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भारत में जल्द दौड़ेगी हाइड्रोजन ट्रेन! रेलवे ने किया सफल परीक्षण; कैसे करता है ये काम?

भारत में जल्द दौड़ेगी हाइड्रोजन ट्रेन! रेलवे ने किया सफल परीक्षण; कैसे करता है ये काम?

 भारत में जल्द दौड़ेगी हाइड्रोजन ट्रेन! रेलवे ने किया सफल परीक्षण; कैसे करता है ये काम?


भारतीय रेलवे ने हाइड्रोजन से चलने वाली पहली ट्रेन कोच का सफल परीक्षण किया जो हरियाणा के जींद में हुआ। रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने इस उपलब्धि को सोशल मीडिया पर साझा किया। यह तकनीक हाइड्रोजन फ्यूल सेल सिस्टम पर आधारित है जिससे प्रदूषण नहीं होता। इस पहल से भारत हरित ऊर्जा को बढ़ावा देगा और 2070 तक नेट-जीरो कार्बन उत्सर्जन के लक्ष्य को प्राप्त करने में मदद मिलेगी।

First Hydrogen Train Coach: देश में हाइड्रोजन ट्रेन कोच का सफल परीक्षण हुआ।(फोटो सोर्स: अश्विणी वैष्णव)


भारतीय रेलवे ने एक अहम उपलब्धि हासिल की है। देश की पहली हाइड्रोजन से चलने वाली ट्रेन कोच (First Hydrogen Powered Train Coach) का सफल परीक्षण किया गया। यह परीक्षण हरियाणा के जींद में रेलवे की वर्कशॉप में किया गया।


रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने इस सफल परीक्षण का वीडियो सोशल मीडिया हैंडल पर शेयर किया। उन्होंने वीडियो पोस्ट करते हुए लिखा, "भारत वर्तमान में 1,200 एचपी हाइड्रोजन से चलने वाली ट्रेन विकसित कर रहा है, जो देश को हाइड्रोजन ट्रेन तकनीक में वैश्विक अग्रणी देशों में शामिल कर देगा। यह भारत को रेल परिवहन के लिए हाइड्रोजन का उपयोग करने वाले चुनिंदा देशों के समूह में शामिल करता है।"

बता दें कि हाइड्रोजन से चलने वाली ट्रेनें न तो डीजल और न ही बिजली की सप्लाई लाइन पर निर्भर रहती है। सवाल ये है कि आखिर ये ट्रेन चलेगी कैसे?


दरअसल, ट्रेन यह तकनीक हाईड्रोजन फ्यूल सेल सिस्टम पर काम करती है। ट्रेन इंजन में लगे टैंक में हाइड्रोजन गैस भरी रहती है। वहीं, ऑक्सीजन को हवा के माध्यम से ली जाती है। जब दोनों आपस में मिलते हैं तो एक रासायनिक क्रिया की शुरुआत होती है। हाइड्रोजन और ऑक्सीजन के मिलने के बाद बिजली का संचार होता है जो, मोटर को पावर देती है।

जानकारी के मुताबिक, ट्रेन में बैटरी का भी इस्तेमाल किया जाता है। यानी तेज स्पीड या चढ़ाई वाले रास्ते पर बैटरी का इस्तेमाल किया जाता है। ‘
ग्रीन फ्यूचर’ की दिशा में बड़ा कदम

इस तकनीक का सबसे बड़ा फायदा पर्यावरण को है। हाइड्रोजन ट्रेन से कार्बन डाइऑक्साइड या जहरीली गैस नहीं निकलती, जिससे पर्यावरण को कोई नुकसान नहीं होता। हाइड्रोजन ट्रेन भारत के ‘ग्रीन फ्यूचर’ की दिशा में बड़ा कदम है।

फ्रांस और जर्मनी में पहले से ही हाइड्रोजन प्रणाली से ट्रेनें चल रही हैं।भारतीय रेलवे के इस कदम से एक तो हरित ऊर्जा को बढ़ावा मिलेगा। दूसरा 2070 तक नेट-जीरो कार्बन उत्सर्जन का जो लक्ष्य को हासिल करने में यह एक बड़ी भूमिका निभाएगा।
Jasprit Bumrah क्या खेलेंगे द ओवल टेस्ट? फिटनेस पर कोच गंभीर ने दिया बड़ा अपडेट

