसे में ओवरईट‍िंग से बच सकते हैं। अगर आप तेजी से वजन कम करना चाहते ह‍ैं तो आपको घी नमक लगी रोटी का सेवन जरूर करना चाह‍िए।


इम्‍युन‍िटी बूस्‍ट करे

अगर आप अपने शरीर की रोग प्रति‍रोधक क्षमता बढ़ाना चाहते हैं तो आपको इसका सेवन जरूर करना चाह‍िए। इनमें मौजूद पोषक तत्‍व शरीर की इम्‍युन‍िटी बूस्‍ट करने में मदद करते हैं।


डाइजेशन सुधारे

अगर आपको डाइजेशन से जुड़ी कोई समस्‍या है तो आप बासी रोटी में घी और नमक लगाकर खा सकते हैं। आपको बता दें क‍ि बासी रोटी एक तरह से फर्मेन्‍टेड फूड होता है जो गट हेल्‍थ के ल‍िए लाभकारी माना जाता है। ऐसे में अगर आप इसे घी और नमक के साथ खाते हैं ताे इसके फायदे डबल हो जाते हैं।


तेज होती है मेमोरीअगर आप छोटी-छोटी बातों को भूल जाते हैं या आपको फोकस करने में द‍िक्कत होती है ताे आपको इसे जरूर खाना चाह‍िए। दरअसल, घी में मौजूद गुड फैट द‍िमाग के ल‍िए अच्छे होते हैं। इससे आपकी याददाश्‍त भी तेज होती है और आपको फोकस करने में मदद म‍िलती है।


स्‍क‍िन के ल‍िए भी फायदेमंदअगर आप बासी रोटी पर घी और नमक लगाकर खाते हैं तो इससे आपकी गट हेल्‍थ में सुधार होता है। वहीं, इसका सीधा असर आपकी स्‍क‍िन पर भी देखने को म‍िलता है। दरअसल, घी स्‍क‍िन को नेचुरली मॉइस्चराइज करता है ज‍िससे त्‍वचा ग्‍लोइंग नजर आती है।


इन बाताें का रखें ध्‍यानघी का इस्‍तेमाल सीम‍ित मात्रा में ही करें।
ज्‍यादा नमक भी आपको नुकसान कर सकता है।
कोई भी बीमारी हो तो खाने से पहले डॉक्‍टर से सलाह लें।
Cancer से करना चाहते हैं बचाव, तो इन 3 ड्रिंक्स को कर लें डाइट में शामिल; शरीर की सूजन भी होगी कम

Cancer से करना चाहते हैं बचाव, तो इन 3 ड्रिंक्स को कर लें डाइट में शामिल; शरीर की सूजन भी होगी कम

Cancer से करना चाहते हैं बचाव, तो इन 3 ड्रिंक्स को कर लें डाइट में शामिल; शरीर की सूजन भी होगी कम

हाल ही में एक स्टडी में पता चला है कि गर्म जलवायु वाले इलाकों में महिलाओं में कैंसर का रिस्क बढ़ जाता है। हालांकि कैंसर के खतरे को पूरी तरह टालना नामुमकिन है लेकिन कुछ सावधानियां बरतकर इसके रिस्क को कम जरूर किया जा सकता है। आइए जानें 3 ऐसी ड्रिंक्स (Anti-Cancer Drinks) जो कैंसर का खतरा कम करने में कारगर साबित हो सकती हैं।

Cancer से बचाव में मदद करती हैं ये 3 ड्रिंक्स (Picture Courtesy: Freepik)


Anti-Cancer Drinks: आजकल की अनहेल्दी लाइफस्टाइल, प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन के कारण कैंसर का रिस्क काफी बढ़ चुका है। एक स्टडी में भी यह बात सामने आई है कि जिन देशों की जलवायु गर्म है, वहां महिलाओं में कैंसर का रिस्क (Cancer Risk in Women) ज्यादा है। भारत की जलवायु भी ट्रॉपिकल है, यानी यहां का तापमान भी काफी गर्म रहता है। ऐसे में कैंसर के खतरे को कम करने के लिए हेल्दी लाइफस्टाइल और डाइट (Anti-Cancer Diet) अपनानी जरूरी है, खासकर महिलाओं को।


एक सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए डॉ. सौरभ सेठी (हारवर्ड-ट्रेंड गैस्ट्रोएंटीरियोलॉजिस्ट) ने 3 ड्रिंक्स (Anti-Cancer Drinks) बताईं, जो कैंसर के रिस्क को कम करने में काफी मददगार साबित हो सकती हैं। आइए जानें क्या हैं ये ड्रिंक्स और कैंसर का खतरा कम करने में कैसे मदद कर सकती हैं।


कैंसर का रिस्क कम करने के लिए ड्रिंक्स (Drinks to Prevent Cancer)
ग्रीन टी: एंटी-ऑक्सीडेंट्स का पावरहाउस (Green Tea Benefits)ग्रीन टी सेहत के लिए काफी फायदेमंद होती है। इसमें मौजूद एंटी-ऑक्सीडेंट्स, जैसे- पॉलीफेनॉल्स और कैटेचिन्स शरीर में फ्री रेडिकल डैमेज को कम करते हैं, जिससे कैंसर का रिस्क कम होता है। साथ ही, यह मेटाबॉलिज्म भी बूस्ट करता है, जिससे वजन कम करने में मदद मिलती है। उस पर भी माचा टी, जो ग्रीन टी का पोटेंट फॉर्म है, और ज्यादा फायदेमंद हो सकता है। इसमें एंटी-ऑक्सीडेंट्स की मात्रा ग्रीन टी से ज्यादा होती है। रोजाना 1-2 कप ग्रीन टी पीना सेहत के लिए काफी फायदेमंद होता है।


ग्रीन स्मूदी: न्यूट्रिएंट्स और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुणों से भरपूर (Green Smoothie Benefits)ग्रीन स्मूदी भी कैंसर से बचाव में मदद कर सकता है। केल, पालक, खीरा, सेलेरी और अदरक के छोटे टुकड़े को मिलाकर बनी स्मूदी विटामिन्स, मिनरल्स और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुणों से भरपूर होती है। पालक और केल में विटामिन-सी और एंटी-ऑक्सीडेंट्स पाए जाते हैं, जो कैंसर के खतरे को कम करने में मदद करते हैं।


टर्मरिक लाटे: हल्दी का एंटी-कैंसर गुण (Turmeric Latte Benefits)


