Showing posts with label Business. Show all posts
Showing posts with label Business. Show all posts
 चीन के साथ कारोबार में राष्ट्रीय हितों का रखें ख्याल, जयशंकर ने असंतुलन कम करने में इंडिया इंक से मांगी मदद

चीन के साथ कारोबार में राष्ट्रीय हितों का रखें ख्याल, जयशंकर ने असंतुलन कम करने में इंडिया इंक से मांगी मदद

May 18, 2024 Add Comment

 चीन के साथ कारोबार में राष्ट्रीय हितों का रखें ख्याल, जयशंकर ने असंतुलन कम करने में इंडिया इंक से मांगी मदद


विदेश मंत्री का बयान यह बताता है कि जिस तरीके से चीन से होने वाले आयात में लगातार वृद्धि हुई है उससे सरकार बहुत सहज नहीं है। अगर सरकार के आंकड़ों को ही देखा जाए तो वर्ष 2019-20 के बाद से चीन से होने वाले आयात में 44 फीसद का इजाफा 102 अरब डॉलर का हो चुका है जबकि चीन को होने वाला निर्यात तकरीबन स्थिर (16.7 अरब डॉलर) है।


जयशंकर ने असंतुलन कम करने में इंडिया इंक से मांगी मदद

 चीन के साथ सीमा पर चल रहे तनाव के बावजूद वहां से आयात में हो रही लगातार वृद्धि पर पहली बार किसी केंद्रीय मंत्री ने भारतीय उद्योग जगत को ही आड़े हाथ लिया है। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने शुक्रवार को उद्योग चैंबर सीआईआई की तरफ से आयोजित सालाना वार्षिक सम्मेलन में उद्योग जगत को चीन के साथ कारोबार करने को लेकर किसी तरह की रोक लगाने की बात नहीं कही लेकिन बहुत ही स्पष्ट तरीके से यह सीख दी कि उन्हें राष्ट्रीय हितों से जुड़ी संवेदनाओं का ख्याल रखना होगा।

इसके लिए उन्होंने जहां तक संभव हो भारत निर्मित उत्पादों की आपूर्ति करने की सलाह दी। सम्मेलन में उपस्थित भारत के उद्योग जगत के सैकड़ों प्रतिनिधियों की तरफ इशारा करते हुए जयशंकर ने पूछा कि, “क्या आप उसके साथ कारोबार करेंगे जो आपकी ड्राइंग रूप में घुस गया हो और आपके घर को तहस-नहस कर दिया हो।'' उनका इशारा चीन की सैनिकों का भारत के पूर्वी लद्दाख क्षेत्र में चार वर्ष पहले की गई घुसपैठ से है जिसके बाद द्विपक्षीय रिश्ते काफी खराब हो चुके हैं।

चीन से होने वाले आयात में हुआ भारी इजाफा

विदेश मंत्री का बयान यह बताता है कि जिस तरीके से चीन से होने वाले आयात में लगातार वृद्धि हुई है उससे सरकार बहुत सहज नहीं है। अगर सरकार के आंकड़ों को ही देखा जाए तो वर्ष 2019-20 के बाद से चीन से होने वाले आयात में 44 फीसद का इजाफा 102 अरब डॉलर का हो चुका है जबकि चीन को होने वाला निर्यात तकरीबन स्थिर (16.7 अरब डॉलर) है। इस वजह से व्यापार संतुलन चीन की तरफ है।
चीन के साथ कारोबार संतुलन एक बड़ा मुद्दा

जयशंकर ने कहा कि, चीन के साथ कारोबार संतुलन एक बड़ा मुद्दा है। यह पिछले 20 वर्षों में पैदा हुआ है। यहां स्पष्ट तौर पर हमें देश के कारोबारी जगत के साथ समस्या है। भारत का उद्योग जगत कीमतों के आधार पर फैसला कर रहा है। कारोबार की अपनी जरूरते हैं लेकिन लंबी अवधि के लिए हमें घरेलू सोर्सिंग व उत्पादन को बढ़ावा देना होगा और इसी आधार पर हमें फैसला करना होगा।
राष्ट्रीय सुरक्षा की संवेदनाशीलता का रखना होगा ध्‍यान