Jasprit Bumrah क्या खेलेंगे द ओवल टेस्ट? फिटनेस पर कोच गंभीर ने दिया बड़ा अपडेट

 Jasprit Bumrah क्या खेलेंगे द ओवल टेस्ट? फिटनेस पर कोच गंभीर ने दिया बड़ा अपडेट


टीम इंडिया के तेज गेंदबाज जसप्रीत बुमराह के ओवल टेस्ट खेलने पर संदेह है। कोच गौतम गंभीर ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि टीम संयोजन पर अभी कोई फैसला नहीं हुआ है। मैनचेस्टर टेस्ट में बुमराह की गेंदबाजी में गिरावट देखी गई थी जिससे उनकी फिटनेस पर सवाल उठे। अब भारत को हर हाल में द ओवल टेस्ट जीतना है। मौजूद समय में इंग्लैंड सीरीज में 2-1 से आगे है।

Jasprit Bumrah क्या खेलेंगे द ओवल टेस्ट?

 टीम इंडिया के तेज गेंदबाज जसप्रीत बुमराह (Jasprit Bumrah) ने इंग्लैंड दौरे पर अब तक तीन टेस्ट मैच खेले हैं। इंग्लैंड दौरे को लेकर पहले से ही ये तय था कि बुमराह तीन ही मैच खेलेंगे।

लेकिन अब 31 जुलाई से लंदन के द ओवल (Ind vs Eng 5th Test) में खेले जाने वाले पांचवें और अंतिम टेस्ट को लेकर यह सवाल उठ रहा है कि क्या बुमराह टीम का हिस्सा होंगे या उन्हें आराम दिया जाएगा? इस पर कोच गौतम गंभीर ने रविवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में बड़ा अपडेट दिया है।

Jasprit Bumrah क्या खेलेंगे द ओवल टेस्ट?

भारतीय टीम के हेड कोच गौतम गंभीर ने रविवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में यह जरूर साफ किया कि तेज गेंदबाजों की फिटनेस को लेकर कोई चिंता नहीं है। उन्होंने कहा कि सभी तेज गेंदबाज फिट हैं। कोई चोट की समस्या नहीं है।


इस दौरान जब बुमराह की उपलब्धता पर सीधा सवाल पूछा गया, तो उन्होंने कोई स्पष्ट जवाब नहीं दिया। उनका कहना था,


"अभी तक फाइनल टेस्ट की टीम संयोजन को लेकर कोई बातचीत नहीं हुई है। बुमराह खेलेंगे या नहीं, इस पर फैसला नहीं हुआ है। जो भी खेलेगा, देश के लिए पूरी मेहनत करेगा।"

बता दें कि मैनचेस्टर में खेले गए चौथे टेस्ट में बुमराह की गेंदबाजी की रफ्तार में गिरावट देखी गई थी और एक बार तो वह ड्रेसिंग रूम की ओर जाते समय लड़खड़ाते हुए सीढ़ियां चढ़ते नजर आए, जिससे उनकी फिटनेस को लेकर अटकलें तेज हो गई। अब देखना होगा कि बुमराह पांचवें टेस्ट मैच में खेलते हुए दिखाई देंगे या नहीं?


मैनचेस्टर टेस्ट ड्रॉ पर हुआ समाप्त

शुभमन गिल की कप्तानी में टीम इंडिया ने मैनचेस्टर टेस्ट में जबरदस्त बल्लेबाजी की और मुकाबला ड्रॉ कराया। शुभमन गिल, रवींद्र जडेजा और वॉशिंगटन सुंदर के शानदार शतकों की मदद से भारत ने 425/4 का स्कोर खड़ा किया और मैच बचाने में कामयाब रहा।

फिलहाल, इंग्लैंड की टीम सीरीज में 2-1 से आगे है और अगर ओवल टेस्ट ड्रॉ भी होता है तो वह एंडरसन-तेंदुलकर ट्रॉफी अपने नाम कर लेगा। ऐसे में भारत की नजरें हर हाल में मैच जीतने पर होगी।
टेक्सस में बाढ़ का जायजा लेने पहुंचे अमेरिका राष्ट्रपति ट्रंप और मेलानिया, अब तक 120 लोगों की मौत; सैकड़ों लापता

टेक्सस में बाढ़ का जायजा लेने पहुंचे अमेरिका राष्ट्रपति ट्रंप और मेलानिया, अब तक 120 लोगों की मौत; सैकड़ों लापता

 टेक्सस में बाढ़ का जायजा लेने पहुंचे अमेरिका राष्ट्रपति ट्रंप और मेलानिया, अब तक 120 लोगों की मौत; सैकड़ों लापता


अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और उनकी पत्नी मेलानिया बाढ़ प्रभावित टेक्सस प्रांत का जायजा लेने पहुंच चुके हैं। वे पीडि़त परिवारों और स्थानीय अधिकारियों से भी मुलाकात करेंगे। इस प्रांत में चार जुलाई को आई विनाशकारी बाढ़ में 120 से अधिक लोगों की जान गई और 160 से ज्यादा लोग अब भी लापता हैं। बाढ़ से केर काउंटी सबसे ज्यादा प्रभावित है।


टेक्सस में बाढ़ से बचाव कार्यों में शामिल लोगों से मिलते ट्रंप और उनकी पत्नी (फोटो- एक्स)

 अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और उनकी पत्नी मेलानिया बाढ़ प्रभावित टेक्सस प्रांत का जायजा लेने पहुंच चुके हैं। वे पीडि़त परिवारों और स्थानीय अधिकारियों से भी मुलाकात करेंगे।
बाढ़ में 120 से अधिक लोगों की जान गई


इस प्रांत में चार जुलाई को आई विनाशकारी बाढ़ में 120 से अधिक लोगों की जान गई और 160 से ज्यादा लोग अब भी लापता हैं। बाढ़ से केर काउंटी सबसे ज्यादा प्रभावित है।



ट्रंप बाढ़ को लेकर दिया बयान


ट्रंप ने गुरुवार को एनबीसी न्यूज को फोन पर दिए एक इंटरव्यू में टेक्सस बाढ़ को लेकर प्रशासन की प्रतिक्रिया का बचाव किया और कहा, ''हम शुरू से ही वहां मौजूद हैं।''
छत पर रहकर बचाई जान, बाढ़ की भयावहता के बनाए वीडियो


टेक्सास में चार जुलाई को एक शक्तिशाली तूफान की वजह से आए फ्लैश फ्लड के कारण ग्वाडालूप नदी लगभग 45 मिनट में 26 फीट तक उफना गई थी। अचानक बाढ़ आ जाने से नदी के समीप रहने वाले जेन टावलर नामक व्यक्ति का परिवार भी मुश्किल में फंस गया था। उन्होंने छत पर रहकर अपनी जान बचाई और इस दौरान बाढ़ की भयावहता की तस्वीरें खींचीं और वीडियो बनाए।


न्यू मेक्सिको में 200 घर क्षतिग्रस्त


एपी के अनुसार, टेक्सास से सटे न्यू मेक्सिको में भी भारी वर्षा के बाद रुइदोसो नदी उफना गई। बाढ़ के चलते 200 से ज्यादा घर क्षतिग्रस्त हो गए। स्थानीय आपात अधिकारियों ने चेतावनी दी है कि क्षतिग्रस्त घरों की संख्या बढ़ सकती है, क्योंकि पहाड़ी इलाकों में सर्वे का काम जारी है। मंगलवार को आई बाढ़ में एक व्यक्ति और दो बच्चों की मौत हो गई।



टेक्सास की बाढ़ में अब तक 120 लोगों की मौत


अमेरिका के टेक्सास प्रांत में आई विनाशकारी बाढ़ में मरने वालों की संख्या बढ़कर 120 हो गई है। जबकि अब भी 161 लोग लापता बताए जा रहे हैं। पिछले सप्ताह आई बाढ़ में लापता लोगों की तलाश में बड़े पैमाने पर खोज अभियान चलाया जा रहा है।


प्रांत के अधिकारियों ने गुरुवार को बताया कि बाढ़ से सबसे ज्यादा प्रभावित केर काउंटी में करीब 2100 आपातकर्मी राहत और बचाव कार्य में जुटे हैं। काउंटी में जानमाल को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचा हैं, जहां सबसे अधिक लोगों की जान गई और लापता हैं।

टेक्सस के गवर्नर ग्रेग एबॉट ने कही ये बात


इससे पहले प्रांत के गवर्नर ग्रेग एबॉट ने कहा था, 'अभी मुख्य काम उन सभी लोगों का पता लगाना है, जो बाढ़ से प्रभावित हैं। हम तब तक नहीं रुकेंगे, जब तक हम प्रत्येक व्यक्ति की पहचान और खोज नहीं कर लेते हैं।'

