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हिंदू आतंकवाद की परिभाषा देने वाले दिग्विजय सिंह का यू-टर्न, बेटे की खातिर भगवा आतंक से इनकार

हिंदू आतंकवाद की परिभाषा देने वाले दिग्विजय सिंह का यू-टर्न, बेटे की खातिर भगवा आतंक से इनकार

हिंदू आतंकवाद की परिभाषा देने वाले दिग्विजय सिंह का यू-टर्न, बेटे की खातिर भगवा आतंक से इनकार

मालेगांव बम धमाके में फैसले के बाद सबसे चौंकाने वाला बयान वरिष्ठ कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह का आया है। उन्होंने हिंदू आतंकवाद या भगवा आतंक जैसे शब्दों के उपयोग से साफ इनकार कर दिया। उनके विधायक बेटे जयवर्धन सिंह ने भी बयान दिया है कि आतंकवाद आतंकवाद ही होता है उसका कोई धर्म नहीं होता। पिता-पुत्र के इन बयानों को लेकर कई तरह के मायने निकाले जा रहे हैं।

हिंदू आतंकवाद की परिभाषा देने वाले दिग्विजय सिंह ने लिया यू टर्न (फाइल फोटो)

 भोपाल। मालेगांव बम धमाके में फैसले के बाद सबसे चौंकाने वाला बयान वरिष्ठ कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह का आया है। उन्होंने हिंदू आतंकवाद या भगवा आतंक जैसे शब्दों के उपयोग से साफ इनकार कर दिया। उनका कहना है कि उन्होंने ऐसा कोई शब्द कभी उपयोग नहीं किया और न ही इस शब्द को कांग्रेस ने गढ़ा है।

आतंकवाद, आतंकवाद ही होता है, उसका कोई धर्म नहीं होता


उनके विधायक बेटे जयवर्धन सिंह ने भी बयान दिया है कि आतंकवाद, आतंकवाद ही होता है, उसका कोई धर्म नहीं होता। पिता-पुत्र के इन बयानों को लेकर कई तरह के मायने निकाले जा रहे हैं।


पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह लंबे समय तक हिंदू आतंकवाद को लेकर भाजपा के निशाने पर रहे हैं, लेकिन उन्होंने पहले कभी भी इस शब्द के उपयोग को लेकर इनकार नहीं किया। अब जबकि जयवर्धन ने कांग्रेस पार्टी से अलग साफ्ट हिंदुत्व की लाइन पर आतंकवाद को धर्म से जोड़ने से मना कर दिया है, तो दिग्विजय उनके साथ दिखाई पड़ रहे हैं।

हिंदू आतंकवाद और भगवा आतंक से साफ किया इनकार


दिग्विजय सिंह अपने बेटे के राजनीतिक भविष्य के लिए किसी भी तरह का कोई जोखिम नहीं लेना चाहते, ऐसे में माना जा रहा है कि हिंदू आतंकवाद और भगवा आतंक पर उन्होंने सार्वजनिक रूप से यू टर्न ले लिया है।

बीते कुछ वर्षों में युवाओं में सनातन धर्म को लेकर बढ़े आकर्षण को देखते हुए जयवर्धन ऐसा कोई बयान नहीं देना चाह रहे होंगे, जो उनकी युवाओं के बीच लोकप्रियता में कमी का कारण बने। इसी को ध्यान में रखकर उन्होंने बयान दिया और उनके पिता दिग्विजय ने भी सहमति जता दी है। इसका दूसरा कारण कांग्रेस पार्टी के अंदरूनी समीकरण भी माना जा रहा है।


अब जबकि दिग्विजय सिंह न्यू टर्न ले चुके हैं, तो कांग्रेस पर इस मामले को स्पष्ट करने का दबाव बनेगा कि आखिर पार्टी दिग्विजय ¨सह के पुराने बयान के साथ है या नए बयान का समर्थन करती है।


धर्म के लिए राजनीतिकरण ठीक नहीं


दिग्विजय सिंह के यूटर्न करने के पीछे तीसरी वजह ऐसे युवाओं को आकर्षित करना भी माना जा रहा है, जो धर्म को मानते हैं, लेकिन धर्म के राजनीतिक उपयोग से इत्तेफाक नहीं रखते। लगभग सभी धर्मों में ऐसे युवाओं की खासी संख्या है, जो धर्म के राजनीतिकरण को ठीक नहीं मानते।


दिग्विजय सिंह और उनके पुत्र जयवर्धन का बयान ऐसे युवाओं को आकर्षित कर सकता है। दिग्विजय की मजबूरी भी है कि कांग्रेस का गढ़ रहा राजगढ़ लोकसभा क्षेत्र 2024 से भाजपा के कब्जे में है। पहले भी 1989 में यहां से प्यारेलाल खंडेलवाल जैसे भाजपा के दिग्गज चुनाव जीत चुके हैं। यदि वे अब भी भगवा का विरोध करते तो उन्हें अपने घर राघौगढ़ में ही बेटे जयवर्धन को नुकसान उठाना पड़ता।

हिंदू आतंकवाद की थ्योरी ध्वस्त


मप्र के लोक निर्माण मंत्री राकेश सिंह ने कहा कि मालेगांव बम ब्लास्ट वाले मामले में एनआइए कोर्ट का निर्णय आया है। जिन पर आरोप लगाए गए थे हिंदू आतंकवाद को लेकर, वे सभी बरी हो गए हैं। हिंदू आतंकवाद जैसी थ्योरी ध्वस्त हो गई है। इस देश में हिंदू आतंकवाद जैसी कोई धारणा न थी, न है और न रहेगी। इस निर्णय ने यह साबित कर दिया है।
गोवा में समुद्र तटों के पास कांच की शराब की बोतलों पर लगेगा प्रतिबंध, सरकार इस कारण लेने जा रही बड़ा फैसला

गोवा में समुद्र तटों के पास कांच की शराब की बोतलों पर लगेगा प्रतिबंध, सरकार इस कारण लेने जा रही बड़ा फैसला

 गोवा में समुद्र तटों के पास कांच की शराब की बोतलों पर लगेगा प्रतिबंध, सरकार इस कारण लेने जा रही बड़ा फैसला


गोवा सीएम प्रमोद सावंत ने गुरुवार को विधानसभा को बताया कि राज्य सरकार समुद्र तटों के पास कांच की शराब की बोतलों की बिक्री पर प्रतिबंध लगाने और उनकी जगह कैन लगाने पर विचार कर रही है।सरकार का मानना है कि टूटे हुए कांच के टुकड़ों से पर्यटकों के घायल होने की आशंका है।इस कारण समुद्र तटों के पास कांच की शराब की बोतलों पर प्रतिबंध लगाया जा सकता है।

गोवा में समुद्र तटों के पास कांच की शराब की बोतलों पर लगेगा प्रतिबंध (सांकेतिक तस्वीर)

 गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत ने गुरुवार को विधानसभा को बताया कि राज्य सरकार समुद्र तटों के पास कांच की शराब की बोतलों की बिक्री पर प्रतिबंध लगाने और उनकी जगह कैन लगाने पर विचार कर रही है।


सरकार का मानना है कि टूटे हुए कांच के टुकड़ों से पर्यटकों के घायल होने की आशंका है। इस कारण समुद्र तटों के पास कांच की शराब की बोतलों पर प्रतिबंध लगाया जा सकता है।
कांच की बोतलों की जगह आएगी कैन


वह भाजपा विधायक माइकल लोबो द्वारा उठाए गए एक प्रश्न का उत्तर दे रहे थे, जिन्होंने शिकायत की थी कि समुद्र तटों पर कांच की बोतलों के टूटे हुए टुकड़ों के कारण पर्यटक घायल हो रहे हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार समुद्र तटों के पास स्थित शराब की दुकानों के माध्यम से कांच की शराब की बोतलों की बिक्री पर प्रतिबंध लगाने और उनकी जगह कैन की बोतलें लाने पर विचार कर रही है।


पर्यटन मंत्री रोहन खाउंटे ने सदन को बताया कि मौजूदा कानून में समुद्र तटों पर कूड़ा फेंकने वालों पर 5,000 रुपये से 50,000 रुपये तक का जुर्माना लगाने का प्रावधान है। उन्होंने बताया कि मौजूदा कानून के तहत कूड़ा फेंकना उपद्रव की श्रेणी में आता है।

सार्वजनिक स्थानों पर शराब पीने की अनुमति नहीं


उन्होंने कहा कि मुद्दा यह है कि जो लोग शराब की दुकानों से शराब खरीदते हैं, उन्हें सार्वजनिक स्थानों पर शराब पीने की अनुमति नहीं है। उन्हें लगता है कि वे कुछ भी कर सकते हैं और कानून का उल्लंघन कर सकते हैं।" मंत्री के अनुसार, समुद्र तट पर बिखरे टूटे गिलासों और उपद्रव के मुद्दे पर हाल ही में मुख्यमंत्री के साथ विस्तार से चर्चा हुई थी।



अगर ऐसा किया तो होगी जेल


उन्होंने कहा कि मुद्दा यह है कि जो लोग शराब की दुकानों से शराब खरीदते हैं, उन्हें सार्वजनिक स्थानों पर शराब पीने की अनुमति नहीं है। उन्हें लगता है कि वे कुछ भी कर सकते हैं और कानून का उल्लंघन कर सकते हैं।
भारत पर आज से लागू होगा 25% अमेरिकी टैरिफ, ट्रंप के फैसले से ऑटो-फार्मा समेत इन क्षेत्रों पर पड़ेगा असर

भारत पर आज से लागू होगा 25% अमेरिकी टैरिफ, ट्रंप के फैसले से ऑटो-फार्मा समेत इन क्षेत्रों पर पड़ेगा असर

 भारत पर आज से लागू होगा 25% अमेरिकी टैरिफ, ट्रंप के फैसले से ऑटो-फार्मा समेत इन क्षेत्रों पर पड़ेगा असर


अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने घोषणा की है कि संयुक्त राज्य अमेरिका भारत से आयातित सभी वस्तुओं पर 25 फीसदी टैरिफ लगाएगा जो 1 अगस्त 2025 से प्रभावी होगा। इस अचानक कदम से अमेरिका को होने वाले लगभग सभी भारतीय निर्यात प्रभावित होंगे। न्यूयॉर्क टाइम्स के अनुसार इस घोषणा से भारत पर समझौता करने का दबाव बढ़ सकता है।


भारत पर आज से लागू होगा 25 फीसदी अमेरिकी टैरिफ (फोटो- रॉयटर)

HIGHLIGHTSऑटो कंपोनेंट बनाने वाली कंपनियां, टेक्सटाइल्स इंडस्ट्री आदि पर ट्रंप के टैरिफ का होगा असर
अमेरिका के नए टैरिफ से भारत अमेरिका को भारत के माल निर्यात पर असर पड़ने की उम्मीद
भारत के साथ व्यापार वार्ता को लेकर निराश हैं ट्रंप : बेसेंट
दुनिया भर के लगभग 70 देशों के लिए टैरिफ दरों की घोषणा