टर्मरिक लाटे हल्दी से बनाई जाती है। हल्दी में कर्क्यूमिन नाम का एक कंपाउंड पाया जाता है, जिसमें एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटी-कैंसर गुण पाए जाते हैं। सूजन कम होने से कैंसर का रिस्क कम होता है, क्योंकि यह फ्री रेडिकल डैमेज को कम करने में मदद करता है। डॉ. सेठी बताते हैं कि वे टर्मरिक लाटे बनाने के लिए बादाम मिल्क का इस्तेमाल करते हैं और इसमें एक चुटकी ब्लैक पेपर अब्जॉर्प्शन को बढ़ाने में मदद करता है।

कैंसर के रिस्क को कम करने के लिए हेल्दी डाइट अपनानी जरूरी है। ये ड्रिंक्स गट हेल्थ के लिए फायदेमंद होते हैं और शरीर की सूजन कम करते हैं, जो कैंसर से बचाव में एक अहम फैक्टर है।
क्‍यों ऑफ‍िस वर्कर्स में ज्‍यादा बढ़ रहा द‍िल की बीमारी का खतरा? ये 2 बड़ी वजहें हैं ज‍िम्‍मेदार

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कार्डियोवैस्कुलर डिजीज के मामले लगातार बढ़ रहे हैं खासकर ऑफिस जाने वालों में। इसके पीछे कई कारण ज‍िम्‍मेदार हो सकत‍े हैं। स्वस्थ रहने के लिए हेल्दी डाइट के साथ वर्कआउट भी जरूरी है। विकसित राज्यों में इसके मामले ज्यादा देखने को मिल रहे हैं क्योंकि लोग मॉडर्न लाइफस्टाइल में हेल्थ का ख्याल नहीं रख पा रहे हैं।

क्‍यों बढ़ जाता है द‍िल की बीमारी का खतरा? (Image Credit- Freepik)


दुनियाभर में Cardiovascular Disease के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। ये बीमारी उन लोगों में ज्‍यादा देखने को म‍िल रही है जो ऑफ‍िस जाते हैं। इसके पीछे का कारण खराब खानपान, वर्कआउट में कमी और एल्‍काेहल का ज्‍यादा सेवन करना माना जाता है। अगर अपनी डाइट और लाइफस्टाइल को सही रखा जाए तो आप द‍िल की बीमार‍ियों से खुद का बचाव कर सकते हैं। वैसे तो ये बीमारी होने पर कोई खास लक्षण नजर नहीं आता है, लेकिन फ‍िर भी आपको सावधान रहने की जरूरत है।


हैरान करने वाली बात तो ये है क‍ि इस बीमारी के मामले भारत के उन राज्‍याें में ज्‍यादा देखने को म‍िल रही है जो पूरी तरह से डेवलप हो चुके हैं। खासकर साउथ और वेस्‍ट इंड‍िया में। लोग मॉडर्न लाइफस्‍टाइल में अपनी हेल्थ का ख्याल नहीं रख पा रहे हैं। इसके पीछे का मुख्‍य कारण माना जा रहा है क‍ि भारत की इकोनॉमी तेजी से बढ़ रही है। ऐसे में लोग गांवों से शहरों की ओर भाग रहे हैं।


ज्‍यादातर लोग खा रहे प्रोसेस्ड फूडडॉ. संजीव गेरा (सीन‍ियर डायरेक्‍टर एंड एचओडी, कार्डियोलॉजी डि‍पार्टमेंट, फोर्टिस हॉस्‍पि‍टल, नोएडा) ने बताया क‍ि पहले के लोग जहां घर का बना हेल्‍दी खाना खाते थे, वहीं अब इसकी जगह प्रोसेस्ड फूड ने ले ली है। ऑफ‍िस जाने वाले ज्‍यादातर लाेग प्रोसेस्ड फूड ही खा रहे हैं। आजकल के लोग ऑफ‍िस में ज्‍यादा समय ब‍िताते हैं। ऐसे में ऑफ‍िस का खाना जरूरी होता है। क्‍योंक‍ि द‍िन के खाने से हमें ज्‍यादा असर देखने को म‍िलता है। हालांक‍ि आज के समय में लोग पास्ता, ओट्स या कॉर्नफ्लेक्स को हेल्‍दी समझते हैं, ये गलत तो नहीं, फ‍िर भी इन्‍हें खाते समय सावधानी बरतनी चाह‍िए। ताजा और घर पर बने भोजन की बात ही कुछ और होती है।


वर्कआउट भी जरूरी

उन्‍हाेंने बताया क‍ि द‍िल की बीमार‍ियों के बढ़ने का मुख्‍य कारण गलत खानपान तो है, लेक‍िन इसके साथ-साथ आपको और भी चीजों पर ध्‍यान देने की जरूरत होती है। हेल्‍दी रहने के ल‍िए आपकी लाइफस्‍टाइल मैटर करती है। अगर आप घंटों ऑफ‍िस में बैठकर काम करते हैं तो आपको द‍िल की बीमारी का खतरा बढ़ जाता है। ऐसे में स‍िर्फ हेल्‍दी डाइट ही नहीं, बल्कि आपको वर्कआउट भी करना जरूरी है।


ये भी है कारणवर्कआउट करने से आप अपने द‍िल को सेहतमंद बना सकते हैं। आपने नोट‍िस क‍िया होगा क‍ि बाहर काम करने वाले मजदूर ऑफ‍िस में बैठकर काम करने वालों से ज्‍यादा फ‍िट होते हैं। इसका एक ही कारण है क‍ि उनकी शारीर‍िक गत‍िव‍िध‍ियां ज्‍यादा होती हैं।


Cardiovascular Disease के लक्षणशरीर का एक हिस्सा सुन्न पड़ जाना
बोलते समय जबान का लडखड़ाना
सीने में दर्द होना
लगातार बेचैनी होना
सांस लेने में तकलीफ होना
बार-बार बेहोशी
गर्मि‍यों में भूल से भी न खाएं ये 4 सब्‍ज‍ियां, बीमार‍ियों का घर बन जाएगा आपका शरीर; जान‍िए इनके नाम

गर्मि‍यों में भूल से भी न खाएं ये 4 सब्‍ज‍ियां, बीमार‍ियों का घर बन जाएगा आपका शरीर; जान‍िए इनके नाम

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गर्मियों में सेहत का खास ख्याल रखना चाहिए। इस मौसम में रसीले फल और हरी सब्जियां खाने की सलाह दी जाती है पर कुछ सब्जियां ऐसी भी हैं जिनसे परहेज करना चाहिए। इन्‍हें खाने से पाचन संबंधी परेशानी हो सकती है। गर्मियों में इन सब्जियों से बचने में ही समझदारी है।

गर्मियों में कौन-सी सब्‍जी नहीं खानी चाह‍िए?