ट्रंप की हत्या के प्रयास के दौरान तैनात छह सीक्रेट सर्विस एजेंट निलंबित


पेंसिल्वेनिया के एक चुनावी रैली में पिछले वर्ष डोनाल्ड ट्रंप की हत्या के प्रयास के दौरान तैनात छह सीक्रेट सर्विस एजेंटों को 10 से 42 दिनों के लिए निलंबित कर दिया गया है। सीक्रेट सर्विस ने एजेंटों की पहचान नहीं बताई और निलंबन के लिए विशेष कारणों को उजागर नहीं किया।

पेंसिल्वेनिया में 13 जुलाई 2024 को एक बंदूकधारी ने ट्रंप की रैली में उस समय गोलीबारी की, जब वह मंच से लोगों को संबोधित कर रहे थे। शूटर ने ट्रंप पर गोली चलाई थी, जिसमें ट्रंप के अलावा अन्य लोग घायल हो गए थे। बाद में शूटर को मार गिराया गया था।

सीक्रेट सर्विस के खिलाफ कई जांचें शुरू


सीक्रेट सर्विस के खिलाफ कई जांचें शुरू की गईं, और इसके निदेशक ने इस्तीफा दे दिया। ट्रंप ने शनिवार को प्रसारित होने वाले एक साक्षात्कार में कहा कि सीक्रेट सर्विस ने छत पर एजेंट तैनात न करके और स्थानीय पुलिस को शामिल न करके गलती की।
अचानक नहीं हैं ये हार्ट अटैक! रोज की आदतें ही बनाती हैं दिल को बीमार, डॉक्टर ने बताए बचने के तरीके

अचानक नहीं हैं ये हार्ट अटैक! रोज की आदतें ही बनाती हैं दिल को बीमार, डॉक्टर ने बताए बचने के तरीके

अचानक नहीं हैं ये हार्ट अटैक! रोज की आदतें ही बनाती हैं दिल को बीमार, डॉक्टर ने बताए बचने के तरीके

30-35 वर्ष उम्र का स्वस्थ दिखने वाला कोई व्यक्ति चलते- फिरते अचानक बेहोश हो जाए और इमरजेंसी रूम से हार्ट अटैक (Heart Attack) से निधन की सूचना आए तो हैरानी स्वाभाविक है। लेकिन अब ऐसी खबरें लगातार आ रही है। युवाओं को कैसे चपेट में ले रहा है साइलेंट हार्ट अटैक और क्यों नहीं दिखते हैं इसके लक्षण आइए जानते हैं विशेषज्ञों से।

क्यों बढ़ रहे हैं हार्ट अटैक के मामले? (Picture Courtesy: Freepik)


 हार्ट अटैक (Heart Attack) मेडिकल इमरजेंसी की स्थिति होती है। इसमें रक्तसंचार बाधित होने के कारण हृदय की मांसपेशियां नष्ट होने लगती हैं अगर समय रहते इसका उपचार नहीं हुआ, तो यह जानलेवा साबित होता है।


डॉ. भुवन चंद्र तिवारी (विभागाध्यक्ष, कार्डियोलॉजी, डीआरआरएमएल आइएमएस, लखनऊ) बताते हैं कि आमतौर पर इस तरह की समस्या 50 वर्ष की उम्र के बाद होती है, लेकिन अब 20-30 वर्ष के लोगों की इसके कारण मौत हो रही है। इसका सामान्य सा कारण है- धमनियों में जमा होता कोलेस्ट्राल।


यह पहले भी होता था और अब भी हो रहा है, पर एक अंतर है कि कोलेस्ट्रॉल की समस्या पहले अनियंत्रित नहीं थी, लेकिन अब हमारी खराब जीवनशैली और खानपान की बेलगाम आदत ने इसे गंभीर बना दिया है। जंक फूड का चलन, आरामदेह मगर तनावभरी दिनचर्या, निद्रा की कमी, धूमपान जैसे कारण अब बच्चों की भी धमनियों में कोलेस्ट्रॉल एकत्र कर रहे हैं।


