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 Yes Bank में इस अमेरिकी कंपनी ने बेच दी अपनी हिस्‍सेदारी, केवल 2 फीसद के लिए मिले 14 अरब से ज्‍यादा रुपये

Yes Bank में इस अमेरिकी कंपनी ने बेच दी अपनी हिस्‍सेदारी, केवल 2 फीसद के लिए मिले 14 अरब से ज्‍यादा रुपये

May 04, 2024 Add Comment

 Yes Bank में इस अमेरिकी कंपनी ने बेच दी अपनी हिस्‍सेदारी, केवल 2 फीसद के लिए मिले 14 अरब से ज्‍यादा रुपये


तीन मई को कार्लाइल ग्रुप ने शुक्रवार को निजी क्षेत्र के यस बैंक में करीब दो प्रतिशत हिस्सेदारी खुले बाजार में लेनदेन के जरिये 1441 करोड़ रुपये में बेच दी। अमेरिका स्थित कार्लाइल ग्रुप ने अपनी सहयोगी इकाई सीए बास्क इंवेस्टमेंट्स के जरिये यस बैंक में अपनी इस हिस्सेदारी को नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) पर थोक सौदे के जरिये बेच दिया।

 कुछ समय से शेयर बाजार में यस बैंक के शेयर काफी चर्चा में रहे हैं। पिछले हफ्ते ही बैंक के तिमाही नतीजे जारी हुए थे जिसमें उसे तगड़ा मुनाफा हुआ था। इसकी वजह से इस हफ्ते सोमवार को बैंक के शेयरों में जोरदार उछाल भी दिखा था। अब अमेरिका की एक कंपनी ने यस बैंक में अपनी हिस्‍सेदारी बेची है।

तीन मई को कार्लाइल ग्रुप ने शुक्रवार को निजी क्षेत्र के यस बैंक में करीब दो प्रतिशत हिस्सेदारी खुले बाजार में लेनदेन के जरिये 1,441 करोड़ रुपये में बेच दी। अमेरिका स्थित कार्लाइल ग्रुप ने अपनी सहयोगी इकाई सीए बास्क इंवेस्टमेंट्स के जरिये यस बैंक में अपनी इस हिस्सेदारी को नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) पर थोक सौदे के जरिये बेच दिया।

एनएसई के आंकड़ों के मुताबिक, सीए बास्क इंवेस्टमेंट्स ने यस बैंक में 59.40 करोड़ शेयरों की बिक्री की जो 1.98 प्रतिशत हिस्सेदारी है। इन शेयरों को 24.27 रुपये प्रति शेयर के औसत भाव पर बेचा गया।

इस तरह कुल लेनदेन का मूल्य 1,441.64 करोड़ रुपये रहा। इस बिक्री के बाद यस बैंक में कार्लाइल ग्रुप की हिस्सेदारी 9.11 प्रतिशत से घटकर 7.13 प्रतिशत रह गई है। इस बीच गोल्डमैन शैक्स सिंगापुर पीटीई ने यस बैंक के 36.92 करोड़ से अधिक शेयरों को खरीदा है। अन्य खरीदारों के बारे में जानकारी नहीं मिल पाई है।
 लगातार तीसरे सप्ताह घटा विदेशी मुद्रा भंडार, जानें क्या है इस गिरावट की वजह

लगातार तीसरे सप्ताह घटा विदेशी मुद्रा भंडार, जानें क्या है इस गिरावट की वजह

May 04, 2024 Add Comment

 लगातार तीसरे सप्ताह घटा विदेशी मुद्रा भंडार, जानें क्या है इस गिरावट की वजह


देश के विदेशी मुद्रा भंडार में लगातार तीसरे सप्ताह गिरावट दर्ज की गई है। आरबीआई के डेटा के अनुसार 26 अप्रैल को समाप्त सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार में 2.412 अरब डॉलर की गिरावट रही है। अब कुल विदेशी मुद्रा भंडार घटकर 637.922 अरब डॉलर रह गया है। इससे पिछले सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार में 2.28 अरब डॉलर की गिरावट हुई थी। आइए जानते हैं पूरी खबर।

 देश के विदेशी मुद्रा भंडार में लगातार तीसरे सप्ताह गिरावट दर्ज की गई है। आरबीआई की ओर से शुक्रवार को जारी आंकड़ों के अनुसार, 26 अप्रैल को समाप्त सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार में 2.412 अरब डॉलर की गिरावट रही है। कुछ हफ्ते पहले विदेशी मुद्रा भंडार में लगातार बढ़ोतरी दर्ज की जा रही थी।

अब कुल विदेशी मुद्रा भंडार घटकर 637.922 अरब डॉलर रह गया है। इससे पिछले सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार में 2.28 अरब डॉलर की गिरावट हुई थी। आंकड़ों के अनुसार, बीते सप्ताह विदेशी मुद्रा आस्तियों (एफसीए) में 1.159 अरब डॉलर की गिरावट दर्ज की गई है। अब यह घटकर 559.701 अरब डॉलर रह गई हैं।

इसी तरह स्वर्ण भंडार 1.275 अरब डॉलर घटकर 55.533 अरब डॉलर रह गया है। हालांकि, इस दौरान आईएमएफ के पास जमा 80 लाख डॉलर बढ़कर 4.639 अरब डॉलर हो गया है। बता दें कि इसी वर्ष पांच अप्रैल को विदेशी मुद्रा भंडार 648.562 अरब डॉलर के उच्च स्तर पर पहुंच गया था।
सोने की खरीद बढ़ा रहा रिजर्व बैंक


बढ़ते भू-राजनीतिक तनाव के बीच दुनियाभर के केंद्रीय बैंक सोने की खरीद बढ़ा रहे हैं। इसमें भारत का रिजर्व बैंक भी शामिल है। वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल के मुताबिक, रिजर्व बैंक के पास मौजूद सोना जनवरी के अंत में 812.3 टन तक पहुंच गया। यह दिसंबर, 2023 में यह 803.58 टन था।

पिछले कुछ दिनों से सोने के भाव में नरमी देखी जा रही है, लेकिन उससे पहले इसमें तेज उछाल आया था। इसकी बड़ी वजह वैश्विक अनिश्चितता के बीच केंद्रीय बैंकों का सोने की खरीद बढ़ाना भी था। उसी दौरान आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने बताया था कि देश का विदेशी मुद्रा भंडार अपने उच्चतम स्तर पर पहुंच गया है, जिसमें अब गिरावट आ रही है।
 Ice Cream Lovers ने बना दिए अनोखे रिकॉर्ड! एक ने तो Swiggy से 45 दिन में मंगाई 300 से ज्यादा आइसक्रीम, इस फ्लेवर की है हाई डिमांड

Ice Cream Lovers ने बना दिए अनोखे रिकॉर्ड! एक ने तो Swiggy से 45 दिन में मंगाई 300 से ज्यादा आइसक्रीम, इस फ्लेवर की है हाई डिमांड

May 03, 2024 Add Comment

 Ice Cream Lovers ने बना दिए अनोखे रिकॉर्ड! एक ने तो Swiggy से 45 दिन में मंगाई 300 से ज्यादा आइसक्रीम, इस फ्लेवर की है हाई डिमांड


Swiggy ने हाल ही में एक रिपोर्ट जारी की। रिपोर्ट में स्विगी ने बताया कि इस साल आइसक्रीम की डिमांड में तेजी आई है। पिछले साल की तुलना में इस साल आइसक्रीम डिमांड में 16 फीसदी की तेजी आई। मुंबई के एक शख्स ने 45 दिन में स्विगी से 300 से ज्यादा आइसक्रीम के ऑर्डर दिये। लोग गर्मी से राहत पाने के लिए आइसक्रीम ऑर्डर कर रहे हैं।

Ice Cream Lovers ने बना दिए अनोखे रिकॉर्ड!


बिजनेस डेस्क, नई दिल्ली। देश में कई शहरों में हीटवेव का प्रकोप जारी है। ऐसे में हीटवेव और लू से बचने के लिए लोग कई तरीके अपना रहे हैं। हर साल गर्मी के मौसम में आइसक्रीम की डिमांड में तेजी आती है। आइसक्रीम की डिमांड को लेकर स्विगी ने रिपोर्ट की है। इस रिपोर्ट में एक शख्स काफी चर्चा में आ गया है।

दरअसल, मुंबई के एक शख्स ने स्विगी से 45 दिन में 300 से ज्यादा आइसक्रीम के ऑर्डर किये थे। इस बात को जानकर कई लोग चौंक गए हैं।


स्विगी की रिपोर्ट

आइसक्रीम की डिमांड में आई तेजी को लेकर स्विगी ने एक रिपोर्ट पेश की। इस रिपोर्ट में स्विगी ने बताया कि पिछले साल की तुलना में इस साल आईसक्रीम की मांग काफी बढ़ गई है। आईसक्रीम की डिमांड में लगभग 16 फीसदी की तेजी आई।

अगर आइसक्रीम फ्लेवर की बात करें तो लोग चॉकलेट फ्लेवर के साथ बाकी फ्लेवर की आइसक्रीम ऑर्डर कर रहे हैं। सबसे ज्यादा नारियल, बादाम और वनीला आइसक्रीम ऑर्डर हो रही है। रिपोर्ट के अनुसार मुंबई में सबसे ज्यादा मांग फ्रूट फ्लेवर आइसक्रीम की है। वहीं, हैदराबाद में नट्स वाली आइस्क्रीम का ऑर्डर सबसे ज्यादा हो रहा है।


इस समय होता है सबसे ज्यादा ऑर्डर

स्विगी ने अपनी रिपोर्ट में उस समय के बारे में भी बताया जिस समय सबसे ज्यादा आइसक्रीम के ऑर्डर होते हैं। स्विगी ने कहा कि 1 मार्च से 15 अप्रैल तक शाम 7 बजे से आधी रात तक आइसक्रीम के सबसे ज्यादा ऑर्डर हो रहे थे। इस अवधि में स्विगी पर 6.9 लाख से ज्यादा आइसक्रीम ऑर्डर दिए गए हैं।

कई लोग नाश्ते के समय भी आइसक्रीम के ऑर्डर कर रहे हैं। सुबह 7 बजे से 11 बजे तक स्विगी पर कुल 80,000 आइसक्रीम के ऑर्डर दिये गए हैं। सबसे ज्यादा आइसक्रीम के ऑर्डर बेंगलुरु में दिए जा रहे हैं। हैदराबाद के लोगों को क्रीम स्टोन आइस्क्रीम काफी पसंद आ रही है।

लोग गर्मी से राहत पाने के लिए वीगन आइसक्रीम का भी ऑर्डर कर रहे हैं। पिछले साल की तुलना में वीगन आइसक्रीम ऑर्डर में 70 फीसदी की तेजी आई। महानगरों में लोग नैचुरल्स आइस्क्रीम पार्लर को काफी पसंद कर रहे हैं।
 Apple की भारत में डबल डिजिट ग्रोथ, Tim Cook ने कहा- भारतीय बाजार में अपार संभावनाएं, पहले से ज्यादा करेंगे फोकस

Apple की भारत में डबल डिजिट ग्रोथ, Tim Cook ने कहा- भारतीय बाजार में अपार संभावनाएं, पहले से ज्यादा करेंगे फोकस

May 03, 2024 Add Comment

 Apple की भारत में डबल डिजिट ग्रोथ, Tim Cook ने कहा- भारतीय बाजार में अपार संभावनाएं, पहले से ज्यादा करेंगे फोकस