अमेरिका आज से भारत से टैरिफ वसूलेगा। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने घोषणा की है कि संयुक्त राज्य अमेरिका भारत से आयातित सभी वस्तुओं पर 25 फीसदी टैरिफ लगाएगा, जो 1 अगस्त, 2025 से प्रभावी होगा। इस अचानक कदम से अमेरिका को होने वाले लगभग सभी भारतीय निर्यात प्रभावित होंगे।


व्हाइट हाउस ने जारी की सूची


अमेरिका ने भारत पर 25 प्रतिशत टैरिफ लगाने की घोषणा की है। व्हाइट हाउस ने दुनिया भर के देशों से होने वाले निर्यात पर वाशिंगटन द्वारा लगाए जाने वाले शुल्कों की एक विस्तृत सूची जारी की है।


दुनिया भर के लगभग 70 देशों के लिए टैरिफ दरों की घोषणा


'पारस्परिक टैरिफ दरों में और संशोधन' शीर्षक वाले एक कार्यकारी आदेश में, राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दुनिया भर के लगभग 70 देशों के लिए टैरिफ दरों की घोषणा की। गुरुवार को जारी सूची के अनुसार, भारत पर 25 प्रतिशत "पारस्परिक टैरिफ, समायोजित लगाया गया है। टैरिफ लगाने की अंतिम तिथि 1 अगस्त थी, लेकिन नए शुल्क 7 अगस्त से लागू होंगे।



भारत पर समझौता करने का दबाव बढ़ सकता है


अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर टैरिफ लगाने की घोषणा करते हुए कहा कि मित्र होने के बावजूद भारत और अमेरिका ने अपेक्षाकृत कम व्यापार किया है। न्यूयॉर्क टाइम्स के अनुसार, इस घोषणा से भारत पर समझौता करने का दबाव बढ़ सकता है, अन्यथा उसे भारी टैरिफ का सामना करना पड़ सकता है, जिससे दोनों देशों के बीच आर्थिक और कूटनीतिक संबंधों पर दबाव पड़ सकता है।



ट्रंप के टैरिफ से इन सेक्टर पर पड़ेगा असर


मार्केट एक्सपर्ट अंबरीश बलिगा का मानना है कि वे सभी वस्तुएं और सेक्टर जिनका भारत निर्यात करता है उन कंपनियों पर तगड़ा असर देखने को मिलेगा। मसलन, ऑटो कंपोनेंट बनाने वाली कंपनियां, टेक्सटाइल्स इंडस्ट्री, मेटल और फार्मा कंपनीज पर ट्रंप के टैरिफ का असर देखने को मिल सकता है। भारत से आयात होने वाली वस्तुएं अमेरिका में महंगी दरों पर मिलेगी। इससे उनकी बिक्री कम होगी और कंपनियों को घाटा होगा।


87 बिलियन डॉलर के निर्यात पर पड़ेगा असर


अमेरिका के नए टैरिफ से भारत अमेरिका को भारत के माल निर्यात पर असर पड़ने की उम्मीद है। 2024 में यह लगभग 87 बिलियन डॉलर का था। जिन वस्तुओं और सेवाओं पर असर पड़ सकता है उनमें श्रम-प्रधान उत्पाद जैसे वस्त्र, फार्मास्यूटिकल्स, रत्न और आभूषण, और पेट्रोकेमिकल्स शामिल हैं।

वर्तमान में अमेरिका का भारत के साथ 45.7 बिलियन डॉलर का व्यापार घाटा है। व्हाइट हाउस ने पहले भारत को उसके उच्च औसत लागू टैरिफ के बारे में चेतावनी दी थी। कृषि उत्पादों पर लगभग 39%, वनस्पति तेलों पर दरें बढ़कर 45% और सेब और मक्का पर लगभग 50% हो गई हैं।

भारत भी कर सकता है जवाबी कार्रवाई


2024 में अमेरिका से भारत को 42 बिलियन डॉलर के विनिर्माण निर्यात और ऊर्जा निर्यात (जैसे तरलीकृत प्राकृतिक गैस, कच्चा तेल और कोयला) पर भारत प्रतिक्रिया में जवाबी कार्रवाई कर सकता है। भारतीय अधिकारियों ने कहा है कि वे अमेरिका को चीन के मुकाबले एक महत्वपूर्ण रणनीतिक साझेदार मानते हैं, लेकिन उन्हें कृषि, डेटा गवर्नेंस और सरकारी सब्सिडी पर अपनी नीतियों को बनाए रखने की जरूरत है।

भारत के साथ व्यापार वार्ता को लेकर निराश हैं ट्रंप : बेसेंट


अमेरिका के वित्त मंत्री स्काट बेसेंट ने गुरुवार को कहा कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और उनकी व्यापार टीम भारत के साथ व्यापार वार्ता को लेकर निराश है। उनकी यह टिप्पणी ट्रंप द्वारा एक अगस्त से भारत से आयात पर 25 प्रतिशत टैरिफ लगाने की घोषणा के एक दिन बाद आई है।


बेसेंट ने सीएनबीसी को दिए एक साक्षात्कार में कहा, मुझे नहीं पता कि क्या होगा। यह भारत पर निर्भर करेगा। भारत बातचीत की मेज पर जल्दी आ गया था। वह धीरे-धीरे आगे बढ़ रहा है। इसलिए मुझे लगता है कि राष्ट्रपति और पूरी व्यापार टीम उनसे निराश हो गई है।

भारत प्रतिबंधित रूसी तेल का एक बड़ा खरीदार


एएनआइ के अनुसार, बेसेंट ने रूस के साथ भारत के ऊर्जा संबंधों पर भी बात की। उन्होंने कहा, भारत प्रतिबंधित रूसी तेल का एक बड़ा खरीदार रहा है, जिसे वह परिष्कृत उत्पादों के रूप में बेचता है। वह कोई बड़ा वैश्विक खिलाड़ी नहीं रहा है।
'मोहन भागवत को भी फंसाने की साजिश थी', मालेगांव विस्फोट मामले में ATS का हिस्सा रहे अधिकारी ने कोर्ट में किया दावा

'मोहन भागवत को भी फंसाने की साजिश थी', मालेगांव विस्फोट मामले में ATS का हिस्सा रहे अधिकारी ने कोर्ट में किया दावा

 'मोहन भागवत को भी फंसाने की साजिश थी', मालेगांव विस्फोट मामले में ATS का हिस्सा रहे अधिकारी ने कोर्ट में किया दावा


मालेगांव विस्फोट कांड की जांच करने वाली एटीएस टीम के सदस्य रहे महबूब मुजावर ने एनआइए कोर्ट में कहा कि उन्हें ऐसे काम करने को कहा गया जिनका मालेगांव कांड से कोई संबंध नहीं था। उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के तत्कालीन सरसंघचालक मोहन भागवत को गिरफ्तार करने का आदेश दिया गया था।


मालेगांव मामले में मोहन भागवत को भी फंसाने की साजिश थी: महबूब मुजावर


 मालेगांव विस्फोट कांड की जांच करने वाली एटीएस टीम का हिस्सा रहे वरिष्ठ पुलिस अधिकारी महबूब मुजावर ने एनआइए कोर्ट को बताया है कि उन्हें उस टीम में रहते हुए कुछ ऐसे काम करने को कहा गया, जिनका मालेगांव कांड से कोई वास्ता ही नहीं था।


ऐसे ही कामों में से एक था- तब राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के नए-नए सरसंघचालक बने मोहन भागवत को गिरफ्तार करना। कोर्ट के फैसले की विस्तृत प्रति सामने आने पर ही पता चलेगा कि कोर्ट ने उनके दावों पर क्या टिप्पणियां की हैं।


'मामले की जांच गलत दिशा में मोड़ दी गई'

गुरुवार को आए फैसले पर खुशी जताते हुए महबूब मुजावर बताते हैं कि इस मामले की पूरी जांच ही फर्जी थी। उनके अनुसार, सोलापुर में कुछ साहसिक अभियानों का नेतृत्व करने के कारण उन्हें 'कवरिंग पार्टी' के रूप में एटीएस की उस 10 सदस्यीय टीम का हिस्सा बनाया गया था, जो मालेगांव विस्फोट कांड की जांच कर रही थी। वह कहते हैं कि मालेगांव में विस्फोट तो हुआ, लेकिन उसकी जांच गलत दिशा में मोड़ दी गई।


आरोपियों को पहले ही उतारा मौते के घाट: महबूब मुजावर

उन्होंने इस बात के तथ्य अदालत में पेश किए हैं कि जिन दो आरोपितों रामजी कालसंगरा एवं संदीप डांगे को एटीएस भगोड़ा बताकर ढूंढने का नाटक करती रही, उन्हें तो पुलिस पहले ही मार चुकी थी। इसके अलावा एक तीसरे व्यक्ति दिलीप पाटीदार को भी पुलिस खत्म कर चुकी है, जिसे कभी इस मामले में आरोपित बनाया ही नहीं गया।


मुजावर कहते हैं कि रामजी कालसंगरा और संदीप डांगे की जगह साध्वी प्रज्ञा ठाकुर और लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित (अब सेवानिवृत्त) का नाम आरोपित के रूप में शामिल कर एक फर्जी जांच शुरू की गई। वह एटीएस के तत्कालीन उपप्रमुख परमबीर ¨सह की ओर इशारा करते हुए कहते हैं कि एक 'गलत व्यक्ति' के द्वारा की गई 'गलत जांच' का परिणाम आज सामने आ गया है।


इसी कड़ी में मुजावर कहते हैं कि उन्हें इसी मामले में उनके अधिकारियों ने संघ प्रमुख मोहन भागवत तो गिरफ्तार करने का आदेश दिया था। न मानने पर मुझे ही निलंबित कर कुछ झूठे मामलों में फंसा दिया गया।

उन्होंने आगे कहा कि अपने मामले की जांच के दौरान ही उन्होंने मालेगांव कांड में चल रही फर्जी जांच के दस्तावेज एनआइए कोर्ट को सौंप दिए थे। अब उन्हें इंतजार है कोर्ट द्वारा उनके दस्तावेजों पर की गई टिप्पणी का।
अमेरिका के साथ भारत ने 'रेड लाइन' की तय, ट्रंप के सामने नहीं झुकेगा नया हिंदुस्तान! केंद्रीय मंत्री ने कर दिया साफ

अमेरिका के साथ भारत ने 'रेड लाइन' की तय, ट्रंप के सामने नहीं झुकेगा नया हिंदुस्तान! केंद्रीय मंत्री ने कर दिया साफ

 अमेरिका के साथ भारत ने 'रेड लाइन' की तय, ट्रंप के सामने नहीं झुकेगा नया हिंदुस्तान! केंद्रीय मंत्री ने कर दिया साफ


पिछले 48 घंटों में मोदी सरकार को राजनीतिक और कूटनीतिक चुनौतियों का सामना करना पड़ा। अमेरिका के राष्ट्रपति ट्रंप के फैसले और विपक्ष के आरोपों के बावजूद भारत ने स्पष्ट किया है कि वह अपने किसानों छोटे कारोबारियों और राष्ट्रीय हित से समझौता नहीं करेगा। प्रधानमंत्री मोदी ने यह भी साफ किया कि किसी भी विदेशी नेता ने भारत के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप नहीं किया।