जयशंकर ने कहा कि, हमें चीन के साथ राष्ट्रीय सुरक्षा की संवेदनाशीलता को भी ध्यान में रखना होगा। इसका मतलब यह नहीं है कि हम चीन से कुछ भी नहीं खरीद सकते। लेकिन हम जो भी खरीदें उसके लिए राष्ट्रीय हितों को ध्यान में रखें। चीन के मामले में हम इस देश के लोगों को कहना चाहेंगे कि जहां तक संभव हो भारत में बनायें, भारत में खरीदें। हम चीन से खरीदने पर रोक नहीं लगाएंगे। लेकिन जो राष्ट्रीय हित में है वह लंबी अवधि में कारोबार के हित में भी होगा।
सीमा पर समस्‍या पैदा कर रहा चीन

उन्होंने चीन पर आरोप लगाया कि वह सीमा पर समस्या पैदा कर रहा है और उसे लिखित समझौते से पीछे हटा है। हम यह नहीं कर सकते कि कारोबार सामान्य रहे लेकिन बाकी चीजें सामान्य नहीं रहेंगी। कारोबार खत्म करने को नहीं कह रहे। आंकड़े बताते हैं कि कारोबार खत्म नहीं हुई। देश के कारोबार जगत ने चीन को नजरअंदाज नहीं किया है। वह चीन से सामान खरीद रहा है। लेकिन हमें सतर्कता रखनी होगी।
 प्याज को राजनीति के चक्रव्यूह से निकालने का प्रयास, बफर स्टॉक के लिए पांच लाख टन की खरीदारी करेगी सरकार

प्याज को राजनीति के चक्रव्यूह से निकालने का प्रयास, बफर स्टॉक के लिए पांच लाख टन की खरीदारी करेगी सरकार

May 18, 2024 Add Comment

 प्याज को राजनीति के चक्रव्यूह से निकालने का प्रयास, बफर स्टॉक के लिए पांच लाख टन की खरीदारी करेगी सरकार


प्याज की कीमत को नियंत्रित रखने और राजनीतिक विमर्श से बचाने के लिए सरकार ने एक और कदम उठाया है। किसानों को आश्वस्त करते हुए अगले सीजन के प्याज की खरीदारी सुनिश्चित करने की भी पहल की गई है। सरकार ने इसके लिए अग्रिम रजिस्ट्रेशन प्रारंभ कर दिया है। इससे कालाबाजारी पर नियंत्रण बफर स्टॉक में वृद्धि और कीमतों में गिरावट को रोका जा सकेगा।

बफर स्टॉक के लिए पांच लाख टन की खरीदारी करेगी सरकार

अक्सर राजनीति को भी प्रभावित करने वाले प्याज की महंगाई को हमेशा के लिए नियंत्रित करने की तैयारी शुरू हो गई है। केंद्र सरकार बफर स्टॉक के लिए इस बार पांच लाख टन प्याज की खरीदारी करेगी। इसी माह के पहले सप्ताह में केंद्र ने प्याज निर्यात पर लगे प्रतिबंध को हटाकर किसानों को उचित मूल्य दिलाने का प्रयास किया था।
सरकार के इस कदम को चुनाव से भी जोड़कर देखा जा रहा है, क्योंकि महाराष्ट्र के प्याज उत्पादक क्षेत्रों में चुनाव अभी बाकी है। उत्तरी-पश्चिमी महाराष्ट्र प्याज का बड़ा उत्पादक है, जहां 20 मई को मतदान होने हैं। इसी क्षेत्र में प्याज व्यापार का केंद्र नासिक भी है। डिंडोरी, नासिक एवं धुले सीटों के वोटरों का हित सीधे तौर पर प्याज से जुड़ा है। लोकसभा की सात सीटों की राजनीति प्याज के मुद्दे से ही प्रभावित होती हैं। जलगांव, अहमदनगर, शिरडी, शिरूर, नंदुरबार एवं रावेर में भी प्याज की खेती होती है। डिंडोरी से केंद्रीय मंत्री भारती पवार चुनाव लड़ रही हैं।

केंद्र सरकार ने नेफेड एवं एनसीसीएफ (भारतीय राष्ट्रीय सहकारी उपभोक्ता महासंघ) को बफर स्टॉक के लिए किसानों से प्याज की खरीदारी शुरू करने का निर्देश दिया है। किसानों से 17-20 रुपये प्रति किलो की दर से खरीदारी प्रारंभ भी कर दी गई है। इससे किसानों को तत्काल राहत और आगे महंगाई को नियंत्रित करने में मदद मिलेगी।
...ताकि काबू में रहे प्‍याज की कीमत



