च्यवनप्राश है हर भारतीय की जिंदगी का हिस्सा, रोगों को कम करे और एनर्जी को बढ़ाए
च्यवनप्राश एक प्राचीन आयुर्वेदिक सप्लीमेंट है जो सर्दी-खांसी, कमजोर इम्युनिटी और श्वसन संबंधी समस्याओं से लड़ने में मदद करता है। यह ऊर्जा, स्टैमिना और ...और पढ़ें

बीमारियों से बचाने में रामबाण है च्यवनप्राश
सर्दी-खांसी या इम्युनिटी का कमजोर होना, अब किसी खास आयु वर्ग की समस्या नहीं है। बच्चे, बुढ़े और जवान हर कोई इनसे प्रभावित है। मौसम की मार और बढ़ते प्रदूषण ने लोगों को शुद्ध और पौष्टिक आहार के सेवन के संबंध में सचेत कर दिया है। लोग अब जागरूक हो चुके हैं और उन्हें पता है कि उनके शरीर के लिए कौन सा आहार उत्तम है। सर्दियों के मौसम में श्वसन से जुड़ी समस्याएं बढ़ जाती हैं। एनर्जी और स्टैमिना का कम होना आम है। साथ ही, पाचन और ह्र्दय के रोग लगातार परेशान करते हैं। ऐसे में हमारा ध्यान कई महत्वपूर्ण जड़ी-बूटियों से बना च्यवनप्राश पर जाता है। क्योंकि इसका एंटी-एजिंग इफेक्ट और विटामिन, मिनरल व एंटीऑक्सीडेंट की पर्याप्त मौजूदगी हमें कई बीमारियों से दूर रखने में मदद करते हैं।
च्यवनप्राश प्राचीन काल से इस्तेमाल किए जाने वाला आहार सप्लीमेंट है। यह ऋग्वेद का आशीर्वाद है और हमारी विरासत भी। यह बढ़ती उम्र से लेकर खांसी और आम सर्दी तक, कई तरह की स्वास्थ्य समस्याओं से निपटने के लिए एक रामबाण है। यह ताकत, स्टैमिना और स्फूर्ति को बढ़ाकर जीवन को उत्साह से भर देता है। पारंपरिक आयुर्वेद के चिकित्सक च्यवनप्राश को “एजलेस वंडर” कहते हैं। चरक संहिता के अनुसार, “यह सबसे अच्छा रसायन है, जो खांसी, अस्थमा और सांस की दूसरी बीमारियों को दूर करने में फायदेमंद है। यह कमजोर और खराब हो रहे टिश्यू को पोषण देता है। यह एंटी-एजिंग सप्लीमेंट है जो ताकत और एनर्जी को बढ़ाता है।"
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च्यवनप्राश तीन दोषों—वात, पित्त और कफ को संतुलित करने में मदद करता है। इसका मतलब यह हुआ कि शरीर के ह्यूमर/ बायोएनर्जी शरीर की बनावट और बायोफंक्शन को रेगुलेट करते हैं। यहां जानना जरूरी है कि आयुर्वेद में जड़ी-बूटियों के खास असर को माइक्रो एवं माइक्रोन्यूट्रिएंट्स सप्लीमेंट और मेटाबोलिक एवं टिश्यू न्यूट्रिशन के स्तर पर अच्छी तरह से पहचाना गया है, तभी हम सालों से इसका फायदा ले रहे हैं। आज जड़ी-बूटियों पर इस तरह का आयुर्वेदिक और वैज्ञानिक रिसर्च डाबर च्यवनप्राश (Dabur Chyawanprash) में देखने को मिलता है। यह एक आयुर्वेदिक डेली हेल्थ सप्लीमेंट है, जिसमें पोषक तत्वों से भरपूर जड़ी-बूटियों और मिनरल्स की प्रचुरता है। यह सालों से हर भारतीय की जिंदगी का हिस्सा है, जो सर्दी-खांसी जैसी बीमारी को रोकने में मदद करता है, उर्जा बढ़ाता है और प्राकृतिक एंटी-एजिंग क्षमता से भरपूर है।