मोदी सरकार का सख्त रुख (फाइल फोटो)

 पिछले 48 घंटों में मोदी सरकार के सामने कई बड़े राजनीतिक और कूटनीतिक मोर्चे सामने आए। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने फैसले से भारत को घेरने की कोशिश की, जबकि विपक्ष इसे 'झुकने' के तौर पर पेश किया।


हालांकि, भारत ने साफ कर दिया है कि वह न तो अपने किसानों न छोटे कारोबारियों और न ही राष्ट्रीय हित से कोई समझौता करेगा। बता दें, हाल ही में ट्रंप ने दावा किया था कि उन्होंने भारत और पाकिस्तान के बीच सीजफायर कराया था।


पीएम मोदी का साफ संदेश

ट्रंप के इस बयान के बाद विपक्ष ने केंद्र की मोदी सरकार पर निशाना साधा था और कहा था कि सत्ता पक्ष अमेरिका के दबाव में झुक गया। लेकिन, भारत ने इसे खारिज कर दिया और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साफ कहा कि किसी भी विदेशी नेता ने भारत की कार्रवाई में हस्तक्षेप नहीं किया।


भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भी कहा कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान ट्रंप और पीएम मोदी के बीच कोई बातचीत नहीं हुई थी। इस पूरे विवाद के बीच मोदी सरकार ने ट्रंप के व्यापारिक दबावों को भी ठुकरा दिया है।



अमेरिका को भारत का जवाब

ट्रंप ने ट्रुथ सोशल पर कहा था कि कई देश अमेरिका को टैरिफ में छूट देकर अमेरिका को खुश कर रहे हैं, लेकिन भारत उन देशों में नहीं है। इसके जवाब में केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि भारत अपने किसानों, डेयरी सेक्टर और छोटे कारोबारियों के हित से कोई समझौता नहीं करेगा। भारत ने बातचीत में अपनी ‘रेड लाइन’ तय की थी और उसी पर अडिग है।

किसे मिलेगी राहत?

सरकार का यह सख्त कदम राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) से जुड़े संगठनों को भी राहत देगा। इन संगठनों में भारतीय किसान संघ (BKS), स्वदेशी जागरण मंच (SJM) और छोटे व्यापारियों के संगठन शामिल हैं।
 अनिल अंबानी को ED ने पूछताछ के लिए भेजा समन, 17 हजार करोड़ के लोन फ्रॉड से जुड़ा है मामला

अनिल अंबानी को ED ने पूछताछ के लिए भेजा समन, 17 हजार करोड़ के लोन फ्रॉड से जुड़ा है मामला

 अनिल अंबानी को ED ने पूछताछ के लिए भेजा समन, 17 हजार करोड़ के लोन फ्रॉड से जुड़ा है मामला


रिलायंस समूह के चेयरमैन अनिल अंबानी को प्रवर्तन निदेशालय ने कथित ₹17000 करोड़ के लोन फ्रॉड केस की चल रही जांच के सिलसिले में पूछताछ के लिए तलब किया है। अनिल अंबानी को आगामी 5 अगस्त को ईडी के सामने पेश होना होगा जहां उनसे इस केस से जुड़े मामले में पूछताछ की जाएगी।

ईडी ने अनिल अंबानी को 5 अगस्त को पूछताछ के लिए बुलाया। (फाइल फोटो)

 रिलायंस समूह के चेयरमैन अनिल अंबानी को प्रवर्तन निदेशालय ने कथित ₹17,000 करोड़ के लोन फ्रॉड केस की चल रही जांच के सिलसिले में पूछताछ के लिए तलब किया है।

अनिल अंबानी को आगामी 5 अगस्त को ईडी के सामने पेश होना होगा, जहां उनसे इस केस से जुड़े मामले में पूछताछ की जाएगी। जानकारी के अनुसार, अंबानी को दिल्ली स्थित ईडी मुख्यालय में पेश होने के लिए कहा गया है।
'मुझे आतंकी बना दिया...', मालेगांव ब्लास्ट केस में बरी होने के बाद और क्या बोलीं साध्वी प्रज्ञा?

'मुझे आतंकी बना दिया...', मालेगांव ब्लास्ट केस में बरी होने के बाद और क्या बोलीं साध्वी प्रज्ञा?

'मुझे आतंकी बना दिया...', मालेगांव ब्लास्ट केस में बरी होने के बाद और क्या बोलीं साध्वी प्रज्ञा?

महाराष्ट्र के मालेगांव विस्फोट मामले में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) की विशेष अदालत ने 17 साल बाद फैसला सुनाया। अदालत ने पूर्व सांसद साध्वी प्रज्ञा ठाकुर और लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित सहित मुख्य आरोपियों को बरी कर दिया है। फैसले के बाद साध्वी प्रज्ञा ने कहा कि उन्हें अपमानित किया गया आतंकी बनाया गया और उनका जीवन बर्बाद कर दिया गया।

मालेगांव ब्लास्ट केस में बरी होने के बाद साध्वी प्रज्ञा का पहला रिएक्शन (फाइल फोटो)

 महाराष्ट्र के मालेगांव शहर में हुए एक घातक विस्फोट मामले में राष्ट्रीय जांच एजेंसी की एक विशेष अदालत 17 साल बाद आखिरकार 31 जुलाई यानी आज अपना फैसला सुना दिया।

NIA की विशेष अदालत ने पूर्व सांसद साध्वी प्रज्ञा ठाकुर और लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित (सेवानिवृत्त) सहित इस मामले के सभी सात मुख्य आरोपियों को बरी कर दिया है। कोर्ट के इस फैसले के बाद पूर्व सांसद साध्वी प्रज्ञा ठाकुर का बयान सामने आया है। आइए आपको बताते हैं उन्होंने क्या कहा…



'मेरा जीवन बर्बाद कर दिया'

एनआईए की विशेष अदालत के फैसले के बाद पूर्व सांसद साध्वी प्रज्ञा का बयान सामने आया है। मालेगांव ब्लास्ट केस में बरी होने के बाद उन्होंने कहा कि मेरा जीवन बर्बाद कर दिया, मुझे अपमानित किया, आतंकी बना दिया।


वहीं, एनआईए कोर्ट में जज को संबोधित करते हुए सांधवी प्रज्ञा सिंह ने कि मैंने शुरू से ही कहा है कि जिन्हें भी जांच के लिए बुलाया जाता है, उसके पीछे कोई आधार होना चाहिए। मुझे जांच के लिए बुलाया गया और गिरफ्तार कर लिया गया और प्रताड़ित किया गया। इससे मेरा पूरा जीवन बर्बाद हो गया। मैं एक साधु का जीवन जी रही थी, लेकिन मुझे फंसा दिया गया और मुझ पर आरोप लगा दिया गया, और कोई भी स्वेच्छा से हमारे साथ खड़ा नहीं हुआ।



मैं इसलिए जिंदा हूं क्योंकि...

मालेगांव मामले में फैसला आने के बाद पूर्व बीजेपी सांसद साध्वी प्रज्ञा ने कहा कि मैं जीवित हूं क्योंकि मैं एक संन्यासी हूं। उन्होंने एक षड्यंत्र के तहत भगवा को बदनाम किया। आज भगवा की जीत हुई है, हिंदुत्व की जीत हुई है, और जो दोषी हैं उन्हें भगवान सजा देंगे। हालांकि, जिन्होंने भारत और भगवा को बदनाम किया, वे आपके द्वारा गलत साबित नहीं हुए हैं।



मामले में फंसाया गया: पुरोहित

वहीं, इस मामले में आरोपी रहे लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित ने कहा कि उन्हें इस मामले में फंसाया गया है और उन्होंने कहा कि वह पहले की तरह और उसी जोश के साथ देश की सेवा करते रहेंगे।


आगे कहा कि कोई भी जांच एजेंसी गलत नहीं होती है। उन्होंने कहा कि इन एजेंसियों में काम करने वाले लोग ही गलत होते हैं। यह देश महान है। हमें ध्यान रखना चाहिए कि गलत लोग न उठें और हम जैसे लोगों को तकलीफ न पहुंचाएं।
2008 में ब्लास्ट... 17 साल बाद साध्वी प्रज्ञा समेत सभी सात आरोपी बरी, मालेगांव विस्फोट मामले की ये है पूरी टाइमलाइन

2008 में ब्लास्ट... 17 साल बाद साध्वी प्रज्ञा समेत सभी सात आरोपी बरी, मालेगांव विस्फोट मामले की ये है पूरी टाइमलाइन

 2008 में ब्लास्ट... 17 साल बाद साध्वी प्रज्ञा समेत सभी सात आरोपी बरी, मालेगांव विस्फोट मामले की ये है पूरी टाइमलाइन


Malegaon Blast Case 2008 के मालेगांव बम ब्लास्ट मामले में एनआईए की विशेष अदालत ने सभी सात आरोपियों को बरी कर दिया है। अदालत ने कहा कि अभियोजन पक्ष यह साबित नहीं कर पाया कि विस्फोट में इस्तेमाल मोटरसाइकिल आरोपियों की थी। अदालत ने मेडिकल सर्टिफिकेट में हेराफेरी की बात भी कही। इस ब्लास्ट में छह लोगों की जान गई थी और 100 से अधिक घायल हुए थे।


मालेगांव विस्फोट मामले की ये है पूरी टाइमलाइन। (फाइल फोटो)

 Malegaon Blast Case Verdict: साल 2008 में महाराष्ट्र के मालेगांव में हुए बम ब्लास्ट मामले में आज (31 जुलाई) को फैसला आ गया। इस मामले में एनआईए की विशेष अदालत ने फैसला देते हुए सभी सात आरोपियों को बरी कर दिया है।
दरअसल, फैसला पढ़ते हुए विशेष अदालत के जज ने कहा कि अभियोजन पक्ष ने यह तो साबित कर दिया कि मालेगांव में विस्फोट हुआ था, लेकिन यह साबित नहीं कर पाया कि उस मोटरसाइकिल में बम रखा गया था। अदालत इस नतीजे पर पहुंची है कि घायलों की उम्र 101 नहीं, बल्कि 95 साल थी और कुछ मेडिकल सर्टिफिकेट में हेराफेरी की गई थी।


साल 2011 में NIA ने शुरू की थी जांच

जानकारी दें कि 2011 में यह मामला राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) को सौंप दिया गया। राष्ट्रीय जांच एजेंसी इसके बाद मामले की जांच शुरू की। एनआईए की जांच के दौरान सात अभियुक्तों के खिलाफ औपचारिक रूप से आरोप तय होने के बाद साल 2018 में मुकदमा शुरू किया हुआ।

कहां हुआ था ब्लास्ट?

