Green Hydrogen के उत्पादन मानकों को सरकार ने किया जारी, BEE को बनाया नोडल एजेंसी
Green Hydrogen Standards केंद्र सरकार की ओर से ग्रीन हाइड्रोजन स्टैंडर्ड को तय कर दिया गया है। न्यू और रिन्यूएबल एनर्जी मिनिस्ट्री के मुताबिक ग्रीन हाइड्रोजन का वेल-टू-गेट उत्सर्जन दो किलो CO2 /H2 प्रति किलो से अधिक नहीं होना चाहिए। ब्यूरो ऑफ एनर्जी एफिशिएंसी को ग्रीन हाइड्रोजन प्रोडक्शन प्रोजेक्ट्स की मॉनिटरिंग वेरिफिकेशन और सर्टिफिकेशन की जिम्मेदारी सौंपी गई है।
ग्रीन हाइड्रोजन स्टैंडर्ड जारी कर दिए गए हैं।
HIGHLIGHTSग्रीन हाइड्रोजन स्टैंडर्ड के मानकों को तय किया गया है।
न्यू और रिन्यूएबल एनर्जी मिनिस्ट्री की ओर से इसे जारी किया गया है।
नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। Green Hydrogen Standards: सरकार की ओर से शनिवार को ग्रीन हाइड्रोजन के स्टैंडर्ड जारी किए गए और साथ ही इसकी परिभाषा इलेक्ट्रोलिसिस और बायोमास-आधारित तरीकों को भी शामिल किया गया है। इसे नेशनल ग्रीन हाइड्रोजन मिशन में एक बड़ा कदम माना जा रहा है। इसके साथ ही भारत उन चुनिंदा देशों में शामिल हो गया है, जिन्होंने ग्रीन हाइड्रोजन के स्टैंडर्ड को तय किया है।
न्यू और रिन्यूएबल एनर्जी मिनिस्ट्री की ओर से कहा गया कि यह नेशनल ग्रीन हाइड्रोजन मिशन में एक महत्वपूर्ण कदम है। सरकारी की ओर से ग्रीन हाइड्रोजन स्टैंडर्ड को जारी कर दिया गया है।
क्या होगा ग्रीन हाइड्रोजन स्टैंडर्ड का फायदा?
आगे बताया गया कि सरकार द्वारा ग्रीन हाइड्रोजन स्टैंडर्ड के मानकों को तय किया गया है, जिसके आधार पर तय किया जाएगा कि उत्पादित होने वाली हाइड्रोजन ग्रीन है या नहीं। ग्रीन हाइड्रोजन स्टैंडर्ड की परिभाषा में इलेक्ट्रोलिसिस-आधारित और बायोमास-आधारित हाइड्रोजन उत्पादन विधियों को भी शामिल किया गया है।
सभी पक्षकारों से बातचीत करने के बाद न्यू और रिन्यूएबल एनर्जी मिनिस्ट्री द्वारा ग्रीन हाइड्रोजन स्टैंडर्ड को तय किया है। इसका वेल-टू-गेट उत्सर्जन दो किलो CO2 /H2 प्रति किलो से अधिक नहीं होना चाहिए।
नोटिफिकेशन में ग्रीन हाइड्रोजन और उसके डेरिवेटिव के माप, रिपोर्टिंग, निगरानी, ऑन-साइट सत्यापन और प्रमाणीकरण के बारे में विस्तार से जानकारी न्यू और रिन्यूएबल एनर्जी मिनिस्ट्री जारी की जाएगी।
ग्रीन हाइड्रोजन के लिए BEE होगी नोडल एजेंसी
ऊर्जा मंत्रालय के तहत आने वाली ब्यूरो ऑफ एनर्जी एफिशिएंसी (Bureau of Energy Efficiency (BEE)) को ग्रीन हाइड्रोजन प्रोडक्शन प्रोजेक्ट्स की मॉनिटरिंग, वेरिफिकेशन और सर्टिफिकेशन की नोडल एजेंसी बनाया गया है। ग्रीन हाइड्रोजन के स्टैंडर्ड आने से इंड्रस्टी को भी उत्सर्जन मानकों के बारे में ज्यादा स्पष्टता मिलेगी।
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