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हमारे निशाने पर परमाणु...', अमेरिकी पनडुब्बियों की तैनाती पर बोले रूस के सांसद; दोनों देशों में बढ़ेगी तनातनी

हमारे निशाने पर परमाणु...', अमेरिकी पनडुब्बियों की तैनाती पर बोले रूस के सांसद; दोनों देशों में बढ़ेगी तनातनी

 हमारे निशाने पर परमाणु...', अमेरिकी पनडुब्बियों की तैनाती पर बोले रूस के सांसद; दोनों देशों में बढ़ेगी तनातनी


रूसी संसद सदस्य के अनुसार रूस के पास अमेरिकी पनडुब्बियों का मुकाबला करने के लिए पर्याप्त परमाणु पनडुब्बियां हैं। डोनाल्ड ट्रंप के अमेरिकी पनडुब्बियों को तैनात करने के आदेश पर रूसी सांसद विक्टर वोडोलात्स्की ने कहा कि रूसी पनडुब्बियों की संख्या अमेरिकी पनडुब्बियों से कहीं अधिक है और ये पहले से ही उनके नियंत्रण में हैं। उन्होंने कहा कि अमेरिकी पनडुब्बियां निशाने पर हैं।


डोनाल्ड ट्रंप और व्लादिमीर पुतिन। (फाइल फोटो)


रूसी संसद ड्यूमा के एक सदस्य ने कहा है कि रूस का मुकाबला करने के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की भेजी गई दो अमेरिकी पनडुब्बियों से निपटने के लिए समुद्र में पर्याप्त रूसी परमाणु पनडुब्बियां मौजूद हैं।

रूसी सांसद विक्टर वोडोलात्स्की ने कहा, "दुनिया के महासागरों में रूसी पनडुब्बियों की संख्या अमेरिकी पनडुब्बियों से बहुत ज्यादा है और जिन पनडुब्बियों को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भेजने का आदेश दिया है, वे लंबे समय से उनके नियंत्रण में हैं। इसलिए, पनडुब्बियों के बारे में अमेरिकी नेता के बयान पर रूस की ओर से कोई प्रतिक्रिया जरूरी नहीं है।"

डोनाल्ड ट्रंप ने क्या बोला था?

इससे पहले शुक्रवार (01 अगस्त, 2025) को ट्रंप ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रुथ सोशल पर पोस्ट करते हुए कहा था कि उन्होंने पूर्व रूसी राष्ट्रपति दिमित्री मेदवेदेव के बेहद भड़काऊ बयानों की वजह से कथित तौर पर उचित क्षेत्रों में अमेरिकी पनडुब्बियों को फिर से तैनात करने का आदेश दिया था।

'निशाने पर हैं अमेरिकी पनडुब्बियां'

इस पर रूसी सांसद ने कहा, "दोनों अमेरिकी पनडुब्बियों को रवाना होने दीजिए, वे लंबे समय से निशाने पर हैं।" उन्होंने आगे कहा, "रूस और अमेरिका के बीच एक मौलिक समझौता होना चाहिए ताकि पूरा विश्व शांत हो जाए और तृतीय विश्व युद्ध की शुरुआत के बारे में बात करना बंद कर दे।"

इस बीच, ग्लोबल अफेयर्स पत्रिका में रूस के प्रधान संपादक फ्योदोर लुक्यानोव ने कहा कि ट्रंप के परमाणु पनडुब्बी संबंधी बयान को फिलहाल गंभीरता से नहीं लिया जाना चाहिए।
भारत को कहा था 'Dead Economy'... लेकिन अपनी अर्थव्यवस्था पर क्या बोलेंगे ट्रंप? बेहद निराशाजनक हैं आंकड़े

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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर 25% टैरिफ लगाने का एलान किया जिसे फिलहाल 7 दिनों के लिए टाल दिया गया है। ट्रंप ने भारतीय अर्थव्यवस्था को डेड बताया जबकि यह दुनिया की तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्थाओं में से एक है। अमेरिका में नौकरी वृद्धि में कमी और बढ़ती मुद्रास्फीति जैसी आर्थिक चुनौतियां हैं।