हर्बल फॉर्मूलेशन बनाने के लिए पर्याप्त रिसर्च और अनुभव की जरूरत होती है। क्योंकि, कॉम्पोनेंट्स को अलग करना, उसे पहचाना और उसकी मात्रा को निर्धारित करना, बिना तकनीक और इनोवेशन के संभव नहीं है। डाबर च्यवनप्राश की पूरी प्रक्रिया वैज्ञानिक रिसर्च पर आधारित होती है। इनके च्यवनप्राश के कम्पोजीशन में एक बड़ा हिस्सा आंवले का होता है, जो गैलिक एसिड और पॉलीफेनोल्स से भरपूर होता है। इस कम्पोजीशन के फेनोलिक कंपाउंड्स में एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं, जो च्यवनप्राश के रिजुविनेटिंग और टॉनिक गुणों में योगदान देते हैं।
च्यवनप्राश हमारे इम्यून सिस्टम को बढ़ाता है और यह इसका सबसे प्रमुख लाभ है। लेकिन इसके पीछे एंटीबॉडीज की मुख्य भूमिका होती है। जैसे इम्युनोग्लोबुलिन एंटीबॉडी पैथोजन्स से लड़ता है, तो वहीं IgG शरीर में सबसे ज्यादा पाया जाने वाला एंटीबॉडी है, जो खून और शरीर के दूसरे फ्लूइड्स में होता है। यह इन्फेक्शन से लंबे समय तक सुरक्षा देता है और फीटस को बचाने के लिए प्लेसेंटा को क्रोस कर सकता है। वहीं, IgE एंटीबॉडी एलर्जिक रिएक्शन से जुड़ा है। जब शरीर किसी एलर्जेन के संपर्क में आता है तो IgE एंटीबॉडी मास्ट सेल्स से जुड़ जाती है, जिससे केमिकल्स (जैसे हिस्टामाइन) रिलीज होते हैं जो एलर्जी के लक्षण पैदा करते हैं। स्टडीज से पता चला है कि IgG और IgM ज्यादा बढ़ने और IgE के कम होने से हिस्टामाइन कम हुआ, जो इम्यूनोस्टिम्युलेटरी के असर को दिखाता है। एक एक्सपेरिमेंटल स्टडी से पता चला है कि डाबर च्यवनप्राश प्रीट्रीटमेंट से एलर्जेन और ओवलब्यूमिन से होने वाली एलर्जी के साथ प्लाज्मा हिस्टामाइन लेवल और सीरम इम्यूनोग्लोबुलिन E (IgE) रिलीज में काफी कमी आई, जो इसकी एंटीएलर्जिक क्षमता का संकेत देती है।
डाबर च्यवनप्राश अपने तरह का एक बैलेंस्ड फॉर्मूला है। इसे बनाने के लिए आयुर्वेदिक के साथ मॉडर्न तरीकों को अपनाया गया है, जो सुरक्षित होने के साथ इफेक्टिव भी है। इसमें इस्तेमाल होने वाले बोटैनिकल एक्सट्रैक्ट कई फाइटोन्यूट्रिएंट्स में मदद करते हैं। खास तौर पर गैलिक एसिड, फ्लेवोनॉयड्स, एल्कलॉइड्स, पिपेरिन, आंवले से मिलने वाले टैनिन (मुख्य सामग्री) और साथ ही 40+ दूसरी जड़ी-बूटियां जो च्यवनप्राश में एक्सट्रैक्ट के तौर पर इस्तेमाल होती हैं। इसके अलावा इसमें गाय का घी और तिल का तेल है जिसे आयुर्वेद में यमकद्रव्य कहते हैं। इसमें खुशबूदार बोटैनिकल पाउडर है जो एक प्रक्षेपद्रव्यस है, जिसमें पीपली, नागकेसर, इलायची, तमलपत्र, दालचिनी जैसे इंग्रीडिएंट्स शामिल है।