गर्मि‍यों में सेहत को एक्सट्रा केयर की जरूरत होती है। इन द‍िनों कई बीमार‍ियों का खतरा बढ़ जाता है। ऐसे में आपको रसीले फलों से लेकर हरी सब्‍ज‍ियों को खाने की सलाह दी जाती है। इससे आपके शरीर को जरूरी पोषण म‍िलता है। इनके सेवन से आप खुद का कई बीमार‍ियों से बचाव कर सकते हैं। ये आपके शरीर को ठंडक भी पहुंचाते हैं। साथ हीद शरीर में पानी की कमी भी नहीं होने देते हैं।


वैसे तो गर्मियों में ज्‍यादातर लोग खीरा, लौकी, तुरई से लेकर परवल, भ‍िंडी खाते हैं। ये सबकी पसंदीदा सब्‍ज‍ियों में शाम‍िल होती हैं। लेक‍िन क्‍या आप जानते हैं क‍ि इस मौसम में आपकाे कुछ सब्‍ज‍ियों को खाने से बचना चाहिए। जी हां, एक ओर जहां आपको हरी सब्‍ज‍ियां ढेरों फायदे पहुंचाती हैं, वहीं कुछ सब्‍जि‍यों को खाने से आप बीमार भी हो सकते हैं। आज हम आपको अपने इस लेख में बताने जा रहे क‍ि गर्मि‍यों में आपको क‍िन सब्‍ज‍ियों को खाने से परहेज करना चाह‍िए। आइए जानते हैं व‍िस्‍तार से-


आलू को न करें डाइट में शाम‍िलआलू एक ऐसी सब्‍जी है जो हर भारतीय रसोई में पाई जाती है। आलू की सब्‍जी हाे या आलू के पराठे, हर काेई बड़े चाव से इसे खाता है। लेक‍िन क्‍या आपको मालूम है गर्मियों में आलू का ज्‍यादा सेवन करने से आपका डाइजेशन ब‍िगड़ सकता है? जी हां, आलू में स्‍टार्च की मात्रा ज्‍यादा होती है। इसे गर्मियों में पचाना थोड़ा मुश्किल हो सकता है। इससे पेट में गर्मी भी बढ़ती है। वहीं अगर आप वजन कम करने की कोश‍िश कर रहे हैं तो आपको भूल से भी आलू को अपनी डाइट में नहीं शाम‍िल करना चाहिए।


पालक भी न खाएं


गर्मियों में पालक को भी नहीं खाना चाह‍िए। गर्मी के मौसम में पालक के पत्‍ते में कीड़े लग जाते हैं। इसके अलावा इसमें ह‍िस्‍टाम‍िन पाया जाता है। अगर आप इसे डाइट में शाम‍िल करते हैं तो आपको पाचन से जुड़ी समस्‍या हो सकती है। इसके अलावा आपकी त्‍वचा पर एलर्जी भी हाे सकती है।

लहसुन बढ़ा देता है गर्मी

लहसुन की तासीर गर्म होती है। अगर आप इसे गर्मि‍यों में अपनी डाइट में शाम‍िल करते हैं तो ये आपके शरीर का तापमान बढ़ा सकता है। स्‍क‍िन से जुड़ी परेशान‍ि‍यां भी आपकाे घेर सकती हैं। कोश‍िश करें क‍ि इसका सेवन सीम‍ित मात्रा में ही करें।


फूल गोभी से भी करें परहेजइस हरी सब्‍जी की तासीर भी गर्म होती है। ये सर्दियों में ज्‍यादा खाई जाती है। ऐसे में अगर आप गर्मियों में गोभी खाते हैं तो डाइजेशन की द‍िक्कत हो सकती है।
आपको भी लगातार होता है स‍िरदर्द? Brain Tumor का हो सकता है संकेत; 10 लक्षणों से करें बीमारी की पहचान

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ब्रेन ट्यूमर एक गंभीर समस्या है जो किसी भी उम्र में हो सकती है। यह दिमाग में असामान्य कोशिकाओं के बढ़ने के कारण होता है और जानलेवा हो सकता है। इनके लक्षणों को समय पर पहचान कर इलाज कराना जरूरी है। इससे आप अपनी लाइफ को बचा सकते हैं। आइए जानते हैं-

ब्रेन ट्यूमर के लक्षण क्‍या हैं? (Image Credit- Freepik)


आज के समय में ब्रेन ट्यूमर एक गंभीर समस्‍या बन चुकी है। अगर समय रहते इसका इलाज न क‍िया जाए तो इससे मरीज की जान भी जा सकती है। हैरान करने वाली बात तो ये है क‍ि यह बीमारी क‍िसी भी उम्र के लोगों में देखने को म‍िल रही है। दुनियाभर में इसके मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। यह ब्रेन में अनियंत्रित सेल्‍स के बढ़ने के कारण होता है।


अगर आप खुद को इस गंभीर बीमारी से बचाना चाहते ह‍ैं या बीमारी होने पर समय से इलाज कराना चाहते हैं तो जरूरी है क‍ि इनके लक्षणों को पहचान ल‍िया जाए। आज का हमारा लेख भी इसी व‍िषय पर है। आज हम आपको ब्रेन ट्यूमर के शुरुआती लक्षणाें के बारे में बताने जा रहे हैं। आइए जानते हैं व‍िस्‍तार से-


क्‍या है ब्रेन ट्यूमर?ये बीमारी तब होती है जब द‍िमाग में असामान्‍य तरीके से सेल्‍स बढ़ने लगते हैं। ये एक तरह का कैंसर ही है। क्‍लीवलैंड क्‍लीन‍िक के मुताब‍िक, कई मामलों में कैंसर के ये सेल्‍स तेज गति से बढ़त हैं तो कभी इन्‍हें बढ़ने में समय लगता है। हालांक‍ि, ये दोनों ही मामलों में जानलेवा साब‍ित हो सकता हैं। ये ब्रेन ट्यूमर के एक त‍िहाई हि‍स्‍से में ही होता है। इससे आपका द‍िमाग ठीक तरह से काम नहीं कर पाता है।


क‍िसे होता है ज्‍यादा खतरा?