अमेरिकी अर्थव्यवस्था को क्या कहेंगे डोनाल्ड ट्रंप? (फाइल फोटो)


 अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बुधवार को भारत पर 25 प्रतिशत टैरिफ लगाने का एलान किया। उन्होंने कहा कि ये शुल्क 1 अगस्त से लागू होंगे। हालांकि, अब इसके 7 दिनों के लिए टाल दिया गया है। इतना ही नहीं अमेरिकी राष्ट्रपति ने तंज कसते हुए भारत की अर्थव्यवस्था को डेड बता दिया।

अमेरिका के राष्ट्रपति ने भले ही सुर्खियों में बनने के लिए ऐसा बयान दे दिया हो, लेकिन उनकी ये बात हकीकत में बिल्कुल भी मेल नहीं खाती है। भारतीय अर्थव्यवस्था दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ने वाली इकोनॉमी में से एक है। वहीं, इसके उलट अमेरिकी अर्थव्यवस्था की स्थिति इस समय बहुत अच्छी नहीं है।

डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद से अमेरिका में आर्थिक आंकड़ों में निराशाजनक बढ़ोतरी देखने को मिल रही है। हाल के दिनों में आए कमजोर आर्थिक आंकड़ों ने ट्रंप की नीतियों के प्रभावों को लेकर चिंताजनक स्थिति दर्शाई है। इस रिपोर्ट में पता चलता है कि अमेरिका इस समय नौकरी वृद्धि में कमी, बढ़ती मुद्रास्फीति और पिछले साल की तुलना में धीमी आर्थिक वृद्धि जैसे समस्याओं का सामना कर रहा है।

डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद कितनी सुधरी US इकोनॉमी

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने राष्ट्रपति बनने के ठीक बाद कई प्रकार के दावे अमेरिकी इकोनॉमी को लेकर किए थे। हालांकि, अब 7 महीने बाद उनके दावे फेल होते नजर आ रहे हैं। माना जा रहा है कि अमेरिका के राष्ट्रपति की नीतियों के प्रभाव अब अस्पष्ट होते नजर आ रहे हैं।


अमेरिका में नौकरियों में वृद्धि कम हो रही है। मुद्रास्फीति बढ़ रही है। पिछले साल की तुलना में विकास दर धीमी हो गई है। कहा जा रहा है कि अमेरिका में लगातार ट्रंप के नए-नए फैसलों के कारण इस प्रकार की समस्याएं देखने को मिल रही हैं।



किस चीज का श्रेय लेना चाहते हैं डोनाल्ड ट्रंप

बता दें कि अपने कार्यकाल के करीब 6 महीने से अधिक समय के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप द्वारा विभिन्न देशों पर लगाए गए टैरिफ और उनके द्वारा बनाए गए नए कानून ने अमेरिका की व्यापार, विनिर्माण तथा प्रणालियों को अपनी पसंद के अनुसार बदला। माना जा रहा रहा है कि ट्रंप किसी संभावित जीत के लिए काफी बेताब हैं। इतना ही नहीं वह अमेरिका में वित्तीय स्थिति के डगमगाने का दोष किसी और मढ़ने की तलाश में हैं।



रिपोर्ट देने वाली एजेंसी के प्रमुख पर गिरी गाज

बता दें कि शुक्रवार को सामने आई रोजगार रिपोर्ट के बाद अमेरिका में कई प्रकार की चर्चा होने लगी। ये रिपोर्ट काफी निराशाजनक निकली। इसके बाद इन आंकड़ों में दी गई चेतावनियों को डोनाल्ड ट्रंप ने नजरअंदाज किया। इतना ही नहीं मासिक रोजगार के आंकड़े तैयार करने वाली एजेंसी के प्रमुख को बर्खास्त कर दिया।