गौरतलब है कि 29 सितंबर, 2008 की रात में मालेगांव के भिक्कू चौक के पास एक जोरदार धमाका हुआ। इस बम ब्लास्ट में छह लोग मारे गए थे। इसके साथ ही 100 से अधिक लोग घायल हुए थे।




जांच में सामने आया कि एक बिजी चौराहे के पास एक मोटरसाइकिल पर लगा बम फटा था। इसके बाद पूरे इलाके में अफरा-तफरी फैल गई थी। बता दें कि मालेगांव ब्लास्ट का मामला हाल के दिनों में सबसे जटिल और राजनीतिक रूप से संवेदनशील आतंकवादी मुकदमों में से एक रहा है।

पूर्व BJP सांसद साध्वी प्रज्ञा समेत कई नाम आए थे सामने

मालेगांव ब्लास्ट मामले की जांच शुरुआत में महाराष्ट्र आतंकवाद निरोधक दस्ते (ATS) ने की। इस मामले में तुल उस वक्त पकड़ा, जब जांच के दौरान हिंदू दक्षिणपंथी समूहों से जुड़े लोगों की गिरफ्तारी की गई। इसी दौरान भगवा आतंकवाद नाम का मुहावरा सामने आया।




इस ब्लास्ट मामले में गिरफ्तार लोगों में बीजेपी की दिग्गज नेता और पूर्व सांसद साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर और पूर्व सैन्य अधिकारी लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद श्रीकांत पुरोहित भी शामिल रहे। हालांकि, आज कोर्ट ने इस मामले के सभी सात आरोपियों को बरी कर दिया है।

जानिए मालेगांव ब्लास्ट का पूरा टाइमलाइन29 सितंबर, 2008 को मालेगांव में हुए विस्फोट में मारे गए छह लोग और 100 से अधिक लोग घायल हुए।
अक्टूबर 2008 में एटीएस ने इस मामले में साध्वी प्रज्ञा को गिरफ्तार किया गया। इसके बाद मामले में पुरोहित को भी गिरफ्तार किया गया।
जनवरी 2009 में महाराष्ट्र एटीएस द्वारा इस मामले में पहला आरोपपत्र दायर किया गया था।
इसके बाद अप्रैल 2022 में इस मामले की जांच NIA को सौंपी गई।
साल 2016 में एनआईए ने पूरक आरोपत्र दाखिल किया। हालांकि, कुछ आरोप हटाए गए लेकिन प्रमुख आतंकवाद संबंधी आरोप बरकरार रहे।
साल 2018 में सात आरोपियों के खिलाफ औपचारिक रूप से आरोप तय किए गए।
इस मामले में साल 2018-2023 अभियोजन पक्ष ने 323 गवाहों से पूछताछ की। हालांकि, 40 गवाह अपने गवाह से पलट गए।
अप्रैल 2025 में इस मामले में अंतिम बहस पूरी हुई और फैसला सुरक्षित रखा गया।
31 जुलाई 2025 को इस मामले में NIA की स्पेशल कोर्ट ने फैसला सुनाया। जिसमें साध्वी प्रज्ञा समेत सभी आरोपियों को बरी कर दिया गाया।
'सोनिया, चिदंबरम माफी मांगें...', Malegaon Blast Case में फैसले के बाद बोली भाजपा, ओवैसी बोले- फिर 6 लोगों को किसने मारा

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Malegaon Blast Case मालेगांव ब्लास्ट केस में एनआईए कोर्ट ने सबूतों के अभाव में सभी आरोपियों को बरी कर दिया। कोर्ट ने कहा कि अभियोजन पक्ष धमाके की बात तो साबित कर पाया लेकिन यह सिद्ध नहीं कर सका कि मोटरसाइकिल में बम रखा गया था। अमित मालवीय ने कांग्रेस पर वोटबैंक की राजनीति के लिए भगवा आतंकवाद का झूठा नैरेटिव गढ़ने का आरोप लगाया।

अदालत के फैसले के बाद भाजपा का बयान आया है।


 मालेगांव ब्लास्ट केस में NIA की विशेष अदालत ने सबूतों के अभाव में सभी आरोपियों को बरी कर दिया है।

कोर्ट ने यह भी साफ किया कि अभियोजन पक्ष धमाके की बात तो साबित कर पाया, लेकिन यह सिद्ध नहीं कर सका कि मोटरसाइकिल में बम रखा गया था।

अदालत के फैसले के बाद भाजपा आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने एक्स पर लिखा, "हिंदू कभी आतंकी नहीं हो सकता। कांग्रेस ने सिर्फ वोटबैंक की राजनीति के लिए भगवा आतंकवाद का झूठा नैरेटिव गढ़ा और निर्दोषों पर फर्जी केस थोपे।"


उन्होंने आगे लिखा, "साफ है कांग्रेस ने एक साजिश रची थी। सोनिया गांधी, पी. चिदंबरम और सुशीलकुमार शिंदे जैसे नेताओं को सनातन धर्म को बदनाम करने के लिए हिंदुओं से माफी मांगनी चाहिए। सनातन धर्म पवित्र है। हिंदू आतंकवादी नहीं हो सकता। गर्व से कहो हम हिंदू हैं।"



'छह लोगों को किसने मारा?'

वहीं ऑल इंडिया इत्तेहादुल मुस्लमीन के प्रमुख और हैदराबाद से सासंद असदुद्दीन ओवैसी ने एक्स पर एक पोस्ट लिख कर कहा, "मालेगांव विस्फोट मामले का फैसला निराशाजनक है। विस्फोट में छह नमाजी मारे गए और लगभग 100 घायल हुए। उन्हें उनके धर्म के कारण निशाना बनाया गया। जानबूझकर की गई घटिया जांच/अभियोजन पक्ष ही बरी होने के लिए जिम्मेदार है।"


ओवैसी ने आगे लिखा, "विस्फोट के 17 साल बाद, अदालत ने सबूतों के अभाव में सभी आरोपियों को बरी कर दिया है। क्या मोदी और फडणवीस सरकारें इस फैसले के खिलाफ अपील करेंगी, जिस तरह उन्होंने मुंबई ट्रेन विस्फोटों में आरोपियों को बरी करने पर रोक लगाने की मांग की थी? क्या महाराष्ट्र के "धर्मनिरपेक्ष" राजनीतिक दल जवाबदेही की मांग करेंगे? उन छह लोगों की हत्या किसने की?"

औवेसी ने लिखा, "करकरे ने मालेगांव में हुई साजिश का पर्दाफ़ाश किया था और दुर्भाग्य से 26/11 के हमलों में पाकिस्तानी आतंकवादियों द्वारा मारे गए। भाजपा सांसद ने सार्वजनिक रूप से कहा कि उन्होंने करकरे को श्राप दिया था और उनकी मृत्यु उसी श्राप का परिणाम थी। क्या एनआईए/एटीएस अधिकारियों को उनकी दोषपूर्ण जांच के लिए जवाबदेह ठहराया जाएगा? मुझे लगता है कि हम इसका उत्तर जानते हैं। यह "आतंकवाद के विरुद्ध कठोर" मोदी सरकार है। दुनिया याद रखेगी कि इसने एक आतंकवाद के आरोपी को सांसद बनाया।"
'भारत और रूस अपनी इकोनॉमी डुबा लें...मुझे फर्क नहीं पड़ता', ट्रेड डील पर भारत अडिग तो तीखी बयानबाजी पर उतरे ट्रंप

'भारत और रूस अपनी इकोनॉमी डुबा लें...मुझे फर्क नहीं पड़ता', ट्रेड डील पर भारत अडिग तो तीखी बयानबाजी पर उतरे ट्रंप

 'भारत और रूस अपनी इकोनॉमी डुबा लें...मुझे फर्क नहीं पड़ता', ट्रेड डील पर भारत अडिग तो तीखी बयानबाजी पर उतरे ट्रंप


डोनाल्ड ट्रंप ने भारतीय आयात पर शुल्क लगाने की घोषणा के बाद भारत-रूस संबंधों पर आपत्तिजनक टिप्पणियां की हैं। उन्होंने पाकिस्तान के साथ कारोबारी समझौते का दम भरा है और अमेरिकी तेल को भारत को बेचने की बात कही है। ट्रंप ने भारतीय अर्थव्यवस्था के डूबने की भविष्यवाणी की है जबकि भारत की अर्थव्यवस्था तेजी से बढ़ रही है। भारत सरकार ने इस पर कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है।

ट्रंप ने भारत के खिलाफ पाकिस्तान कार्ड खेलने के संकेत भी दिये हैं। (फाइल फोटो)

 भारतीय आयात पर एक अगस्त, 2025 से 25 फीसद का शुल्क और इसके साथ पेनाल्टी देने की घोषणा के बाद भी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप चुप्प नहीं बैठे हैं बल्कि पिछले 24 घंटों में भारत व रूस के संबंधों को लेकर भारतीय इकोनॉमी ना सिर्फ बेहद आपत्तिजनक टिप्पणियां की हैं बल्कि भारत के खिलाफ पाकिस्तान कार्ड खेलने के संकेत भी दिये हैं।


ट्रंप ने पाकिस्तान के साथ कारोबारी समझौता करने का दम भरा है और वहां अमेरिकी तेल फील्डों से निकाले गेय तेल को भारत को बेचने की बात कही है।


भारत सरकार की तरफ से ट्रंप की तरफ से एक के बाद एक की गई इन टिप्पणियों को लेकर कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है लेकिन जानकारों का कहना है कि ट्रेड समझौते पर भारत ने जिस तरह से अमेरिकी दबाव में झुकने से साफ इनकार कर दिया है, इससे राष्ट्रपति ट्रंप खुश नहीं है। उनका बयान इसी का नतीजा है।


'पाकिस्तान में तेल भंडारों को विकसित करेंगे'

राष्ट्रपति ट्रंप ने सोशल मीडिया पर जानकारी दी है कि, "हमने पाकिस्तान के साथ समझौते को अंतिम रूप दे दिया है, जहां पाकिस्तान और अमेरिका बड़े तेल भंडारों को विकसित करेंगे। हम उस तेल कंपनी का चयन करने जा रहे हैं जो इस साझेदारी का नेतृत्व करेगी। कौन जानता है कि, वह एक दिन भारत को भी तेल की बिक्री करने लगे।"


भारत और पाकिस्तान के बीच अभी किसी तरह का कारोबार नहीं होता, भारत का शीर्ष नेतृत्व लगातार पाक पोषित आतंकवादी गतिविधियों का मुद्दा उठा रहा है, इस बारे में पूरी जानकारी के बावजूद राष्ट्रपति ट्रंप ने साफ कर दिया है कि वह पाकिस्तान के साथ संबंधों को आगे बढ़ाएंगे।

बहरहाल, उनकी इस घोषणा के कुछ ही देर बाद वाशिंगटन स्थित पाकिस्तानी दूतावास की तरफ से यह बयान जारी किया गया है कि, "बुधवार को वित्त मंत्री मुहम्मद औरंगजेब और अमेरिका के वाणिज्य सचिव हावर्ड लुटनिक, यूएसए के कारोबार प्रतिनिधि राजदूत जैमिसन ग्रीयर के बीच हुई बैठक में कारोबारी समझौते को अंतिम रुप दिया गया। यह समझौता दोनों देशों के बीच कारोबारी संबंधों के नये दौर की शुरुआत है। इससे पाकिस्तान के इंफ्रास्ट्रक्चर व विकास परियोजनाओं में अमेरिकी निवेश बढ़ेगा। दोनों देश आपसी कारोबारी संबंधों को बढ़ाने को लेकर प्रतिबद्ध है।"



