बसव राजू के साथ 25 लाख का ईनामी यासन्ना भी ढेर, नारायणपुर लाया गया शव
अबूझमाड़ में हुए एनकाउंटर में सुरक्षाबलों को बड़ी कामयाबी मिली है। सुरक्षाबलों ने बसव राजू के साथ 25 लाख रुपये के इनामी माओवादी यासन्ना उर्फ जंगू नवीन को भी मार गिराया है। 60 साल के यसन्ना का असली नाम सज्जा वेंकट नागेश्वर राव था। वह आंध्र प्रदेश के प्रकाशम जिले का निवासी था। सुरक्षा बल मार्च 2026 तक माओवादियों के समूल सफाए के लक्ष्य को लेकर आक्रामक अभियान रखे हुए।

नारायणपुर। छत्तीसगढ़ के अबूझमाड़ में हुए एनकाउंटर में सुरक्षाबलों को बड़ी कामयाबी मिली है। सुरक्षाबलों ने बसव राजू के साथ 25 लाख रुपये के इनामी माओवादी यासन्ना उर्फ जंगू नवीन को भी मार गिराया है।
60 साल के यसन्ना का असली नाम सज्जा वेंकट नागेश्वर राव था। वह आंध्र प्रदेश के प्रकाशम जिले का निवासी था। माओवादी उसे कोड नाम राजन्ना, मधु या यासन्ना बुलाते थे।
माओवादियों के सामने अब दो ही रास्ते मौत या समर्पणइंजीनियर से माओवादी संगठन के प्रमुख बने बसव राजू के अबूझमाड़ में हुए मुठभेड़ में मारे जाने के बाद अब माओवादियों ने सामने सबसे बड़ी चुनौती नेतृत्व की रह गई है। अब इस संगठन को संभालने वाला कोई योग्य नेतृत्व बाकी नहीं रह गया।
सुरक्षाबलों का अभियान जारी
दूसरी ओर सुरक्षा बल मार्च 2026 तक माओवादियों के समूल सफाए के लक्ष्य को लेकर लगातार आक्रामक अभियान जारी रखे हुए है, ऐसे में बाकी बचे माओवादियों के सामने अब दो ही रास्ते रह गए हैं, समर्पण कर मुख्यधारा में वापसी कर ले या जंगल में जवानों के बंदूक की गोली से मारे जाएं। सुरक्षा बल के एक शीर्ष अधिकारी के अनुसार अब छत्तीसगढ़ में ऐसे सशस्त्र माओवादियों की संख्या 250 ही बाकी रह गई है। फिलहाल माओवादियों का शव नारायणपुर लाया जा रहा है।
यहां जिस बसव राजू की बात हो रही है वह भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) का महासचिव होने के साथ पोलित ब्यूरो सदस्य था, जिनकी संख्या पूरे देश में 18 ही है। वह उन गिनती के माओवादियों में से एक था जिसने माओवादी संगठन की नींव रखी थी। उसके बाद किशनजी का भाई सोनू, गुडसा उसेंडी, कोसा दादा, गणेश उईके जैसे माओवादी बाकी रह गए हैं, पर उनके आपसी टकराव और महत्वाकांक्षा की लड़ाई में माओवादी संगठन बिखराव की स्थिति में है।
बसव राजू को दी थी पार्टी संचालन की जिम्मेदारी
इसके बाद माओवादी संगठन के सामने एकमात्र विकल्प पार्टी का पूर्व महासचिव गणपति रह गया है, जिसने 2018 में स्वास्थगत कारणों से पार्टी संचालन की जिम्मेदारी बसव राजू को दी थी। बताया जाता ही की बीमार पड़ने के बाद उसने फिलीपींस जाकर उपचार कराया था और अब उसका स्वास्थ्य ठीक है, पर बिखर चुके संगठन का अस्तित्व बचाने वह सामने आएगा इसकी संभावना कम दिखती है।
60 साल के यसन्ना का असली नाम सज्जा वेंकट नागेश्वर राव था। वह आंध्र प्रदेश के प्रकाशम जिले का निवासी था। माओवादी उसे कोड नाम राजन्ना, मधु या यासन्ना बुलाते थे।
माओवादियों के सामने अब दो ही रास्ते मौत या समर्पणइंजीनियर से माओवादी संगठन के प्रमुख बने बसव राजू के अबूझमाड़ में हुए मुठभेड़ में मारे जाने के बाद अब माओवादियों ने सामने सबसे बड़ी चुनौती नेतृत्व की रह गई है। अब इस संगठन को संभालने वाला कोई योग्य नेतृत्व बाकी नहीं रह गया।
सुरक्षाबलों का अभियान जारी
दूसरी ओर सुरक्षा बल मार्च 2026 तक माओवादियों के समूल सफाए के लक्ष्य को लेकर लगातार आक्रामक अभियान जारी रखे हुए है, ऐसे में बाकी बचे माओवादियों के सामने अब दो ही रास्ते रह गए हैं, समर्पण कर मुख्यधारा में वापसी कर ले या जंगल में जवानों के बंदूक की गोली से मारे जाएं। सुरक्षा बल के एक शीर्ष अधिकारी के अनुसार अब छत्तीसगढ़ में ऐसे सशस्त्र माओवादियों की संख्या 250 ही बाकी रह गई है। फिलहाल माओवादियों का शव नारायणपुर लाया जा रहा है।
यहां जिस बसव राजू की बात हो रही है वह भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) का महासचिव होने के साथ पोलित ब्यूरो सदस्य था, जिनकी संख्या पूरे देश में 18 ही है। वह उन गिनती के माओवादियों में से एक था जिसने माओवादी संगठन की नींव रखी थी। उसके बाद किशनजी का भाई सोनू, गुडसा उसेंडी, कोसा दादा, गणेश उईके जैसे माओवादी बाकी रह गए हैं, पर उनके आपसी टकराव और महत्वाकांक्षा की लड़ाई में माओवादी संगठन बिखराव की स्थिति में है।
बसव राजू को दी थी पार्टी संचालन की जिम्मेदारी
इसके बाद माओवादी संगठन के सामने एकमात्र विकल्प पार्टी का पूर्व महासचिव गणपति रह गया है, जिसने 2018 में स्वास्थगत कारणों से पार्टी संचालन की जिम्मेदारी बसव राजू को दी थी। बताया जाता ही की बीमार पड़ने के बाद उसने फिलीपींस जाकर उपचार कराया था और अब उसका स्वास्थ्य ठीक है, पर बिखर चुके संगठन का अस्तित्व बचाने वह सामने आएगा इसकी संभावना कम दिखती है।