ये देश के लिए शर्म की बात', 16 साल से लंबित एसिड अटैक मामले पर SC सख्त; केंद्र को दिए निर्देश
सुप्रीम कोर्ट ने एसिड अटैक के लंबित मामलों पर चिंता जताते हुए सभी उच्च न्यायालयों से विस्तृत जानकारी मांगी है। 2009 के एक मामले में दिल्ली कोर्ट में ध ...और पढ़ें

सुप्रीम कोर्ट का एसिड अटैक मामलों पर कड़ा रुख। (फाइल फोटो)
गुरुवार को एक मामले की सुनवाई के दौरान शीर्ष न्यायालय ने सभी हाई कोर्ट से देश में एसिड अटैक के सभी पेंडिंग ट्रायल की डिटेल्स देने को कहा है। वहीं, एसिड अटैक केस पर केंद्र की तरफ से पेश सॉलिसिटर जनरल ने SC को भरोसा दिलाया कि मामले को पूरी गंभीरता से लिया जाएगा।
दरअसल, SC ने 2009 के एसिड अटैक केस में से एक में दिल्ली कोर्ट में धीमी क्रिमिनल ट्रायल की आलोचना की। साथ ही इसको इसे 'नेशनल शेम' बताया।
एसिड अटैक से जुड़े मामलों के आंकड़े करने होंगे पेश
लाइव लॉ की एक रिपोर्ट के अनुसार, गुरुवार को भारत के मुख्य न्यायाधीश सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की पीठ ने सभी उच्च न्यायालयों के रजिस्ट्रार जनरलों को लंबित एसिड अटैक मामलों से संबंधित आंकड़े प्रस्तुत करने का निर्देश दिया।
बता दें कि याचिकाकर्ता, जो खुद ही एक एसिड अटैक सर्वाइवर हैं और व्यक्तिगत रूप से पीठ के सामने उपस्थित हुईं। उन्होंने न्यायालय को बताया कि 2009 में उन पर हमला हुआ था, फिर भी मुकदमा अभी तक पूरा नहीं हुआ है।
16 साल से लंबित मामले पर SC ने आश्चर्य जताया
उन्होंने बताया कि 2013 तक इस मामले में कुछ नहीं हुआ और अब दिल्ली के रोहिणी में चल रहा मुकदमा अंतिम चरण में है। इस दौरान सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने पिछले 16 साल से अधिक समय लंबी देरी पर आश्चर्य व्यक्त किया। इस दौरान मुख्य न्यायाधीश सूर्यकांत ने कहा कि यह अपराध 2009 का है और अभी तक मुकदमा पूरा नहीं हुआ है! अगर राष्ट्रीय राजधानी इन चुनौतियों का जवाब नहीं दे सकती, तो इससे कौन निपटेगा? यह व्यवस्था के लिए शर्म की बात है!
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को दिए निर्देश
वहीं, याचिकाकर्ता ने बताया कि अपना केस लड़ने के साथ-साथ, वह अन्य एसिड अटैक सर्वाइवर्स की राहत के लिए भी काम कर रही हैं। सीजेआई ने मामले की सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता से कहा कि वह मुकदमे में तेजी लाने के लिए आवेदन दायर करें।
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से कानून में बदलाव करने पर विचार करने को कहा ताकि एसिड अटैक सर्वाइवर्स को वेलफेयर स्कीम्स का फायदा देने के लिए डिसेबल्ड लोगों में शामिल किया जा सके।
सुप्रीम कोर्ट ने एसिड अटैक के लंबित मामलों पर चिंता जताते हुए सभी उच्च न्यायालयों से विस्तृत जानकारी मांगी है। 2009 के एक मामले में दिल्ली कोर्ट में ध ...और पढ़ें

सुप्रीम कोर्ट का एसिड अटैक मामलों पर कड़ा रुख। (फाइल फोटो)
गुरुवार को एक मामले की सुनवाई के दौरान शीर्ष न्यायालय ने सभी हाई कोर्ट से देश में एसिड अटैक के सभी पेंडिंग ट्रायल की डिटेल्स देने को कहा है। वहीं, एसिड अटैक केस पर केंद्र की तरफ से पेश सॉलिसिटर जनरल ने SC को भरोसा दिलाया कि मामले को पूरी गंभीरता से लिया जाएगा।
दरअसल, SC ने 2009 के एसिड अटैक केस में से एक में दिल्ली कोर्ट में धीमी क्रिमिनल ट्रायल की आलोचना की। साथ ही इसको इसे 'नेशनल शेम' बताया।
एसिड अटैक से जुड़े मामलों के आंकड़े करने होंगे पेश
लाइव लॉ की एक रिपोर्ट के अनुसार, गुरुवार को भारत के मुख्य न्यायाधीश सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की पीठ ने सभी उच्च न्यायालयों के रजिस्ट्रार जनरलों को लंबित एसिड अटैक मामलों से संबंधित आंकड़े प्रस्तुत करने का निर्देश दिया।
बता दें कि याचिकाकर्ता, जो खुद ही एक एसिड अटैक सर्वाइवर हैं और व्यक्तिगत रूप से पीठ के सामने उपस्थित हुईं। उन्होंने न्यायालय को बताया कि 2009 में उन पर हमला हुआ था, फिर भी मुकदमा अभी तक पूरा नहीं हुआ है।
16 साल से लंबित मामले पर SC ने आश्चर्य जताया
उन्होंने बताया कि 2013 तक इस मामले में कुछ नहीं हुआ और अब दिल्ली के रोहिणी में चल रहा मुकदमा अंतिम चरण में है। इस दौरान सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने पिछले 16 साल से अधिक समय लंबी देरी पर आश्चर्य व्यक्त किया। इस दौरान मुख्य न्यायाधीश सूर्यकांत ने कहा कि यह अपराध 2009 का है और अभी तक मुकदमा पूरा नहीं हुआ है! अगर राष्ट्रीय राजधानी इन चुनौतियों का जवाब नहीं दे सकती, तो इससे कौन निपटेगा? यह व्यवस्था के लिए शर्म की बात है!
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को दिए निर्देश
वहीं, याचिकाकर्ता ने बताया कि अपना केस लड़ने के साथ-साथ, वह अन्य एसिड अटैक सर्वाइवर्स की राहत के लिए भी काम कर रही हैं। सीजेआई ने मामले की सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता से कहा कि वह मुकदमे में तेजी लाने के लिए आवेदन दायर करें।
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से कानून में बदलाव करने पर विचार करने को कहा ताकि एसिड अटैक सर्वाइवर्स को वेलफेयर स्कीम्स का फायदा देने के लिए डिसेबल्ड लोगों में शामिल किया जा सके।