क्या कहते हैं अमेरिका के आर्थिक आंकड़े

हाल के दिनों में अमेरिका में नौकरियों को लेकर एक आर्थिक आंकड़ा सामने आया है। इसमें बताया गया कि अप्रैल के टैरिफ शुरू होने के बाद से 37,000 विनिर्माण नौकरियां खत्म हुईं। इतना ही नहीं केवल जुलाई के महीने में 73,000, जून में 14,000 और मई में 19,000 नौकरियां जुड़ीं, जो पिछले साल के औसत 168,000 से काफी कम है।



फेडरल रिजर्व पर भी ट्रंप ने बोला हमला

गौरतलब है अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने आर्थिक समस्याओं का ठीकरा सीधे-सीधे फेडरल रिजर्व के अध्यक्ष जेरोम पॉवेल पर फोड़ा है। उन्होंने ब्याज कटौती की मांग की। इसके कारण फिर से मुद्रास्फीति बढ़ सकती है। यह एक जोखिम भरी नीति है। ऐसा इसलिए कहा जा रहा है कि क्योंकि इससे पहले टैरिफ ही कीमतें बढ़ा चुके हैं।



पूर्व राष्ट्रपति ने पहले ही दे दी थी चेतावनी

उल्लेखनीय है कि अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति जो बिडेन ने इससे पहले दिसंबर में ही कह दिया था कि टैरिफ का बोझ अमेरिका के ही उपभोक्ताओं पर पड़ने वाला है। उन्होंने कहा था कि डोनाल्ड ट्रंप की नीतियां या तो विकास ला सकती है या फिर विनाश।
AI की दुनिया में चीन का कमाल, पहली बार रोबोट को PhD में मिला दाखिला; छात्रों के जैसे करेगा पढ़ाई

AI की दुनिया में चीन का कमाल, पहली बार रोबोट को PhD में मिला दाखिला; छात्रों के जैसे करेगा पढ़ाई

 AI की दुनिया में चीन का कमाल, पहली बार रोबोट को PhD में मिला दाखिला; छात्रों के जैसे करेगा पढ़ाई


चीन में पहली बार एक एआई रोबोट जिसका नाम जुएबा 01 है को पीएचडी में दाखिला मिला है। यह रोबोट शंघाई थिएटर एकेडमी में चार साल का पीएचडी प्रोग्राम करेगा और चीनी ओपेरा पर रिसर्च करेगा। शंघाई यूनिवर्सिटी ऑफ साइंस एंड टेक्नॉलॉजी और ड्रॉइडअप रोबोटिक्स ने इसे बनाने में मदद की है। इंसानों जैसे दिखने वाला यह रोबोट 30 किलोग्राम का है और इसकी लंबाई 1.75 मीटर है।

चीन में एआई रोबोट को PhD में दाखिला मिला है। (फोटो- सोशल मीडिया)


 एआई और रोबोटिक्स की तकनीक में हर रोज एक नया विस्तार देखने को मिल रही है। एआई पर दुनिया के कई देशों में काम हो रहा है, तो वहीं इसकी मदद से चीन एक से बढ़कर एक नए कीर्तिमान स्थापित कर रहा है। हम ऐसा इसलिए कह रहे हैं, क्योंकि हाल के दिनों में ऐसा देखने को मिला है।

दरअसल, चीन में पहली बार दुनिया के किसी एआई रोबोट को पीएचडी में दाखिला दिया गया है। इस रोबोट का नाम Xueba 01 है, जो चार साल का PhD प्रोगराम करने जा रहा है। खबर के सामने आने के बाद लोगों की मिली-जुली प्रतिक्रियाएं देखने को मिल रही हैं।

