राष्ट्रपति मुर्मु के संबोधन से शुरू होगा संसद का बजट सत्र, सभी निलंबित सांसद होंगे बहाल

January 30, 2024

 राष्ट्रपति मुर्मु के संबोधन से शुरू होगा संसद का बजट सत्र, सभी निलंबित सांसद होंगे बहाल


संसद का बजट सत्र आज से शुरू हो रहा है। साथ ही सरकार ने 14 विपक्षी सदस्यों की सदस्यता बहाल करने का एलान किया गया है जिन्हें अनिश्चितकाल के लिए निलंबित करते हुए उनके विरुद्ध कार्रवाई का प्रस्ताव विशेषाधिकार समिति को भेज दिया गया था। इसके अलावा बाकी 132 सांसदों को सिर्फ सत्रभर के लिए निलंबित किया गया था ऐसे में सत्र खत्म होते ही वे स्वत बहाल हो गए।
संसद का बजट सत्र आज से शुरू।
HIGHLIGHTSसरकार ने किया विपक्ष के साथ खटास खत्म करने का फैसला, कल पेश होगा अंतरिम बजट।
सरकार के अनुरोध पर दोनों सदनों के 14 सदस्यों का निलंबन रद्द करने का फैसला।
नौ फरवरी तक चलेगा बजट सत्र, आज होगा राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु का अभिभाषण।

 संसद का बजट सत्र बुधवार से प्रारंभ हो रहा है। इससे पहले सरकार ने विपक्षी दलों के साथ पिछले सत्र में पैदा हुई खटास को खत्म करने की दिशा में बड़ी पहल की है। इसके तहत उन 14 विपक्षी सदस्यों की सदस्यता बहाल करने का एलान किया गया है, जिन्हें अनिश्चितकाल के लिए निलंबित करते हुए उनके विरुद्ध कार्रवाई का प्रस्ताव विशेषाधिकार समिति को भेज दिया गया था।

संसदीय कार्य मंत्री प्रल्हाद जोशी ने बताया कि लोकसभा के स्पीकर और राज्यसभा के सभापति ने इस संबंध में सरकार के अनुरोध को स्वीकार कर लिया है। सूत्रों के अनुसार, उनकी अब तक की निलंबन अवधि को ही सजा मान लिया गया है और उन्हें बजट सत्र में शामिल होने का अधिकार मिल गया है।

सभी सांसदों की सदस्यता बहाल

संसद के पिछले सत्र के दौरान सदन में हंगामा करने के कारण 146 सदस्यों को निलंबित किया गया था। इनमें 100 लोकसभा और 46 राज्यसभा के थे। इनमें से 14 सदस्यों (11 राज्यसभा एवं तीन लोकसभा के) को अनिश्चितकाल के लिए निलंबित करते हुए उनके विरुद्ध कार्रवाई का प्रस्ताव विशेषाधिकार समिति को भेज दिया गया था।

लोकसभा की विशेषाधिकार समिति ने खेद जताने पर कांग्रेस के तीनों सांसदों अब्दुल खालिक, के. जयकुमार एवं विजय वसंत का निलंबन खत्म करने की सिफारिश की। जबकि राज्यसभा की विशेषाधिकार समिति ने 11 सदस्यों को विशेषाधिकार हनन और सदन की अवमानना का दोषी पाया था, लेकिन सभापति जगदीप धनखड़ ने उनका निलंबन रद कर दिया।

इन सदस्यों में जेबी मातर हिशाम, एल. हनुमंतैया, नीरज डांगी, राजमणि पटेल, कुमार केतकर, जीसी चंद्रशेखर, बिनय विश्वाम, संतोष कुमार पी, एम. मुहम्मद अब्दुल्ला, जान ब्रिटास और एए रहीम शामिल हैं। बाकी 132 सांसदों को सिर्फ सत्रभर के लिए निलंबित किया गया था, ऐसे में सत्र खत्म होते ही वे स्वत: बहाल हो गए।

दरअसल, सरकार ने महसूस किया कि निलंबन के कारण ये सदस्य नए संसद भवन में बुधवार को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु का पहला अभिभाषण नहीं सुन सकेंगे, इसलिए निलंबन वापस लेने का फैसला किया गया। राज्यसभा की समिति ने मंगलवार को ही अपनी रिपोर्ट सभापति को सौंपी। सामान्य तौर पर वह अपनी रिपोर्ट सदन में पेश करती है। मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का यह अंतिम सत्र है। ऐसे में सरकार सारी तल्खियां और खटास यहीं छोड़ना चाहती है।

10 दिन के सत्र में होंगी आठ बैठकें

संसद का यह सत्र 10 दिनों का होगा जो नौ फरवरी तक चलेगा। इसमें कुल आठ बैठकें प्रस्तावित हैं। 31 जनवरी को राष्ट्रपति का अभिभाषण होगा, जो दोनों सदनों के संयुक्त सत्र को संबोधित करेंगी। एक फरवरी को मोदी सरकार अपना अंतरिम बजट पेश करेगी। चुनाव के बाद नई सरकार पूर्ण बजट पेश करेगी। प्रल्हाद जोशी ने बताया कि वित्त मंत्री सीतारमण जम्मू-कश्मीर का बजट भी पेश करेंगी।
सर्वदलीय बैठक में सभी मुद्दों पर चर्चा का भरोसा

सरकार ने मंगलवार को संसद के दोनों ही सदनों के सुचारू संचालन को लेकर सभी प्रमुख दलों के नेताओं के साथ बैठक भी की। संसद भवन परिसर में बुलाई गई सर्वदलीय बैठक की अध्यक्षता लोकसभा के उपनेता और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने की। बैठक में सरकार ने विपक्ष को सभी मुद्दों पर नियमों के तहत चर्चा का भरोसा दिया।

केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री प्रल्हाद जोशी ने बताया कि बैठक बहुत ही सौहा‌र्द्रपूर्ण वातावरण में हुई। सभी दलों ने सदन के बेहतर संचालन के लिए अपने सुझाव दिए। साथ ही कई मुद्दों पर चर्चा कराने की भी बात कही। उन्होंने बताया कि बैठक में शामिल दलों से कहा गया कि उन्हें उस फैसले का पालन करना चाहिए जिसके तहत सदस्यों को सदन में तख्तियां या उस तरह की कोई वस्तु नहीं लानी चाहिए।

प्रमोद तिवारी ने उठाया किसानों की आय का मुद्दा

सर्वदलीय बैठक में शामिल कांग्रेस सांसद प्रमोद तिवारी ने कहा, 'जिस तरह से आर्थिक रूप से देश को बर्बाद किया जा रहा है, मैंने वो मुद्दा उठाया। इसके साथ ही राहुल गांधी की न्याय यात्रा पर असम सरकार की ओर से जिस तरह से हिंसक हमला करवाया गया था, इस पर भी चर्चा की गई।'

उन्होंने कहा कि इस सरकार को लगभग 10 वर्ष हो गए। किसान की आय दोगुना होना तो दूर, लागत निकाल पाना मुश्किल हो रहा है। इसी तरह सरकार अपने सभी विरोधियों पर ईडी, सीबीआइ व इनकम टैक्स की जो रेड करा रही है। वह शर्मनाक और लोकतंत्र के विरुद्ध है।

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