वैसो तो ये बीमारी क‍िसी को भी प्रभाव‍ित कर सकती है लेक‍िन इससे पुरुषों को ज्‍यादा खतरा होता है। मेनिन्जियोमा, ये ब्रेन ट्यूमर का ही एक प्रकार है जो महिलाओं में ज्‍यादा देखने को म‍िलता है। ब्रेन ट्यूमर चाहे Cancerous हो या Non Cancerous हो, ये कई गंभीर समस्याएं पैदा कर सकता है। इससे आपको कमजोरी महसूस हो सकती है। इसके साथ ही चलने में कठ‍िनाई, बैलेंस बनाने में समस्‍या या साफ द‍िखाई देने में द‍िक्‍कतें हो सकती हैं।


ब्रेन ट्यूमर के प्रकारब्रेन ट्यूमर दो प्रकार के होते हैं। पहला Benign तो दूसरा Malignant। Benign में ट्यूमर काफी धीरे बढ़ते हैं तो वहीं Malignant में ट्यूमर की वृद्ध‍ि काफी तेज होती है। ये ब्रेन के कई हिस्सों में फैल जाते हैं।

ब्रेन ट्यूमर के लक्षणसुबह के समय तेज स‍िरदर्द होना।
दौरे आना।
सोचने, बोलने या समझने में कठिनाई होना।
शरीर का एक ह‍िस्‍सा कमजोर होना।
चक्कर आना।
आंखों की रोशनी कम होना।
सुनने में द‍िक्‍कत होना।
हाथ पैर का सुन्‍न होना।
उल्‍टी आना।
याददाश्‍त कमजोर होना।
ब्रेन ट्यूमर का इलाजसर्जरी
रेडिएशन थेरेपी
कीमोथेरेपी
स्टेरॉइड थेरेपी
स्टेम सेल ट्रांसप्लांट
पैलिएटिव केयर
बायोप्‍सी
जानलेवा साबित हो सकता है 'डेंगू हेमरेजिक फीवर', जानें किन्हें है ज्यादा खतरा और कैसे करें बचाव

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बरसात का मौसम आते ही कई बीमारियों का खतरा भी बढ़ जाता है जिनमें सबसे ऊपर नाम आता है डेंगू का। सामान्य डेंगू तो ठीक हो जाता है लेकिन क्या आप जानते हैं कि इसका एक खतरनाक रूप भी है जिसे Dengue Hemorrhagic Fever कहते हैं? बता दें यह इतना जानलेवा हो सकता है कि अगर समय पर इलाज न मिले तो जान भी जा सकती है।

क्यों इतना खतरनाक है डेंगू हेमरेजिक फीवर? (Image Source: Freepik)

बारिश का मौसम जहां एक ओर ठंडक और ताजगी लेकर आता है, वहीं दूसरी ओर कई बीमारियों का खतरा भी बढ़ा देता है। इन्हीं में से एक है डेंगू, जो मच्छर के काटने से फैलता है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि डेंगू का एक और घातक रूप होता है जिसे डेंगू हेमरेजिक फीवर (Dengue Hemorrhagic Fever) कहा जाता है? यह सामान्य डेंगू से कहीं ज्यादा जानलेवा हो सकता है। ऐसे में, आइए इस आर्टिकल में आपको बताते हैं कि किन लोगों को इसका ज्यादा जोखम रहता है और बचाव के लिए आप कौन-से तरीके अपना सकते हैं।


क्या होता है डेंगू हेमरेजिक फीवर?
डेंगू हेमरेजिक फीवर, डेंगू वायरस का एक गंभीर रूप है। यह स्थिति तब होती है जब शरीर की ब्लड वेसल्स डैमेज हो जाती हैं और प्लेटलेट्स की संख्या तेजी से गिरने लगती है। इससे अंदरूनी ब्लीडिंग, ऑर्गन फेलियर और यहां तक कि समय रहते इलाज न मिलने पर जान भी जा सकती है।


किन्हें होता है ज्यादा खतरा?डेंगू हेमरेजिक फीवर किसी को भी हो सकता है, लेकिन कुछ लोगों में इसका खतरा ज्यादा होता है।

बच्चे और बुजुर्ग
जिन्हें पहले भी डेंगू हो चुका हो
कमजोर इम्यून सिस्टम वाले लोग
प्रेग्नेंट महिलाएं
ऐसे इलाके में रहने वाले लोग जहां डेंगू बहुत आम है
पुरानी बीमारियों से ग्रस्त मरीज, जैसे कि डायबिटीज, 


डेंगू हेमरेजिक फीवर के लक्षणडेंगू हेमरेजिक फीवर के लक्षण सामान्य डेंगू जैसे ही शुरू होते हैं, लेकिन कुछ दिन बाद ये और खतरनाक रूप ले लेते हैं। आइए जानें।

तेज बुखार (104°F तक)
सिरदर्द और आंखों के पीछे दर्द
मांसपेशियों और जोड़ो में तेज दर्द
शरीर पर लाल चकत्ते
नाक, मसूड़ों या स्किन से खून बहना
उल्टी या मल में खून आना
पेट में तेज दर्द
प्लेटलेट्स का तेजी से गिरना
कैसे करें डेंगू हेमरेजिक फीवर से बचाव?

डेंगू हेमरेजिक फीवर से बचाव का सबसे बेहतर तरीका है, मच्छरों से बचना। इसके लिए आप यहां दिए गए कुछ जरूरी उपाय अपना सकते हैं।

मच्छरदानी का यूज करें, खासकर सोते समय।
पूरी बाजू के कपड़े पहनें, ताकि त्वचा ढकी रहे।
घर के आसपास पानी जमा न होने दें, क्योंकि वहीं मच्छर पनपते हैं।
कूलर, बाल्टी, गमले आदि की रेगुलर सफाई करें।
मच्छर भगाने वाले स्प्रे का इस्तेमाल करें।
गर्मियों और बरसात में खास सावधानी बरतें।
डेंगू हेमरेजिक फीवर का इलाजडेंगू हेमरेजिक फीवर का कोई खास एंटीवायरल इलाज नहीं है, लेकिन इसका समय रहते पता चल जाए तो मरीज की जान बचाई जा सकती है। डॉक्टर द्वारा दिए गए सपोर्टिव ट्रीटमेंट, जैसे कि IV ड्रिप, प्लेटलेट्स की निगरानी, बुखार और दर्द के लिए पैरासिटामोल, गंभीर मामलों में ICU देखरेख काफी मददगार साबित हो सकती है।