दुनिया का पहला AI रोबोट, जो PhD करेगा

चीन के Xueba नाम के एआई रोबोट का दाखिला चार साल के PhD कार्यक्रम में कराया गया है। जुएबा नामक इस रोबोट को वर्ल्ड आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस कॉन्फ्रेंस के दौरान डॉक्टरेट करने के लिए चुना गया है। बता दें कि ये रोबोट अगले चार साल के लिए शंघाई थिएटर एकेडमी में PhD करेगा।


जानकारी के अनुसार, इस रोबोट को बनाने में शंघाई यूनिवर्सिटी ऑफ साइंस एंड टेक्नॉलॉजी और ड्रॉइडअप रोबोटिक्स की खास भूमिका रही है। बताया जा रहा है कि जुएबा चीनी ओपेरा पर रिसर्च करेगा।


इंसानों जैसे दिखने वाले इस रोबोट की खासियत

बता दें कि ये एक ह्यूमनॉइड रोबोट है। यह देखने में बिल्कुल किसी इंसान जैसा लगता है। इसकी स्किन सिलिकॉन से बनी है। इतना ही नहीं इस रोबोट के चेहरे के भाव इंसानों के जैसे ही हैं। रोबोट का वजन 30 किलोग्राम के करीब है। वहीं, इसकी लंबाई करीब 1.75 मीटर की है। इस साल सितंबर के महीने में इस रोबोट का ऑफिशियली दाखिल PhD में होगा।
बांग्लादेश में बीएनपी-एनसीपी समर्थकों में झड़प, 35 घायल; अवामी लीग ने की यूनुस सरकार की आलोचना

बांग्लादेश में बीएनपी-एनसीपी समर्थकों में झड़प, 35 घायल; अवामी लीग ने की यूनुस सरकार की आलोचना

 बांग्लादेश में बीएनपी-एनसीपी समर्थकों में झड़प, 35 घायल; अवामी लीग ने की यूनुस सरकार की आलोचना


बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री खलिदा जिया की बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) और छात्रों के नेतृत्व वाली नेशनल सिटिजन पार्टी (एनसीपी) के नेताओं और कार्यकर्ताओं के बीच एक विरोध रैली के दौरान झड़प हो गई। इसमें पांच पत्रकारों समेत 35 लोग घायल हो गए। स्थानीय मीडिया के अनुसार यह घटना बुधवार शाम उस समय हुई जब कोमिला में एनसीपी की तरफ से एक रैली आयोजित की गई थी।


बांग्लादेश में बीएनपी-एनसीपी समर्थकों में झड़प, 35 घायल (फोटो- रॉयटर)


 बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री खलिदा जिया की बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) और छात्रों के नेतृत्व वाली नेशनल सिटिजन पार्टी (एनसीपी) के नेताओं और कार्यकर्ताओं के बीच एक विरोध रैली के दौरान झड़प हो गई। इसमें पांच पत्रकारों समेत 35 लोग घायल हो गए।


एनसीपी और बीएनपी के समर्थक भिड़ गए

स्थानीय मीडिया के अनुसार, यह घटना बुधवार शाम उस समय हुई जब कोमिला में एनसीपी की तरफ से एक रैली आयोजित की गई थी। यह रैली अंतरिम सरकार में शामिल स्थानीय सलाहकार आसिफ महमूद के खिलाफ कथित दुष्प्रचार के विरोध में की गई थी। इसी दौरान एनसीपी और बीएनपी के समर्थक भिड़ गए और दोनों ओर से ईंट और पत्थर फेंके गए, जिससे अफरा-तफरी मच गई।


अवामी लीग ने की यूनुस सरकार की आलोचना

बांग्लादेश की अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना की अवामी लीग ने मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार के शासन में देश की जेलों में कैदियों को यातना देने और हत्या की घटनाओं की कड़ी आलोचना की है। पार्टी ने कहा कि यूनुस शासन सरकारी मशीनरी का पूरा इस्तेमाल करके जेलों में पूर्व नियोजित हत्याएं करा रहा है।
ट्रंप की मनमानी पर अमेरिका में ही चल रहा हंगामा, टैरिफ पावर पर आज फैसला दे सकती है कोर्ट