एप्पल इंडिया (Apple India) ने मार्च तिमाही के नतीजे जारी किये थे। इस नतीजे में कंपनी ने बताया कि मार्च तिमाही में कंपनी का ग्रोथ डबल डिजिट हो गया है। इसके अलावा कंपनी के रेवेन्यू में भी शानदार तेजीआई है। आईफोन (iPhone) बनाने वाली कंपनी एप्पल (Apple) के वित्तीय परफॉर्मेंस काफी शानदार रही। कंपनी के प्रदर्शन पर एप्पल के सीईओ टिम कुक (Apple CEO Tim Cook) ने प्रतिक्रिया दी।



Apple की भारत में डबल डिजिट ग्रोथ

आईफोन (iPhone) बनाने वाली कंपनी एप्पल इंडिया (Apple India) के रेवेन्यू में शानदार तेजी आई है। रेवेन्यू में डबल डिजिट ग्रोथ को लेकर एप्पल के सीईओ टिम कुक (Apple CEO Tim Cook) की प्रतिक्रिया आई है। टिम कुक ने कहा कि भारतीय बाजार में रोमांच है। भविष्य में भारतीय बाजार में कई संभावनाएं है।

भारत के बाजार को फोकस में रखते हुए टिम कुक ने कहा कि ऐप्पल डेवलपर से लेकर बाजार तक के सिस्टम पर काम किया जा रहा है। एप्पल इंडिया के चौथी तिमाही नतीजों में आए ग्रोथ से भी मैं खुश हूं।

टेक टाइटन की दूसरी तिमाही की कमाई के दौरान भारत के विशिष्ट कॉल-आउट में टिम कुक ने कहा

हम (भारत में) दोहरे अंक में मजबूत हुए और इसलिए हम इससे बहुत-बहुत प्रसन्न थे। यह हमारे लिए मार्च तिमाही का नया राजस्व रिकॉर्ड था। जैसा कि आप जानते हैं कि मैं इसे एक अविश्वसनीय रूप से रोमांचक बाजार के रूप में देखता हूं और यह हमारे लिए एक प्रमुख फोकस है।

इसके आगे उन्होंने कहा कि ऑपरेशनल साइड या सप्लाई चेन के संदर्भ में हम भारत में प्रोडक्शन कर रहे हैं, लेकिन बाजार में कॉम्पीटीशन होने की वजह से हमें भारत में प्रोडक्शन करना जरूरी है।


बाकी देशों में कैसी रही कंपनी की परफॉर्मेंस

दुनिया में कई देशों में आईफोन की मैन्युफैक्चरिंग होती है। इन सभी देशों में कंपनी के रेवेन्यू में तेजी देखने को मिली है। मार्च तिमाही में भारत के अलावा लैटिन अमेरिका और मध्य पूर्व के साथ-साथ कनाडा, स्पेन और तुर्की में भी रेवेन्यू में तेजी आई है।

एप्पल के भारत रिपोर्ट कार्ड को लेकर कुक ने कहा कि कंपनी के पास विभिन्न पहलों के साथ-साथ परिचालन संबंधी चीजें भी चल रही हैं। पिछले साल भारत में कई एप्पल स्टोर (Apple Store) खोले गए हैं। इन स्टरों से भी हमें पॉजिटिव रिस्पांस मिला है। ऐसे में एप्पल अपने चैनलों का विस्तार के साथ डेवलपर इकोसिस्टम पर भी काम कर रहा है।
एप्पल के वरिष्ठ उपाध्यक्ष और मुख्य वित्तीय अधिकारी लुका मेस्त्री ने कहा


कंपनी उभरते बाजारों में मजबूत गति से विशेष रूप से प्रसन्न है। कंपनी ने लैटिन अमेरिका, मध्य पूर्व, भारत, इंडोनेशिया, फिलीपींस और तुर्की सहित कई देशों और क्षेत्रों में पहली छमाही में राजस्व रिकॉर्ड बनाया है।
 फेडरल रिजर्व ने ब्याज दरों को यथावत रखा, बैठक ने दिये कई संकेत

फेडरल रिजर्व ने ब्याज दरों को यथावत रखा, बैठक ने दिये कई संकेत

May 02, 2024 Add Comment

 फेडरल रिजर्व ने ब्याज दरों को यथावत रखा, बैठक ने दिये कई संकेत


US Fed Policy अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने बुधवार को ब्याज दरों को स्थिर रखने का फैसला लिया है। फेड ने मुद्रास्फीति दरों पर विराम लगाते हुए अर्थव्यवस्था में अधिक संतुलन की दिशा में रुकावट की आशंका जताई। फेड ने बताया कि पिछले वर्ष मुद्रास्फीति कम हो गई। फेड के नतीजे के बाद अमेरिकी शेयरों की गिरावट कम हुई और डालर अन्य मुद्राओं की तुलना में गिर गया।

 अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने बुधवार को ब्याज दरों को यथावत रखा और संकेत दिया कि वह अभी भी उधार लेने की लागत में अंतिम कटौती की ओर बढ़ रहा है। इसने हालिया मुद्रास्फीति दरों पर विराम लगाते हुए अर्थव्यवस्था में अधिक संतुलन की दिशा में रुकावट की आशंका जताई।

न्यूज एजेंसी रॉयटर्स ने बताया कि फेडरल रिजर्व का नवीनतम वक्तव्य दो दिवसीय बैठक के अंत में जारी किया गया है। इसमें इसके आर्थिक मूल्यांकन और नीतिगत दिशा-निर्देश के प्रमुख तत्वों को बरकरार रखा गया है।

इसमें कहा गया है कि पिछले वर्ष मुद्रास्फीति कम हो गई। वक्तव्य में ऐसी परिस्थितियों में ब्याज दरों की चर्चा की गई है, जिनके तहत उधार लेने की लागत कम की जा सकती है।

फेडरल रिजर्व का वक्तव्य जारी होने के बाद एक ओर जहां अमेरिकी शेयरों की गिरावट कम हुई, वहीं दूसरी तरफ डालर अन्य मुद्राओं की तुलना में गिर गया।
 रूस से सस्ता तेल खरीदने से कम हुआ आयात बिल, आठ अरब डॉलर तक की हुई बचत

रूस से सस्ता तेल खरीदने से कम हुआ आयात बिल, आठ अरब डॉलर तक की हुई बचत

May 02, 2024 Add Comment

 रूस से सस्ता तेल खरीदने से कम हुआ आयात बिल, आठ अरब डॉलर तक की हुई बचत


भारत पश्चिमी देशों के दबाव के बावजूद रूस से सस्ता तेल खरीद रहा है। भारत की इस रणनीति काफी फायदेमंद साबित हुई है। वित्त वर्ष 2022-23 के पहले 11 महीनों के दौरान देश के तेल आयात बिल में लगभग 7.9 अरब डॉलर की बचत हुई। इससे चालू खाता घाटे को कम करने में भी मदद मिली। अप्रैल में रूस से तेल आयात में 13-17 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई।

पश्चिमी देशों के दबाव के बावजूद रूस से सस्ता तेल खरीदना जारी रखने की भारत की रणनीति कामयाब रही है। इसके परिणामस्वरूप वित्त वर्ष 2022-23 के पहले 11 महीनों के दौरान देश के तेल आयात बिल में न केवल लगभग 7.9 अरब डॉलर की बचत हुई और बल्कि चालू खाता घाटे को कम करने में भी मदद मिली।

व्यापार ट्रैकिंग एजेंसियों केप्लर और एलएसईजी द्वारा संकलित आंकड़ों के अनुसार, इस साल अप्रैल में भारत ने एक महीने पहले की तुलना में अधिक रूसी तेल का आयात किया। हालांकि इराक और सऊदी अरब से कम तेल आयात किया। आंकड़ों से पता चलता है कि अप्रैल में रूस भारत का शीर्ष तेल आपूर्तिकर्ता रहा और उसके बाद इराक और सऊदी अरब रहे है।

अप्रैल में रूस से तेल आयात में जहां 13-17 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई वहीं इराक से तेल आयात में 20-23 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई। वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय द्वारा संकलित आंकड़ों से पता चलता है कि मात्रा के संदर्भ में, वित्त वर्ष 2023-24 के पहले 11 महीनों में रूस से आयातित कच्चे पेट्रोलियम की हिस्सेदारी बढ़कर 36 प्रतिशत हो गई है।

वित्त वर्ष 2021-22 में यह हिस्सेदारी दो प्रतिशत थी। सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात और कुवैत की हिस्सेदारी घटकर 23 प्रतिशत पर आ गई है।
 बंट गई 127 साल पुरानी गोदरेज, जानें किसके हाथ में है किस कंपनी की बागडोर

बंट गई 127 साल पुरानी गोदरेज, जानें किसके हाथ में है किस कंपनी की बागडोर

May 01, 2024 Add Comment

 बंट गई 127 साल पुरानी गोदरेज, जानें किसके हाथ में है किस कंपनी की बागडोर


Godrej Family Split गोदरेज ग्रुप की शुरुआत आजादी से पहले हुई है। इसे देश के सबसे पुराने वाले कारोबारी घरानों में शामिल किया जाता है। गोदरेज ग्रुप (Godrej Group) एक बार फिर से चर्चा में आ गया है। दरअसल ग्रुप के बंटवारे पर परिवार द्वारा मौहर लग गई है। बता दें कि गोदरेज ग्रुप की टोटल वैल्यू लगभग 2.34 लाख करोड़ रुपये है।

Godrej Group Split: बंट गई 127 साल पुरानी गोदरेज


बिजनेस डेस्क, नई दिल्ली। गोदरेज फैमिली (Godrej Family) जिसे पुराने कारोबारी घरानों में शामिल किया जाता है। एक बार फिर से चर्चा में आ गया है। बता दें कि गोदरेज ग्रुप (Godrej Group) 127 साल पुराना है। अब इस ग्रुप को दो हिस्सों में बांटा जाएगा।

गोदरेज कंपनी किस सेक्टर में करता है कारोबार

गोदरेज कंपनी की स्थापना 1897 में अर्देशिर गोदरेज ने की थी। यह पेशे से वकील थे पर बाद नें वकालत छोड़कर उन्होंने ताला बनाने का बिजनेस शुरू किया। उनके द्वारा बनाए गए ताले मजबूत के साथ किफायती भी थे।

इसके बाद उन्होंने साबुन बनाना शुरू किया। उन्होंने स्वेदेशी आंदोलन से प्रेरित होकर सबसे पहला एनिमल-फैट-फ्री साबुन बनाया। उन्होंने इस साबुन का नाम छवि दिया।

1923 में जब मुंबई में चोरी की मामलों में तेजी देखने को मिली तब उन्होंने इस मौके का फायदा उठाकर अलमारी बनाना शुरू किया। इस अलमारी में उन्होंने लॉकर की सुविधा दी जो लोगों को खूब पसंद आई।

इस तरह धीरे-धीरे गोदरेज कंपनी ने अपने व्यापार में तेजी लाई और कई सेक्टर में अपने कारोबार को शुरू किया।

अगर गोदरेज कंपनी के सेक्टर की बात करें तो गोदरेज ग्रुप का व्यापार कई सेक्टर में फैला है। कंपनी का दबदबा एग्रीकल्चर,रियल एस्टेट, रिटेल और स्पेस सेक्टर में भी है। इसका वैल्यूएशन लगभग 2.34 लाख करोड़ रुपये है।