ध्यान रहे, इस बुखार में आप खुद से कोई दवाएं न लें, खासकर एस्पिरिन या ब्रूफेन जैसी दवाएं, क्योंकि इनसे ब्लीडिंग का खतरा और ज्यादा बढ़ सकता है। ऊपर बताए गए लक्षण दिखने पर सबसे पहले तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें, इसके बाद ब्लड टेस्ट (CBC, प्लेटलेट काउंट) कराएं। इसके अलावा भरपूर पानी पिएं और जितना हो सके आराम करें।
शाकाहारी लोगों के लिए बेस्ट हैं ये 5 Protein Rich Foods, शरीर में भर जाएगी फौलाद जैसी ताकत

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शाकाहारी लोगों के लिए बेस्ट हैं ये 5 Protein Rich Foods, शरीर में भर जाएगी फौलाद जैसी ताकत

मांस-मछली नहीं खाते? कोई बात नहीं! प्रोटीन की कमी पूरी करने के लिए आप कुछ वेजिटेरियन फूड्स (Protein Rich Foods) की भी मदद ले सकते हैं। जी हां कुछ शाकाहारी फूड्स ऐसे हैं जो प्रोटीन का बेहतरीन सोर्स माने जाते हैं। आइए जानें वेजिटेरियन लोगों के लिए प्रोटीन से भरपूर 5 फूड्स के बारे में।

Protein-Rich Foods: प्रोटीन की कमी दूर करने के लिए खाएं ये फूड्स (Picture Courtesy: Freepik)

 Protein Rich Foods: शरीर को हेल्दी रखने में प्रोटीन (Protein) की अहम भूमिका है। इसलिए डाइट में जरूरी मात्रा में प्रोटीन का होना जरूरी है। खाने में इसकी कमी की वजह से मांसपेशियों का कमजोर होना, बाल झड़ना, स्किन प्रॉब्लम्स जैसी कई समस्याएं हो सकती हैं।


इसलिए प्रोटीन के बेहतरीन सोर्स (Protein-Rich Diet) जैसे अंडा, चिकन को डाइट का हिस्सा बनाना चाहिए। लेकिन अगर आप वेजिटेरियन हैं, तो भी चिंता की कोई बात नहीं है। कुछ सब्जियां, दाल आदि भी प्रोटीन का बेहतरीन सोर्स (Vegetarian Sources of Protein) होते हैं। आइए जानते हैं कि शाकाहारी लोगों के लिए प्रोटीन के बेहतरीन सोर्स क्या-क्या हो सकते हैं।


दालें और बीन्सदाल और बीन्स भारतीय खान-पान का अहम हिस्सा हैं। हर घर में लगभग रोज दाल, राजमा, चने आदि जरूर बनते हैं। ये प्रोटीन से भरपूर होते हैं। इसलिए रोजाना दाल या बीन्स को डाइट में शामिल करके आप अपनी डेली की प्रोटीन की जरूरत को पूरा कर सकते हैं।

पनीर और टोफूपनीर और टोफू, दोनों ही सेहत के लिए काफी फायदेमंद हैं। वेजिटेरियन लोगों के लिए ये प्रोटीन का अच्छा सोर्स साबित हो सकते हैं। इन्हें आप कई तरीकों से अपनी डाइट में शामिल कर सकते हैं। इन्हें डाइट में शामिल करने से मसल बिल्डिंग में खासतौर से मदद मिल सकती है


राजगीरा और किनोआ

राजगीरा और किनोआ, दोनों ही प्रोटीन का बेहतरीन सोर्स हैं। साथ ही, इनमें फाइबर, कार्ब्स, आयरन और अन्य पोषक तत्व भी मौजूद होते हैं, जो सेहत के लिए काफी जरूरी हैं। इसलिए अपनी रोज की प्रोटीन की जरूरत को पूरा करने के लिए राजगीरा और किनोआ को डाइट में शामिल करना फायदेमंद साबित हो सकता है।


ड्राई फ्रूट्स और सीड्सबादाम, अखरोट, चिया सीड्स, कद्दू के बीज आदि भी प्रोटीन से भरपूर होते हैं। इन्हें रोजाना खाने से आपकी सेहत को काफी फायदा मिल सकता है। ये प्रोटीन के साथ-साथ ओमेगा-3 फैटी एसिड, फाइबर और अन्य विटामिन व मिनरल्स से भरपूर होते हैं। इसलिए रोजाना एक मुट्ठी ड्राई फ्रूट्स और सीड्स को मिलाकर खाना आपकी सेहत के लिए काफी फायदेमंद साबित हो सकता है।


पालक और ब्रोकलीकुछ सब्जियां भी प्रोटीन का बेहतरीन सोर्स होती हैं। इनमें पालक और ब्रोकली का नाम सबसे ऊपर आता है। पालक और ब्रोकली प्रोटीन के साथ-साथ विटामिन्स और मिनरल्स का भी अच्छा सोर्स हैं। इसलिए इन्हें अपनी डाइट में जरूर शामिल करें।
Protein की कमी से हो सकती हैं 5 बीमार‍ियां, समय रहते पहचान लें लक्षण; बचाव में होगी आसानी

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Protein की कमी से हो सकती हैं 5 बीमार‍ियां, समय रहते पहचान लें लक्षण; बचाव में होगी आसानी

शरीर को स्वस्थ रखने के लिए प्रोटीन की खास जरूरत होती है। ये मांसपेशियों को मजबूत करता है और हमें बीमारियों से भी बचाए रखता है। प्रोटीन की कमी से आपको कई बीमार‍ियां हो सकती हैं। इससे लिवर पर भी बुरा असर पड़ता है। कुछ लक्षणों को पहचान कर इसकी कमी को पूरा क‍िया जा स‍कता है।

प्रोटीन की कमी से हो सकती हैं कई बीमार‍ियां। (Image Credit- Freepik)


शरीर को तंदुरुस्‍त और ताकतवर बनाए रखने के ल‍िए प्रोटीन की जरूरत होती है। ये न सिर्फ मांसपेशियों को मजबूत बनाता है बल्कि हमें कई तरह की बीमारियों से भी बचाने में मदद करता है। शरीर में प्रोटीन की कमी न हो, इसके ल‍िए हेल्‍दी डाइट लेने की सलाह दी जाती है।