भारत के इकोनॉमी को लेकर ट्रंप का बड़बोलापन

भारतीय सरकार को असहज करने के लिए ट्रंप की बयानबाजी यहीं खत्म नहीं हुई। इसके कुछ ही देर बाद सोशल मीडिया साइट ट्रुथ सोशल पर भारतीय इकोनोमी के डूब जाने की भविष्यवाणी कर दी।

ट्रंप ने लिखा कि, "मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता कि भारत रूस के साथ क्या करता है। वो अपनी मृत अर्थव्यवस्था को एक साथ डूबा सकते है, मुझे इसकी कोई चिंता नहीं। हमने भारत के साथ बहुत ही कम कारोबार किया है। उनकी टैरिफ (सीमा शुल्क) बहुत ज्यादा है। इसी तरह से रूस और अमेरिका के बीच कोई कारोबार नहीं होता। इसे इसी तरह से रहने दिया जाए।"


इस टिप्पणी की भाषा निश्चित तौर पर वैसी ही है जैसी राष्ट्रपति ट्रंप की होती है लेकिन इससे साफ है कि वह भारत के साथ कारोबारी व रणनीतिक संबंधों का कोई लिहाज नहीं कर रहे।
भारत की अर्थव्यवस्था अभी दुनिया के प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में सबसे तेजी से बढ़ने वाली इकोनॉमी है। विश्व बैंक, आइएमएफ, संयुक्त राष्ट्र, एडीबी समेत दुनिया की तमाम एजेंसियां वर्ष 2025-26 में भारत की आर्थिक विकास दर के 6.4 से 6.8 फीसद के बीच रहने का अनुमान लगा रही हैं।

500 अरब डॉलर का लक्ष्य को हासिल करने पर जोर

यही नहीं भारत और अमेरिका के बीच द्विपक्षीय कारोबार भारत व रूस के द्विपक्षीय कारोबार से दोगुना से भी ज्यादा है। भारत और रूस के बीच कारोबार में सिर्फ एनर्जी व रक्षा ऊपकरण शामिल है जबकि भारत व अमेरिका का कारोबार काफी व्यापक है। अमेरिका और भारत के बीच वैश्विक सप्लाई चेन में चीन पर निर्भरता खत्म करने के लिए बात हो रही है।

दोनों देशों के बीच मौजूदा द्विपक्षीय कारोबार 140 अरब डॉलर को 500 अरब डॉलर करने के लक्ष्य पर बात हो रही है। फरवरी, 2025 में वाशिंगटन में राष्ट्रपति ट्रंप और पीएम नरेन्द्र मोदी ने संयुक्त तौर पर द्विपक्षीय कारोबारी समझौता (बीआइटी) वर्ष 2025 में ही करने का ऐलान किया था। यह बताता है कि ट्रंप की टिप्पणी सच्चाई से भिन्न है।
खेत में एक दूसरे से लिपटी मिली चाचा-भतीजा की लाश, लोगों को खड़े हुए रोंगटे; बाढ़ ने छीन ली दो जिंदगियां

खेत में एक दूसरे से लिपटी मिली चाचा-भतीजा की लाश, लोगों को खड़े हुए रोंगटे; बाढ़ ने छीन ली दो जिंदगियां

 खेत में एक दूसरे से लिपटी मिली चाचा-भतीजा की लाश, लोगों को खड़े हुए रोंगटे; बाढ़ ने छीन ली दो जिंदगियां


मध्य प्रदेश में भारी बारिश से नदियों में उफान है। पार्वती नदी में बाढ़ आने से 10 वर्षीय शिवम यादव और राजू यादव की डूबने से मौत हो गई। चाचा-भतीजा खेत में पाइप बचाने गए थे तभी वे बाढ़ की चपेट में आ गए। पानी कम होने पर दोनों के शव एक दूसरे से लिपटे हुए खेत में मिले।


खेत में एक दूसरे से लिपटी मिली चाचा-भतीजा की लाश। (फोटो- जेएनएन)


 मध्य प्रदेश में इस समय बारिश का तांडव देखने को मिल रहा है। लगातार भारी बारिश के कारण नदियों का जलस्तर खतरे के निशान से ऊपर बह रहा है। बारिश के कारण पार्वती नदी में भी उफान है। नदी का पानी आसपास के खेतों में भर रहा है। इस बीच एक ऐसा दृश्य सामने आया है, जो लोगों को दंग कर रहा है।


दरअसल, नदी में बढ़े जलस्तर के कारण आसपास के क्षेत्रों में बाढ़ आ गई। इस बाढ़ में 10 वर्षीय शिवम यादव,राजू यादव बह गए। नदी का पानी जब कम हुआ है, उस समय उनकी लाश मिली है। बता दें कि चाचा भतीजे की एक दूसरे से लिपटी हुई लाश खेत में पड़ी हुई नजर आई।


एक दूसरे से लिपटी मिली चाचा भतीजे की लाश

जानकारी दें कि पार्वती नदी का पानी उतरा तो आमलदा से एक मार्मिक तस्वीर सामने आई। बता दें कि 10 वर्षीय शिवम यादव,राजू यादव के पार्वती नदी में आई बाढ़ में बह जाने से मृत्यु हो गई। दोनों कल खेत में डले हुए पाइपों को हटाने गए थे।


बताया जाता है कि पार्वती नदी का पानी खेतों में आ गया था, पाइपों के बहने का खतरा था। इसी दौरान हादसे का शिकार तो गए। कल शाम को पुलिस को भी सूचना दी गई, देर शाम तक खोज भी हुई थी।

आज सुबह मिली लाश

तमाम खोजबीन के बाद आज सुबह के करीब 6-7 बजे जब पार्वती नदी का जलस्तर कम हुआ तो उसी खेत में एक दूसरे से लिपटे हुए शव मिले, जिस खेत से पाइप हटाने गए थे।
पत्नी ने तलाक के लिए लगाए कई आरोप, शख्स ने बिना पैसे और वकील के यूं दिया Divorce

पत्नी ने तलाक के लिए लगाए कई आरोप, शख्स ने बिना पैसे और वकील के यूं दिया Divorce

 पत्नी ने तलाक के लिए लगाए कई आरोप, शख्स ने बिना पैसे और वकील के यूं दिया Divorce


सोशल मीडिया पर एक व्यक्ति की कहानी वायरल हो रही है जिसने बिना वकील के अपनी पत्नी द्वारा दायर मुकदमे जीते। व्यक्ति ने कानून की पढ़ाई की और अदालत में अपना केस खुद लड़ा। पत्नी ने धारा 498ए घरेलू हिंसा और सीआरपीसी 125 के तहत आरोप लगाए थे। मुकदमे में पत्नी ने 70 लाख रुपये की मांग की थी लेकिन व्यक्ति ने उसे सिर्फ एक लाख रुपये दिए।

आरोप में धारा 498ए, घरेलू हिंसा और सीआरपीसी 125 (गुजारा भत्ता दावा) के तहत मुकदमा दर्ज किया गया था।

 सोशल मीडिया पर एक शख्स की कहानी अब चर्चा का विषय बन चुकी है। दरअसल एक शख्स ने बिना वकील की मदद लिए अपनी पत्नी द्वारा दायर कई कानूनी मुकदमों को न सिर्फ लड़ा, बल्कि जीत भी हासिल की। इसके लिए शख्स ने कानूनी पढ़ाई की और फिर अदालत में अपना केस खुद से लड़ा।


रेडिट पर वायरल एक पोस्ट के मुताबिक, इस शख्स ने खुद को अदालत में ‘पार्टी-इन-पर्सन’ के तौर पर पेश किया और अपनी हिम्मत और कानूनी समझ से सबको चौंका दिया। पोस्ट में बताया गया कि शख्स और उसके माता-पिता पर पत्नी ने तीन गंभीर आरोप लगाए थे।


आरोप में धारा 498ए (पति या रिश्तेदारों द्वारा क्रूरता), घरेलू हिंसा, और सीआरपीसी 125 (गुजारा भत्ता दावा) के तहत मुकदमा दर्ज किया गया था, लेकिन इस शख्स ने वकील की फीस बचाने और खुद पर भरोसा रखते हुए कानून की किताबें खंगालीं और अपने दम पर केस लड़ा।

‘सत्तर लाख से एक लाख तक का सफर’

एक रेडिट यूजर ने इस कहानी को साझा करते हुए लिखा, "तलाक, जीरो हर्जाना, जीरो गुजारा भत्ता।" पोस्ट के मुताबिक, शख्स ने घरेलू हिंसा और सीआरपीसी 125 के मुकदमे रद करवा दिए और पत्नी को एक पाई भी गुजारा भत्ता नहीं मिला।


शुरुआत में पत्नी ने 70 लाख रुपये की मोटी रकम मांगी थी। ये रकम एक साल में घटकर 35 लाख हो गई, लेकिन शख्स ने सिर्फ एक लाख रुपये की पेशकश की। तीन साल की लंबी लड़ाई के बाद, पत्नी के वकीलों ने खुद संपर्क किया और आपसी सहमति से तलाक (MCD) के लिए तैयार हो गए।


'सोशल मीडिया पर तारीफों का तांता'

12 जुलाई 2025 को शेयर की गई इस पोस्ट को 9,000 से ज़्यादा लाइक्स मिले और सैकड़ों कमेंट्स आए। रेडिट यूजर्स ने इस शख्स की हिम्मत और कानूनी समझ की जमकर तारीफ की। कई लोगों ने इसे प्रेरणादायक बताया और कहा कि यह कहानी उन लोगों के लिए उम्मीद की किरण है जो बेगुनाह होते हुए भी कानूनी पचड़ों में फंस जाते हैं।


एक यूजर ने तंज कसते हुए कहा, "अब पूर्व पत्नी पर मानहानि का केस ठोक दो।" वहीं,एक दूसरे यूजर ने लिखा, "इसे हर जगह शेयर करो और तथ्यों व कहानी को विस्तार से बताओ ताकि बेगुनाह लोगों को हिम्मत मिले।"
पाकिस्तान को करारा झटका, UNSC की रिपोर्ट में टीआरएफ पर उठाए सवाल; कहा- पहलगाम हमले में लश्कर का भी हाथ...

पाकिस्तान को करारा झटका, UNSC की रिपोर्ट में टीआरएफ पर उठाए सवाल; कहा- पहलगाम हमले में लश्कर का भी हाथ...

पाकिस्तान को करारा झटका, UNSC की रिपोर्ट में टीआरएफ पर उठाए सवाल; कहा- पहलगाम हमले में लश्कर का भी हाथ...

