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ये देश के लिए शर्म की बात', 16 साल से लंबित एसिड अटैक मामले पर SC सख्त; केंद्र को दिए निर्देश

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ये देश के लिए शर्म की बात', 16 साल से लंबित एसिड अटैक मामले पर SC सख्त; केंद्र को दिए निर्देश


सुप्रीम कोर्ट ने एसिड अटैक के लंबित मामलों पर चिंता जताते हुए सभी उच्च न्यायालयों से विस्तृत जानकारी मांगी है। 2009 के एक मामले में दिल्ली कोर्ट में ध ...और पढ़ें





सुप्रीम कोर्ट का एसिड अटैक मामलों पर कड़ा रुख। (फाइल फोटो)


 गुरुवार को एक मामले की सुनवाई के दौरान शीर्ष न्यायालय ने सभी हाई कोर्ट से देश में एसिड अटैक के सभी पेंडिंग ट्रायल की डिटेल्स देने को कहा है। वहीं, एसिड अटैक केस पर केंद्र की तरफ से पेश सॉलिसिटर जनरल ने SC को भरोसा दिलाया कि मामले को पूरी गंभीरता से लिया जाएगा।


दरअसल, SC ने 2009 के एसिड अटैक केस में से एक में दिल्ली कोर्ट में धीमी क्रिमिनल ट्रायल की आलोचना की। साथ ही इसको इसे 'नेशनल शेम' बताया।
एसिड अटैक से जुड़े मामलों के आंकड़े करने होंगे पेश

लाइव लॉ की एक रिपोर्ट के अनुसार, गुरुवार को भारत के मुख्य न्यायाधीश सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की पीठ ने सभी उच्च न्यायालयों के रजिस्ट्रार जनरलों को लंबित एसिड अटैक मामलों से संबंधित आंकड़े प्रस्तुत करने का निर्देश दिया।


बता दें कि याचिकाकर्ता, जो खुद ही एक एसिड अटैक सर्वाइवर हैं और व्यक्तिगत रूप से पीठ के सामने उपस्थित हुईं। उन्होंने न्यायालय को बताया कि 2009 में उन पर हमला हुआ था, फिर भी मुकदमा अभी तक पूरा नहीं हुआ है।

16 साल से लंबित मामले पर SC ने आश्चर्य जताया

उन्होंने बताया कि 2013 तक इस मामले में कुछ नहीं हुआ और अब दिल्ली के रोहिणी में चल रहा मुकदमा अंतिम चरण में है। इस दौरान सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने पिछले 16 साल से अधिक समय लंबी देरी पर आश्चर्य व्यक्त किया। इस दौरान मुख्य न्यायाधीश सूर्यकांत ने कहा कि यह अपराध 2009 का है और अभी तक मुकदमा पूरा नहीं हुआ है! अगर राष्ट्रीय राजधानी इन चुनौतियों का जवाब नहीं दे सकती, तो इससे कौन निपटेगा? यह व्यवस्था के लिए शर्म की बात है!

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को दिए निर्देश

वहीं, याचिकाकर्ता ने बताया कि अपना केस लड़ने के साथ-साथ, वह अन्य एसिड अटैक सर्वाइवर्स की राहत के लिए भी काम कर रही हैं। सीजेआई ने मामले की सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता से कहा कि वह मुकदमे में तेजी लाने के लिए आवेदन दायर करें।


बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से कानून में बदलाव करने पर विचार करने को कहा ताकि एसिड अटैक सर्वाइवर्स को वेलफेयर स्कीम्स का फायदा देने के लिए डिसेबल्ड लोगों में शामिल किया जा सके।
 अहमदाबाद एयरपोर्ट पर विमान की इमरजेंसी लैंडिंग, बम की धमकी के बाद संदिग्ध को हिरासत में लिया गया

अहमदाबाद एयरपोर्ट पर विमान की इमरजेंसी लैंडिंग, बम की धमकी के बाद संदिग्ध को हिरासत में लिया गया

 अहमदाबाद एयरपोर्ट पर विमान की इमरजेंसी लैंडिंग, बम की धमकी के बाद संदिग्ध को हिरासत में लिया गया



अहमदाबाद एयरपोर्ट पर बम की धमकी के बाद एक विमान की इमरजेंसी लैंडिंग कराई गई। विमान मदीना से हैदराबाद जा रहा था। धमकी के कारण एयरपोर्ट पर हड़कंप मच गया ...और पढ़ें