इसकी कमी से मांसपेशियाें के अलावा इम्यून स‍िस्‍टम भी कमजोर हो जाता है। शरीर का व‍िकास रुक जाता है। आपको बता दें क‍ि प्रोटीन एक जरूरी पोषक तत्व है। ये मसल्स को बढ़ाने के साथ ही शरीर को सही तरीके से काम करने में मदद करता है। अगर आपके शरीर में प्रोटीन की कमी होती है तो थकान, बॉडी पेन, जोड़ों में दर्द और चलने-फिरने में दिक्कतें होने लगती हैं। आज हम आपको अपने इस लेख में बताएंगे क‍ि प्रोटीन की कमी से क‍िन बीमार‍ियों का खतरा बढ़ जाता है। इसे कैसे पूरा कर सकते हैं, ये भी जानेंगे।


एनीम‍ियाअगर आपके शरीर में प्रोटीन की कमी है तो इससे एनीमिया का खतरा बढ़ सकता है। इसमें आपके शरीर में जरूरी मात्रा में रेड ब्‍लड सेल्‍स नहीं बन पाता है। ऐसे में शरीर में खून की कमी हो जाती है। इसी स्‍थ‍ित‍ि को एनीम‍िया कहते हैं। इस दाैरान आपको कमजोरी और थकान हो सकती है।

मैरास्मस

प्रोटीन की कमी से मैरास्मस (Marasmus) जैसी बीमारी का खतरा बढ़ सकता है। ये बीमारी ज्‍यादातर बच्‍चों में होती है। इससे उनका व‍िकास रुक जाता है। वजन भी अचानक कम होने लगता है।


फैटी लिवरशरीर में प्रोटीन की कमी आपके ल‍िवर पर भी बुरा असर डालती है। इससे लिवर सेल्‍स में फैट बढ़ने लगता है। नतीजन आपको फैटी ल‍िवर की द‍िक्‍कतों से जूझना पड़ सकता है। इस स्‍थि‍त‍ि में आपकाे तुरंत डॉक्‍टर से म‍िलना चाहि‍ए वरना आपकी ल‍िवर डैमेज भी हो सकती है।
हड्डियों की मजबूती और स्किन की खूबसूरती के लिए जरूरी है कॉपर, ये फूड्स करेंगे इसकी कमी दूर

हड्डियों की मजबूती और स्किन की खूबसूरती के लिए जरूरी है कॉपर, ये फूड्स करेंगे इसकी कमी दूर

हड्डियों की मजबूती और स्किन की खूबसूरती के लिए जरूरी है कॉपर, ये फूड्स करेंगे इसकी कमी दूर

कॉपर या तांबे के बर्तन में रखा हुआ पानी पीने के फायदों के बारे में हम अपनी दादी-नानी से सुनते आए हैं। कैसे ये मिनरल हमारे लिए फायदेमंद है और किन चीजों में पाया जाता है क्या इसकी ज्यादा मात्रा खतरनाक हो सकती है आइए इस आर्टिकल के जरिए जानते हैं।

शरीर के लिए क्यों जरूरी है कॉपर (Picture Credit- Freepik)


हाल-फिलहाल आपने कॉपर के इस्तेमाल वाले फिल्टर्स के कई विज्ञापन देखे होंगे। वैसे ये मिनरल काफी सारी चीजों में नेचुरली भी पाया जाता है। इसे सेहत के लिए काफी फायदेमंद माना जाता है। इसकी कमी से क्या परेशानियां हो सकती हैं और इसकी कमी दूर करने के क्या तरीके हैं, आइए जानते हैं।


मिट्टी में पाया जाता है
कॉपर एक मिनरल है और यह मिट्टी में नेचुरली पाया जाता है। हमारा शरीर कॉपर नहीं बना सकता है और इंसानों को जिंदा रहने के लिए इसकी जरूरत होती है। ऐसे में खाने के जरिए हम इसकी कमी को पूरा कर सकते हैं।


कमी से हो सकता है हाइपोपिग्मेंटेशनकॉपर स्किन के लिए जरूरी मिनरल है। इसकी कमी से मेलानिन कम हो सकता है, जो आपकी त्वचा के रंग का निर्माण करता है। इसके कम होने से हाइपोपिग्मेंटेशन या स्किन का रंग हल्का हो सकता है। कुछ साक्ष्यों से पता चलता है कि कॉपर, जिंक और आयरन, एक्ने, सोरायसिस और एग्जिमा जैसी स्किन से जुड़ी समस्याओं में बहुत ही अहम भूमिका निभा सकता है।


एनीमिया से बचाव करता है

हीमोग्लोबिन बनाने के लिए कॉपर की जरूरत होती है, जो शरीर के टिश्यूज तक ऑक्सीजन को पहुंचाने में मदद करता है। हीमोग्लोबीन की कमी से एनीमिया होने का खतरा रहता है। वैसे आयरन और विटामिन बी12 की कमी से भी एनीमिया होने का खतरा रहता है।


इम्युनिटी के लिए जरूरीकॉपर की कमी से व्हाइट ब्लड सेल्स का स्तर कम हो जाता है, जिसे न्यूट्रोपीनिया कहते हैं। व्हाइट ब्लड सेल्स की कमी की वजह से आपका शरीर इन्फेक्शन से लड़ नहीं पाता। अगर आपका कॉपर लेबल कम हो, तो इम्यून सिस्टम बैक्टीरिया और बीमारी पैदा करने वाली बाकी चीजों से बचा नहीं पाता।


हड्डियां भी बनती हैं मजबूतवैसे तो हड्डियों को मजबूत बनाने के लिए कैल्शियम एक जाना माना मिनरल है, लेकिन हड्डियों की मजबूती के लिए और भी पोषक तत्वों की जरूरत होती है, जिनमें कॉपर भी शामिल है। शरीर में बहुत कम मात्रा में कॉपर स्टोर होता है और जिसका दो-तिहाई हिस्सा आपकी हड्डियों और मसल्स में होता है। हड्डियों के सही विकास के लिए कॉपर बेहद जरूरी है और इसकी कमी से ऑस्टियोपोरोसिस हो सकता है।


