कलम छुपाए बैठे हैं आज जो हुकूमतों के डर से, सदियों लानत बरसेगी ऐसे घटिया पत्रकारों पर।

January 18, 2021
JKA 24न्यूज़ (जनजन का आसरा)
शेख़ नसीम (भोपाल-मध्यप्रदेश)

भोपाल@ पत्रकारिता कोई पेशा या धंधा नही हैं और पैसा कमाने का कोई साधन (ज़रिया) नही हैं बल्कि पत्रकारिता एक धर्म है एक कर्तव्य हैं एक उपासना हैं समाज को सही राह दिखाने की एक संस्था हैं एक तंज़ीम हैं और पत्रकार समाज मे फैली बुराइयों को दूर करने और आपसी नफरतों को मिटाने के साथ ही भाईचारा कायम करवाने वाला एक रहबर होता हैं क्योंकि पत्रकार के लिखे से राष्ट्र का और समाज का निर्माण होता हैं।

पर अफसोस आज कुछ चाटुकार पत्रकारों ने पत्रकारिता की मर्यादा को तार-तार कर दिया हैं और जो लोग इनके लिखे हुए को पढ़ते हैं इनके बोले हुए को सुनते हैं और इनके दिखाए हुए को देखते हैं वही लोग आज इनको दलाल-मीडिया, गोदी-मीडिया, न्यूज़-रूम को कोठा और पत्रकारों को नेताओ की रखैल जैसे शर्मनाक नामो से पुकारते और संबोधित करते हैं आखिर इसकी वजह क्या हैं। इसके बारे में सिर्फ ये बात खुलकर सामने आई हैं कि कुछ घटिया पत्रकारों ने अपनी कलम के साथ अपने ज़मीर को भी सफेद कपड़ो में नफ़रतों की सियासत करने वालो के हाथों बेच दिया हैं। अब ये वो ही दिखा रहे हैं जो ये दिखाने को कहते हैं वो ही लिख रहे हैं जो ये लिखने को बोलते हैं अपनी सियासत को चमकाने के लिए ये सफेद कपड़ो में लिपटे नेता पत्रकारों का जबरदस्त तरीके से इस्तेमाल कर रहे हैं और देश को बांटने का और नफ़रतों की आग में झोंकने का काम कर रहे हैं और ये पत्रकार भी भूल रहे हैं कि उनसे कौन-कौनसे गुनाह करवाए जा रहे हैं लेकिन ये चाटुकार पत्रकार दौलत की चमक में अपने कर्तव्य और धर्म के साथ अपने कलम और ज़मीर का सौदा करके देश को ऐसी बरबादी की तरफ ले जा रहे हैं जिससे उबरने में सदियों लगेंगी।

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