वर्तमान में कंपनी 50 से ज्यादा देशों में बिजनेस कर रही है। इसके अलावा गोदरेज ग्रुप में 20 से ज्यादा कंपनियां है।


गोदरेज ग्रुप के बंटवारे में किसे क्या मिला

गोदरेज ग्रुप के बंटवारे (Godrej Group Split) पर परिवार द्वारा हस्ताक्षर किया गया, उसके बाद ऐलान किया गया। गोदरेज ग्रुप का बंटवारा दो पक्ष में हुआ है। एक पक्ष 82 वर्षीय आदी गोदरेज और उनके 73 वर्षीय भाई नादिर का है वहीं दूसरे पक्ष में 75 वर्षीय जमशेद गोदरेज और स्मिता गोदरेज हैं।

न्यूज एजेंसी रॉयटर्स के अनुसार बाजार में लिस्टिंग कंपनी गोदरेज इंडस्ट्रीज (Godrej Industries), गोदरेज कंज्यूमर प्रोडक्ट्स (Godrej Consumer Products), गोदरेज प्रोपर्टीज (Godrej Properties), गोदरेज एग्रोवेट (Godrej Agrovet) और एस्टेक लाइफ साइंसेज (Astech Life Sciences) की जिम्मेदारी आदि गोदरेज और उनके भाई नादिर गोदरेज को दी गई है।

गोदरेज ग्रुप की नॉन-लिस्टिड कंपनियों की जिम्मेदारी जमशेद गोदरेज और स्मिता गोदरेज को मिली। इसके अलावा इन्हें लैंड बैंक (Land Bank) भी मिला है। लैंड बैंक में मुंबई में 3,400 एकड़ की जमीन भी शामिल है।
गोदरेज ग्रुप में कौन-किस पायदान पर हैंजमशेद गोदरेज गोदरेज एंटरप्राइजेज समूह के चेयरपर्सन और मैनेजिंग डायरेक्टर होंगे।
स्मिता गोदरेज की बेटी न्यारिका होल्कर गोदरेज एंटरप्राइजेज समूह जिसमें गोदरेज एंड बायस और सहयोगी कंपनियां शामिल हैं उसकी एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर होंगी।
नादिर गोदरेज गोदरेज इंडस्ट्रीज समूह के चेयरपर्सन होंगे। गोदरेज इंडस्ट्रीज समूह में गोदरेज इंडस्ट्रीज, गोदरेज कंज्यूमर प्रोडक्ट्स, गोदरेज प्रापर्टीज, गोदरेज एग्रोवेट और एस्टेक लाइफसाइंसेज शामिल है।

इस बंटवारे को अंतिम रूप देने के लिए दोनों पक्षों ने ग्रुप के बोर्ड से इस्तीफा दिया है। आदी और नादिर गोदरेज ने गोदरेज एंड बायस के बोर्ड से इस्तीफा दिया है। वहीं, जमशेद गोदरेज ने जीसीपीएल और गोदरेज प्रापर्टीज के बोर्ड से रिजाइन किया है।
 Kotak Mahindra Bank के मैनेजिंग डायरेक्टर KVS Manian ने दिया इस्तीफा, 29 साल से ज्यादा किया था काम

Kotak Mahindra Bank के मैनेजिंग डायरेक्टर KVS Manian ने दिया इस्तीफा, 29 साल से ज्यादा किया था काम

May 01, 2024 Add Comment

 Kotak Mahindra Bank के मैनेजिंग डायरेक्टर KVS Manian ने दिया इस्तीफा, 29 साल से ज्यादा किया था काम


कोटक महिंद्रा बैंक ने मंगलवार को घोषणा की कि बैंक के संयुक्त प्रबंध निदेशक केवीएस मणियन ने तत्काल प्रभाव से इस्तीफा दे दिया है। कोटक महिंद्रा बैंक के संयुक्त प्रबंध निदेशक मणियन निजी क्षेत्र के अनुभवी ऋणदाता हैं। मणियन को इस साल जनवरी में प्रबंधन फेरबदल में पदोन्नत किया गया था। बैंक की ओर से मणियन के भविष्य के प्लान के बारे में जानकारी नहीं दी गई है।
Kotak Mahindra Bank के मैनेजिंग डायरेक्टर KVS Manian ने दिया इस्तीफा

HIGHLIGHTSमणियन निजी क्षेत्र के अनुभवी ऋणदाता हैं।
बैंक के नए एमडी और सीईओ अशोक वासवानी हैं।

 कोटक महिंद्रा बैंक ने मंगलवार को घोषणा की कि बैंक के संयुक्त प्रबंध निदेशक केवीएस मणियन (joint managing director K V S Manian) ने तत्काल प्रभाव से इस्तीफा दे दिया है।
कोटक महिंद्रा बैंक के संयुक्त प्रबंध निदेशक मणियन निजी क्षेत्र के अनुभवी ऋणदाता हैं। मणियन को इस साल जनवरी में प्रबंधन फेरबदल में पदोन्नत किया गया था।

RBI ने लगाए थे हाल ही में प्रतिबंध



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यह खबर आरबीआई द्वारा ऋणदाता पर गंभीर व्यावसायिक प्रतिबंध लगाने के कुछ दिनों बाद आई है। मालूम हो कि बैंक के टेक आर्टिटेक्चर में खामियों के चलते आरबीआई ने बैंक को नए क्रेडिट कार्ड बेचने पर रोक लगा दी है।
क्यों दिया मणियन ने पद से इस्तीफा

बैंक की ओर से दी गई स्टेटमेंट के मुताबिक, उपभोक्ता, वाणिज्यिक, थोक और निजी बैंकिंग सहित विभिन्न व्यवसायों का नेतृत्व करने वाले मणियन ने तत्काल प्रभाव से अपने पद से इस्तीफा दे दिया है।



हालांकि, बैंक की ओर से मणियन के भविष्य के प्लान और इस्तीफा देने के कारणों के बारे में जानकारी नहीं दी गई है।

उनकी पदोन्नति से कुछ दिन पहले, मीडिया रिपोर्ट्स का दावा था कि मणियन एक छोटे प्रतिद्वंद्वी बैंक के प्रमुख बनेंगे।

मणियन के बारे में पहले अटकलें थीं कि वे कोटक महिंद्रा बैंक के सीईओ और एमडी के रूप में उदय कोटक की जगह लेंगे।
मणियन की जगह कौन करेगा काम

मंगलवार को, कोटक महिंद्रा बैंक (Kotak Mahindra Bank) ने कहा कि उसके उप प्रबंध निदेशक शांति एकंबरम (deputy managing director Shanti Ekambaram) निवेश बैंकिंग और संस्थागत इक्विटी और परिसंपत्ति पुनर्निर्माण व्यवसायों की देखरेख करेंगे, जिनकी देखरेख मणियन करते थे।

जबकि बैंक के नए एमडी और सीईओ अशोक वासवानी (newly appointed MD and CEO Ashok Vaswani) थोक, वाणिज्यिक की देखरेख करेंगे। बैंक सीधे उन्हें ही रिपोर्ट करेगा।

अशोक वासवानी ने कहा, "मणियन ने कोटक में 29 साल से अधिक समय बिताया है और हम उनके सहयोग के लिए उनके आभारी हैं और हम उनके भविष्य के प्रयासों के लिए शुभकामनाएं देते हैं।"
 UPI में आई तेजी के बाद भी बढ़ रही है नकदी की मांग, हर महीने एक ATM से होता है 1.43 करोड़ रुपये का कैश विड्रॉल

UPI में आई तेजी के बाद भी बढ़ रही है नकदी की मांग, हर महीने एक ATM से होता है 1.43 करोड़ रुपये का कैश विड्रॉल

April 30, 2024 Add Comment

 UPI में आई तेजी के बाद भी बढ़ रही है नकदी की मांग, हर महीने एक ATM से होता है 1.43 करोड़ रुपये का कैश विड्रॉल


डिजिटल पेमेंट यानी यूपीआई (UPI) के बाद माना जा रहा है कि कैश फ्लो में कमी आएगी लेकिन ऐसा नहीं हुआ। कैश विड्ऱॉल को लेकर देश की अग्रणी कैश लॉजिस्टिक्स कंपनी सीएमएस इंफोसिस्टम्स ने एक रिपोर्ट जारी की है। रिपोर्ट के अनुसार वित्त वर्ष 2024 में हर महीने एक एटीएम से कैश विड्रॉ में 5.51 फीसदी की वृद्धि हुई।

 
Cash Withdrawal: UPI में आई तेजी के बाद भी बढ़ रही है नकदी की मांग


पीटीआई, नई दिल्ली। डिजिटल पेमेंट (Digital Payment) को बढ़ावा देने के लिए सरकार के साथ भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा भी कई कदम उठाए जा रहे हैं। इसके बावजूद देश में नकदी यानी कैश की मांग में तेजी देखने को मिल रही है।

कैश विड्रॉल को लेकर सीएमएस इंफोसिस्टम्स (CMS Infosystems) ने एक रिपोर्ट जारी किया है। बता दें कि सीएमएस इंफोसिस्टम्स भारत की अग्रणी कैश लॉजिस्टिक्स कंपनी है।

कंपनी ने वार्षिक रिपोर्ट में बताया कि पिछले वित्त वर्ष 2023-24 में एक एटीएम से हर महीने होने वाले कैश विड्रॉल में औसत 5.51 फीसदी (करीब 1.43 करोड़ रुपये) की वृद्धि देखने को मिली है। इसका मतलब है कि अभी भी कई लोग कैश से लेन-देन करना पसंद करते हैं।


कैश विड्रॉल में आई तेजी

रिपोर्ट के मुताबिक यूपीआई (UPI) जैसे डिजिटल भुगतान मोड में तेजी देखने को मिली है। ऐसे में कैश के उपयोग में भले ही गिरावट आई है। कंपनी ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि वित्त वर्ष 2013 में स्वचालित टेलर मशीन (ATM) से हर महीने लगभग 1.35 करोड़ रुपये का कैश विड्रॉल हुआ।

देश के महानगरों में औसत नकदी निकासी में 10.37 प्रतिशत की वृद्धि हुई। इसके बाद एसयूआरयू (अर्ध-शहरी और ग्रामीण) में 3.94 प्रतिशत और अर्ध-महानगरों में 3.73 प्रतिशत की वृद्धि हुई।

देश के लगभग आधे एटीएम को मैनेज करने वाली कंपनी ने भी कैश विड्रॉल को लेकर रिपोर्ट पेश किया। इनके रिपोर्ट के अनुसार मेट्रो स्थानों यानी महानगरों में एटीएम से नकदी निकासी में 37.49 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, जबकि एसयूआरयू में एटीएम से नकदी निकासी में 12.50 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई है।




सरकारी लेंडर के मामले में 49 प्रतिशत एटीएम महानगरीय और शहरी क्षेत्रों में स्थित हैं। वहीं, प्राइवेट लेंडर वाले बैंकों में इनकी संख्या 64 प्रतिशत है, जबकि शेष एटीएम दोनों लेंडर के अर्ध शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में हैं।

एटीएम से कैश विड्रॉल के मामले में कर्नाटक देश में सबसे आगे है और इसके बाद 1.82 करोड़ रुपये के साथ दिल्ली और 1.62 करोड़ रुपये के साथ पश्चिम बंगाल है।