इन्हें चाहिए ज्यादा मात्रा में कॉपरशरीर के सभी फंक्शन अच्छी तरह पूरे हो पाएं, बस कॉपर की उतनी ही मात्रा चाहिए होती है। 9 से 13 साल के बच्चों को हर दिन 700 माइक्रोग्राम कॉपर की जरूरत होती है, वहीं 14 से 18 साल के टीन्स को 890 माइक्रोग्राम की, जबकि वयस्कों को 900 माइक्रोग्राम की। हालांकि, प्रेग्नेंट महिलाओं को रोजाना 1,000 माइक्रोग्राम कॉपर चाहिए, जबकि ब्रेस्टफीडिंग महिलाओं को 1,300 माइक्रोग्राम कॉपर की जरूरत होती है।


इनमें ज्यादा होता है कॉपरडार्क चॉकलेट
आलू
काजू
सूरजमुखी के बीज
टोफू
काबुली चना
मोटे अनाज
एवोकाडो
अंजीर
पानी है सबसे आसान और सस्ता तरीकाहमारा शरीर सीधे कॉपर को नहीं पचा सकता। आहार के जरिए इसे लेना ही एकमात्र स्रोत है। जब खाने के जरिए इसकी पूर्ति करने की बात आती है, तो इसके विकल्प कम हो जाते हैं। इसलिए कॉपर को शामिल करने का सबसे आसान तरीका है इसे पानी के जरिए लेना।

आप कॉपर के जग, मटके या फिर बोतल में रातभर पानी भरकर रख दें और सुबह खाली पेट 1-2 गिलास पी लें। इससे ज्यादा पानी न पीएं और न ही इसे फ्रिज में ठंडा होने के लिए रखें। दो से तीन महीने लगातार इस पानी को रोजाना पीना है और फिर कुछ महीनों का ब्रेक लेकर ही दोबारा शुरू करना है। आयुर्वेद के अनुसार इस पानी को पीने के कई फायदे हैं:

शरीर के तीनों दोष कफ, वात, पित्त संतुलित करता है
अंगों के सही तरीके से काम करने में मदद करता है
पोषक तत्वों को पचाने में हेल्प करता है
मेटाबॉलिक प्रक्रिया को बढ़ाता है
आपके शरीर की सफाई करता है
बॉडी डिटॉक्स में मदद करता है।
सप्लीमेंट के रूप में ना लेंज्यादातर लोगों के कॉपर की पूर्ति खाने या पानी से हो जाती है, लेकिन सप्लीमेंट के रूप में लेने पर ओवरडोज होने का खतरा रहता है। ऐसा होने से पेट में दर्द, डायरिया, लिवर की बीमारी, मितली और उल्टी जैसी समस्याएं हो सकती हैं। डॉक्टर की सलाह के बिना इसका सप्लीमेंट लेना शुरू ना करें।
पुरुषों में क्‍यों बढ़ जाती है गंजेपन की समस्‍या? एक-दो नहीं, ये 6 वजहें हो स‍कती हैं ज‍िम्‍मेदार

पुरुषों में क्‍यों बढ़ जाती है गंजेपन की समस्‍या? एक-दो नहीं, ये 6 वजहें हो स‍कती हैं ज‍िम्‍मेदार

पुरुषों में क्‍यों बढ़ जाती है गंजेपन की समस्‍या? एक-दो नहीं, ये 6 वजहें हो स‍कती हैं ज‍िम्‍मेदार

आजकल पुरुषों में गंजेपन की समस्‍या बढ़ती जा रही है। इसके कई कारण हो सकते हैं जैसे आनुवंशिक कारण हार्मोनल बदलाव तनाव पोषण की कमी। बालों के झड़ने के लक्षणों को पहचानकर और सही समय पर इलाज कराकर इस समस्‍या से न‍िजात पाया जा सकता है। आप अपने लुक्‍स को भी बेहतर बना सकते हैं।

गंजेपन से न‍िजात द‍िलाएंगे ये ट‍िप्‍स। (Image Credit- Freepik)

 हर कोई चाहता है क‍ि उसके बाल घने और काले हाें। हालांक‍ि आजकल की अनहेल्‍दी लाइफस्टाइल और खराब खानपान के कारण बालों का झड़ना तो आम हो गया है। बड़े-बुजुर्गों को तो छोड़‍िए, कम उम्र में भी ये समस्‍या आम हो गई है। कई बार तो इस हद तक बाल टूट कर ग‍िर जाते हैं क‍ि लोग गंजे हो जाते हैं।


बाल हमारे लुक्स को अच्‍छा बनाते हैं। अगर आप भी करियर पर फोकस कर रहे हैं तो आपका लुक बहुत मैटर करता है। बाल हमारे शरीर का स‍िर्फ ह‍िस्‍सा ही नहीं, बल्कि एक भावनात्‍मक जुड़ाव है। अगर आपके घने बाल होंगे तो आप में आत्‍मव‍िश्वास की कोई कमी नहीं होगी। आप द‍िखने में भी बेहद खूबसूरत लगेंगे।

हालांक‍ि पुरुषों में गंजेपन की समस्‍या ज्‍यादा देखी जाती है। इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं। समय रहते इस पर ध्‍यान दि‍या जाए तो खुद को गंजा होने से रोका जा सकता है। आज हम आपको अपने इस लेख में गंजेपन का कारण, लक्षण और बचाव के तरीके बताने जा रहे हैं। आइए जानते हैं व‍िस्‍तार से-


गंजेपन का कारण
आनुवंशिक कारण


अगर परिवार में किसी को गंजेपन की समस्या रही है, तो आगे आने वाली पीढ़ी में भी इसके होने की संभावना बढ़ जाती है। पुरुषों में इसे Male Pattern Baldness कहा जाता है।


हार्मोनल बदलावकई बार टेस्टोस्टेरोन हार्मोन के कारण बालों की ग्रोथ पर असर पड़ता है। बालों की जड़ें कमजोर हो जाती हैं।


तनाव और चिंता


अगर आप लगातार मानसिक तनाव से जूझ रहे हैं तो तेजी से बालों का झड़ना शुरू हो जाता है। इसे Telogen Effluvium कहा जाता है, जिसमें अचानक बाल झड़ने लगते हैं।


पोषण की कमीबालों की ग्रोथ के ल‍िए जिंक, आयरन, बायोटिन, विटामिन D और प्रोटीन की जरूरत होती है। अगर शरीर में इसकी कमी हो जाए ताे बाल झड़ने लगते हैं और गंजेपन की समस्‍या बढ़ सकती है।


कीमोथेरेपीकैंसर के उपचार के दौरान कीमोथेरेपी की जाती है। ये भी गंजेपन का मुख्‍य कारण है। इसके अलावा थायरॉइड में भी ये समस्‍या देखने को म‍िलती है।


