हल्द्वानी / उत्तराखण्ड के हल्द्वानी में 4000 घरो को तोड़कर लगभग 50000 लोगो को बेघर करने पर उतारू रेलवे -प्रशासन की इस तानाशाही कार्यवाही के खिलाफ आज सुप्रीम-कोर्ट में दायर याचिका पर सुनवाई होगी। रेलवे और नगर-निगम की टीमें उत्तराखंड हाई-कोर्ट के फैसले के बाद इस कार्यवाही को अंजाम दे रहे है। वही उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर धामी का कहना है की हम हाई-कोर्ट के आदेश के बाद ये कार्यवाही कर रहे है। और सुप्रीम-कोर्ट में आज होने वाली सुनवाई के बाद सुप्रीम-कोर्ट के फैसले का भी सम्मान करेंगे।
उत्तराखंड के हल्द्वानी में रेलवे की भूमि पर करीब 4000 घर बने हुए है जो 50 सालो से यहाँ रहकर अपना गुज़र-बसर कर रहे है। 50 हज़ार की आबादी वाले हल्द्वानी में 90% मुस्लिम और 10% हिन्दू रहते है। यहाँ पर 4 सरकारी स्कूल, 11 निजी स्कूल, 1 इंटर-कॉलेज, 2 वाटर-Caps, 10 मस्ज़िद, 4 मन्दिर, अस्पताल और दशकों पुरानी दुकाने बनी हुई है। इसके बावजूद रेलवे इस शीतलहर के मौसम में बूढ़े, बच्चे, युवतियों के साथ गर्भवती महिलाओं को उनके मकान तोड़कर बेघर करने पर तुला हुआ है पर अफसोस इस बात का है कोई मीडिया या जनप्रतिनिधि इस पर बोलने से कतरा रहे है। वही उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हरीश रावत ने उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में इस कार्यवाही के खिलाफ 1 घण्टे का मौन-व्रत रखकर इसे उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर धामी को समर्पित किया है। हल्द्वानी के बेघर हुए निवासी रेलवे की इस तानाशाही कार्यवाही के विरोध में सड़कों पर उतर आए है वही दूसरी तरफ इज्तिमाई दुआ और नमाज़ों का एहतमाम किया जा रहा है। और ईश्वर से इस कार्यवाही को रोकने की दुआ कर रहे है।