ट्रंप की मनमानी पर अमेरिका में ही चल रहा हंगामा, टैरिफ पावर पर आज फैसला दे सकती है कोर्ट

 ट्रंप की मनमानी पर अमेरिका में ही चल रहा हंगामा, टैरिफ पावर पर आज फैसला दे सकती है कोर्ट


अमेरिकी अपील अदालत के जजों ने डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ की वैधता पर सवाल उठाए। निचली अदालत ने कहा था कि ट्रंप ने आयातित वस्तुओं पर अत्यधिक टैरिफ लगाकर अपने अधिकार का अतिक्रमण किया। जजों ने सरकार से पूछा कि अंतरराष्ट्रीय आपातकालीन आर्थिक शक्ति अधिनियम (IEEPA) के तहत ट्रंप को टैरिफ लगाने का अधिकार कैसे मिला। IEEPA का उपयोग दुश्मनों पर प्रतिबंध लगाने के लिए होता है।

ट्रंप की मनमानी पर अमेरिका में ही चल रहा हंगामा। (फाइल फोटो)


अमेरिकी अपील अदालत के जजों ने गुरुवार को यह सवाल उठाया कि क्या डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ राष्ट्रपति की आपातकालीन शक्तियों के अनुसार उचित थे। एक निचली अदालत ने कहा कि उन्होंने आयातित वस्तुओं पर अत्यधिक टैरिफ लगाकर अपने अधिकार का अतिक्रमण किया है।

वाशिंगटन डीसी स्थित संघीय सर्किट के लिए अमेरिकी अपील अदालत अप्रैल में ट्रंप द्वारा कई अमेरिकी व्यापारिक साझेदारों पर लगाए गए रेसिप्रोकल टैरिफ और फरवरी में चीन, कनाडा तथा मेक्सिको पर लगाए गए टैरिफ की वैधता पर विचार कर रही है।


जानिए क्या है पूरा मामला

पांच छोटे व्यवसायों और डेमोक्रेटिक नेतृत्व वाले 12 अमेरिकी राज्यों द्वारा लाए गए दो मामलों में दलीलें सुनते हुए जजों ने सरकारी वकील ब्रेट शुमेट से यह स्पष्ट करने का आग्रह किया कि अंतरराष्ट्रीय आपातकालीन आर्थिक शक्ति अधिनियम (आइईईपीए) ने ट्रंप को शुल्क लगाने की शक्ति कैसे प्रदान की।

क्या है अमेरिका का IEEPA कानून?

आइईईपीए 1977 का एक कानून है जिसका ऐतिहासिक रूप से दुश्मनों पर प्रतिबंध लगाने या उनकी संपत्ति जब्त करने के लिए उपयोग किया जाता है। ट्रंप शुल्क लगाने के लिए आइईईपीए का उपयोग करने वाले पहले राष्ट्रपति हैं। जजों ने शूमेट को बार-बार टोका और उनके तर्कों पर चुनौतियों की झड़ी लगा दी।


एक जज ने कहा, ''आइईईपीए टैरिफ का जिक्र तक नहीं करता।'' शूमेट ने कहा कि यह कानून आपात स्थिति में ''असाधारण'' अधिकार देता है, जिसमें आयात को पूरी तरह से रोकने की क्षमता भी शामिल है।
मामले में जज ने क्या कहा?

उन्होंने कहा कि आइईईपीए टैरिफ को अधिकृत करता है क्योंकि यह राष्ट्रपति को संकट की स्थिति में आयात को ''विनियमित'' करने की अनुमति देता है। टैरिफ को चुनौती देने वाले राज्यों और व्यवसायों ने तर्क दिया कि ये टैरिफ आइईईपीए के तहत स्वीकार्य नहीं हैं और अमेरिकी संविधान टैरिफ और अन्य करों पर अधिकार कांग्रेस को देता है, राष्ट्रपति को नहीं।