च्यवनप्राश एक प्राचीन आयुर्वेदिक सप्लीमेंट है जो सर्दी-खांसी, कमजोर इम्युनिटी और श्वसन संबंधी समस्याओं से लड़ने में मदद करता है। यह ऊर्जा, स्टैमिना और ...और पढ़ें

बीमारियों से बचाने में रामबाण है च्यवनप्राश
सर्दी-खांसी या इम्युनिटी का कमजोर होना, अब किसी खास आयु वर्ग की समस्या नहीं है। बच्चे, बुढ़े और जवान हर कोई इनसे प्रभावित है। मौसम की मार और बढ़ते प्रदूषण ने लोगों को शुद्ध और पौष्टिक आहार के सेवन के संबंध में सचेत कर दिया है। लोग अब जागरूक हो चुके हैं और उन्हें पता है कि उनके शरीर के लिए कौन सा आहार उत्तम है। सर्दियों के मौसम में श्वसन से जुड़ी समस्याएं बढ़ जाती हैं। एनर्जी और स्टैमिना का कम होना आम है। साथ ही, पाचन और ह्र्दय के रोग लगातार परेशान करते हैं। ऐसे में हमारा ध्यान कई महत्वपूर्ण जड़ी-बूटियों से बना च्यवनप्राश पर जाता है। क्योंकि इसका एंटी-एजिंग इफेक्ट और विटामिन, मिनरल व एंटीऑक्सीडेंट की पर्याप्त मौजूदगी हमें कई बीमारियों से दूर रखने में मदद करते हैं।
च्यवनप्राश प्राचीन काल से इस्तेमाल किए जाने वाला आहार सप्लीमेंट है। यह ऋग्वेद का आशीर्वाद है और हमारी विरासत भी। यह बढ़ती उम्र से लेकर खांसी और आम सर्दी तक, कई तरह की स्वास्थ्य समस्याओं से निपटने के लिए एक रामबाण है। यह ताकत, स्टैमिना और स्फूर्ति को बढ़ाकर जीवन को उत्साह से भर देता है। पारंपरिक आयुर्वेद के चिकित्सक च्यवनप्राश को “एजलेस वंडर” कहते हैं। चरक संहिता के अनुसार, “यह सबसे अच्छा रसायन है, जो खांसी, अस्थमा और सांस की दूसरी बीमारियों को दूर करने में फायदेमंद है। यह कमजोर और खराब हो रहे टिश्यू को पोषण देता है। यह एंटी-एजिंग सप्लीमेंट है जो ताकत और एनर्जी को बढ़ाता है।"
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च्यवनप्राश तीन दोषों—वात, पित्त और कफ को संतुलित करने में मदद करता है। इसका मतलब यह हुआ कि शरीर के ह्यूमर/ बायोएनर्जी शरीर की बनावट और बायोफंक्शन को रेगुलेट करते हैं। यहां जानना जरूरी है कि आयुर्वेद में जड़ी-बूटियों के खास असर को माइक्रो एवं माइक्रोन्यूट्रिएंट्स सप्लीमेंट और मेटाबोलिक एवं टिश्यू न्यूट्रिशन के स्तर पर अच्छी तरह से पहचाना गया है, तभी हम सालों से इसका फायदा ले रहे हैं। आज जड़ी-बूटियों पर इस तरह का आयुर्वेदिक और वैज्ञानिक रिसर्च डाबर च्यवनप्राश (Dabur Chyawanprash) में देखने को मिलता है। यह एक आयुर्वेदिक डेली हेल्थ सप्लीमेंट है, जिसमें पोषक तत्वों से भरपूर जड़ी-बूटियों और मिनरल्स की प्रचुरता है। यह सालों से हर भारतीय की जिंदगी का हिस्सा है, जो सर्दी-खांसी जैसी बीमारी को रोकने में मदद करता है, उर्जा बढ़ाता है और प्राकृतिक एंटी-एजिंग क्षमता से भरपूर है।