अहमदाबाद एयरपोर्ट पर विमान की इमरजेंसी लैंडिंग। (फाइल)


मदीना से हैदराबाद आ रही फ्लाइट की अहमदाबाद एयरपोर्ट पर इमरजेंसी लैंडिंग कराई गई है। ये आपात लैंडिंग विमान में बम की सूचना के बाद कराई गई है।

मदीना से हैदराबाद जा रहे इंडिगो के एक विमान को एक यात्री की संदिग्ध गतिविधियों के कारण अहमदाबाद हवाई अड्डे पर आपातकालीन लैंडिंग करानी पड़ी। घटना की सूचना मिलते ही पुलिस और सुरक्षाबल तुरंत हवाई अड्डे पहुंचे और विमान में सवार सभी यात्रियों को सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया तथा मामले की जांच शुरू कर दी गई।

संदिग्ध यात्री को पुलिस ने हिरासत में लिया

संदिग्ध गतिविधियों वाले यात्री को पुलिस ने हिरासत में ले लिया है और विमान की गहन जांच की जा रही है। डीसीपी जोन 4 अतुल बंसल ने पुष्टि की है कि इस पूरे मामले में पुलिस कार्रवाई जारी है।


इस खबर को लगातार अपडेट किया जा रहा है। हम अपने सभी पाठकों को पल-पल की खबरों से अपडेट करते हैं। हम लेटेस्ट और ब्रेकिंग न्यूज को तुरंत ही आप तक पहुंचाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। प्रारंभिक रूप से प्राप्त जानकारी के माध्यम से हम इस समाचार को निरंतर अपडेट कर रहे हैं।
 बीएलओ पर काम का दबाव कम करें, छुट्टी भी दीजिए'; SIR को लेकर सुप्रीम कोर्ट का राज्य सरकारों को निर्देश

बीएलओ पर काम का दबाव कम करें, छुट्टी भी दीजिए'; SIR को लेकर सुप्रीम कोर्ट का राज्य सरकारों को निर्देश

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देश के 12 राज्यों में मतदाता सूची पुनरीक्षण के दौरान BLO की मौत पर सुप्रीम कोर्ट ने चिंता जताई है। कोर्ट ने राज्य सरकारों को BLO की कार्य स्थितियों के ...और पढ़ें



मतदाता सूची पुनरीक्षण में BLO की मौतों पर सुप्रीम कोर्ट ने जताई चिंता। (फाइल फोटो)


 देश के 12 राज्य/केंद्रशासित राज्यों में मतदाता सूची का विशेष गहन पुनरीक्षण चल रहा है। इस बीच सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को राज्य मतदाता सूचियों को संशोधित करने के लिए बूथ स्तर के अधिकारियों या बीएलओ के रूप में काम करने वाले पुरुषों और महिलाओं की मृत्यु पर गंभीर चिंता व्यक्त की। बता दें कि कई बीएलओ ने काम के दबाव में आत्महत्या भी कर ली है।


दरअसल, मुख्य न्यायाधीश सूर्यकांत की अध्यक्षता वाली पीठ ने राज्य सरकारों को बीएलओ की कार्य स्थितियों और मानसिक स्वास्थ्य के लिए जिम्मेदार ठहराया। इसके साथ ही तर्क दिया कि जहां दस हजार कर्मचारी तैनात किए गए हैं, वहां 30,000 भी तैनात किए जा सकते हैं। इससे काम करने में आसानी होगी और काम का बोझ भी हल्का हो जाएगा।


'छुट्टी मांगने वाले BLO को मिले राहत'

वहीं, मामले की सुनवाई के दौरान शीर्ष न्यायालय ने सरकारों से यह भी कहा कि ड्यूटी से छूट का अनुरोध करने वाले बीएलओ को छुट्टी दी जानी चाहिए और उनके स्थान पर किसी अन्य व्यक्ति को नियुक्त किया जाना चाहिए। शीर्ष न्यायालय ने माना कि कई बीएलओ गंभीर बीमार होने के कारण ड्यूटी से छुट्टी मांग रहे हैं। वहीं, न्यायालय ने यह भी कहा कि यही ऐसे बीएलओ को राहत नहीं प्रदान की जाती है को वह अदालत का रूख कर सकता है।

विजय की पार्टी ने किया था कोर्ट का रुख

गौरतलब है कि सर्वोच्च न्यायालय ने यह निर्देश अभिनेता विजय की पार्टी तमिलगा वेत्री कझगम की याचिका के बाद दिया है। टीवीके ने देश के कई राज्यों में कई बीएलओ की मौत के विवाद के बीच कोर्ट का रुख किया था। टीवके ने चुनाव आयोग पर प्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 32 के तहत जेल भेजने की धमकी देकर बीएलओ को काम करने के लिए मजबूर करने का आरोप लगाया था।