'अनफोल्डिंग इंडियाज कंजम्पशन स्टोरी' शीर्षक वाली रिपोर्ट में कहा गया है कि वित्त वर्ष 2024 में मीडिया और मनोरंजन सेक्टर में औसत खर्च 29.30 प्रतिशत बढ़ गया, जबकि वित्त वर्ष 23 में 21.94 प्रतिशत की गिरावट के बाद वित्त वर्ष 2024 में तेजी से आगे बढ़ने वाले उपभोक्ता वस्तुओं पर खर्च 16.76 प्रतिशत बढ़ गया।
 ब्याज वसूलने के अनुचित तरीकों के इस्तेमाल पर आरबीआई चिंतित, बैंकों से कही यह बात

ब्याज वसूलने के अनुचित तरीकों के इस्तेमाल पर आरबीआई चिंतित, बैंकों से कही यह बात

April 30, 2024 Add Comment

 ब्याज वसूलने के अनुचित तरीकों के इस्तेमाल पर आरबीआई चिंतित, बैंकों से कही यह बात


सर्कुलर में कहा गया है कि ये आरबीआई के लिए गंभीर चिंता का विषय है। जहां भी इस तरह के मामले सामने आए हैं वहां पर आरबीआई ने बैंकों को ग्राहकों को इस तरह के अतिरिक्त ब्याज और अन्य शुल्क वापस करने को कहा है। इसके अलावा कुछ मामलों में ऋण वितरण के लिए जारी किए गए चेक के बदले बैंकों को फंड ऑनलाइन ट्रांसफर करने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है।
केंद्रीय बैंक ने कुछ ऋणदाताओं द्वारा अपनाई जा रही कुछ अनुचित प्रथाओं पर भी प्रकाश डाला है।

 आरबीआई ने कुछ बैंकों द्वारा ब्याज वसूलने में अनुचित तरीकों का इस्तेमाल करने पर चिंता जताई है। केंद्रीय बैंक ने उन्हें इस प्रक्रिया में सुधार करने और ग्राहकों से वसूले गए अतिरिक्त शुल्क को वापस करने का निर्देश दिया है। इस संबंध में जारी एक सर्कुलर में आरबीआई (RBI) ने कहा, ''मौके पर जांच के दौरान आरबीआई को ऋणदाताओं द्वारा ब्याज वसूलने में कुछ अनुचित तरीकों का इस्तेमाल करने के मामले मिले हैं।''

केंद्रीय बैंक ने कुछ ऋणदाताओं द्वारा अपनाई जा रही कुछ अनुचित प्रथाओं पर भी प्रकाश डाला है। केंद्रीय बैंक ने सभी ऋणदाताओं को निर्देश दिया है कि वे ऋण वितरण के तरीके, ब्याज और अन्य शुल्क के संबंध में अपनाई प्रक्रियाओं की समीक्षा करें और आवश्यकतानुसार सुधारात्मक कार्रवाई करें।

मौके पर जांच के दौरान आरबीआई को इस तरह के मामले मिले, जिसमें कर्ज मंजूरी की तारीख से ब्याज वसूला जा रहा था ना कि ग्राहक को धन हस्तांतरण की तारीख से। ऐसे भी मामले सामने आए जहां चेक की तारीख से ब्याज वसूला गया जबकि ग्राहक को चेक कई दिनों बाद सौंपा गया। जांच के दौरान यह भी पता चला कि कुछ बैंक ऋण वितरण या पुनर्भुगतान के मामले उस अवधि के लिए ब्याज नहीं ले रहे थे, जिसके लिए ऋण बकाया था।

सर्कुलर में कहा गया है कि ये आरबीआई के लिए गंभीर चिंता का विषय है। जहां भी इस तरह के मामले सामने आए हैं, वहां पर आरबीआई ने बैंकों को ग्राहकों को इस तरह के अतिरिक्त ब्याज और अन्य शुल्क वापस करने को कहा है। इसके अलावा कुछ मामलों में ऋण वितरण के लिए जारी किए गए चेक के बदले बैंकों को फंड ऑनलाइन ट्रांसफर करने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है।
 क्रेडिट कार्ड को करें इस तरह से मैनेज, कर्ज के तले दबने से बच जाएंगे

क्रेडिट कार्ड को करें इस तरह से मैनेज, कर्ज के तले दबने से बच जाएंगे

April 29, 2024 Add Comment

 क्रेडिट कार्ड को करें इस तरह से मैनेज, कर्ज के तले दबने से बच जाएंगे


Credit Card Usage Tips हमारे पॉकेट में कैश नहीं है तब भी हम आसानी से क्रेडिट कार्ड (Credit Card) के जरिये पेमेंट कर सकते हैं। कई बार क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल इतना ज्यादा कर देते हैं कि हम कर्जे के बोझ तले दब जाते हैं। आइए इस आर्टिकल में जानते हैं कि आप कैसे क्रेडिट कार्ड को सही तरीके से मैनेज कर सकते हैं।

Credit Card Usage Tips: क्रेडिट कार्ड को करें इस तरह से मैनेज

 Credit Card Management Techniques: क्रेडिट कार्ड (Credit Card) यूजर की संख्या में तेजी देखने को मिली है। ज्यादातर लोग क्रेडिट कार्ड के जरिये पेमेंट करना पसंद करते हैं। ऐसे में यह कहना बिल्कुल गलत नहीं होगा कि क्रेडिट कार्ड ने कैश फ्लो की जगह ले ली है।

दरअसल, अब पर्स में कैश नहीं है पर फिर भी हमें कोई टेंशन नहीं। हम आसानी से क्रेडिट कार्ड के जरिये पेमेंट कर सकते हैं। यहां तक कि अब क्रेडिट कार्ड के जरिये यूपीआई (UPI) पेमेंट भी की जा सकती है।

ऐसे में कई बार हम क्रेडिट कार्ड का धड़ल्ले से इस्तेमाल कर देते हैं। इसका असर हमारे क्रेडिट स्कोर (Credit Score) पर पड़ता है और हमारे ऊपर कर्ज भी चढ़ जाता है। ऐसे में क्रेडिट स्कोर को सही करने और बोझ को कम करने के लिए क्रेडिट कार्ड को सही से मैनेज ( Credit Card Management) करना जरूरी है।


आज हम आपको क्रेडिट कार्ड को सही से मैनेज करने के लिए कुछ टिप्स बताएंगे जिसकी मदद से आप अपने सिबिल स्कोर (Cibil Score) को अच्छा कर सकते हैं और आप पर कोई कर्ज भी नहीं रहेगा।


क्रेडिट लिमिट का सीमित इस्तेमाल

जब हमारी इनकम कम होती है तो हम कई खर्चों के लिए क्रेडिट कार्ड को स्वाइप करते हैं। ऐसे में कई बार हम क्रेडिट कार्ड लिमिट (Credit Card Limit) से ज्यादा खर्च कर देते हैं। ऐसा करने से हमें बचना चाहिए। हमें कोशिश करनी चाहिए कि हम क्रेडिट लिमिट का 30 फीसदी ही इस्तेमाल करें।

उदाहरण के तौर पर अगर कार्ड की लिमिट 1 लाख रुपये है तो हमें कोशिश करनी चाहिए कि हम केवल 30 फीसदी यानी 30,000 रुपये की खर्च करें। अगर हम इस लिमिट से ज्यादा खर्च करते हैं तो इसका असर हमारे क्रेडिट स्कोर पर पड़ता है।

क्रेडिट बिल समय से भरें

क्रेडिट कार्ड बिल (Credit Card Bill) की ड्यू डेट को हमेशा ध्यान में रखना चाहिए। हमें हमेशा क्रेडिट बिल का समय से पेमेंट करनी चाहिए। अगर किसी वजह से आप बिल की पेमेंट करना भूल जाते हैं तो आपका क्रेडिट स्कोर गिर सकता है।

इसके अलावा अगर आप समय से बिल की पेमेंट नहीं करते हैं तो आप भविष्य में क्रेडिट कार्ड अपग्रेड (Credit Card Upgrade) की सुविधा का लाभ नहीं उठा पाएंगे।
इंटरेस्ट रेट को समझें

क्रेडिट कार्ड पर लगने वाला इंटरेस्ट (Credit Card Interest ) भी बहुत जरूरी होता है। अगर यूजर समय से क्रेडिट कार्ड का बिल नहीं भरता है तो बाद में बैंक इसकी भरपाई के लिए ज्यादा ब्याज लगता है।

ऐसे में आपको यह समझना जरूरी है कि आप जिस कंपनी का क्रेडिट कार्ड ले रहे हैं उसके इंटरेस्ट रेट और प्रोसेसिंग चार्ज के बारे में अच्छे से समझें।


ज्यादा खर्च से बचें

कई बार हम रिवॉर्ड या फिर ऑफर के चक्कर में क्रेडिट कार्ड से ज्यादा खर्च कर लेते हैं। इस तरह के खर्च से हमें हमेशा बचना चाहिए। हम जितना खर्च करते हैं बाद में उसका भुगतान सही समय पर न करने की वजह से हम कर्ज के तले दब सकते हैं।
 BSE के शेयरों में आया भूचाल, लिस्टिंग के बाद सबसे बड़ी गिरावट, जानें क्या है वजह

BSE के शेयरों में आया भूचाल, लिस्टिंग के बाद सबसे बड़ी गिरावट, जानें क्या है वजह

April 29, 2024 Add Comment

 BSE के शेयरों में आया भूचाल, लिस्टिंग के बाद सबसे बड़ी गिरावट, जानें क्या है वजह


बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) के शेयरों में जबरदस्त गिरावट आई है। यह शुरुआती कारोबार में एक वक्त करीब 18 प्रतिशत तक फिसलकर 2612 रुपये के लेवल पर गया था। यह स्टॉक लिस्टिंग के बाद इतना ज्यादा कभी नहीं गिरा था। BSE के शेयरों में बड़ी गिरावट की वजह है मार्केट रेगुलेटर सेबी (SEBI) का एक्शन। आइए जानते हैं पूरी खबर।
BSE का स्टॉक लिस्टिंग के बाद इतना ज्यादा कभी नहीं गिरा था।

 इस सप्ताह के पहले ही कारोबारी सत्र में बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) के शेयरों में जबरदस्त गिरावट आई है। यह शुरुआती कारोबार में एक वक्त करीब 18 प्रतिशत तक फिसलकर 2612 रुपये के लेवल पर गया था। यह स्टॉक लिस्टिंग के बाद इतना ज्यादा कभी नहीं गिरा था। BSE के शेयरों में बड़ी गिरावट की वजह है मार्केट रेगुलेटर सेबी (SEBI) का एक्शन।

दरअसल, शेयर बाजार से जुड़े नियम कानून बनाने वाले सेबी ने बीएसई को आदेश दिया है कि वह ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट का नोशनल वैल्यू के आधार पर कैलकुलेशन करके एनुअल ट्रेड फीस पर रेगुलेटरी फीस दे। बीएसई पहले अपने एनुअल टर्नओवर का कैलकुलेशन प्रीमियम वैल्यू के ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट के आधार पर करता था।

क्या होती है नोशनल वैल्यू?