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की रिपोर्ट में पहलगाम आतंकी हमले के दोषी आतंकी संगठन द रेसिस्टेंस फ्रंट (टीआरएफ) की भूमिका का पर्दाफाश किया गया है। रिपोर्ट में पाकिस्तान की ओर इशारा करते हुए कहा गया है कि एक सदस्य ने टीआरएफ के लश्करे-तैयबा (एलईटी) के साथ संबंधों को खारिज किया है। विदेश मंत्रालय के अनुसार यह भारत की एक बड़ी कूटनीतिक जीत है।

UNSC की रिपोर्ट में पहलगाम आतंकी हमले का जिक्र किया गया है और पाकिस्तान की ओर भी इशारा किया है।


 अमेरिका के बाद अब संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की एक रिपोर्ट में भी पहलगाम आतंकी हमला के दोषी आतंकी संगठन द रेसिटेंस फ्रंट (टीआरएफ) की भूमिका का पर्दाफाश किया गया है।

यह पर्दाफाश यूएनएससी की तरफ से आतंकवादी गतिविधियों की निगरानी करने और इस पर लगाम लगाने पर सिफारिश देने के लिए गठित एक मॉनिटरिंग टीम की रिपोर्ट में की गई है।

यह भी उल्लेखनीय है कि उक्त टीम की रिपोर्ट तब आई है जब यूएनएससी का अस्थाई सदस्य पाकिस्तान अभी दुनिया की इस सबसे बड़ी पंचायत की अध्यक्षता कर रहा है।


पाकिस्तान की ओर किया गया इशारा

रिपोर्ट में परोक्ष तौर पर पाकिस्तान की तरफ इशारा करते हुए कहा गया है कि, "यूएनएससी के एक सदस्य ने टीआरएफ के लश्करे-तैयबा (एलईटी) के साथ संबंधों को खारिज किया और कहा है कि एलईटी अब निष्क्रिय है।"


विदेश मंत्रालय के अधिकारियों का कहना है कि यह एक पंक्ति पाकिस्तान के आतंकी चरित्र को सामने लाने के लिए काफी है। इसे भारत की एक बड़ी कूटनीतिक जीत बताया गया है। कुछ दिन पहले अमेरिका के विदेश मंत्रालय ने टीआरएफ को अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी संगठन घोषित किया था।

पहलगाम हमले की तस्वीर किया था प्रकाशित

यूएनएससी 1267 (आइसीआइएस, अल-कायदा) प्रतिबंध समिति की यह रिपोर्ट 21 जुलाई को अंतिम रूप दिया गया है जिसे बुधवार को सार्वजनिक किया गया।

इसमें कहा गया है कि, “22 अप्रैल को, पांच आतंकवादियों ने जम्मू और कश्मीर के पहलगाम में एक पर्यटक स्थल पर हमला किया। इसमें छब्बीस नागरिक मारे गए। उसी दिन द रेसिस्टेंस फ्रंट (टीआरएफ) ने हमले की जिम्मेदारी ली और साथ ही हमले के स्थल की एक तस्वीर प्रकाशित की। अगले दिन जिम्मेदारी का दावा दोहराया गया।

हालांकि, 26 अप्रैल को टीआरएफ ने अपनी जिम्मेदारी के दावे को वापस ले लिया। टीआरएफ की ओर से इसके बाद कोई और संचार नहीं हुआ, और किसी अन्य समूह ने जिम्मेदारी नहीं ली। क्षेत्रीय स्तर पर काफी तनाव है। आतंकवादी समूह इन क्षेत्रीय तनावों का फायदा उठा सकते हैं।

LeT के समर्थन के बिना हमला मुमकिन नहीं

एक सदस्य देश ने कहा कि यह हमला लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) के समर्थन के बिना नहीं हो सकता था और टीआरएफ और एलईटी के बीच संबंध है। एक अन्य सदस्य देश ने कहा कि हमला टीआरएफ ने किया, जो एलईटी के समान है। एक सदस्य देश ने इन विचारों को खारिज करते हुए कहा कि एलईटी अब अस्तित्व में नहीं है।"




उक्त रिपोर्ट में टीआरएफ का उल्लेख सीधे तौर पर पाकिस्तान की कूटनीतिक हार है। यह खास तौर पर तब और जबकि वह यूएनएससी का सदस्य है और जिस महीने वह इस संगठन की अध्यक्षता (जुलाई, 2025) कर रहा है उसी महीने यह रिपोर्ट आई है।


विदेश मंत्रालय के सूत्रों का कहना है कि वर्ष 2019 के बाद पहली बार मोनिटरिंग समिति की रिपोर्ट में पाकिस्तान के आतंकी संगठन का जिक्र किया गया है। इसमें टीआरएफ का नाम आना ज्यादा महत्वपूर्ण है क्योंकि पाकिस्तान के विदेश मंत्री ने अपने देश के संसद में यह बयान दिया था कि पहलगाम हमले के बाद यूएनएससी की तरफ से जारी बयान में टीआरएफ का नाम हटाने में उन्हें सफलता मिली है।




रिपोर्ट में साफ तौर पर कहा गया है कि 22 अप्रैल, 2025 को भारत के पहलगाम में जो हमला हुआ था कि उसकी जिम्मेदारी टीआरएफ ने ली है, भारत ने कई बार यह बात अंतरराष्ट्रीय मंचों पर कही है। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भी यह बात पिछले दिनों संसद में पहलगाम हमले व आपरेशन सिंदूर पर जारी बहस के दौरान लोकसभा में कही थी।

पाकिस्तान के नापाक मंसूबों से उठाया पर्दा

भारत की खुफिया एजेंसियों के सूत्रों का कहना है कि यूएनएससी की रिपोर्ट में टीआरएफ की आड़ में भारत में आतंकी गतिविधियों को बढ़ावा देने की पाकिस्तानी सेना के मंसूबों को सामने ला दिया है।




पाकिस्तान ने काफी सोच समझ कर एलईटी व जैश के जुड़े आतंकियों को मिला कर टीआरएफ या पीपुल एगेंस्ट फासिस्ट फ्रंट जैसे नाम वाले आतंकी संगठनों का गठन कर रहा है। इसका मकसद जम्मू व कश्मीर में आतंकी घटनाओं को स्थानीय रूप देना है। भारत का विदेश मंत्रालय वर्ष 2023 से ही टीआरएफ को लेकर वैश्विक बिरादरी को सतर्क कर रहा है।


मई, 2024 में भारत के अधिकारियों ने यूएनएससी के सभी सदस्यों के समक्ष टीआरएफ की गतिविधियों पर जानकारी दी थी। यूएनएससी के सदस्यों और दूसरे देशों को समझाने के लिए इस बारे में विशेष कूटनीतिक दल भेजे गये हैं। नई दिल्ली में भी कई देशों के राजदूतों को इसके बारे में समय समय पर जानकारी दी जाती रही है। भारत को अमेरिका और फ्रांस से खास तौर पर काफी अच्छी मदद मिल रही है।
असम-बंगाल समेत पूर्वांचल में बदलती डेमोग्राफी टाइम बम की तरह', तमिलनाडु के राज्यपाल ने क्यों कहा ऐसा?

असम-बंगाल समेत पूर्वांचल में बदलती डेमोग्राफी टाइम बम की तरह', तमिलनाडु के राज्यपाल ने क्यों कहा ऐसा?

असम-बंगाल समेत पूर्वांचल में बदलती डेमोग्राफी टाइम बम की तरह', तमिलनाडु के राज्यपाल ने क्यों कहा ऐसा?

Tamilnadu Governor RN Ravi तमिलनाडु के राज्यपाल आर एन रवि ने कई राज्यों की बदलती डेमोग्राफी को टाइम बम करार दिया है। उन्होंने कहा कि भाषा के नाम पर कड़वाहट फैलाना भारत की परंपरा नहीं है। रवि ने असम और बंगाल जैसे राज्यों में डेमोग्राफी में तेजी से बदलाव पर चिंता जताई और इस मुद्दे का हल खोजने की जरूरत बताई।

तमिलनाडु के राज्यपाल आर.एन.रवि का बयान। फाइल फोटो

HIGHLIGHTSभाषा के नाम पर कड़वाहट फैलाना भारत की परंपरा नहीं: राज्यपाल रवि
1947 में आंतरिक लड़ाई के कारण ही देश का बंटवारा हुआ: राज्यपाल
असम और पश्चिम बंगाल समेत पूर्वांचल में बदल रही है डेमोग्राफी: राज्यपाल


 महाराष्ट्र समेत कई राज्यों में भाषा पर जंग छिड़ी है। तमिलनाडु भी इन्हीं में से एक है। तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन केंद्र सरकार पर कई बार हिंदी थोपने का आरोप लगा चुके हैं। हालांकि, इसी कड़ी में अब तमिलनाडु के राज्यपाल आर एन रवि ने कई राज्यों की बदलती डेमोग्राफी को 'टाइम बम' करार दिया है।


तमिलनाडु के राज्यपाल आर एन रवि ने कहा कि भाषा के नाम पर कड़वाहट फैलाना भारत की परंपरा नहीं है। असम और बंगाल जैसे राज्यों में डेमोग्राफी तेजी से बदल रही है। इसका हल तलाशने की जरूरत है।


इतिहास से सीखो सबक: आर एन रवि

आर एन रवि के अनुसार, "इस देश ने हमेशा बाहरी आक्रमणों का मजबूती के जवाब दिया है। मगर, जब अंदरुनी समस्याओं की बात आती है, तो अतीत में क्या हुआ था? 1947 में आंतरिक लड़ाई के कारण ही देश का बंटवारा हुआ। कुछ विचारधाराओं को मानने वाले लोग आज भी हमारे साथ नहीं रहना चाहते हैं और यही विचारधारा फिर से इस देश को तोड़ देगी।"

गांधीनगर के राष्ट्रीय रक्षा विश्वविद्यालय (RRU) में छात्रों को संबोधित करते हुए तमिलनाडु के राज्यपाल ने कहा-


पिछले 30-40 सालों में असम और पश्चिम बंगाल समेत पूर्वांचल (यूपी-बिहार) में डेमोग्राफी तेजी से बदल रही है। क्या किसी को इसकी चिंता है? क्या कोई भविष्यवाणी कर सकता है कि अगले 50 सालों में इन जगहों पर बंटवारे की मुहिम नहीं छिड़ेगी?
डेमोग्राफी पर जताई चिंता

पूर्व IPS अधिकारी रहे आर एन रवि का कहना है, "डेमोग्राफी एक संवेदनशील मुद्दा है, जिसपर स्टडी करने की जरूरत है। यह एक टाइम बम की तरह है। हमें सोचना चाहिए कि हम इससे कैसे निपटेंगे? हमें आज से ही इस मुद्दे का हल खोजने की जरूरत है।"

रूस का दिया उदाहरण

आर एन रवि के अनुसार, सेना आंतरिक अशांति से लड़ने में सक्षम नहीं है। उन्होंने रूस का उदाहरण देते हुए कहा कि अगर आंतरिक अशांति को रोकना सेना के हाथ में होता तो 1991 में सोवियत संघ नहीं टूटता।

भाषा पर क्या कहा?