टीवीके ने दिया था ये तर्क

विजय की पार्टी टीवीके का तर्क है कि प्रत्येक राज्य में ऐसे परिवार हैं जिनके बच्चे अनाथ हो गए हैं या माता-पिता अलग हो गए हैं क्योंकि चुनाव आयोग धारा 32 के तहत नोटिस भेज रहा है। टीवीके का दावा है कि अकेले उत्तर प्रदेश में ही बीएलओ के खिलाफ 50 से ज्यादा पुलिस मामले दर्ज किए गए हैं,फिलहाल चुनाव आयोग से बस यही अनुरोध है कि वह ऐसी कठोर कार्रवाई न करे।


हालांकि, न्यायालय ने बीएलओ की मौतों के लिए चुनाव आयोग को जिम्मेदार ठहराने की मांग को स्वीकार करने से इनकार कर दिया। मुख्य न्यायाधीश कांत ने कहा कि बीएलओ राज्य सरकार के कर्मचारी हैं।
चुनाव आयोग ने टीवीके के आरोपों को बताया निराधार

इन सब के बीच चुनाव आयोग ने इस याचिका को पूरी तरीके झूठा और निराधार बताया है और तर्क दिया है कि मतदाता पुनः सत्यापन कार्य में देरी करने से चुनावों पर भी बड़ा प्रभाव पड़ सकता है।


उल्लेखनीय है कि तमिलनाडु और केरल में अगले साल विधानसभा चुनाव होने को हैं। बंगाल में भी 2026 में ही विधानसभा चुनाव होंगे। वहीं, गुजरात और उत्तर प्रदेश में 2027 में विधानसभा चुनाव होने को हैं। वहां भी विशेष गहन पुनरीक्षण कार्य चल रहा है।

कई राज्यों में अगले साल होने हैं चुनाव

तमिलनाडु और केरल में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं, जबकि गुजरात और उत्तर प्रदेश में भी अगले साल मतदान होगा। बंगाल में भी 2026 में चुनाव होंगे और वहाँ भी विशेष गहन पुनरीक्षण कार्य चल रहा है, जहाँ बीएलओ की मौतों की और भी खबरें आ रही हैं और चुनाव आयोग के दबाव की शिकायतें भी आ रही हैं।


बता दें कि बंगाल में चुनाव से कुछ महीने पहले मतदाता सूचियों के पुनः सत्यापन को लेकर एक उग्र राजनीतिक और कानूनी विवाद खड़ा हो गया है, जिसमें विपक्ष ने चुनाव आयोग और भाजपा पर चुनाव जीतने के लिए मतदाताओं के साथ छेड़छाड़ करने का आरोप लगाया है।
 देशभर में आज भी इंडिगो की 300 उड़ानें रद, दिल्ली-मुंबई से लेकर हैदराबाद एयरपोर्ट पर यात्रियों की कतार; पढ़ें वजह

देशभर में आज भी इंडिगो की 300 उड़ानें रद, दिल्ली-मुंबई से लेकर हैदराबाद एयरपोर्ट पर यात्रियों की कतार; पढ़ें वजह

 देशभर में आज भी इंडिगो की 300 उड़ानें रद, दिल्ली-मुंबई से लेकर हैदराबाद एयरपोर्ट पर यात्रियों की कतार; पढ़ें वजह



इंडिगो एयरलाइंस ने आज फिर लगभग 300 उड़ानें रद कर दीं, जिससे दिल्ली, मुंबई और हैदराबाद हवाई अड्डों पर यात्रियों की लंबी कतारें लग गईं। कर्मचारियों की क ...और पढ़ें



देश भर में 300 से अधिक उड़ाने रद। (फाइल फोटो)

 गुरुवार को हवाई यात्रा करने वाले यात्रियों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा। आज भी इंडिगो की 300 से अधिक उड़ाने रद रहीं, जिससे हजारों यात्रियों को समस्या का सामना करना पड़ा। देश के कई एयरपोर्ट पर यात्रियों के बीच अफरा-तफरी देखने को मिली।


दरअसल, एयरलाइन को क्रू रोस्टरिंग के नए कड़े नियमों को अपनाने में मुश्किल हो रही है, जिस कारण कई विमानों के उड़ानों को रद करना पड़ा। एक दिन पहले एयरलाइन ने एक बयान में कहा था कि एयरलाइन ने कम से कम 150 उड़ानें कैंसिल कर दीं। कंपनी ने कहा कि अगले 48 घंटों के लिए अपने शेड्यूल में कैलिब्रेटेड एडजस्टमेंट शुरू कर दिए हैं।


क्या कहते हैं आंकड़े?