प्याज की कीमत को नियंत्रित रखने और राजनीतिक विमर्श से बचाने के लिए सरकार ने एक और कदम उठाया है। किसानों को आश्वस्त करते हुए अगले सीजन के प्याज की खरीदारी सुनिश्चित करने की भी पहल की गई है। सरकार ने इसके लिए अग्रिम रजिस्ट्रेशन प्रारंभ कर दिया है। इससे कालाबाजारी पर नियंत्रण, बफर स्टॉक में वृद्धि और कीमतों में गिरावट को रोका जा सकेगा। उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन किया जा सकता है। ताजा रजिस्ट्रेशन प्याज की उन फसलों के लिए प्रभावी होगा, जिनकी बुवाई जून-जुलाई से शुरू होने वाली है। किसानों को दाम अधिक मिलने पर खुले बाजार में भी बेचने की आजादी रहेगी।
इस साल प्‍याज उत्‍पादन में कमी आने का है अनुमान

सारे प्रयास सावधानी के तौर पर किए जा रहे हैं। कृषि मंत्रालय का आकलन है कि इस वर्ष प्याज के उत्पादन में लगभग 47 लाख टन की कमी आएगी। सिर्फ महाराष्ट्र में लगभग 34.31 लाख टन उत्पादन गिरने का अनुमान है। ऐसे में आने वाले समय में प्याज का भाव आसमान चढ़ सकता है। इस वर्ष 254.73 लाख टन प्याज उत्पादन का अनुमान है, जबकि विगत वर्ष 302.08 लाख टन हुआ था। देश में सबसे ज्यादा लगभग तीन चौथाई प्याज का उत्पादन रबी मौसम में ही होता है।
प्याज दो तरह से करता है वोट को प्रभावित

प्याज का राजनीति से दशकों पुराना संबंध है। अभी यह दो तरह से वोटरों पर असर डाल रहा। पहला किसानों को प्याज की कम कीमत मिल रही है और दूसरा उपभोक्ताओं को भी ज्यादा पैसे देने पड़ रहे हैं। सिर्फ बिचौलिओं की चांदी है। महाराष्ट्र की जिन मंडियों में प्याज की आवक कम है, वहां कीमत अच्छी मिल रही है, किंतु जहां ज्यादा आवक है, वहां के किसान ठगे जा रहे हैं। भंडारण की व्यवस्था नहीं होने के चलते औने-पौने दाम पर बेचना मजबूरी है। हालांकि केंद्र सरकार ने किसानों को बेचने के बजाए भंडारण की सलाह दी है, ताकि बाजार में मांग बढ़ने पर सितंबर-अक्टूबर में अच्छी कीमत मिल सके।
 अब नहीं गिरेगा रुपया! अपनी करेंसी को मजबूत करने के लिए ये कदम उठा रहा RBI

अब नहीं गिरेगा रुपया! अपनी करेंसी को मजबूत करने के लिए ये कदम उठा रहा RBI

May 17, 2024 Add Comment

 अब नहीं गिरेगा रुपया! अपनी करेंसी को मजबूत करने के लिए ये कदम उठा रहा RBI


पिछले कुछ कारोबारी सत्र से डॉलर के मुकाबले रुपये में कमजोरी देखी जा रही है। अब रिजर्व बैंक (RBI) अपनी करेंसी को सपोर्ट देने के लिए कदम उठा रहा है। समाचार एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक आरबीआई रुपये पर दबाव को कम करने के लिए अमेरिकी डॉलर बेच रहा है। इससे अंदाजा लगाया जा रहा है कि निकट अवधि के दौरान रुपये में कोई बड़ी गिरावट नहीं देखने को मिलेगी।

शुक्रवार के कारोबारी सत्र में डॉलर के मुकाबला रुपया 83.48 के स्तर पर खुला।

 पिछले कुछ कारोबारी सत्र से डॉलर के मुकाबले रुपये में कमजोरी देखी जा रही है। अब रिजर्व बैंक (RBI) अपनी करेंसी को सपोर्ट देने के लिए कदम उठा रहा है। समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने सूत्रों के हवाले से बताया कि आरबीआई रुपये पर दबाव को कम करने के लिए अमेरिकी डॉलर बेच रहा है।
इसका रुपये पर कुछ असर भी दिख रहा है। शुक्रवार के कारोबारी सत्र में डॉलर के मुकाबला रुपया 83.48 के स्तर पर खुला, जबकि पिछले कारोबारी सत्र में यह 83.50 के स्तर पर बंद हुआ था। इसका मतलब कि पिछले कारोबारी सत्र की तुलना में इसमें कोई खास बदलाव नहीं हुआ और यह तकरीबन जस का तस ही खुला।

क्यों दबाव में आया रुपया?

