त्याग, बलिदान और समर्पण का त्यौहार ईद उल अज़ा देशभर में हर्षोल्लास, अकीदत, सादगी, और शांति से मनाया गया...

June 29, 2023



 भोपाल / मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल समेत देशभर में त्याग, बलिदान और समर्पण का त्यौहार ईद उल अज़ा पूरे परंपरागत, हर्षोउल्लास, अकीदत, सादगी, और शांति से मनाया जा रहा है राजधानी भोपाल में ईद उल अज़ा की नमाज़ सबसे पहले ईदगाह में सुबह 7 बजे हुई। इसके बाद  ताजुल-मसाज़िद में 7-15 बजे, ज़ामा मस्ज़िद में 7-30 बजे, मोती मस्ज़िद में 7-45 बजे और बड़ी मस्ज़िद बाग फरहत अफज़ा में 9 बजे हज़ारो लोगो ने नमाज़ अदा की एवं देश मे अमन-चैन और खुशहाली की दुआएं मांगी। इसके बाद जानवर की कुर्बानी का सिलसिला शुरू हुआ जो दिन भर चलता रहा और 3 दिन तक ये सिलसिला चलता रहेगा। कुर्बानी करने के बाद जानवर का मांस 3 हिस्सो में तकसीम किया गया। एक हिस्सा गरीबो, यतीमो, मिस्कीनों को दिया जाता है एक हिस्सा रिश्तेदारों में बांटा जाता है और एक हिस्सा अपने खाने के लिए रखा जाता है। हर साहिबे-निसाब के लिए कुर्बानी करना वाजिब है कुर्बानी के ताल्लुक से इस्लाम के पैगम्बर हज़रत मोहम्मद (सल्ल.) का इर्शाद है जो कुर्बानी कर सकता हो और कुर्बानी ना करे उसको हमारी ईदगाह में आने की कोई ज़रूरत नही है। भोपाल में नगर निगम ने अस्थाई कुर्बान-गाह (पशु-वध) बनाए थे और साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखा गया था।

कुर्बानी के किस्से का ज़िक्र सबसे मुकद्दस किताब कुरआन-शरीफ में अल्लाह ने किया है और नबी (सल्ल.) ने पूरी वजाहत से सहाबा-किराम रज़ि. को हज़रत इब्राहिम अलै. की याद में कुर्बानी का महत्व समझाया। सहाबा ने अल्लाह के नबी से पूछा ऐ अल्लाह के नबी ये कुर्बानी क्या है तो आप (सल्ल.) ने इर्शाद फ़रमाया ये तुम्हारे बाप हज़रत इब्राहिम अलै, की सुन्नत है सहाबा ने फिर सवाल किया कुर्बानी करने पर हमें क्या मिलेगा तो आपने इर्शाद फ़रमाया हर बाल के बदले में एक नेकी मिलेगी तो किसी ने अर्ज़ किया अगर जानवर ऊन वाला हो तो, आपने इर्शाद फ़रमाया हर ऊन के बदले में भी एक नेकी मिलेगी। भारत मे कुर्बानी ऊंट, बकरा, दुम्बा, भेड़, भैंस, पड़ा और बोदे की होती है।

कुरआन और हदीस में कुर्बानी का किस्सा बयान किया गया है जिसमे हज़रत इब्राहिम अलै, ने ख्वाब देखा जिसमे अल्लाह अपने खलील से इर्शाद फरमा रहे है ऐ इब्राहिम अपनी सबसे ज़्यादा मेहबूब चीज़ हमारी लिए कुर्बान करो तो हज़रत इब्राहिम अलै, ने 10 ऊंटो की कुर्बानी की। दूसरे दिन फिर ख्वाब देखा जिसमे फिर अल्लाह ने इर्शाद फ़रमाया अपनी सबसे मेहबूब चीज़ हमारे लिए कुर्बान करो हज़रत इब्राहिम अलै, ने 100 ऊंटो की कुर्बानी की इसके बाद तीसरे दिन फिर ख्वाब देखा की अपनी सबसे ज्यादा मेहबूब चीज़ हमारे लिए कुर्बान करो तो हज़रत इब्राहिम अलै, समझ गए कि अल्लाह मेरे बेटे इस्माईल अलै, की कुर्बानी चाहता है क्योंकि मुझे अपना बेटा इस्माईल सबसे ज़्यादा मेहबूब है। इस ख्वाब का ज़िक्र हज़रत इब्राहिम अलै, ने अपने बेटे हज़रत इस्माईल अलै, से किया तो इस्माईल अलै, ने कहा अब्बाजान कर डालिए जिसका आपको अल्लाह ने हुक्म दिया है इंशाअल्लाह आप मुझे सब्र करने वालो में से पाएंगे। इसके बाद हज़रत इब्राहिम अलै. अपने बेटे हज़रत इस्माईल अलै, को मुल्के-अरब की एक जगह मिना में लेकर गए तब हज़रत इस्माईल अलै. ने अपने वालिद से कहा, अब्बाजान आप अपनी आँखों पर पट्टी बांध लें कहीं ऐसा ना हो बेटे की मोहब्बत अल्लाह के हुक्म को पूरा करने में रुकावट बने इसके बाद हज़रत इब्राहिम अलै. हज़रत इस्माईल अलै. को ज़मीन पर लिटाकर उनके गले पर छुरी चलाई ऊपर आसमान में फरिश्तो में कोहराम मच गया कि कोई बाप अपने बेटे के गले पर छुरी कैसे चला सकता है अल्लाह ने वहाँ अपनी कुदरत दिखाई की छुरी इस्माईल अलै, के गले पर चल रही है लेकिन काटने की सिफत अल्लाह ने छुरी में से निकाल ली। हज़रत इब्राहिम अलै, और ताकत के साथ छुरी चलाने लगे लेकिन अल्लाह की कुदरत के आगे छुरी बेबस थी इधर अल्लाह ने हज़रत जिब्रील अलै, को हुक्म दिया जन्नत से एक दुम्बा ले जाओ जिब्रील अलै, बिजली की रफ्तार से भी ज़्यादा फुर्ती में जन्नत से दुम्बा लेकर आए हज़रत इस्माईल अलै, को अलग करके दुम्बा नीचे लिटा दिया यहाँ अल्लाह ने छुरी को काटने का हुक्म दे दिया और इस तरह हज़रत इब्राहिम अलै, के हाथों एक जानवर की कुर्बानी हो गई। कुर्बानी के बाद अल्लाह ने इर्शाद फ़रमाया ऐ इब्राहिम तूने अपने ख्वाब को सच्चा कर दिखाया। उस वक्त हज़रत इस्माईल अलै, की उम्र 10-12 साल की थी।

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