चौथी तिमाही में आठ प्रतिशत से ज्यादा रहेगी विकास दर: सीतारमण

March 31, 2024

 चौथी तिमाही में आठ प्रतिशत से ज्यादा रहेगी विकास दर: सीतारमण


वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का कहना है कि मौजूदा वित्त वर्ष की चौथी तिमाही (जनवरी-मार्च 2024) के दौरान भारत की विकास दर आठ या इससे ज्यादा प्रतिशत रह सकती है। बेहतर महंगाई प्रबंधन और व्यापक आर्थिक स्थिरता का हवाला देते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि वित्त वर्ष 2023-24 में भी विकास दर साल-दर-साल आधार पर समान दिखने की उम्मीद है। 


पूरे वित्त वर्ष 2023-24 में भी औसत वृद्धि दर आठ प्रतिशत रहने का अनुमान।

भारत की अर्थव्यवस्था तेजी से बढ़ रही है। पिछले कुछ समय में कई प्रतिष्ठित रेटिंग एजेंसियों ने भारत की जीडीपी ग्रोथ के अनुमान को रिवाइज करके बढ़ाया है। अब वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का कहना है कि मौजूदा वित्त वर्ष की चौथी तिमाही (जनवरी-मार्च 2024) के दौरान भारत की विकास दर आठ या इससे ज्यादा प्रतिशत रह सकती है।

बेहतर महंगाई प्रबंधन और व्यापक आर्थिक स्थिरता का हवाला देते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि वित्त वर्ष 2023-24 में भी विकास दर साल-दर-साल आधार पर समान दिखने की उम्मीद है। मुंबई के फाइनेंशियल हब में आयोजित एक कार्यक्रम में निर्मला सीतारमण ने उम्मीद जताया कि चौथी तिमाही में भी वृद्धि दर आठ प्रतिशत या इससे ज्यादा होगा।

इससे पूरे वित्त वर्ष 2023-24 में भी औसत वृद्धि दर आठ प्रतिशत या इससे ज्यादा होगी। सरकार चौथी तिमाही के आर्थिक आंकड़े 31 मई को जारी करेगी। अक्टूबर-दिसंबर 2023 तिमाही के दौरान भारत की विकास दर 8.4 प्रतिशत रही है। सरकार के ताजा अग्रिम अनुमान के अनुसार, चालू वित्त वर्ष में विकास दर 7.6 प्रतिशत रह सकती है।

पिछले दिनों का अमेरिकी क्रेडिट रेटिंग एजेंसी एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स (S&P Global Ratings) ने अनुमान दिया कि वित्त वर्ष 2024-25 में भारत की अर्थव्यवस्था 6.8 प्रतिशत की दर से बढ़ेगी। पिछले साल नवंबर में रेटिंग एजेंसी ने अंदाजा लगाया था कि अगले वित्त वर्ष में भारत की ग्रोथ 6.4 प्रतिशत रहेगी। अगर मौजूदा वित्त वर्ष यानी 2023-24 की बात करें, तो इंडियन इकोनॉमी के 7.6 प्रतिशत की दर से वृद्धि करने का अनुमान है।

S&P ने एशिया पैसिफिक के लिए अपने ‘इकोनॉमिक आउटलुक’ में कहा था कि उभरती अर्थव्यवस्थाओं यानी इमर्जिंग मार्केट के लिए हमारा अनुमान मजबूत रहता है, क्योंकि इनके पास ग्रोथ की अच्छी गुंजाइश रहती है। इसमें खासकर भारतीय अर्थव्यवस्था से काफी उम्मीदें हैं।

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