पिछले कुछ समय से भारत के इक्विटी मार्केट में लगातार बिकवाली हो रही है। विदेशी निवेशक कम वोटिंग जैसी चिंताओं के चलते निकासी कर रहे हैं। हालांकि, घरेलू संस्थागत निवेशक का जोर खरीदारी पर ही है। फिर भी इक्विटी मार्केट में अस्थिरता काफी बढ़ गई है। वहीं, लोकल इंपोर्टर्स की ओर से डॉलर की मांग भी तेजी से बढ़ रही है।

इन सबके चलते रुपये पर काफी दबाव था और वह लगातार हो रहा था। यही वजह है कि रिजर्व बैंक को डॉलर बेचने जैसा एहतियाती कदम उठाना पड़ा। रॉयटर्स ने एक प्राइवेट बैंक के फॉरेन एक्सचेंज ट्रेडर के हवाले से बताया, 'आरबीआई शायद सरकारी बैंकों के माध्यम से 83.50 के स्तर के करीब डॉलर बेच रहा है। केंद्रीय बैंक जिस आक्रामक तरीके से रुपये का बचाव कर रहा है, उससे नहीं लगता कि निकट अवधि में रुपये में कोई बड़ी गिरावट आने वाली है।'
 NBFC के लिए संकट बन सकता है Unsecured Loans, RBI डिप्टी गवर्नर ने दी चेतावनी

NBFC के लिए संकट बन सकता है Unsecured Loans, RBI डिप्टी गवर्नर ने दी चेतावनी

May 17, 2024 Add Comment

 NBFC के लिए संकट बन सकता है Unsecured Loans, RBI डिप्टी गवर्नर ने दी चेतावनी


आरबीआई के डिप्टी गवर्नर स्वीनाथन जे ने कहा कि असुरक्षित कर्ज और पूंजी बाजार फंडिंग पर अत्यधिक निर्भरता गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) के लिए संकट बन सकती है। एनबीएफसी के प्रतिनिधियों के साथ एक बैठक को संबोधित करते हुए डिप्टी गवर्नर ने उन्हें एल्गोरिदम या मशीन लर्निंग आधारित कर्ज वितरण मॉडल अपनाने को लेकर भी चेताया। इसके अलावा उन्होंने एनबीएफसी को निगरानी में तेजी लाने के लिए कहा।

NBFC के लिए संकट बन सकता है Unsecured Loans

रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर स्वामीनाथन जे ने आगाह किया है कि असुरक्षित लोन और पूंजी बाजार फंडिंग पर अत्यधिक निर्भरता लंबे समय में गैर-बैंक ऋणदाताओं के लिए संकट बन सकता है।

आरबीआई द्वारा आयोजित एक सम्मेलन में गैर-बैंक वित्त कंपनियों के आश्वासन कार्यों के प्रमुखों को संबोधित करते हुए उधार के लिए एल्गोरिदम पर अत्यधिक निर्भरता के खिलाफ भी चेतावनी दी।

उन्होंने "नियमों को दरकिनार करने" के लिए नियमों की "गुमराह या बुद्धिमान व्याख्या" की प्रवृत्ति पर आरबीआई की निराशा को भी सार्वजनिक किया और इसे वित्तीय प्रणाली की अखंडता के लिए "महत्वपूर्ण खतरा" बताया।
स्वामीनाथन जे ने कहा कि

कुछ उत्पादों या असुरक्षित ऋण जैसे क्षेत्रों के लिए जोखिम सीमाएं लंबे समय तक टिकाऊ होने के लिए "बहुत अधिक" हैं। ऐसा प्रतीत होता है कि अधिकांश एनबीएफसी में एक ही तरह का काम करने की चाहत है, जैसे कि रिटेल लोन, टॉप अप लोन या पूंजी बाजार फंडिंग। ऐसे उत्पादों पर अत्यधिक निर्भरता बाद में किसी समय दुःख ला सकती है।

भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई) द्वारा असुरक्षित ऋणों पर जोखिम भार बढ़ाने के बाद, उधारदाताओं को ऐसे जोखिमों को बढ़ाने से रोकने के लिए, उधार ली गई धनराशि को पूंजी बाजार पर दांव लगाने की सुगबुगाहट थी, जिसके कारण आरबीआई को ऐसा करना पड़ा।

एल्गोरिथम-आधारित लोन देने के मुद्दे पर, उन्होंने कहा कि कई संस्थाएं पुस्तकों में वृद्धि में तेजी लाने के लिए नियम-आधारित क्रेडिट इंजन की ओर रुख कर रही हैं।


आरबीआई लेगा एक्शन

व्यक्तिगत लाभ के लिए नियमों को दरकिनार करने की प्रवृत्ति के बारे में बोलते हुए स्वामीनाथन ने कहा कि ऐसी प्रथाएं नियामक प्रभावशीलता को कमजोर करती हैं, बाजार में स्थिरता और निष्पक्षता से समझौता करती हैं।

इस तरह की प्रथाएं वित्तीय क्षेत्र में विश्वास और भरोसे को कम करती हैं, जिससे संभावित रूप से उपभोक्ताओं, निवेशकों और व्यापक अर्थव्यवस्था को जोखिम और कमजोरियों का सामना करना पड़ता है। उन्होंने यह स्पष्ट रूप से कहा कि आरबीआई पर्यवेक्षी कार्रवाई शुरू करने में संकोच नहीं करेगा जैसा कि हाल के कदमों में प्रदर्शित किया गया है।

हाल के दिनों में एनबीएफसी का दबदबा बढ़ा है और अब वे बैंक ऋण का एक चौथाई हिस्सा रखते हैं, जबकि 2013 में यह छठा हिस्सा था।
 सरकार ने तेल कंपनियों को दी राहत, कम हई क्रूड ऑयल पर लगने वाला विंडफॉल टैक्स

सरकार ने तेल कंपनियों को दी राहत, कम हई क्रूड ऑयल पर लगने वाला विंडफॉल टैक्स

May 16, 2024 Add Comment

 सरकार ने तेल कंपनियों को दी राहत, कम हई क्रूड ऑयल पर लगने वाला विंडफॉल टैक्स


सरकार तेल कंपनियों को कंट्रोल करने के लिए विंडफॉल टैक्स लगाते हैं। सरकार ने एक महीने में दो बार विंडफॉल टैक्स पर कटौती की है। अब कच्चे तेल पर अप्रत्याशित कर 5700 रुपये प्रति टन हो गया है। आपको बता दें कि क्रूड ऑयल की कीमतों में उतार-चढ़ाव देखने को मिला है। वर्तमान में कच्चे तेल के दाम 82 डॉलर प्रति बैरल के आसपास है।

केंद्र सरकार कच्चे तेल पर विंडफॉल टैक्स (Windfall Tax) लगाती है। आज सरकार ने विंडफॉल टैक्स में कटौती की है। अब कच्चे तेल पर अप्रत्याशित कर 5,700 रुपये प्रति टन हो गया है। यह पहले 8,400 रुपये प्रति टन था।

1 मई को 9,600 रुपये से 8,400 रुपये प्रति मीट्रिक टन की कटौती के बाद विंडफॉल टैक्स में यह लगातार दूसरी पाक्षिक कटौती है। बता दें कि यह टैक्स विशेष अतिरिक्त उत्पाद शुल्क (एसएईडी) के रूप में लगाया जाता है।

यह कर डीजल, पेट्रोल और जेट ईंधन (ATF) के निर्यात पर भी लगता है। वर्तमान में डीजल, पेट्रोल और एटीएफ के निर्यात पर शून्य शुल्क लगता है। अधिकारिक नोटिफिकेशन के अनुसार क्रूड ऑयल की दरें 16 मई 2024 यानी आज से लागू हो गई है।
क्या है क्रूड ऑयल प्राइस

बेंचमार्क ब्रेंट क्रूड की कीमतें वर्तमान में 82 डॉलर प्रति बैरल से कुछ अधिक पर मंडरा रही हैं। सरकार ने 16 अप्रैल को तेल की कीमतों में तेज वृद्धि के कारण पेट्रोलियम क्रूड पर विंडफॉल टैक्स को 6,800 रुपये से बढ़ाकर 9,600 रुपये प्रति मीट्रिक टन कर दिया था।
विंडफॉल टैक्स क्या है? (What is Windfall Tax?)