महाराष्ट्र और कर्नाटक जैसे राज्यों में भाषा पर तनाव पैदा हो रहा है। आजादी के बाद से ही भाषा की लड़ाई जारी है। मगर, गृह मंत्री अमित शाह और प्रधानमंत्री मोदी पहले ही कह चुके हैं कि भारत की सारी भाषाएं हमारी राष्ट्र भाषा है।
टिकट कंफर्म न होने से 3.27 करोड़ नहीं कर पाए ट्रेन का सफर, भारतीय रेलवे पर आई चौंकाने वाली रिपोर्ट

टिकट कंफर्म न होने से 3.27 करोड़ नहीं कर पाए ट्रेन का सफर, भारतीय रेलवे पर आई चौंकाने वाली रिपोर्ट

 टिकट कंफर्म न होने से 3.27 करोड़ नहीं कर पाए ट्रेन का सफर, भारतीय रेलवे पर आई चौंकाने वाली रिपोर्ट


Indian Railway Unconfirmed Ticket आरटीआई से पता चला है कि भारतीय रेलवे में हर साल करोड़ों यात्रियों को टिकट कंफर्म न होने की समस्या का सामना करना पड़ता है। पिछले साल 3.27 करोड़ यात्रियों का टिकट कंफर्म नहीं हुआ। यह आंकड़ा पिछले 5 सालों में लगातार बढ़ रहा है जो रेलवे की क्षमता और यात्रियों की मांग के बीच अंतर को दर्शाता है।

2024-25 में 3.27 करोड़ लोगों का रेलवे टिकट कंफर्म नहीं हुआ। फाइल फोटो

दुनिया के सबसे बड़े रेल नेटवर्कों में से एक भारतीय रेलवे में हर दिन करोड़ों यात्री सफर करते हैं। खासकर मेल, एक्सप्रेस और सुपरफास्ट ट्रेनों की वेटिंग लिस्ट काफी लंबी होती है। वहीं, पिछले साल 3.27 करोड़ लोगों ने ट्रेन का टिकट तो ले लिया, लेकिन यात्रा के दौरान उनका टिकट कन्फर्म नहीं हो सका।


मध्य प्रदेश के नीमच से RTI (Right to Information) कार्यकर्ता चंद्रशेखर गौर ने यह आंकड़े सामने रखे हैं, जो काफी चंताजनक हैं। पिछले 5 साल में बिना कन्फर्म टिकट के यात्रा करने वालों की संख्या लगातार बढ़ रही है।


RTI में खुलासा

RTI के अनुसार, 2024-25 में ट्रेन की टिकट बुक करने वाले 3.27 करोड़ यात्रियों ने फाइनल चार्ट बनने के बाद पाया कि उनका टिकट कन्फर्म नहीं हुआ है। इससे पता चलता है कि ट्रेन की सीटों और यात्रियों की संख्या में एक बड़ा अंतर है।


लगातार बढ़ रही है संख्या

आंकड़ों के अनुसार, 2023-24 में लगभग 3 करोड़ लोग टिकट कन्फर्म न होने की वजह से यात्रा नहीं पाए थे। वहीं, 2022-23 में यह आंकड़ा 2.72 करोड़ और 2021 में 1.65 करोड़ था। जाहिर है, ट्रेनों की वेटिंग लिस्ट दिन-ब-दिन लंबी होती जा रही है।

साल कंफर्म टिकट न पाने वाले यात्रियों की संख्या
2024-25 3.27 करोड़ रुपये
2023-24 2.96 करोड़ रुपये
2022-23 2.72 करोड़ रुपये
2021-22 1.65 करोड़ रुपये

यात्रियों की मांग पूरी करने में विफल रहा रेलवे

RTI के आंकड़े दर्शाते हैं कि ट्रेन में सफर करने वाले यात्रियों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है। ट्रेनों की संख्या सीमित होने की वजह से उन्हें कन्फर्म टिकट नहीं मिल पाता है। भारतीय रेलवे आधुनिकता के साथ-साथ तेजी से तरक्की कर रहा है, लेकिन यात्रियों की मांग पूरी करने में रेलवे अभी भी काफी पीछे है।

रेलवे के नियमों में बदलाव

पिछले कुछ समय में रेलवे ने बेहतरी की तरफ बढने के कई प्रयास किए हैं। हाल ही में IRCTC ने 2.5 करोड़ यूजर आईडी को बंद कर दिया था। वहीं, पहले अब ट्रेनों के चार्ट 24 घंटे पहले बनाए जाते हैं, जिससे यात्रियों को पता चल सके कि उनकी टिकट कंफर्म हुई है या नहीं, पहले यह समय महज 4 घंटे का था।
कान खोलकर सुन लें, मोदी-ट्रंप की नहीं हुई बात'; राज्यसभा में किस पर भड़के जयशंकर?

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विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कांग्रेस पर इतिहास से घबराने का आरोप लगाया। उन्होंने सिंधु जल संधि को लेकर नेहरू की नीतियों पर सवाल उठाए और कहा कि भारत अपनी मुख्य नदियों का पानी दूसरे देश को दे रहा है। जयशंकर ने कहा कि मोदी सरकार ने नेहरू की गलतियों को सुधारा है और पाकिस्तान के आतंकवाद का समर्थन बंद करने तक संधि स्थगित रहेगी।

जयशंकर ने जोर देकर कहा कि यह सिंधु जल संधि उस समय की गलत नीतियों का नतीजा थी।


विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बुधवार को कांग्रेस पर जमकर निशाना साधा और कहा कि कुछ लोग इतिहास से घबराते हैं। उन्होंने यह तंज सिंधु जल संधि (Indus Water Treaty) को लेकर कसा, जिसे पहलगाम आतंकी हमले के बाद स्थगित कर दिया गया।


ऑपरेशन सिंदूर को लेकर विपक्ष कई बार सरकार पर आरोप लगाता रहा है कि ट्रंप ने भारत-पाक के बीच सीजफायर समझौता कराया है, हालांकि भारत सरकार इन आरोपों से इनकार करती रही है।


राज्यसभा में ऑपरेशन सिन्दूर पर चर्चा के दौरान विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने कहा, "मैं उनको कहना चाहता हूं, वो कान खोलकर सुन लें। 22 अप्रैल से 16 जून तक, एक भी फोन राष्ट्रपति ट्रंप और प्रधानमंत्री मोदी के बीच में नहीं हुआ।"

जयशंकर ने इतिहास का जिक्र करते हुए कहा, "कुछ लोग इतिहास को भूल जाना चाहते हैं। शायद यह उन्हें सूट नहीं करता। वे सिर्फ वही बातें याद रखना चाहते हैं जो उनके मन को भाए।"


नेहरू की नीतियों पर उठाए सवाल

जयशंकर ने 1960 में जवाहरलाल नेहरू के संसद में दिए बयान को याद किया। उन्होंने कहा, "30 नवंबर 1960 को नेहरू ने कहा था कि संसद को पानी की मात्रा या पैसे के लेन-देन पर फैसला नहीं करना चाहिए। लोगों ने इसका विरोध किया था।

नेहरू ने कहा था कि यह संधि पाकिस्तानी पंजाब के हित में है। लेकिन उन्होंने कश्मीर, पंजाब, राजस्थान या गुजरात के किसानों के बारे में एक शब्द नहीं कहा।"

विदेश मंत्री ने जोर देकर कहा कि यह संधि उस समय की गलत नीतियों का नतीजा थी। उन्होंने कांग्रेस की सोच पर सवाल उठाते हुए कहा कि वह इतिहास से सबक लेने को तैयार नहीं।
'मोदी सरकार ने सुधारी गलतियां'

जयशंकर ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नेहरू की गलतियों को सुधारने का काम किया है। उन्होंने कहा, "हमें 60 साल तक बताया गया कि कुछ नहीं हो सकता। नेहरू की गलतियां सुधारी नहीं जा सकतीं। लेकिन मोदी सरकार ने दिखाया कि यह मुमकिन है। आर्टिकल 370 को खत्म किया गया और अब सिंधु जल संधि को भी सुधारा जा रहा है।"


उन्होंने साफ कहा कि जब तक पाकिस्तान आतंकवाद का समर्थन पूरी तरह बंद नहीं करता, यह संधि स्थगित रहेगी। "हमने चेतावनी दी है कि खून और पानी एक साथ नहीं बह सकते।"

जयशंकर ने कहा कि भारत अब पुरानी गलतियों को दोहराने नहीं जा रहा। उन्होंने पाकिस्तान को सख्त संदेश देते हुए कहा कि आतंकवाद और जल संधि साथ-साथ नहीं चल सकते। "हमने साफ कर दिया है कि अगर पाकिस्तान अपनी नीतियां नहीं बदलता, तो भारत इस संधि पर अमल नहीं करेगा।"
'CJI कोई पोस्ट ऑफिस नहीं', जस्टिस वर्मा मामले में कपिल सिब्बल की दलील पर SC नाराज

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Justice Verma Case सुप्रीम कोर्ट ने न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा की याचिका पर फैसला सुरक्षित रखा जिन पर नकदी बरामदगी विवाद के बाद महाभियोग का खतरा है। जस्टिस वर्मा ने उस तीन सदस्यीय आंतरिक जांच समिति के निष्कर्षों को चुनौती दी है जिसने उन्हें हटाने की सिफारिश की थी। वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि इन-हाउस कमेटी का जज की बर्खास्तगी की सिफारिश करना गैर-कानूनी है।


जस्टिस वर्मा ने तीन सदस्यीय आंतरिक जांच समिति के निष्कर्षों को चुनौती दी है।

 सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा की ओर से दायर याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया। उनपर नकदी बरामदगी विवाद के बाद महाभियोग का खतरा मंडरा रहा है।

जस्टिस वर्मा ने तीन सदस्यीय आंतरिक जांच समिति के निष्कर्षों को चुनौती दी है। इस समिति ने संविधान के अनुच्छेद 124(4) के तहत उन्हें हटाने की सिफारिश की थी।
'जज की बर्खास्तगी की सिफारिश करना गैर-कानूनी'

अपनी रिट याचिका में, इलाहाबाद उच्च न्यायालय के वर्तमान न्यायाधीश जस्टिस वर्मा ने तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना की ओर से राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को भेजे गए उस पत्र को रद करने की मांग की थी, जिसमें आंतरिक समिति के निष्कर्षों के आधार पर कार्रवाई की सिफारिश की गई थी।

जस्टिस वर्मा की तरफ से वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने जोरदार दलीलें पेश कीं। उन्होंने कहा कि इन-हाउस कमेटी का जज की बर्खास्तगी की सिफारिश करना गैर-कानूनी है।

सिब्बल ने कहा कि संविधान के आर्टिकल 124 और जजेज (इंक्वायरी) एक्ट के तहत ही इम्पीचमेंट की प्रक्रिया हो सकती है। उन्होंने चेतावनी दी कि इस तरह की सिफारिश खतरनाक मिसाल कायम कर सकती है।
आपने कोर्ट का दरवाजा क्यों नहीं खटखटाया: SC

जस्टिस दीपंकर दत्ता और जस्टिस ए.जी. मसीह की बेंच ने जस्टिस वर्मा के रवैये पर सवाल उठाए। कोर्ट ने कहा, "आपने कमेटी की कार्यवाही में हिस्सा लिया, फिर अब उसकी सिफारिश को क्यों चुनौती दे रहे हैं? आपने पहले क्यों नहीं कोर्ट का दरवाजा खटखटाया?"