हर्बल फॉर्मूलेशन बनाने के लिए पर्याप्त रिसर्च और अनुभव की जरूरत होती है। क्योंकि, कॉम्पोनेंट्स को अलग करना, उसे पहचाना और उसकी मात्रा को निर्धारित करना, बिना तकनीक और इनोवेशन के संभव नहीं है। डाबर च्यवनप्राश की पूरी प्रक्रिया वैज्ञानिक रिसर्च पर आधारित होती है। इनके च्यवनप्राश के कम्पोजीशन में एक बड़ा हिस्सा आंवले का होता है, जो गैलिक एसिड और पॉलीफेनोल्स से भरपूर होता है। इस कम्पोजीशन के फेनोलिक कंपाउंड्स में एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं, जो च्यवनप्राश के रिजुविनेटिंग और टॉनिक गुणों में योगदान देते हैं।
च्यवनप्राश हमारे इम्यून सिस्टम को बढ़ाता है और यह इसका सबसे प्रमुख लाभ है। लेकिन इसके पीछे एंटीबॉडीज की मुख्य भूमिका होती है। जैसे इम्युनोग्लोबुलिन एंटीबॉडी पैथोजन्स से लड़ता है, तो वहीं IgG शरीर में सबसे ज्यादा पाया जाने वाला एंटीबॉडी है, जो खून और शरीर के दूसरे फ्लूइड्स में होता है। यह इन्फेक्शन से लंबे समय तक सुरक्षा देता है और फीटस को बचाने के लिए प्लेसेंटा को क्रोस कर सकता है। वहीं, IgE एंटीबॉडी एलर्जिक रिएक्शन से जुड़ा है। जब शरीर किसी एलर्जेन के संपर्क में आता है तो IgE एंटीबॉडी मास्ट सेल्स से जुड़ जाती है, जिससे केमिकल्स (जैसे हिस्टामाइन) रिलीज होते हैं जो एलर्जी के लक्षण पैदा करते हैं। स्टडीज से पता चला है कि IgG और IgM ज्यादा बढ़ने और IgE के कम होने से हिस्टामाइन कम हुआ, जो इम्यूनोस्टिम्युलेटरी के असर को दिखाता है। एक एक्सपेरिमेंटल स्टडी से पता चला है कि डाबर च्यवनप्राश प्रीट्रीटमेंट से एलर्जेन और ओवलब्यूमिन से होने वाली एलर्जी के साथ प्लाज्मा हिस्टामाइन लेवल और सीरम इम्यूनोग्लोबुलिन E (IgE) रिलीज में काफी कमी आई, जो इसकी एंटीएलर्जिक क्षमता का संकेत देती है।
डाबर च्यवनप्राश अपने तरह का एक बैलेंस्ड फॉर्मूला है। इसे बनाने के लिए आयुर्वेदिक के साथ मॉडर्न तरीकों को अपनाया गया है, जो सुरक्षित होने के साथ इफेक्टिव भी है। इसमें इस्तेमाल होने वाले बोटैनिकल एक्सट्रैक्ट कई फाइटोन्यूट्रिएंट्स में मदद करते हैं। खास तौर पर गैलिक एसिड, फ्लेवोनॉयड्स, एल्कलॉइड्स, पिपेरिन, आंवले से मिलने वाले टैनिन (मुख्य सामग्री) और साथ ही 40+ दूसरी जड़ी-बूटियां जो च्यवनप्राश में एक्सट्रैक्ट के तौर पर इस्तेमाल होती हैं। इसके अलावा इसमें गाय का घी और तिल का तेल है जिसे आयुर्वेद में यमकद्रव्य कहते हैं। इसमें खुशबूदार बोटैनिकल पाउडर है जो एक प्रक्षेपद्रव्यस है, जिसमें पीपली, नागकेसर, इलायची, तमलपत्र, दालचिनी जैसे इंग्रीडिएंट्स शामिल है।