नोशनल वैल्यू किसी अंडरलाइंग एसेट के मार्केट प्राइस को कॉन्ट्रैक्ट के अमाउंट से गुणा करके निकाली जाती है। मिसाल के लिए, 50 रुपये भाव वाले किसी स्टॉक के 100 शेयर का ऑप्शंस कॉन्ट्रैक्ट है, तो इसकी नोशनल वैल्यू होगी, 5000 रुपये। सेबी के आदेश का सीधा असर बीएसई की कमाई पर पड़ेगा। यही वजह है कि निवेशकों ने बीएसई के स्टॉक की जमकर बिकवाली की।


सेबी को कितने रुपये देगा BSE

सेबी ने बीएसई से कहा है कि वह डिफरेंशियल फीस के तौर पर करीब 165 करोड रुपये का पेमेंट करे। इसमें से 69 करोड़ रुपये वित्त वर्ष 2007 से 2023 तक के लिए हैं। वहीं, पिछले वित्त वर्ष के लिए करीब 96 करोड़ रुपये चुकाना है। इस फीस का भुगतान बीएसई को वित्त वर्ष होने से 30 दिन पहले करना होगा।

मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज ऑफ इंडिया (MCX) कंपनी को भी करीब 4.43 करोड़ रुपये डिफरेंशियल फीस देनी है।
कितना रिटर्न दिया है बीएसई

बीएसई के स्टॉक ने अपने निवेशकों को काफी तगड़ा मुनाफा दिया है। पिछले 6 महीने में बीएसई से सिर्फ 50 के करीब रिटर्न मिला है। लेकिन, एक साल में निवेशकों को 435 प्रतिशत का मुनाफा है। खबर लिखे जाने तक बीएसई के शेयर 12.31 प्रतिशत की गिरावट के साथ 2,815.10 रुपये पर कारोबार कर रहे थे।
 एनसीएस पोर्टल पर गत वित्त वर्ष में निजी सेक्टर के लिए एक करोड़ नौकरी की वेकेंसी

एनसीएस पोर्टल पर गत वित्त वर्ष में निजी सेक्टर के लिए एक करोड़ नौकरी की वेकेंसी

April 28, 2024 Add Comment

 एनसीएस पोर्टल पर गत वित्त वर्ष में निजी सेक्टर के लिए एक करोड़ नौकरी की वेकेंसी


वित्त वर्ष 2022-23 में एनसीएस पोर्टल पर 35 लाख वेकेंसी आई थी। पोर्टल के आंकड़ों के मुताबिक निजी सेक्टर में सबसे अधिक वेकेंसी वित्त एवं इंश्योरेंस सेक्टर के लिए निकल रही हैं। वित्त वर्ष 2022-23 में वित्त व इंश्योरेंस सेक्टर के लिए एनसीएस पोर्टल पर 19.98 लाख वेकेंसी आई थी तो गत वित्त वर्ष 2023-24 में इन सेक्टर में 46.69 लाख वेकेंसी डाली गई।

एनसीएस पोर्टल पर गत वित्त वर्ष में निजी सेक्टर के लिए एक करोड़ नौकरी की वेकेंसी


 सरकारी नौकरियों के लिए भले ही कम वेकेंसी निकल रही है, लेकिन निजी सेक्टर में युवाओं के लिए भरपूर अवसर दिख रहे हैं। श्रम व रोजगार मंत्रालय के नेशनल करियर सर्विस (एनसीएस) पोर्टल पर निकलने वाली वेकेंसी इस बात दर्शा रही है।

मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, पिछले साल अप्रैल से लेकर इस साल 31 मार्च तक (वित्त वर्ष 2023-24) एनसीएस पोर्टल पर नौकरी प्रदाता कंपनियों की तरफ से रिकार्ड एक करोड़ नौकरियों की वेकेंसी डाली गई जो वित्त वर्ष 2022-23 की वेकेंसी के मुकाबले 214 प्रतिशत अधिक है।

वित्त वर्ष 2022-23 में एनसीएस पोर्टल पर 35 लाख वेकेंसी आई थी। पोर्टल के आंकड़ों के मुताबिक निजी सेक्टर में सबसे अधिक वेकेंसी वित्त एवं इंश्योरेंस सेक्टर के लिए निकल रही हैं। वित्त वर्ष 2022-23 में वित्त व इंश्योरेंस सेक्टर के लिए एनसीएस पोर्टल पर 19.98 लाख वेकेंसी आई थी तो गत वित्त वर्ष 2023-24 में इन सेक्टर में 46.69 लाख वेकेंसी डाली गई। मैन्यूफैक्चरिंग, शिक्षा, आईटी एवं संचार व अन्य प्रकार के प्रोफेशनल्स सेक्टर के लिए भी बड़ी संख्या में वेकेंसी आई।

आईटीआई और डिप्लोमा होल्डर्स के लिए सबसे अधिक वेकेंसी देखी गई। सरकार के एनसीएस पोर्टल पर दसवीं पास से लेकर पीएचडी डिग्रीधारक तक नौकरी के लिए अप्लाई कर सकता है। इस पोर्टल पर इस साल 31 मार्च तक 25.58 लाख नियोक्ता मौजूद थे। हालांकि इस पोर्टल पर यह डाटा उपलब्ध नहीं होता है कि रिक्त वेकेंसी में कितनी वेकेंसी भर ली गई। इस बारे में श्रम मंत्रालय के अधिकारी ने बताया कि कई बार जिन युवाओं को रोजगार मिल जाता है, वे भी अपने बायोडाटा को पोर्टल से नहीं हटाते हैं क्योंकि वे अगली अच्छी नौकरी की तलाश में रहते हैं।

इसलिए नौकरी मिलने वालों की संख्या का सटीक आकलन नहीं किया जा सकता है।\\Bनौकरी खोजने व देने दोनों मामले में होगा एआई का इस्तेमाल\ Bमंत्रालय एनसीएस पोर्टल 2.0 लांच करने जा रहा है जहां नौकरी खोजने वाले और देने वाले दोनों को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) व मशीन लर्निंग (एमएल) की मदद दी जाएगी।

मंत्रालय के अधिकारी के मुताबिक मान लीजिए किसी ने इलेक्टि्रशियन की नौकरी के लिए अप्लाई किया। एआई व एमएल की मदद से वेकेंसी को देखते हुए उसे सिस्टम बताएगा कि फलां कोर्स कर लेने पर उसे और अच्छी और अधिक वेतन वाली नौकरी मिल सकती है।

वैसे ही नियोक्ता को सिस्टम उन आवेदकों के बारे में भी जानकारी देगी जिन्होंने उनकी नौकरी के लिए अप्लाई नहीं किया है। वित्त वर्ष 2023-24 में एनसीएस पोर्टल पर निकलने वाली वेकेंसी (सभी संख्या हजार में)फाइनेंस व इंश्योरेंस 4669, आपरेशंस एंड सपोर्ट 1446, सेवा सेक्टर 1070, विशेषज्ञ प्रोफेशनल्स सर्विस 154 शिक्षा, 190मैन्यूफैक्चरिंग, 689आईटी व संचार, 494 अन्य 2212।
 दिग्गज आईटी कंपनियों में 70 हजार घटी कर्मचारियों की संख्या, जानें क्या है वजह

दिग्गज आईटी कंपनियों में 70 हजार घटी कर्मचारियों की संख्या, जानें क्या है वजह

April 28, 2024 Add Comment

 दिग्गज आईटी कंपनियों में 70 हजार घटी कर्मचारियों की संख्या, जानें क्या है वजह


भारत के आईटी सेवा क्षेत्र के राजस्व में धीमी वृद्धि के बीच देश की दिग्गज आईटी कंपनियों में बीते वित्त वर्ष के दौरान कर्मचारियों की संख्या में 70 हजार की कमी आई है। वित्त वर्ष 2023-24 के दौरान इन्फोसिस टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (टीसीएस) विप्रो और टेक महिंद्रा के कर्मचारियों में सबसे ज्यादा कमी दर्ज की गई है। सिर्फ एचसीएल टेक में कर्मचारियों की संख्या में बढ़ी है।

इन्फोसिस के कर्मचारियों की संख्या में सबसे ज्यादा 25,994 की कमी आई है।


वैश्विक चुनौतियों के बीच भारत के आईटी सेवा क्षेत्र के राजस्व में धीमी वृद्धि के बीच देश की दिग्गज आईटी कंपनियों में बीते वित्त वर्ष के दौरान कर्मचारियों की संख्या में 70 हजार की कमी आई है। वित्त वर्ष 2023-24 के दौरान इन्फोसिस, टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (टीसीएस), विप्रो और टेक महिंद्रा के कर्मचारियों में सबसे ज्यादा कमी दर्ज की गई है।

सिर्फ HCL टेक में बढ़े कर्मचारी

बीते वित्त वर्ष के दौरान इन्फोसिस के कर्मचारियों की संख्या में सबसे ज्यादा 25,994 की कमी आई है, जबकि टीसीएस के कर्मचारियों की संख्या 13,429 घटी है। एक अन्य आईटी कंपनी विप्रो के कर्मचारियों की संख्या में पूरे वित्त वर्ष के दौरान 24,516 की कमी आई है। इसी तरह टेक महिंद्रा के कर्मचारियों की संख्या 6,945 घटी है। हालांकि, इस दौरान एचसीएल टेक से कर्मचारियों की संख्या में 1,537 की वृद्धि हुई है।


रेवेन्यू में सुस्ती है बड़ी वजह

रेटिंग एजेंसी क्रिसिल रेटिंग्स की एक ताजा रिपोर्ट के अनुसार, वित्त वर्ष 2024-25 के दौरान भी आईटी सेवा क्षेत्र के राजस्व में वृद्धि लगातार दूसरे वर्ष भी धीमी रह सकती है और इस वर्ष क्षेत्र के राजस्व में 5-7 प्रतिशत की वृद्धि रह सकती है। रेवेन्यू में धीमी वृद्धि के चलते आइटी सेवा कंपनियों ने फ्रेशर्स को नौकरी देना बंद कर दिया है।

इसका नतीजा यह रहा कि दिसंबर 2023 में कर्मचारियों की संख्या में वार्षिक आधार पर चार प्रतिशत की कमी दर्ज की गई थी। क्रिसिल रेटिंग्स के निदेशक आदित्य झावेर का कहना है कि टेक्नोलॉजी खर्च में मंदी चालू वित्त वर्ष में भी जारी रहेगी। इसका असर आईटी सेवा प्रदाताओं की राजस्व वृद्धि पर पड़ेगा।'
 HDFC बैंक, Paytm और अब कोटक महिंद्रा बैंक; वित्तीय संस्थानों के खिलाफ इतनी सख्ती क्यों कर रहा RBI?

HDFC बैंक, Paytm और अब कोटक महिंद्रा बैंक; वित्तीय संस्थानों के खिलाफ इतनी सख्ती क्यों कर रहा RBI?

April 27, 2024 Add Comment

 HDFC बैंक, Paytm और अब कोटक महिंद्रा बैंक; वित्तीय संस्थानों के खिलाफ इतनी सख्ती क्यों कर रहा RBI?