अपने नंबरों को पहचानें दिल रहेगा दुरुस्त

जैसे आप हर वक्त बैंक में अपने जमा रकम के नंबर को जानने को उत्सुक रहते हैं, उसी तरह अपनी सेहत के नंबरों को भी जानना आवश्यक है। जैसे-दिनभर में कितने कदम पैदल चले, यह भी जानें प्रतिदिन 30 मिनट पैदल चलने का अभ्यास करना चाहिए। प्रतिदिन प्रयास करे कि 10 हजार कदम जरूर चले ।
सोने के घंटे पता होने चाहिए। प्रयास करे कि प्रतिदिन 7-8 घंटे अच्छी नींद ले।
कमर का आकार कितना है, कही वह बढ़ तो नहीं रहा है। ध्यान रखे पुरुषों की 90 सेटीमीटर से कम और महिलाओं में 80 सेमी. से कम कमर होनी चाहिए।
ब्लडप्रेशर कभी जांचा ही नहीं है, परिवार में किसी को है या नहीं, यह तो पता होना ही चाहिए | रक्तचाप को 120-80 के बीच रखें।
खराब कोलेस्ट्रॉल एलडीएल का स्तर जरूर जाने। साथ ही एनबीएसी का स्तर क्या है, यह सब पता होना चाहिए।

ये नंबर आपको सेहतमंद और जागरूक रखने के लिए आवश्यक हैं।


धमनियों से शुरू होती है हार्ट की समस्या

जब ब्लडप्रेशर बढ़ने या तनाव की वजह से हृदय की धमनियों में जमा कोलेस्ट्रॉल में हल्का सा ब्रेक या कट लग जाए, तो शरीर को इंजरी महसूस होती है। चूंकि, धमनियां दो से तीन मिमी. बारीक होती है, ऐसे में अवरोध होना या रक्त का थक्का बनना रक्तसंचार में बाधक हो जाता है। जैसे हाथ में कट लगने के बाद कुछ देर में वहां पपड़ी बन जाती है और रक्तस्राव रुक जाता है, ठीक उसी तरह हार्ट के अंदर ब्लीडिंग रोकने के लिए प्लेटलेट्स इकट्ठा होते हैं और क्लाटिंग हो जाती है।


इससे हृदय की मांसपेशियों को रक्त नहीं पहुंच पाता। इससे सीने में दर्द शुरू हो जाता है और आगे चलकर यही हार्ट अटैक में बदल जाता है। जब 90 प्रतिशत से अधिक रुकावट हो, तो सोने में भारीपन, दर्द महसूस होता है और जब ब्लाकेज 100 प्रतिशत हो जाए तो हृदयाघात हो जाता है। चूंकि यह समस्या अचानक आती है, इसलिए तुरंत उपचार आवश्यक है। हार्टअटैक में 50 प्रतिशत लोगों की एक घंटे में ही मौत हो जाती है, वे अस्पताल तक नहीं पहुंच पाते हैं।



कोविड और खराब जीवनशैली ने बटाया जोखिम

खराब जीवनशैली के अलावा ड्रग्स का ओवरडोज, हार्मोनल थेरेपी जैसे कारण भी हृदय रोग के लिए जिम्मेदार हैं कोविड संक्रमण के बाद कम उम्र के लोगों में हार्टअटैक देखा जा रहा है। हालांकि, अनेक शोध में कोचिड वैक्सीन को इसके लिए जिम्मेदार नहीं माना गया है।


अनेक अध्ययन बताते हैं कि कोविड संक्रमण के दौरान अधिकांश मौतें फेफड़ों और हृदय में रक्त का थक्का बनने के कारण हुई थीं। यही कारण हैं कि संक्रमण होने पर दो से चार हफ्तों तक खून पतला करने वाली दवाएं दी जाती रहीं। उसके बाद सुधार तो हुआ, पर शिथिलता भरी जीवनशैली और खानपान की खराब आदत बनी रही, जो अब भारी पड़ रही है।



दो-तीन वर्षों से बचों बढ़ गया है हार्टअटैक

बीते दो-तीन वर्षों से हार्टअटैक बढ़ने का मुख्य कारण है कि हमारे देश में बीते 25-30 वर्षों में जंक फूड काफी लोकप्रिय हुआ है। जिन बच्चों ने उस दौर में जंक फूड खाना शुरू किया और शारीरिक रूप से निष्क्रिय होते गए, उन लोगों में यह परेशानी देखने में आ रही है। ऐसा नहीं है कि आज बर्गर खाया और हार्टअटैक आ गया। पहले यह बच्चों के मोटापे का कारण बना, फिर बीमारियों ने घेरा और फिर वही मौत का कारण बना।


