मनरेगा से बने कुएं से रामलाल के खेतों में लहलहाया फसल

 मनरेगा से बने कुएं से रामलाल के खेतों में लहलहाया फसल

किसान रामलाल

साग-सब्जी उत्पादन कर कमा रहे हैं अतिरिक्त आमदनी

मनरेगा से बने कुएं से रामलाल के खेतों में लहलहाया फसल

किसान रामलाल बताते हैं कि खरीब फसल के पकने के बाद अच्छे उत्पादन की गारण्टी तो मिली ही, अब वे सिंचाई के लिए पानी की उपलब्धता होने से धनिया, आलू, प्याज, टमाटर जैसे साग-सब्जी लगाकर रोज की सब्जी-भाजी के खर्च को बचा भी रहा है। आज रामलाल आत्मविश्वास से भरा है और कूप के बन जाने से परिवार के चेहरे में मुस्कान है। खेती में सिंचाई की उपलब्धता तथा उचित कृषकीय प्रबंध से रामलाल अब उन्नत कृषक बनने की ओर अग्रसर हैं। जिले में मनरेगा रामलाल जैसे अनेको कृषकों के चेहरे पर खुशी लाने का पर्याय बन चुका है।

बलरामपुर जिले के विकासखंड राजपुर के ग्राम पंचायत करमडीहा निवासी श्री रामलाल अपने मनरेगा से बने कुंए के जरिए दो एकड़ खेतों में पर्याप्त सिंचाई कर रहें हैं, वही समय पर धान की खेती के लिए रोपा भी तैयार कर रहे हैं। इसके अलावा वे कुछ हिस्सों में साग-सब्जी की खेती कर इससे अतिरिक्त आमदनी भी कमा रहे हैं। गौरतलब है कि किसान रामलाल पहले सिंचाई के साधन नहीं होने से बरसात के दिनों में भी केवल धान के ही फसल ले पाते थे, वे भी वर्षा के जल पर ही निर्भर रहना पड़ता था। लेकिन मनरेगा से बने कुए ने उसके जीवन में खुशी ला दी है और वे साल में दो सफल ले रहे हैं। वहीं उन्होंने बताया कि स्वयं के लिए कुंए निर्माण से उन्हें 10 हजार रूपए का मजदूरी भी मिला।

उल्लेखनीय है कि जिला प्रशासन के मार्गदर्शन एवं कुशल प्रबंधन से मनरेगा अपने वास्तविक उद्देश्यों को पूरा कर रही है, वहीं श्रमिक व कृषक वर्ग को इसका सीधा लाभ मिल रहा है।

    मनरेगा के अधिकारियों ने बताया कि रोजगार सृजन और स्थाई परिसंपत्तियों का निर्माण कर मनरेगा एक सफल योजना के रूप में जिले में स्थापित हो चुकी है। रामलाल जनपद पंचायत राजपुर के ग्राम पंचायत करमडीहा के निवासी हैं तथा अनेकों अन्य हितग्राहियों की तरह रामलाल के खेत में मनरेगा के तहत कूप निर्माण की स्वीकृति मिली थी। कूप निर्माण के लिए रामलाल के खेत का चयन किया गया तथा निर्धारित समय पर कूप तैयार भी हो गया। कूप के माध्यम से रामलाल के 02 एकड़ खेत की सिंचाई है तथा वे बरसात के साथ-साथ गर्मियों में भी फसल लेने के लिए उत्साहित हैं। धान की खेती के साथ ही भविष्य में पानी की आवश्यकता वाले अन्य फसलों की खेती का विचार कर रहे हैं, जो पहले संभव नहीं था।

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