नागरिक उड्डयन मंत्रालय के आंकड़े बताते हैं कि भारत की सबसे बड़ी इंडिगो का ऑन-टाइम परफॉर्मेंस (OTP) बुधवार को एक दिन पहले के 35% से घटकर 19.7% हो गया।

इस मामले की जानकारी रखने वाले एक अधिकारी ने बताया कि गुरुवार को दिल्ली से 33, हैदराबाद से 68, मुंबई से 85 और बेंगलुरु से 73 विमानों के उड़ानों रद करना पड़ा।
बुधवार को भी सैकड़ों उड़ाने रद हुई थीं

वहीं, बुधवार को दिल्ली एयरपोर्ट पर कम से कम 67 उड़ानों को रद करना पड़ा, जिसमें आगमन और प्रस्थान करने वाली उड़ाने शामिल हैं। बेंगलुरु में 42, हैदराबाद में 40 और मुंबई में 33 उड़ानों को रद किया गया। इस कारण बड़ी संख्या में यात्रियों को परेशानियों का सामना करना पड़ा।

एयरलाइन ने जारी किया बयान

उधर, बुधवार को एक आधिकारिक बयान में एयरलाइन की ओर से कहा गया कि अगले 48 घंटों तक कैलिब्रेटेड एडजस्टमेंट लागू रहेंगे और इससे ऑपरेशन नॉर्मल हो जाएगा और पूरे नेटवर्क में धीरे-धीरे पंक्चुएलिटी वापस आ जाएगी। बयान में कंपनी ने कहा कि हमारी टीमें यात्रियों की परेशानी को कम करने और ऑपरेशन को जल्द से जल्द स्टेबल करने के लिए 24 घंटे काम कर रही हैं।


कंपनी ने बताया इस कारण जो भी यात्री प्रभावित हो रहे हैं, उन्हें दूसरे विकल्प दिए जा रहे है, जिससे वह अपने गंतव्य तक पहुंच सके। वहीं, यात्री अपना रिफंड भी ले सकते हैं। हालांकि, एयरलाइन ने गुरुवार को अपने फ्लाइट ऑपरेशन्स पर कोई अपडेट जारी नहीं किया।
 बीजापुर एनकाउंटर में अबतक 18 नक्सली ढेर, तीन जवान भी शहीद

बीजापुर एनकाउंटर में अबतक 18 नक्सली ढेर, तीन जवान भी शहीद

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छत्तीसगढ़ के बीजापुर-दंतेवाड़ा सीमा पर सुरक्षा बलों और माओवादियों के बीच मुठभेड़ में अब तक 18 माओवादी मारे गए हैं। इस मुठभेड़ में माओवादी कमांडर वेल्ल ...और पढ़ें



बीजापुर में 18 माओवादी ढेर (फाइल फोटो)

 बीजापुर-दंतेवाड़ा सीमा पर पश्चिम बस्तर डिवीजन के माओवादियों के साथ मंगलवार सुबह शुरू हुई मुठभेड़ लगातार दूसरे दिन भी जारी रही। अब तक मुठभेड़ स्थल से 18 माओवादियों के शव मिल चुके हैं। बुधवार की सुबह माओवादी कमांडर वेल्ला की टीम के साथ मुठभेड़ शुरू हुई। देर शाम तक सुरक्षा बलों ने वेल्ला समेत 12 माओवादियों को ढेर कर दिया था, जबकि तीन डीआरजी जवान बलिदान हो गए थे। इसके बाद मुठभेड़ स्थल के लिए बैकअप फोर्स भेजी गई थी।

रात भर चली मुठभेड़

रात भर चली मुठभेड़ के बाद छह और माओवादी मारे गए हैं। मारे गए 18 माओवादियों के शव के पास से मिले एके–47, एसएलआर, इंसास, एलएमजी और .303 राइफल सहित भारी मात्रा में हथियार व गोला-बारूद मिले हैं। इन हथियारों को लेकर जवान मुख्यालय की ओर लौट रहे हैं। मारे गए माओवादियों के शवों की औपचारिक पहचान की प्रक्रिया जारी है।