RBI ने कोटक महिंद्रा बैंक के खिलाफ सख्त एक्शन लिया है। हालांकि यह पहली बार नहीं है जब आरबीआई ने उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा के लिए किसी बड़े वित्तीय संस्थान के खिलाफ कार्रवाई की हो। आइए एक्सपर्ट से जानते हैं कि RBI को वित्तीय संस्थानों के खिलाफ एक्शन क्यों लेना पड़ता है और वित्तीय संस्थान अपने कामकाज में किस तरह से सुधार कर सकते हैं।
आरबीआई ने HDFC बैंक और पेटीएम पेमेंट्स बैंक के खिलाफ भी सख्त एक्शन लिया था।


बिजनेस डेस्क, नई दिल्ली। एक वक्त था, जब बैंक और एटीएम में पैसे निकालने के लिए लंबी-लंबी लाइनों में लगता था। लोग अपनी बारी का इंतजार करने के लिए घंटों बाहर खड़े रहते थे। लेकिन, बैंकिंग सिस्टम का डिजिटाइलेशन होने के बाद बैंकिंग लाइन में लगना तकरीबन गुजारे जमाने की बात हो गई है।

अब देश की आबादी का एक बड़ा हिस्सा मोबाइल बैंकिंग का इस्तेमाल करता है। दूर-दराज के इलाकों में भी सब्जियों के ठेले से लेकर पान की दुकानों पर आपको यूपीआई पेमेंट के स्कैनर लगे मिल जाएंगे। डिजिटल पेमेंट ने लोगों की जिंदगी आसान तो की है, लेकिन इसका एक स्याह पक्ष भी है। इससे जुड़ी धोखाधड़ी के मामले भी तेजी से बढ़े हैं।

यही वजह है कि बैंकिंग रेगुलेटर रिजर्व बैंक (RBI) वित्तीय गड़बड़ियों को रोकने के लिए बड़े पैमाने पर सख्ती बरत रहा है। उसने कोटक महिंद्रा बैंक समेत कई फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशन के खिलाफ अपनी चाबुक चलाई है, जिनके कामकाज में गड़बड़ी पाई गई थी। आइए जानते हैं कि आरबीआई ने किन बैंकों के खिलाफ एक्शन लिया है और इसके बारे में एक्सपर्ट का क्या कहना है।
टीएम पेमेंट्स बैंक में कई गंभीर खामियां मिलीं। यहां तक पाया कि कई खातों का इस्तेमाल मनी लॉन्ड्रिंग जैसे गैरकानूनी कामों के लिए किया गया।

इस साल की शुरुआत में आरबीआई ने पेटीएम पेमेंट्स बैंक को कामकाज बंद करने का आदेश दिया। इससे पेटीएम के सामने वजूद बचाने का संकट तक खड़ा हो गया था। इसके शेयरों में भी भारी गिरावट आई। पेटीएम के शेयरों ने पिछले 6 महीने में करीब 58 प्रतिशत का नेगेटिव रिटर्न दिया है।
इतनी सख्ती क्यों कर रहा RBI

रिजर्व बैंक ना सिर्फ बैंकों, बल्कि IIFL फाइनेंस और जेएम फाइनेंशियल जैसे नॉन-बैंकिंग फाइनेंस कंपनीज (NBFC) के खिलाफ भी सख्त एक्शन ले चुका है। इनके कामकाज में गंभीर खामियां मिली थी।

आरबीआई फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशन के खिलाफ कड़ी कार्रवाई क्यों कर रहा है। इस सवाल के जवाब में असित सी मेहता इन्वेस्टमेंट इंटरमीडिएट्स लिमिटेड में रिसर्च के हेड सिद्धार्थ भामरे का कहना है कि किसी भी सरकारी रेगुलेटर का काम ऐसा माहौल बनाना होता है, जिसमें सभी पक्षों का हित हो और उन्हें आगे बढ़ने का समान मौका मिले।

सिद्धार्थ ने कहा कि आरबीआई ने रेगुलेशन के मामले में अपनी अलग साख बनाई है। इसने एक बार फिर दिखाया है कि सबके हितों की रक्षा करने वाला इंस्टीट्यूशन है। फिर चाहे बात मॉनिटिरी पॉलिसी की हो या रेगुलेटरी एक्शन की, आरबीआई ने हमेशा मामले को हद से ज्यादा बिगड़ने से पहले ही जरूरी कदम उठा लिए हैं।थ ऑनबोर्ड करने की इजाजत देता था और वह भी टागरेट में जुड़ता था।

जुलाई 2023 में बैंक के ही एक कर्मचारी (व्हिसलब्लोअर) ने इस 'फर्जीवाड़े' की जानकारी मीडिया को दी। फिर आरबीआई ने बैंक ऑफ बड़ौदा के खिलाफ सख्त एक्शन लिया। कई अधिकारी लेवल के लोग सस्पेंड हुए, कई कर्मचारियों को ट्रांसफर किया गया। आरबीआई ने बाद में bob वर्ल्ड ऐप को भी बंद कर दिया।

पेटीएम पेमेंट्स बैंक को बड़ा झटका

पेटीएम ने एक वक्त देश में डिजिटल पेमेंट की अगुआई की। इसमें वॉरेन बफेट जैसे दिग्गज निवेशक तक ने पैसे लगाए। लेकिन, पेटीएम पेमेंट्स बैंक से कंपनी को ऐसा झटका लगा, जिससे यह अभी भी उबरने की कोशिश कर रही है। दरअसल, आरबीआई को पे

पहला शिकंजा HDFC बैंक पर

आरबीआई ने साल 2020 में देश के सबसे बड़े प्राइवेट बैंक HDFC बैंक के खिलाफ एक्शन लिया था और उस पर नए क्रेडिट कार्ड कस्टमर जोड़ने और कोई भी नया डिजिटल प्रोडक्ट लॉन्च करने पर अस्थायी रोक लगा दी थी। HDFC बैंक में आरबीआई को डिजिटल बैंकिंग, कार्ड और पेमेंट से जुड़े कई तकनीकी खामियां मिली थीं।

इससे HDFC बैंक की साख को बड़ा धक्का लगा। इसका अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि HDFC बैंक के शेयरों ने पिछले पांच साल में सिर्फ 28 प्रतिशत का रिटर्न दिया है।
बैंक ऑफ बड़ौदा का वर्ल्ड ऐप

बैंक ऑफ बड़ौदा ने सितंबर 2021 में bob World ऐप लॉन्च किया। मकसद था, जब भारतीय स्टेट बैंक के Yono App की तर्ज पर अपना कस्टमर बेस बढ़ाना। इसके लिए बैंक ने अपने कर्मचारियों को बड़े टारगेट दिए। कर्मचारियों ने टारगेट पूरा करने के लिए एक लूपहोल का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया, जो पुराने कस्टमर को भी मोबाइल नंबर के सा
समय पर एक्शन लेना RBI की खासियत

सिद्धार्थ भामरे का कहना है कि कोटक महिंद्रा बैंक पहला मामला नहीं है, जब RBI ने किसी बड़े नाम के खिलाफ चाबुक चलाया हो। इससे पहले HDFC बैंक और हाल ही में पेटीएम के खिलाफ भी एक्शन लिया था, जो उपभोक्ताओं के हितों के साथ खिलवाड़ कर रहे थे।


RBI जब भी किसी वित्तीय संस्था के खिलाफ एक्शन लेता है, तो इस बात का खास ख्याल रखता है कि उसका मौजूदा खाताधारकों और वित्तीय सेवाओं का इस्तेमाल करने वालों पर कोई बुरा असर ना पड़े। यूजर्स को दूसरे वित्तीय संस्थानों में स्विच करने के लिए भी पर्याप्त समय दिया जाता है। यहां तक कि फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशन पर प्रतिबंध भी स्थायी नहीं होते। जब वे अपनी खामियों को दुरुस्त कर लेते हैं, तो प्रतिबंध हटा दिए जाते हैं।

सिद्धार्थ भामरे, रिसर्च हेड, असित सी मेहता इन्वेस्टमेंट इंटरमीडिएट्स लिमिटेड
गड़बड़ी को कैसे सुधार सकते हैं बैंक

आज जब ज्यादातर वित्तीय लेनदेन टेक्नोलॉजी के जरिए होते हैं, तो बतौर रेगुलेटर आरबीआई की जिम्मेदारी और भी ज्यादा बढ़ जाती है। सिद्धार्थ का कहना है कि अगर वित्तीय संस्थानों को अपने उपभोक्ताओं के हितों से खिलवाड़ किए बिना सेवाएं देना है, तो उन्हें टेक्नोलॉजी में निवेश बढ़ाना होगा। साथ ही, समय के अपडेट और अपग्रेड करते रहना होगा।
 बीते वित्त वर्ष में भारतीय स्टार्टअप्स ने फाइल किए 83 हजार पेटेंट, नैसकॉम ने जारी की रिपोर्ट

बीते वित्त वर्ष में भारतीय स्टार्टअप्स ने फाइल किए 83 हजार पेटेंट, नैसकॉम ने जारी की रिपोर्ट

April 27, 2024 Add Comment

 बीते वित्त वर्ष में भारतीय स्टार्टअप्स ने फाइल किए 83 हजार पेटेंट, नैसकॉम ने जारी की रिपोर्ट


स्टार्टअप और एमएसएमई (सूक्ष्मलघु और मध्यम उद्यमों) के आइपी पंजीकरण के लिए सरकार ने सब्सिडी सुविधा केंद्र मजबूत अनुसंधान और विकास ईकोसिस्टम बनाने में भरपूर मदद की है। नैसकॉम ने शुक्रवार को अपने वार्षिक भारत में पेटेंट रुझान अध्ययन का सातवां संस्करण जारी किया। रिपोर्ट के अनुसार वित्त वर्ष 2023 में पेटेंट दाखिल करने में 24.6 प्रतिशत की वार्षिक वृद्धि दर पिछले दो दशकों के बाद सर्वाधिक है।
नैस्काम की एक रिपोर्ट के अनुसार, पेटेंट फाइल करने में एआइ, इंटरनेट आफ ¨थग्स और न्यूरो टेक्नोलाजी स्टार्टअप आगे रहे।

 भारत में नवाचार या इनोवेशन की अद्भुत क्षमता है। अनुकूल माहौल मिलने से भारत की यह क्षमता अब स्पष्ट तौर पर नजर आ रही है। सरकार की उदार नीतियों के कारण स्टार्टअप्स ईकोसिस्टम फल फूल रहा है। इनमें गजब का आत्मविश्वास आया है। पिछले वित्त वर्ष में भारतीय स्टार्टअप्स ने 83 हजार पेटेंट फाइल किए हैं। पेटेंट फाइल करने में आटिफिशियल इंटेलिजेंस (एआइ), इंटरनेट आफ थिंग्‍स (आइओटी) और न्यूरो टेक्नोलॉजी स्टार्टअप आगे रहे।

स्टार्टअप और एमएसएमई (सूक्ष्म,लघु और मध्यम उद्यमों) के आइपी पंजीकरण के लिए सरकार ने सब्सिडी, सुविधा केंद्र, मजबूत अनुसंधान और विकास ईकोसिस्टम बनाने में भरपूर मदद की है। नेशनल एसोसिएशन ऑफ सॉफ्टवेयर एंड सर्विसेज कंपनीज (नैसकाम) ने शुक्रवार को अपने वार्षिक 'भारत में पेटेंट रुझान' अध्ययन का सातवां संस्करण जारी किया। इसमें बौद्धिक संपदा (आइपी) अधिकार के साथ डिजिटल अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने का विशेष उल्लेख किया गया है।