मान लीजिए आज कोई 35-40 वर्ष का व्यक्ति बर्गर-पिज्जा खा रहा है और एक 5-6 साल का बच्चा भी वही खा रहा है तो दोनों का पाचन तंत्र बिल्कुल अलग-अलग होता है बच्चे का पाचन तंत्र विकास के चरण में होता है। मान लें बच्चे ने फ्रेंचाइ खाया और इससे उसके शरीर में गया ट्रांस फैट कम उम्र में ही धमनियों में जमना शुरू हो गया। 35 वर्ष के व्यक्ति का पाचन तंत्र विकसित होने के कारण नुकसान अपेक्षाकृत कम होगा। बच्चे को 5-6 वर्ष की उम्र में लगी जंक फूड की आदत उसे जवान होने पर बीमार ही बनाएगी, इसमें कोई शक नहीं है।

बच्चों की बदल गई दिनचर्या

बच्चे पहले पैदल या साइकिल से स्कूल जाया करते थे। स्कूलों में उनके लिए खेल का मैदान होता था । लेकिन, आज हम बच्चों को चाहकर भी पैदल स्कूल नहीं भेज सकते। स्कूलों में उनके खेलने के मैदान की व्यवस्था ही सत्म हो गई है। माता-पिता खुद भी व्यस्त जीवनशैली के अधीन हैं, वे बच्चों को बाहर ले नहीं जा सकते। ऐसे अनेक कारण हैं, जो नई पीढ़ी की सेहत को जोखिम में डाल रहे हैं।

जंक फूड पिछले 20-25 वर्षों से हमारे खानपान का हिस्सा बना हुआ है। चूंकि यह 25 साल पहले शुरू हुआ था, इसलिए 25-30 साल के लोगों में हार्टअटैक नजर आ रहा है। अगर यही आदत जारी रही तो आने वाले समय में 10 से 15 वर्ष के बच्चों में हार्ट अटैक की समस्या देखने को मिलेगी।


हार्ट की कराते रहें जांच कम रहेगा जोखिम

डा. विवेक कुमार (वाइस चेयरमैन कार्डियक राज मेक्स अस्पताल, नई दिल्ली) बताते हैं कि हृदय की सेहत जानने के लिए हमे दो-तीन बातो का ध्यान 'रखना होगा। पहला, क्या पहले से कोई रिस्क फैक्टर है? जैसे परिवार में किसी को क्या हार्ट की बीमारी हो चुकी है ?

दूसरा, अगर ब्लडप्रेशर, डायबिटीज जैसी समस्या है, तो वह नियंत्रण में है या नहीं। हमें ध्यान रखना होगा कि जिनकी दिनचर्या ही हाई रिस्क पर है, उन्हें हार्ट की बीमारी होने की प्रबल आशंका रहती है। आमतौर पर 40 वर्ष से अधिक उम्र के पुरुषों और 50 की उम्र के बाद ही महिलाओं में हार्ट की समस्या होने का जोखिम रहता है।

शुरुआती जांच बहुत महत्त्वपूर्ण

जिन लोगों में दो या इससे अधिक रिस्क फैक्टर होते हैं, जैसे डायबिटीज और बडप्रेशर के साथ- साथ धूम्रपान जैसी आदतें भी है, उन लोगों के हृदय की जांच बहुत आवश्यक है खासकर, लिपिड प्रोफाइल, इको और ईसीजी करके सही स्थिति का आकलन अवश्य करना चाहिए। आवश्यकता होने पर एजियोग्राफी या सीटी एजियोग्राफी की जा सकती है।


चूंकि, सबका सीटी करना संभव नहीं है तो शुरुआती जांच के बाद ही आगे की स्थिति जान सकते है। अगर माता-पिता दोनों को हार्ट की समस्या हो चुकी है तो बच्चे में भी आशंका रहती है। इसी तरह अनियंत्रित डायबिटीज, कोलेस्ट्राल, ब्लडप्रेशर हार्ट को जोखिम में डाल सकता है। आजकल भारतीयों में देखा गया है कि अगर लाइपोप्रोटीन बढ़ा हुआ है तो हार्ट से जुड़ी समस्या हो सकती है।

लक्षण दिखाने पर बरसें सतर्कता

अगर धमनियों में ब्लाकेज आती है तो पैदल चलने, व्यायाम करने पर सीने में दर्द, भारीपन और दोनों हाथों में दर्द बढ़ने जैसी समस्याएं | होती है और बैठने पर राहत मिल जाती है। इसका दूसरा लक्षण होता है पैदल चलने पर सांस फूलना डायबिटीज के मरीजों को सीने में दर्द नहीं होता, उन्हें सांस फूलने की समस्या हो सकती है। अगर नसों मे ब्लाकेज है या कोई कलाट फंस गया है, तो यह जानलेवा भी हो सकता है।