कोर्ट ने यह भी कहा कि चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) का काम सिर्फ चिट्ठी भेजना नहीं है। अगर उनके पास किसी जज के गलत आचरण का सबूत है, तो उन्हें राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को सूचित करना उनका फर्ज है।


कोर्ट ने यह भी साफ किया कि इन-हाउस कमेटी की जांच शुरुआती और गैर-दंडात्मक होती है। इसमें क्रॉस-एक्जामिनेशन या सख्त सबूतों की जरूरत नहीं होती।

कोर्ट ने जस्टिस वर्मा से कहा, "आपने कमेटी की कार्यवाही में हिस्सा लिया, लेकिन जब फैसला आपके खिलाफ आया, तभी आप कोर्ट आए। आपके इस रवैये से यकीन नहीं होता है।"
पेशी के लिए क्रिकेट स्टेडियम की जरूरत पड़ेगी', हजारों आरोपियों की भीड़ देखकर बोला सुप्रीम कोर्ट

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कैश फॉर जॉब घोटाले पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु सरकार को फटकार लगाई है। इस घोटाले में पूर्व मंत्री बालाजी का नाम सामने आया है। सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार से सवाल पूछते हुए कहा कि आप चाहते हैं केस का ट्रायल बालाजी की पूरी जिंदगी चलता रहे। सुप्रीम कोर्ट ने घोटाले में शामिल सभी आरोपियों और गवाहों की जानकारी मांगी है।


सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु सरकार को लगाई फटकार। फाइल फोटो

 'कैश फॉर जॉब' घोटाले पर सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु सरकार को फटकार लगाई है। इस घोटाले में पूर्व मंत्री वी बालाजी का नाम भी शामिल है। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु सरकार से सभी आरोपियों समेत गवाहों से जुड़ी जानकारी मांगी है।


सुप्रीम कोर्ट में दो जजों की बेंच, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची ने मामले पर सुनवाई करते हुए इसे न्यायिक प्रणाली पर पूर्ण धोखाधड़ी करार दिया है। अदालत में हजारों आरोपियों की भीड़ देखकर कोर्ट ने कहा कि इस मामले में पेशी के लिए क्रिकेट स्टेडियम की जरूरत पड़ेगी।


सुप्रीम कोर्ट ने पूछे सवाल

मामले पर सुनवाई करते हुए जस्टिस कांत ने कहा, "हम जानना चाहते हैं कि मंत्री बालाजी के अलावा इम घोटाले में मिडिलमैन या दलाल कौन था? वो कौन अधिकारी थे, जिन्होंने मंत्री का सुझाव माना? सेलेक्शन कमेटी के किन सदस्यों ने मंत्री का साथ दिया? नियुक्ती पत्र जारी करने वाले सरकार के कौन से कर्मचारी इस घोटाले में शामिल हैं?"बता दें कि इस मामले में 2000 से ज्यादा लोगों पर नौकरी के बदले रिश्वत देने का आरोप है, जिन्हें सरकार ने अदालत में पेश किया है।


क्रिकेट स्टेडियम की जरूरत होगी: SC

सुप्रीम कोर्ट ने मामले पर सुनवाई करते हुए कहा, "2000 से ज्यादा आरोपी और 500 से ज्यादा गवाहों के साथ यह अब तक का सबसे ज्यादा भीड़ वाला ट्रायल है। इसके लिए कोर्ट रूम पर्याप्त नहीं है। सभी आरोपियों की पेशी के लिए हमें एक क्रिकेट स्टेडियम की जरूरत पड़ेगी।"

राज्य सरकार को लगाई फटकार

सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि आप चाहते हैं यह केस पूरी जिंदगी चलता रहे। जिन गरीब लोगों ने नौकरी के लिए मजबूरी में मंत्री और उनके सहयोगियों को रिश्वत दी, उन्हें भी आरोपी बनाकर पेश किया जा रहा है।


सुप्रीम कोर्ट ने कहा-


आप (तमिलनाडु सरकार) यह केस पूर्व मंत्री के लिए पूरी जिंदगी (लाइफटाइम) चलता रहे। यह आप लोगों का मॉडस ऑपरेंडी है। यह पूरी तरह से एक घोटाला है। बता दें कि लगभग 2000 से ज्यादा लोग तमिलनाडु के 'कैश फॉर जॉब' घोटाले का शिकार हो चुके हैं।
क्या है पूरा मामला?

'कैश फॉर जॉब' घोटाले के आरोप में तमिलनाडु के पूर्व मंत्री बालाजी को गिरफ्तार किया गया था। लगभग 15 महीने में जेल में रहने के बाद उन्हें सितंबर 2024 में रिहा किया गया। पिछले साल अक्तूबर में तमिलनाडु के राज्यपाल आर.एन.रवि ने उन्हें फिर से मंत्री पद की शपथ दिलाई थी। वहीं, सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद बालाजी ने इसी साल अप्रैल में मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था।
'मेरे बेटे को क्या हुआ था', संजय कपूर की मौत पर मां ने तोड़ी चुप्पी, कहा- विरासत खो नहीं सकती

'मेरे बेटे को क्या हुआ था', संजय कपूर की मौत पर मां ने तोड़ी चुप्पी, कहा- विरासत खो नहीं सकती

'मेरे बेटे को क्या हुआ था', संजय कपूर की मौत पर मां ने तोड़ी चुप्पी, कहा- विरासत खो नहीं सकती

अभिनेत्री करिश्मा कपूर के पूर्व पति संजय कपूर के निधन के बाद उनकी कंपनी सोना बीएलडब्ल्यू प्रसिजन फोर्जिंग्स में विरासत को लेकर जंग छिड़ गई है। संजय की मां रानी कपूर ने कहा है कि उन्हें नहीं पता कि उनके बेटे की मौत कैसे हुई। उन्होंने यह भी कहा कि वह अपने परिवार की विरासत को बचाने के लिए लड़ाई जारी रखेंगी।

संजय कपूर की मां रानी कपूर का बयान। फोटो- X/@sunjaykapur


अभिनेत्री करिश्मा कपूर के पूर्व पति और मशहूर बिजनेसमैन संजय कपूर के निधन के बाद उनकी कंपनी सोना बीएलडब्ल्यू प्रसिजन फोर्जिंग्स (Sona Comstar) में विरासत को लेकर जंग शुरू हो गई है। संजय कपूर की पत्नी प्रिया सचदेवा को अंतरिम निदेशक नियुक्त किया गया है। हालांकि, अब संजय की मां रानी कपूर ने बेटे की मौत के बाद पहली बार चुप्पी तोड़ी है।

रानी कपूर का कहना है कि लंदन में संजय की मौत कैसे हुई, यह उन्हें नहीं पता। अब उनकी उम्र हो गई है। मगर विरासत की इस लड़ाई को वो जारी रखेंगी।

संजय कपूर की मौत पर क्या बोलीं मां?

समाचार एजेंसी एएनआई से बातचीत के दौरान रानी कपूर ने कहा, "मुझे अभी तक नहीं पता कि मेरे बेटे को क्या हुआ था? मैं बूढ़ी हो गई हूं। मुझे कंपनी के शुरुआती दिन आज भी याद आते हैं। मैंने और मेरे पति ने इस कंपनी को प्यार और त्याग से खड़ा किया है।"

रानी कपूर के अनुसार,


मैं दुनिया को बताना चाहती हूं कि मेरे परिवार की विरासत नहीं खो सकती। यह आगे आने वाली पीढ़ियों को दी जाएगी। मेरे पति भी हमेशा यही चाहते थे।


लीगल टीम देगी जानकारी

रानी कपूर ने अपने स्वास्थ्य पर बात करने से साफ इनकार कर दिया। उनका कहना है कि उनकी लीगल टीम मामले पर जरूरी जानकारी देगी।

कंपनी ने खारिज किया रानी का दावा

Sona Comstar की पूर्व चेयरमैन रहीं रानी कपूर के नाम पर अब कंपनी में कोई भी शेयर नहीं है। वहीं, कंपनी ने उनके बयान को निराधार बताया है। रानी कपूर ने संजय कपूर की मौत को संदिग्ध बताते हुए कहा था कि, बेटे की मौत के बाद बंद कमरे में उनसे कुछ दस्तावेजों पर हस्ताक्षर करवा लिए गए थे। हालांकि, कंपनी ने इन दावों को सिरे से खारिज कर दिया है।
राष्ट्रपति रेफरेंस मामले में 19 अगस्त से दलीलें सुनेगा सुप्रीम कोर्ट, पक्ष और विपक्ष दिया गया पूरा टाइम टेबल

राष्ट्रपति रेफरेंस मामले में 19 अगस्त से दलीलें सुनेगा सुप्रीम कोर्ट, पक्ष और विपक्ष दिया गया पूरा टाइम टेबल

 राष्ट्रपति रेफरेंस मामले में 19 अगस्त से दलीलें सुनेगा सुप्रीम कोर्ट, पक्ष और विपक्ष दिया गया पूरा टाइम टेबल


Presidential Reference Hearing सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रपति रेफरेंस मामले पर सुनवाई का शेड्यूल निश्चित कर दिया है जिसमें यह सवाल है कि क्या अदालतें राज्य विधानसभाओं द्वारा पारित बिलों को मंजूरी देने के लिए गवर्नर या राष्ट्रपति के लिए समयसीमा तय कर सकती हैं। कोर्ट ने केंद्र और राज्यों को 12 अगस्त तक लिखित जवाब दाखिल करने का आदेश दिया है और 19 अगस्त से सुनवाई शुरू होगी।

इस मामले में केंद्र और राज्यों को 12 अगस्त तक अपने लिखित जवाब दाखिल करने का आदेश दिया गया है।


 सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए राष्ट्रपति रेफरेंस मामले पर सुनवाई का शेड्यूल तय कर दिया है।

यह रेफरेंस इस अहम सवाल को उठाता है कि क्या अदालतें राज्य विधानसभाओं की ओर से पारित बिलों को मंजूरी देने के लिए गवर्नर या राष्ट्रपति के लिए समयसीमा तय कर सकती हैं। इस मामले में केंद्र और राज्यों को 12 अगस्त तक अपने लिखित जवाब दाखिल करने का आदेश दिया गया है।


चीफ जस्टिस बीआर गवई की अगुवाई वाली पांच जजों की बेंच ने साफ कर दिया है कि सुनवाई 19 अगस्त से शुरू होगी।

कोर्ट ने सभी पक्षों को निर्देश दिया है कि वे अपनी दलीलें तय समय में पूरी करें, ताकि इस अहम मामले में जल्द और सटीक फैसला हो सके।
सुनवाई का सख्त शेड्यूल

कोर्ट ने सुनवाई के लिए सख्त समयसीमा तय की है। CJI ने अपने आदेश में कहा, "रेफरेंस का समर्थन करने वाले पक्षों की सुनवाई 19, 20, 21 और 26 अगस्त को होगी।

वहीं, रेफरेंस का विरोध करने वाले पक्षों की दलीलें 28 अगस्त और 3, 4, 9 सितंबर को सुनी जाएंगी। अगर केंद्र की ओर से कोई जवाबी दलील होगी, तो उसे 10 सितंबर को सुना जाएगा।"

CJI ने जोर देकर कहा कि इस शेड्यूल का सख्ती से पालन होगा और सभी वकीलों को अपनी दलीलें तय समय में पूरी करनी होंगी।