रिपोर्ट के अनुसार वित्त वर्ष 2023 में पेटेंट दाखिल करने में 24.6 प्रतिशत की वार्षिक वृद्धि दर पिछले दो दशकों के बाद सर्वाधिक है। भारत में महिलाओं द्वारा दायर पेटेंट की हिस्सेदारी एक साल पहले के 10.2 प्रतिशत से बढ़कर वित्त वर्ष 2022 में 11.6 प्रतिशत हो गई है। वित्त वर्ष 2023 के दौरान कुल पेटेंट फाइलिंग में 9.3 प्रतिशत के साथ तमिलनाडु ने महाराष्ट्र (6.8 प्रतिशत का योगदान) को पीछे छोड़ शीर्ष स्थान हासिल किया है।
2019 से 2023 के बीच पेटेंट की संख्या में दोगुनी से अधिक वृद्धि

रिपोर्ट के अनुसार वित्त वर्ष 2019 और वित्त वर्ष 2023 के बीच दिए गए पेटेंट की संख्या में दो गुना से अधिक की उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की गई है। नैसकाम ने अनुमान लगाया कि मार्च 2023 और मार्च 2024 के बीच एक लाख से अधिक पेटेंट दिए जाने का अनुमान लगाया है। पिछले दशक में निवासियों (भारत में मौजूद फाइल करने वाले) द्वारा दायर पेटेंट का अनुपात लगभग दोगुना हो गया है। यह वित्तीय वर्ष 2019 में कुल फाइलिंग के 33.6 प्रतिशत से बढ़कर वित्त वर्ष 2023 में 50 प्रतिशत से अधिक हो गया है।
इनोवेशन पर जोर दे रहा भारत

अध्ययन में कहा गया है, भारत का इनोवेशन पर जोर बढ़ रहा है। प्रमुख भारतीय स्टार्टअप्स द्वारा 2008 के बाद से 900 से अधिक पेटेंट दाखिल करने के साथ-साथ अन्य देशों द्वारा भारत में 32 हजार पेटेंट सहयोग संधि (पीसीटी) आवेदन जमा करना इसका प्रमाण है। डीपटेक स्टार्टअप्स द्वारा फाइलिंग में चेन्नई पेटेंट कार्यालय का हिस्सा लगभग 70 प्रतिशत है। इनमें से अधिकांश आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआइ) और स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में हैं। डीप टेक स्टार्टअप इंजीनियरिंग नवाचार या वैज्ञानिक खोजों में नवाचार को बढ़ावा देता है। सामान्यत: ऐसे स्टार्टअप कृषि, लाइफ साइंस, रसायन विज्ञान, एयरोस्पेस और हरित ऊर्जा पर काम करते हैं, हालांकि इन तक ही सीमित नहीं हैं।

रिपोर्ट में कहा गया है कि वैश्विक स्तर पर दायर पेटेंट में भारत की हिस्सेदारी सिर्फ दो प्रतिशत से कुछ अधिक है। इस दिशा में पहल की आवश्यकता है। नैसकाम की अध्यक्ष देबजानी घोष ने कहा, पिछले कुछ वर्षों में पेटेंट फाइलिंग में वृद्धि भारत की बढ़ती नवाचार क्षमता का स्पष्ट संकेत है, खासकर एआइ जैसे क्षेत्रों में। घरेलू पेटेंट गतिविधि को और बढ़ाने के लिए बौद्धिक संपदा अधिकारों के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए प्रमुख हितधारकों के बीच सहयोग आवश्यक है।
 Joint Saving Account के होते हैं फायदे और नुकसान, अकाउंट ओपन से पहले जानें सारी बात

Joint Saving Account के होते हैं फायदे और नुकसान, अकाउंट ओपन से पहले जानें सारी बात

April 26, 2024 Add Comment

 Joint Saving Account के होते हैं फायदे और नुकसान, अकाउंट ओपन से पहले जानें सारी बात


सेविंग अकाउंट दो तरह के होते हैं। एक सिंगल सेविंग अकाउंट और दूसरा ज्वाइंट सेविंग अकाउंट (Joint Saving Account) । ज्वाइंट सेविंग अकाउंट में दो खाताधारक होते हैं और सिंगल अकाउंट में केवल एक खाताधारक होते हैं। कई मामलों में काफी ज्वाइंट सेविंग अकाउंट फायदेमंद माना जाता है तो वहीं इसके कुछ नुकसान भी हैं। आज हम आपको बताएंगे कि ज्वाइंट सेविंग अकाउंट के फायदे और नुकसान क्या है।
Joint Saving Account के होते हैं फायदे और नुकसान

बैंक अकाउंट आज के समय में बहुत जरूरी हो गया है। सैलरी से लेकर सरकारी पैसे भी सेविंग अकाउंट (Saving Account) में आते हैं। वहीं बचत के लिए भी लोग सेविंग अकाउंट खोलते हैं।

देश के हर नागरिक के पास बैंक अकाउंट हो इसके लिए सरकार द्वारा प्रधानमंत्री जनधन योजना (PM Jan Dhan Yojana) भी चलाई जा रही है।


कोई भी व्यक्ति सिंगल अकाउंट के साथ ज्वाइंट बैंक अकाउंट (Joint Bank Account) भी ओपन कर सकता है। जवाइंट बैंक अकाउंट सिंगल सेविंग अकाउंट से थोड़ा अलग होता है।

आप चाहे तो माता-पिता या फिर पति-पत्नी के साथ मिलकर भी अकाउंट ओपन करवा सकते हैं। इसके अलावा बहन-भाई या फिर दोस्त के साथ भी यह अकाउंट ओपन किया जा सकता है।

ज्वाइंट सेविंग अकाउंट में एक अकाउंट होल्डर की जगह दो अकाउंट होल्डर होते हैं। इसमें दो व्यक्ति मिलकर सेविंग कर सकते हैं। सरकारी स्कीम का लाभ पाने के लिए माइनर के लिए भी ज्वाइंट बैंक अकाउंट ओपन किया जाता है।


ज्वाइंट सेविंग अकाउंट के फायदे (Advantages of Joint Saving Account)

इसमें दोनों खाताधारकों के बीच सामान्य वित्तीय जिम्मेदारी होती है। उदाहरण के तौर पर अगर पति-पत्नी घर बनाने के लिए सेविंग कर रहे हैं तो ऐसे में इस गोल को हासिल करने के लिए दोनों ज्वाइंट अकाउंट में पैसे डिपॉजिट करते हैं। इस तरह उन दोनों एक साथ टीम की तरह मिलकर फाइनेंशियल गोल्स को पूरा करते हैं।

इसके अलावा यह ज्यादा से ज्यादा सेविंग करने में भी मदद करता है। दरअसल, कई बार हम सेविंग अकाउंट में पैसे तो जमा करते हैं पर छोटी जरूरतों के लिए उसे निकाल लेते हैं।

वहीं ज्वाइंट सेविंग अकाउंट में दोनों खाताधारकों की मंजूरी के बाद ही राशि निकाली जा सकती है। कई बार ज्वाइंट सेविंग अकाउंट फाइनेंशियल डिसिप्लेन लाने और वित्तीय तौर पर मजबूत करने में भी मदद करता है।



ज्वाइंट सेविंग अकाउंट के नुकसान (Disadvantages of Joint Saving Account)

ज्वाइंट सेविंग अकाउंट की खामियों की बात करें तो इसकी सबसे बड़ी खामी है मनी मैनेजमेंट। दरअसल, इसमें अकाउंट में तब पैसों की निकासी की जा सकती है जब दोनों अकाउंट होल्डर की मंजूरी हो। ऐसे में अगर किसी एक व्यक्ति को आपात स्थिति में पैसों की आवश्यकता होगी तो वह अकाउंट से पैसे नहीं निकाल पाएगा।

इसके अलावा दोनों खाताधारक में से किसी एक ने भी कोई लोन लिया है तो उसका भुगतान करने की जिम्मेदारी दोनों खाताधारकों की होगी। ऐसे में ज्वाइंट सेविंग अकाउंट ओपन करवाने से पहले उसके जोखिमों को समझना बहुत जरूरी है।

आप जब यह अकाउंट ओपन करते हैं तो आपको दूसरे खाताधारकों की वित्तीय स्थिति का भी आकलन करना चाहिए। इस अकाउंट में दोनों खाताधारक का अधिकार होता है।

ऐसे में अगर कोई एक व्यक्ति दूसरे की तुलना में ज्यादा सेविंग कर रहा है और भविष्य में किसी वजह से अकाउंट क्लोज किया जाता है तब पहले व्यक्ति को वित्तीय नुकसान भी होने की संभावना भी होती है।
 RBI के एक्शन के बाद Kotak Mahindra Bank हुआ एक्टिव, इन मुद्दे को हल करने में जुटा बैंक

RBI के एक्शन के बाद Kotak Mahindra Bank हुआ एक्टिव, इन मुद्दे को हल करने में जुटा बैंक

April 26, 2024 Add Comment

 RBI के एक्शन के बाद Kotak Mahindra Bank हुआ एक्टिव, इन मुद्दे को हल करने में जुटा बैंक


RBI action on Kotak Mahindra Bank भारतीय रिजर्व बैंक ने कोटल महिंद्रा बैंक के खिलफ कड़ी कार्रवाई की है। आरबीआई ने बैंक को आदेश दिया है कि वह अब नए कस्टमर को न जोड़े और न ही कोई क्रेडिट कार्ड जारी करें। यह कदम आईटी मानदंडों का बार-बार अनुपालन न करने पर लिया है। चलिए जानते हैं कि इस मामले पर कोटक महिंद्रा बैंक के सीईओ ने क्या कहा।

RBI के एक्शन के बाद Kotak Mahindra Bank हुआ एक्टिव

पीटीआई, नई दिल्ली। रिजर्व बैंक (RBI) ने प्राइवेट सेक्टर के बैंक कोटक महिंद्रा बैंक (Kotak Mahindra Bank) के खिलाफ एक्शन लिया है। आरबीआई ने बैंक को निर्देश दिया है कि वह अब कोई नया कस्टमर को नहीं जोड़ेंगे और न ही कोई क्रेडिट कार्ड (Credit Card) जारी करेंगे।

आरबीआई के इस एक्शन को लेकर महिंद्रा बैंक के मुख्य कार्यकारी और प्रबंध निदेशक अशोक वासवानी ने कहा कि वह आरबीआई द्वारा उठाई गई चिंता को दूर करने के लिए "सक्रिय रूप से काम" कर रहा है।

इसको लेकर कोटक महिंद्रा बैंक के सोशल मीडिया हैंडल एक्स (X) पर पोस्ट करके कहा कि वह इस मुद्दे को हल करने के लिए आरबीआई के साथ लगातार संपर्क में है।

आरबीआई ने लिया एक्शन

इस हफ्ते बुधवार को भारतीय रिजर्व बैंक ने कोटक महिंद्रा बैंक को अपने ऑनलाइन और मोबाइल बैंकिंग चैनलों के माध्यम से किसी भी नए ग्राहक को जोड़ने से रोक दिया और नए क्रेडिट कार्ड जारी करने से भी रोक दिया।

आईटी मानदंडों का बार-बार अनुपालन न करने और कोटक महिंद्रा बैंक के आईटी जोखिम प्रबंधन में "गंभीर कमियों" का पता चलने के बाद आरबीआई ने कार्रवाई की।



अशोक वासवानी ने इस साल जनवरी में पदभार संभाला था। उन्होंने कहा कि नए क्रेडिट कार्ड जारी करने को अस्थायी रूप से रोक दिया है। हालांकि मौजूदा ग्राहकों के पास जो क्रेडिट कार्ड है वह सुचारू रूप से काम करेगा।

आरबीआई की कार्रवाई के तुरंत बाद, बैंक ने बुधवार को कहा था कि उसने अपने आईटी सिस्टम को मजबूत करने के लिए नई प्रौद्योगिकियों को अपनाने के लिए उपाय किए हैं और शेष मुद्दों को जल्द से जल्द हल करने के लिए शीर्ष बैंक के साथ काम करना जारी रखेगा।
कोटक महिंद्रा बैंक के शेयर

आरबीआई की कार्रवाई के बाद कोटक महिंद्रा बैंक के शेयर में भारी गिरावट देखने को मिली थी। बुधवार के सत्र में बैंक के शेयर 0.85 फीसदी की गिरावट के साथ 1,643 रुपये पर बंद हुआ।
 एफपीओ के बाद बाजार में हुई शेयर की एंट्री, कुमार मंगलम बिड़ला ने वोडाफोन-आइडिया स्टॉक पर कहा...