एक्यूट हार्ट अटैक में एक तिहाई लोग अस्पताल भी नहीं पहुंच पाते। इसका विडो पीरियड एक से तीन घंटे का ही होता है। इससे अधिक होने पर हार्ट तेजी से डैमेज होता है और 24 घंटे के बाद काम करना बंद कर देता है। ऐसे में पंजियोप्लास्टी और बाइपास का भी लाभ नहीं मिलता।


इसलिए शुरुआती लक्षण पर गौर करना जरूरी है, जैसे कई लोगों में हाथों और पैरो मे दर्द या जलन की तरह महसूस होता है। कुछ लोगों को जबड़ों मे कुछ भारीपन लगता है। यह हेटिस्ट के पास चले जाते हैं, लेकिन ये हार्ट की समस्या के लक्षण होते हैं। हालांकि, ये लक्षण 10 प्रतिशत से कम लोगों में देखने में आता है।

सेहत को लेकर सावधानी

मान लीजिए कोई व्यक्ति पहले पांच कि.मी. आसानी से चलता था, लेकिन उसे सांस फूलने और कान होने लगे, तो यह खराब होती सेहत के संकेत हो सकते हैं। लोगो को लगता है कि उम्र बढ़ने से ऐसा हो रहा है। लेकिन, इसके पीछे हार्ट की समस्या भी हो सकती है। अगर शुरुआती जांच के बाद ही सही उपचार शुरू जाए, तो वह सामान्य व्यक्ति की तरह ही जीवन जी सकता है।


अगर हार्टअटैक के बाद हृदय कमजोर हो गया है, तो आगे चलकर परेशानी बढ़ सकती है। बचाव उपचार से बेहतर है, इसी फार्मूले को ध्यान में रखते हुए स्वस्थ जीवनशैली, सही और उपयुक्त आहार के नियम का पालन करना चाहिए।


प्रतिदिन 10-15 हजार कदम चलना, रनिंग, स्वीमिंग या साइकिलिंग कुछ भी कर सकते हैं। सफेद चीनी, आलू, चावल, बटर का नियंत्रित सेवन करना चाहिए। फाइबर युक्त आहार, सब्जियां जितना खाएंगे, हृदय की बीमारी होने की आशंका उतनी ही कम रहेगी।

क्या अलग होते हैं महिलाओं और पुरुषों में हार्टअटैक के लक्षण!

हार्टअटैक होने पर पुरुषों में सीने में दर्द, भारीपन जैसे लक्षण होते हैं। लेकिन, महिलाओं, बुजुर्गों और डायबिटीज वालों को जी मिचलाने, उल्टी महसूस होने, एसिडिटी, हार्टबर्न, उलझन बेचैनी जैसी समस्याएं हो सकती है। कई बार लगता है कि मिर्च-मसाला या गोलगप्पे खा लेने के कारण ऐसा होता है। दोनों के हृदयरोग और उपचार में भी बड़ा अंतर है।


महिलाएं 45 - 50 वर्ष की उम्र तक हार्मोनल बदलावों के कारण सुरक्षित रहती है। लेकिन, अब वह अंतर नही दिख रहा है। अब 25-30 वर्ष की महिलाओं में एजियोग्राफी में गंभीर बीमारियां दिख रही है। दूसरा, महिलाओं मे हार्टअटैक थोड़ा कम तो होता है, पर मौते अधिक होती हैं। इसका कारण है कि उन्हें सही समय पर उपचार नहीं मिल पाता।


पुरुष अक्सर आफिस या ऐसी जगहों पर होते हैं, जहा अस्पताल पहुंचाना आसान होता है। लेकिन, महिलाएं घरो मे या गांवों में होती हैं और पति के बाहर होने या किसी की सहायता नहीं मिल पाने के कारण उन्हें सही समय पर उपचार नहीं मिल पाता। कई बार वे खुद भी छिपा लेती हैं। थोड़ा राहत मिल जाने पर अस्पताल जाने से बचती हैं। इससे हार्ट की बीमारी गंभीर हो सकती है। जब भी लक्षण उभरे तो तुरंत इसकी जानकारी स्वजनों को देनी चाहिए। अब छोटे शहरों और कस्बों में भी सामान्य जांच और उपचार की व्यवस्था उपलब्ध है। केवल खून पतला करने की दवाई देने से भी जान बच सकती है।