डीआरजी के तीन जवान बलिदान

बता दें कि इस भीषण मुठभेड़ में डीआरजी के तीन जवान प्रधान आरक्षक मोनू बड़डी, आरक्षक दुकारू गोंडे और जवान रमेश सोड़ी बलिदान हुए हैं। दो घायल जवानों की स्थिति खतरे से बाहर बताई गई है। इधर, बीजापुर पुलिस लाइन में माहौल भावुक है। बलिदान जवानों को अंतिम सलामी देने के लिए पुलिस और प्रशासनिक अधिकारी लाइन में पहुंच चुके हैं। सर्च ऑपरेशन अभी भी क्षेत्र में जारी है और अतिरिक्त बल तैनात कर पूरे इलाके सुरक्षित कर लिया गया है।

कभी यह इलाका कहलाता था माओवादियों की राजधानी

उत्तर बस्तर माड़ का इलाका माओवादियों का सबसे सुरक्षित किला रहा है। इसे उनकी राजधानी भी कहा जाता रहा है। इसके बाद पश्चिम बस्तर में इंद्रावती रिजर्व टाइगर एरिया तथा सीमावर्ती घने जंगल भी लंबे समय तक उनके लिए सुरक्षित ठिकाने रहे हैं। अब केंद्र सरकार के मार्च 2026 तक माओवादियों के समूल खात्मे के संकल्प के बीच सुरक्षा बलों के निर्णायक आक्रामक अभियान ने माओवादियों का आखरी किला भी ढहा दिया है।

बस्तर में वर्ष 2025 में 255 माओवादी मारे गए

बीजापुर से सुकमा-आंध्र व दंतेवाड़ा के सरहदी जंगलों में तगड़ी घेरेबंदी के चलते भूमिगत माओवादी जवानों का निशाना बन रहे हैं। बुधवार को दंतेवाड़ा सीमा पर केशकुतूल में हुई मुठभेड़ में बड़े काडर के माओवादी ढेर हुए हैं।
माओवाद विरोधी अभियान के दौरान संगठन के शीर्ष नेताओं समेत दुर्दात कमांडर हिडमा के मारे जाने के बाद माओवादी संगठन रेत की तरह बिखरने लगा है। बस्तर में वर्ष 2025 में 255 माओवादी मारे गए, इनमें 236 माओवादियों के शव मिले।

2024 में 239 माओवादी मारे गए थे

2024 में 239 माओवादी मारे गए थे, जिनमें 217 के शव मिले थे। दो वर्ष में 494 माओवादी मारे गए। जिनमें 453 के शव मिले। अन्य माओवादियों के मारे जाने की पुष्टि माओवादियों ने अपने पत्र में की है। बड़ी संख्या में पीएलजीए समेत आनुसांगिक संगठनों से जुड़े माओवादी हथियार समेत पुनर्वास कर रहे हैं। वहीं शेष बचे जान बचाने माओवादी माड़ के गलियारे से आंध्र की ओर भागने की फिराक में हैं, लेकिन सुरक्षा बलों के तगड़ी घेराबंदी के चलते वे बस्तर से नहीं निकल पा रहे हैं।
 चेरनोबिल परमाणु आपदा के 40 साल बाद मिला रेडिएशन खाने वाला फंगस, वैज्ञानिक हैरान

चेरनोबिल परमाणु आपदा के 40 साल बाद मिला रेडिएशन खाने वाला फंगस, वैज्ञानिक हैरान

 चेरनोबिल परमाणु आपदा के 40 साल बाद मिला रेडिएशन खाने वाला फंगस, वैज्ञानिक हैरान



यूक्रेन में चेरनोबिल आपदा के बाद वैज्ञानिकों ने क्लैडोस्पोरियम स्फेरोस्पर्मम नामक एक कवक की खोज की है, जो विकिरण पर पनपता है। यह कवक गामा किरणों को ऊर ...और पढ़ें




विकिरण रोधी कवक से बनेगी चंद्र निर्माण सामग्री


 यूक्रेन में चेरनोबिल परमाणु आपदा के लगभग 40 साल बाद, विज्ञानियों ने एक ऐसे जीवन रूप की खोज की है जो पीछे छूटे विकिरण पर पनप रहा है। क्लैडोस्पोरियम स्फेरोस्पर्मम नामक एक विचित्र कवक, जो परित्यक्त रिएक्टर की दीवारों पर उगता हुआ पाया गया, न केवल घातक विकिरण से बचना सीख गया है, बल्कि इसके कई प्रकार अब विकिरण की उपस्थिति में तेजी से बढ़ते हैं।