एफपीओ के बाद बाजार में हुई शेयर की एंट्री, कुमार मंगलम बिड़ला ने वोडाफोन-आइडिया स्टॉक पर कहा...

April 25, 2024 Add Comment

 एफपीओ के बाद बाजार में हुई शेयर की एंट्री, कुमार मंगलम बिड़ला ने वोडाफोन-आइडिया स्टॉक पर कहा...


Vodafone-Idea FPO Listing आज बाजार में वोडाफोन- आइडिया के एफपीओ शेयर की लिस्टिंग हुई है। कंपनी के स्टॉक 10 फीसदी के डिस्काउंट के साथ लिस्टिंग हुई है। शेयर की लिस्टिंग को लेकर आदित्य बिड़ला के चेयरमैन कुमार मंगलम बिड़ला ने कहा कि यह एफपीओ कंपनी के लिए काफी जरूरी है। उन्होंने शेयर लिस्टिंग पर खुशी जताई है। रिपोर्ट में विस्तार से जानें।


टेलीकॉम कंपनी वोडाफोन- आइडिया (Vodafone-Idea) वित्तीय परेशानी से जूझ रही है। अपनी वित्तीय स्थिति को सुधारने के लिए कंपनी ने एफपीओ जारी किया था। आज कंपनी के एफपीओ शेयर बाजार में लिस्ट हुए हैं।

वोडाफोन- आइडिया के शेयर (Vodafone Idea FPO Share) आज 10 फीसदी डिस्काउंट के साथ लिस्ट हुए हैं।

कंपनी के शेयर की लिस्टिंग पर आदित्य बिड़ला के चेयरमैन कुमार मंगलम बिड़ला ने अपनी प्रतिक्रिया दी। उन्होंवने कहा कि वोडाफोन आइडिया द्वारा 18,000 करोड़ रुपये का फंड जुटाना कंपनी के लिए एक नई जिंदगी है।

बिड़ला ने फॉलो-ऑन सार्वजनिक पेशकश के लिस्टिंग समारोह में संवाददाताओं से कहा कि


कंपनी जो टेलीकॉम सेक्टर में ग्राहकों को बनाए रखने के लिए संघर्ष कर रही है। अपने नेटवर्क को बढ़ाने और 5जी सर्विस को पेश करने पर ध्यान केंद्रित करेगी। बिड़ला ने कहा कि पूंजी जुटाने से कंपनी की ज्यादातर समस्याएं सुलझ जाएंगी।

बिड़ला ने इंडस टावर्स में हिस्सेदारी बिक्री की खबरों पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया।
 भारत के विकसित होने से कम होगी महंगाई की समस्या: RBI एमपीसी मेंबर

भारत के विकसित होने से कम होगी महंगाई की समस्या: RBI एमपीसी मेंबर

April 25, 2024 Add Comment

 भारत के विकसित होने से कम होगी महंगाई की समस्या: RBI एमपीसी मेंबर


भारत में उच्च खाद्य मुद्रास्फीति की समस्या आगे चलकर कम गंभीर होगी। आरबीआई मौद्रिक नीति समिति ( एमपीसी) सदस्य आशिमा गोयल ने ऐसा कहते हुए बताया कि विध स्रोतों के साथ आधुनिक आपूर्ति श्रृंखलाएं विशिष्ट खाद्य पदार्थों की कीमतों में अचानक बढ़ोतरी को संबोधित करने में मदद कर सकती हैं। नीति को कृषि उत्पादकता बढ़ाने पर ध्यान देना जरूरी है क्योंकि स्थिर कृषि कीमतें गैर-मुद्रास्फीति वृद्धि के लिए जरूरी हैं।
भारत के विकसित होने से कम होगी उच्च खाद्य मुद्रास्फीति की समस्या: RBI एमपीसी मेंबर

आरबीआई मौद्रिक नीति समिति ( एमपीसी) सदस्य आशिमा गोयल ने गुरुवार को कहा कि भारत में उच्च खाद्य मुद्रास्फीति की समस्या आगे चलकर 'कम गंभीर' होगी, क्योंकि विविध स्रोतों के साथ आधुनिक आपूर्ति श्रृंखलाएं विशिष्ट खाद्य पदार्थों की कीमतों में अचानक बढ़ोतरी को तुरंत संबोधित करने में मदद कर सकती हैं।

इस बात पर जोर देते हुए कि भारत में घरेलू बजट में भोजन की हिस्सेदारी अधिक है, गोयल ने कहा कि नीति को कृषि उत्पादकता बढ़ाने पर ध्यान देने की जरूरत है, क्योंकि स्थिर कृषि कीमतें गैर-मुद्रास्फीति वृद्धि के लिए महत्वपूर्ण हैं।

उच्च खाद्य मुद्रास्फीति समस्या में कमी

उन्होंने कहा कि जैसे-जैसे भारत विकसित होगा, यह समस्या (उच्च खाद्य मुद्रास्फीति) कई कारणों से कम गंभीर होती जाएगी। विविध स्रोतों वाली आधुनिक आपूर्ति शृंखलाएं विशिष्ट वस्तुओं में बड़े उछाल पर तुरंत प्रतिक्रिया देती हैं।

गोयल ने आगे बताया कि किसी ने भी उन्नत अर्थव्यवस्थाओं में टमाटर या प्याज की कीमतों में बढ़ोतरी के बारे में नहीं सुना है।

उन्होंने कहा कि हमारे पास स्वाभाविक रूप से विविध भौगोलिक क्षेत्र हैं, विभिन्न क्षेत्रों से बेहतर एकीकृत बाजार जलवायु परिवर्तन से प्रेरित खाद्य कीमतों में बढ़ोतरी को कम करने में मदद कर सकते हैं।

इसके अलावा, जैसे-जैसे उपभोग में भोजन का वजन घटता है और भोजन की खपत स्वयं अधिक विविध हो जाती है, भविष्य में खाद्य कीमतों के झटकों का प्रभाव और आकार कम हो जाता है।

गोयल ने इस बात पर जोर दिया कि लचीली मुद्रास्फीति लक्ष्यीकरण के तहत, उम्मीदें बेहतर तरीके से स्थिर हो जाती हैं। उन्होंने पूर्वी एशिया का उदाहरण दिया, जहां खाद्य बजट शेयरों में गिरावट के बाद ही खाद्य कीमतों को बढ़ने दिया गया और कृषि को सब्सिडी दी गई।

आगे उन्होंने बताया कि दुर्भाग्य से भारत ने किसानों के साथ-साथ उपभोक्ताओं के लिए भी विकृत सब्सिडी प्रणाली को चुना। उन्होंने कहा कि भारत की विशाल आबादी को देखते हुए यह बहुत महंगा था और इससे कृषि में सरकारी निवेश की गुंजाइश कम हो गई।

मार्च में घटी खुदरा मुद्रास्फीति

इसके अलावा, गोयल ने कहा कि इससे मुद्रास्फीति भी ऊंची बनी रही क्योंकि खरीद कीमतें हर साल बढ़ती रहीं।उन्होंने कहा कि नई प्रौद्योगिकियों की उपलब्धता के साथ-साथ नीतिगत रीसेट के समर्थन से कृषि उत्पादकता अंततः बढ़ रही है, हालांकि आगे नीतिगत समायोजन की आवश्यकता है।

आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, मार्च में खुदरा मुद्रास्फीति घटकर पांच महीने के निचले स्तर 4.85 प्रतिशत पर आ गई, जिसका मुख्य कारण खाद्य पदार्थों की कीमतें कम होना है। खाद्य पदार्थों की मुद्रास्फीति मार्च में 8.52 प्रतिशत थी, जो फरवरी में 8.66 प्रतिशत थी।

आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने हाल ही में कहा है कि बेसलाइन अनुमानों से पता चलता है कि मुद्रास्फीति 2024-25 में घटकर 4.5 प्रतिशत, 2023-24 में 5.4 प्रतिशत और 2022-23 में 6.7 प्रतिशत हो जाएगी।

भारत की मौजूदा व्यापक आर्थिक स्थिति पर एक सवाल का जवाब देते हुए, गोयल ने कहा कि टिकाऊ और समावेशी विकास के लिए स्थितियां बनाई गई हैं।

उन्होंने कहा कि हम 2021 से निरंतर मजबूत विकास, बहुआयामी गरीबी में कमी, अधिक संपत्ति और बुनियादी ढांचे से निम्न आय समूहों की मदद करने, युवाओं के लिए अधिक अवसरों के परिणाम देख रहे हैं।

गोयल ने कहा कि असमानता बढ़ी है लेकिन प्रसिद्ध 'कुजनेट्स इनवर्टेड यू-कर्व' हमें बताता है कि उच्च विकास की अवधि में यह सामान्य है और समय के साथ इसमें कमी आनी चाहिए। लेकिन अर्थव्यवस्था को ऐसे रास्ते पर आगे बढ़ाने के लिए प्रख्यात अर्थशास्त्री ने कहा कि नीतिगत निरंतरता बहुत महत्वपूर्ण है।

गोयल ने सुझाव दिया कि जो काम किया, उस पर नीतिगत सबक को आंतरिक किया जाना चाहिए, घरेलू नीति के झटकों से बचा जाना चाहिए और बाहरी झटकों को कम किया जाना चाहिए, भले ही आपूर्ति पक्ष में सुधार जारी रहें।"

उन्होंने अर्थव्यवस्था की लचीलापन और विविधता बढ़ाने की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा कि हम भू-राजनीतिक, भू-आर्थिक और जलवायु संबंधी कमजोरियों के परेशान समय में रह रहे हैं। 2023-24 के दौरान, विनिर्माण और बुनियादी ढांचा क्षेत्रों के अच्छे प्रदर्शन के कारण अर्थव्यवस्था में लगभग 8 प्रतिशत की वृद्धि दर दर्ज होने की संभावना है।

हाल ही में, अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने घरेलू मांग की स्थिति और बढ़ती कामकाजी उम्र की आबादी का हवाला देते हुए 2024 के लिए भारत के विकास अनुमान को जनवरी के 6.5 प्रतिशत के अनुमान से बढ़ाकर 6.8 प्रतिशत कर दिया।

एशियाई विकास बैंक (एडीबी) ने भी चालू वित्त वर्ष के लिए भारत की जीडीपी वृद्धि का अनुमान पहले के 6.7 प्रतिशत से बढ़ाकर 7 प्रतिशत कर दिया और कहा कि मजबूत वृद्धि सार्वजनिक और निजी क्षेत्र की निवेश मांग और उपभोक्ता मांग में क्रमिक सुधार से प्रेरित होगी।