स्कैल्प इंफेक्शन या बीमारीडैंड्रफ, स्‍कैल्‍प में फंगल इंफेक्शन, एक्जिमा या एलोपेसिया एरीटा जैसी समस्याएं बालों की ग्रोथ रोक सकती हैं। इससे बाल कमजोर होते चले जाते हैं।


गंजेपन के लक्षणबालों का तेजी से झड़ना
सिर के आगे या बीच के हिस्से में बालों का पतला होना
हेयरलाइन का पीछे हटना
हेयर पार्टिंग में ज्‍यादा स्कैल्प दिखाई देना
जगह-जगह खाली पैच बन जाना
कैसे पाएं न‍िजात?प्रोटीन, आयरन, विटामिन B, D और ओमेगा-3 फैटी एसिड से भरपूर डाइट लें। ये बालों को मजबूत बनाते हैं।

बालों पर ज्‍यादा हेयर कलर, स्ट्रेटनिंग, या हीटिंग टूल्स का इस्‍तेमाल न करें।
हफ्ते में दो-तीन बार माइल्ड शैम्पू से बाल धोएं। समय-समय पर तेल से मसाज करें, जिससे ब्लड सर्कुलेशन बढ़ता है।
अगर बाल तेजी से झड़ रहे हैं, तो समय पर डर्मेटोलॉजिस्ट से मिलें। समय रहते उपचार शुरू करना जरूरी है।
ये 7 संकेत बताते हैं जरूरत से ज्‍यादा Magnesium ले रहे हैं आप, द‍िल के ल‍िए है खतरे की घंटी

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मैग्नीशियम शरीर के लिए जरूरी है जो हड्डियों मांसपेशियों और दिल की सेहत का ख्‍याल रखता है।इसकी कमी से कई दिक्कतें हो सकती हैं। हरी सब्जियां और नट्स इसके अच्छे स्रोत हैं लेकिन ज्यादा मैग्नीशियम लेने से कई समस्याएं हो सकती हैं। इसलिए सप्लीमेंट लेने से पहले डॉक्टर से सलाह लें।


ज्‍यादा Magnesium लेने से होती हैं कई द‍िक्‍कतें। (Image Credit- Freepik)


 मैग्नीशियम हमारे शरीर के लिए एक जरूरी मिनरल है। ये हमें सेहतमंद रखने में मदद करता है। हड्डियों, मांसपेशियों, नसों और दिल को सही तरीके से काम करने के लिए मैग्नीशियम की जरूरत होती है। अगर शरीर में इसकी कमी हो जाए तो कई समस्‍याएं हो सकती हैं।


आमतौर पर हमें मैग्नीशियम हमारी डाइट से ही मिल जाता है। अगर आप डाइट में हरी सब्जियां, नट्स, बीज, और साबुत अनाज को शाम‍िल करते हैं तो न‍िश्‍च‍ित रूप से आपके शरीर में मैग्नीशियम की कमी नहीं होगी। हालांक‍ि क‍िसी चीज की अत‍ि हमेशा नुकसानदायक ही होती है। ऐसे में जरूरी है क‍ि हर चीज डॉक्‍टर की सलाह पर सही मात्रा में ही ली जाए। आज हम आपको अपने इस लेख में बताएंगे क‍ि जरूरत से ज्‍यादा मैग्नीशियम लेने पर आपको क‍िन समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। साथ ही ये भी बताएंगे क‍ि इसकी कमी से क्‍या द‍िक्‍कतें हो सकती हैं। आइए जानते हैं व‍िस्‍तार से-


क्‍या है मैग्नीशियम?मैग्नीशियम एक जरूरी मिनरल होता है। ये हमारे शरीर को सही ढंग से काम कराने में अहम भूम‍िका न‍िभाता है। यह मसल्‍स से लेकर द‍िल की सेहत का भी ख्‍याल रखता है।


मैग्नीशियम की कमी होने पर नजर आते हैं ये लक्षणमांसपेशियों में ऐंठन और दर्द
थकान और कमजोरी
हाई ब्लड प्रेशर
अनियमित हार्ट बीट
मानसिक समस्याएं
हड्डियों का कमजोर होना
सिरदर्द और माइग्रेन
पाचन संबंधी समस्याएं
नींद न आना
हाथ-पैरों में सुन्नपन या झनझनाहट

ज्‍यादा मैग्नीशियम लेने से हाेती हैं ये द‍िक्‍कतेंअगर आप जरूरत से ज्‍यादा मैग्नीशियम सप्लीमेंट लेते हैं तो आपके पेट पर बुरा असर पड़ता है। इससे पेट में दर्द, ऐंठन और बार-बार दस्त हो सकते हैं।
मैग्नीशियम खून की नसों को ढीला करने का काम करता है, जिससे ब्लड प्रेशर कंट्रोल में रहता है। अगर आप इसे ज्‍यादा मात्रा में लेते हैं तो तो ब्लड प्रेशर बहुत ज्यादा गिर सकता है। इससे आपको चक्कर आना, बेहोशी या कमजोरी जैसी समस्‍याएं हो सकती हैं।
शरीर में जरूरत से ज्यादा मैग्नीशियम होने पर मसल्‍स ढीले हो जाते हैं। इससे चलने-फिरने में थकान होती है। हमारी बॉडी कमजोर होने लगती है।
मैग्नीशियम हमारे द‍िल की सेहत का सही तीहके से ख्‍याल रखता है। ऐसे में जरूरत से ज्‍यादा मैग्नीशियम सप्‍लीमेंट्स लेने से दिल की धड़कन धीमी या अनियमित हो सकती हैं। यह स्थिति गंभीर भी हो सकती है।
इससे उल्टी आने की समस्‍या होना आम है। यह शरीर का संकेत होता है कि अंदर कुछ गलत हो रहा है।
अगर अधिक मात्रा में मैग्नीशियम सप्लीमेंट ले लिया गया है तो उसे सांस लेने में तकलीफ हो सकती है। वह बेहोश भी हो सकता है।
कितनी मात्रा में लें मैग्नीशियम?

एक नॉर्मल इंसान के लिए रोजाना लगभग 300 से 400 mg मैग्नीशियम काफी होता है। लेकिन सप्लीमेंट लेने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लेनी चाहिए।


इन चीजों में पाया जाता है मैग्नीशियमएवोकाडो
डार्क चॉकलेट
पालक
बादाम
काजू
केले
क्विनोआ