परमाणु विकिरण पर निर्भर इस गहरे हरे रंग के फफूंद को विज्ञानी भविष्य के चंद्रमा ठिकानों के लिए निर्माण सामग्री के रूप में देख रहे हैं जो अंतरिक्ष यात्रियों को हानिकारक विकिरण से बचाएगी।
परमाणु विस्फोटों से निकलने वाले गामा किरणों को ऊर्जा में परिवर्तित करता है कवक

अध्ययन में कुछ ही कवकों, यानी परीक्षण किए गए 47 में से नौ प्रजातियों में ही यह व्यवहार प्रदर्शित हुआ। ये प्रजातियां परमाणु विस्फोटों से निकलने वाले सबसे शक्तिशाली और खतरनाक विकिरण, गामा किरणों को रासायनिक ऊर्जा में परिवर्तित कर देती हैं, ठीक उसी तरह जैसे सामान्य पौधे प्रकाश संश्लेषण के दौरान सूर्य के प्रकाश को परिवर्तित करते हैं।


परीक्षणों से पता चला है कि सी स्फेरोस्पर्मम रेडियोधर्मी कणों को फंसाकर उन्हें निष्क्रिय कर देता है। इस कारण, इस कवक को रेडियोट्राफिक कवक माना जाता है, क्योंकि 'रेडियो' शब्द का अर्थ होता विकिरण है और 'ट्राफिक' शब्द का अर्थ किसी चीज को पोषण देना या उसे उपयोगी ऊर्जा में परिवर्तित करना है।

सी स्फेरोस्पर्मम को मेलेनिन से मिलती है विकिरण-नाशक क्षमता

विज्ञानियों का कहना है कि सी स्फेरोस्पर्मम अपनी विकिरण-नाशक क्षमता मेलेनिन से प्राप्त करता है। शोधकर्ताओं ने इस सिद्धांत को रेडियोसिंथेसिस नाम दिया है। मानव त्वचा और कई अन्य जीवों की त्वचा में, मेलेनिन सूर्य से आने वाली हानिकारक पराबैंगनी विकिरण के विरुद्ध एक ढाल का काम करता है। जब एक गामा किरण चेरनोबिल के कवक के मेलेनिन से टकराती है, तो वह उसके इलेक्ट्रानों को हिला देती है और परमाणु स्तर पर रासायनिक ऊर्जा उत्पन्न करती हैं, जिसका उपयोग कवक अपनी वृद्धि और मरम्मत के लिए करता है।

चंद्रमा के लिए बनेगी 'फंगल ईटें अब, नासा के विज्ञानी इस कवक का उपयोग

करके 'फंगल ईंटें' बनाने का तरीका खोज रहे हैं, जो हल्की निर्माण सामग्री के रूप में काम करेंगी और चंद्रमा या मंगल ग्रह के ठिकानों को भारी सीसे की ढालों की तुलना में ब्रह्मांडीय विकिरण से कहीं बेहतर तरीके से बचा सकेंगी। अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आइएसएस) पर, यह कवक अंतरिक्ष विकिरण के संपर्क में आने पर 21 गुना तेजी से बढ़ा और इसकी एक बड़ी मात्रा को अन्य सतहों में प्रवेश करने से रोक दिया, जिससे यह भविष्य के अंतरिक्ष यात्रियों की सुरक्षा के लिए एक अहम दावेदार बन गया। इसे पृथ्वी पर परमाणु अपशिष्ट स्थलों की सफाई के काम में भी लाया जाएगा।

क्या है चेरनोबिल आपदा

चेरनोबिल आपदा एक परमाणु विगलन था जो 26 अप्रैल, 1986 को शुरू हुआ था। इसके परिणामस्वरूप मानव इतिहास में पर्यावरण में रेडियोधर्मी पदार्थों का सबसे बड़ा उत्सर्जन हुआ। इस दुखद आपदा के बाद, विकिरण के अत्यधिक स्तर से बचने के लिए निवासियों को चेरनोबिल और आसपास के क्षेत्रों से निकाला गया था। तब से, इस क्षेत्र को चेरनोबिल अपवर्जन क्षेत्र (सीइजेड) के रूप में जाना जाता है। यह 48 किमी का क्षेत्र सोवियत संघ द्वारा स्थापित किया गया था, जो उस समय यूक्रेन पर नियंत्रण रखती था।