सरकार ने 1 जुलाई 2022 में क्रूड ऑयल के प्रोडक्ट जैसे- गैसोलीन, डीजल और एटीएफ पर टैक्स लगाना शुरू किया। यह टैक्स प्राइवेट रिफाइनर को कंट्रोल करने के लिए शुरू किया गया था।

दरअसल, कंपनियां रिफाइनिंग मार्जिन से फायदा उठाने के लिए विदेश में फ्यूल बेचना चाहते थे। इस पर रोक लगाने के लिए सरकार ने विंडफॉल टैक्स लागू किया।
 क्या New Tax Regime को ओल्ड रिजीम में बदल सकते हैं? यहां जानें सबकुछ

क्या New Tax Regime को ओल्ड रिजीम में बदल सकते हैं? यहां जानें सबकुछ

May 16, 2024 Add Comment

 क्या New Tax Regime को ओल्ड रिजीम में बदल सकते हैं? यहां जानें सबकुछ


आईटीआर फाइल (ITR) करते समय अब आपको लग रहा है कि काश दूसरा Tax Regime सेलेक्ट किया होता। अगर आप भी टैक्स रिजीम को बदलना चाहते हैं तो ये आर्टिकल आपके लिए है। आज हम आपको बताएंगे कि क्या टैक्स रिजीम को बदल सकते हैं या नहीं। बता दें कि अगर आपने अभी तक टैक्स रिजीम नहीं सेलेक्ट किया है तो न्यू टैक्स रिजीम ऑटोमेटिक सेलेक्ट हो गई है।

 इनकम टैक्स रिटर्न फाइल (ITR Filing 2024) करने का समय आ गया है। रिटर्न फाइल करते समय कई टैक्सपेयर टैक्स रिजीम बदलना चाहते हैं। आपको बता दें कि अगर आपने टैक्स रिजीम सेलेक्ट नहीं किया है तो ऑटोमेटिक न्यू टैक्स रिजीम (New Tax Regime) सेलेक्ट हो जाएगा या हो गया होगा।
जो टैक्सपेयर अब टैक्स रिजीम बदलना चाहते हैं क्या वह अब बदल सकते हैं? आइए, इस सवाल का जवाब जानते हैं।



डिफॉल्ट टैक्स रिजीम

बजट 2023 में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इनकम टैक्स स्लैब (Income Tax slab) में बदलाव किया था। उन्होंने न्यू टैक्स रिजीम की घोषणा की थी। इसमें 3 लाख रुपये सालाना इनकम टैक्स फ्री है और टैक्स को रीबूट करके 5 लाख रुपये कर दिया गया है। बता दें न्यू टैक्स रिजीम डिफॉल्ट रिजीम (Default Regime) है।

अगर करदाता ने अभी तक कर व्यवस्था का चयन नहीं किया है तो ऑटोमेटिक न्यू टैक्स रिजीम के तहत टैक्स का भुगतान होगा। इसके अलावा कंपनी भी टीडीएस (TDS) न्यू टैक्स रिजीम के तहत काटेगी।


कैसे बदलें टैक्स रिजीम (How To Switch Tax Regime?)

केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) ने अभी तक टैक्स रिजीम को बदल सकते हैं इसको लेकर कोई जानकारी नहीं दी है। इसका साफ मतलब है कि टैक्स रिजीम को बदला जा सकता है या नहीं यह अभी स्पष्ट नहीं है।

वैसे इसको लेकर टैक्स एक्सपर्ट का कहना है कि कंपनी टैक्सपेयर को टैक्स रिजीम करने का ऑप्शन देती है। अगर कंपनी करदाता को यह ऑप्शन नहीं देती है तो फिर इसका कोई इलाज नहीं है।

वहीं कई एक्सपर्ट का कहना है कि टैक्सपेयर जब आईटीआर फाइल करेंगे उस समय वह टैक्स रिजीम सेलेक्ट कर सकते हैं। यानी रिटर्न फाइल करते समय टैक्सपेयर अपने हिसाब से रिजीम का चयन कर सकते हैं।