किस तरह की जांच जरूरी

स्ट्रेस, इको, ईसीजी, ट्रेडमिल टेस्ट, लिपिड प्रोफाइल, लिपोप्रोटीनए पंजियोग्राफी, सीटी कैल्शियम स्कोरिंग की जाती है। इससे पता चलता है कि हार्ट की नसों में ब्लाकेज होने की आशंका है या नहीं।
जीवनशैली का तय हो नियमजंक फूड नहीं खाना है।
धूम्रपान, तंबाकू से दूर रहना है।
स्वजन और मित्रों के साथ समय बिताएं।
आरामतलब होने से बचना है।
प्रतिदिन 30 मिनट व्यायाम जरूर करना है। बस इतना ही करें। दिल की सेहत के लिए इतना ही पर्याप्त है।
ईरान में 20 से ज्यादा शहरों में कुत्तों को घुमाने पर लगी रोक, नियम तोड़ने पर होगी कार्रवाई; क्यों लिया गया ये फैसला?

ईरान में 20 से ज्यादा शहरों में कुत्तों को घुमाने पर लगी रोक, नियम तोड़ने पर होगी कार्रवाई; क्यों लिया गया ये फैसला?

 ईरान में 20 से ज्यादा शहरों में कुत्तों को घुमाने पर लगी रोक, नियम तोड़ने पर होगी कार्रवाई; क्यों लिया गया ये फैसला?


ईरान ने सामाजिक व्यवस्था और सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए 20 से अधिक शहरों में कुत्तों को घुमाने पर प्रतिबंध लगा दिया है। तेहरान स्थित फराज न्यूज के अनुसार इन शहरों में करमानशाह इलम हमादान और करमान जैसे शहर शामिल हैं। ईरानी अधिकारियों का कहना है कि कुत्तों को घुमाना लोगों के स्वास्थ्य के लिए खतरा है और इससे सुरक्षा संबंधी मुद्दे भी हो सकते हैं।

कुत्तों को घुमाने पर लगी रोक (फाइल फोटो)

ईरान ने सामाजिक व्यवस्था और सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए 20 से ज्यादा शहरों में कुत्तों के घुमाने पर बैन लगा दिया है। तेहरान स्थित फराज न्यूज की एक रिपोर्ट के मुताबिक, जिन शहरों में प्रतिबंध लगाया गया है उनमें करमानशाह, इलम, हमादान, करमान, बोरूजेर्ड, रोबत करीम, लवसनात और गोलेस्तान शामिल हैं।


इसी तरह के बैन सबसे पहले 2019 में राजधानी तेहरान में लगाए गए थे, जिससे नागरिकों के बीच और आलोचना हुई थी। ईरानी अधिकारियों ने दावा किया है कि कुत्तों को टहलाना लोगों के स्वास्थ्य के लिए खतरा है। उनका यह भी तर्क है कि कुत्तों को टहलाना सुरक्षा संबंधी मुद्दों को जन्म दे सकता है।


कुत्तों के मालिक पर हो रही कार्रवाईहालांकि उन्होंने इस कदम को लेकर कोई विशेष जानकारी नहीं दी है। रिपोर्टों के अनुसार, अधिकारी प्रतिबंध का उल्लंघन करने वाले कुत्तों के मालिकों पर कार्रवाई कर रहे हैं, जिसके कारण गिरफ्तारी और प्रतिरोध हो रहा है। सुधारवादी अखबार एतेमाद ने रविवार को इलाम शहर के एक अधिकारी के हवाले से कहा कि उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।


इस खबर में कोई अन्य अपडेट नहीं था। ईरान के सरकारी अखबार ने कहा कि इस कदम का उद्देश्य सार्वजनिक व्यवस्था बनाए रखना, सुरक्षा सुनिश्चित करना और सार्वजनिक स्वास्थ्य की रक्षा करना है


ईरान में कुत्तों को टहलाना प्रतिबंधित क्यों है?स्थानीय निर्देशों और पुलिस के आदेशों के जरिए प्रतिबंध लगाया गया है क्योंकि कोई राष्ट्रीय कानून पारित नहीं हुआ है। हालांकि, ईरान के दंड संहिता और संविधान में कुछ ऐसे अनुच्छेद हैं जो अधिकारियों को ऐसे प्रतिबंध लगाने में सक्षम बनाते हैं, जो सार्वजनिक नैतिकता पर अनुच्छेद 638, सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए खतरों पर अनुच्छेद 688 और संविधान का अनुच्छेद 40 है, जो दूसरों को नुकसान पहुंचाने पर रोक लगाता है।