जलवायु परिवर्तन (Climate Change) एक गंभीर समस्या बनकर पूरी दुनिया के सामने आ खड़ी हुई है। लेकिन एक स्टडी में इससे जुड़ी एक हैरान करने वाली बात भी सामने आई है। ज्यादा तापमान के कारण बच्चों की सीखने की क्षमता प्रभावित होती है। जी हां इस स्टडी में 61 देशों के छात्रों के डाटा का विश्लेषण किया गया जिसके बाद यह बात सामने आई है।

एक अध्ययन में बताया गया है कि लंबे समय तक गर्मी के संपर्क में रहने से बच्चों की संज्ञानात्मक क्षमता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। यह अनुमान आस्ट्रेलिया के रायल मेलबर्न इंस्टीट्यूट आफ टेक्नोलाजी और न्यू साउथ वेल्स विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने एक अध्ययन के बाद लगाया।
इस दौरान शोधकर्ताओं ने भारत को शामिल करते हुए कुल 61 देशों के लगभग 14.5 मिलियन छात्रों से संबंधित सात पूर्व प्रकाशित अध्ययनों के डाटा की समीक्षा की। जर्नल पीएलओएस क्लाइमेट में प्रकाशित निष्कर्षों के अनुसार, लंबे समय तक गर्मी के संपर्क में रहने से छात्रों की सीखने की क्षमता प्रभावित होती है जिससे जटिल विषयों जैसे गणित में प्रदर्शन सरल कार्यों की तुलना में कम बेहतर हो सकता है।
उन्होंने कहा कि जैसे-जैसे ग्रह गर्म होता जा रहा है, युवाओं की सीखने की क्षमता प्रभावित हो सकती है। टीम ने यह भी बताया कि जलवायु परिवर्तन से खुद को बचाने में असमर्थ कमजोर, निम्न आय जनसंख्या की समानता और जीवन की गुणवत्ता प्रभावित होगी। उन्होंने कहा कि सामाजिक विषमताएं बढ़ेंगी और कम विकसित देशों में आर्थिक प्रगति बाधित होगी जो गर्मी के संपर्क में अधिक हैं।
29 डिग्री सेल्सियस से अधिक तापमान का भारत में दिखा असर
शोधकर्ताओं द्वारा समीक्षा किए गए सात अध्ययनों में से दो भारत के प्राथमिक विद्यालय के छात्रों से संबंधित थे। इसमें सामने आया कि पिछले वर्ष में 15-17 डिग्री सेल्सियस तापमान की तुलना में 29 डिग्री सेल्सियस से अधिक औसत दैनिक तापमान वाले दिन ने पढ़ाई और गणित की क्षमताओं को प्रभावित किया। विश्लेषण में यंग लाइव्स सर्वे के डाटा का भी उपयोग किया गया।
कैसे प्रभावित करता है तापमान?
विशेषज्ञों के मुताबिक, गर्मी का दा देखने को मिलता है जब अब हमारा शरीर खुद के स्वस्थ तापमान को कायम रखने के लिए पर्याप्त रूप से ठंडा नहीं कर पाता है। पिछले दिनों यूनिवर्सिटी आफ इलिनोइस अर्बाना शैम्पेन के न्यूरोसाइंटिस्ट और इलेक्ट्रिकल एंड कम्प्यूटर इंजीनियरिंग के एसोसिएट प्रोफेसर लव वार्शने का कहना है कि इससे हमारे दिमाग के संज्ञानात्मक कार्यों को करने की क्षमता कम हो जाती है।
बहुत ज्यादा गर्मी का सामना करने से हमारे दिमाग को होने वाले खून के बहाव के साथ आक्सीजन की आपूर्ति भी प्रभावित होती है जिससे बेहोश होने की स्थिति बनने लगती है। उनके मुताबिक, ज्यादा तापमान से दिमाग और खून के बीच का अवरोध टूट जाता है और दिमाग में अवांछनीय प्रोटीन और आयन जमा होने लगते हैं।
लिहाजा दिमाग में सूजन और उसके सामान्य कार्यों में बाधा आने लगती है और मस्तिष्क कोशिकाएं मरने लगती है। इतना ही नहीं इससे शरीर को नियंत्रित करने वाला दिमागी हिस्सा भी प्रभावित होता है जो पसीने के जरिए शरीर का तापमान नियंत्रित करता है।
इस दौरान शोधकर्ताओं ने भारत को शामिल करते हुए कुल 61 देशों के लगभग 14.5 मिलियन छात्रों से संबंधित सात पूर्व प्रकाशित अध्ययनों के डाटा की समीक्षा की। जर्नल पीएलओएस क्लाइमेट में प्रकाशित निष्कर्षों के अनुसार, लंबे समय तक गर्मी के संपर्क में रहने से छात्रों की सीखने की क्षमता प्रभावित होती है जिससे जटिल विषयों जैसे गणित में प्रदर्शन सरल कार्यों की तुलना में कम बेहतर हो सकता है।
उन्होंने कहा कि जैसे-जैसे ग्रह गर्म होता जा रहा है, युवाओं की सीखने की क्षमता प्रभावित हो सकती है। टीम ने यह भी बताया कि जलवायु परिवर्तन से खुद को बचाने में असमर्थ कमजोर, निम्न आय जनसंख्या की समानता और जीवन की गुणवत्ता प्रभावित होगी। उन्होंने कहा कि सामाजिक विषमताएं बढ़ेंगी और कम विकसित देशों में आर्थिक प्रगति बाधित होगी जो गर्मी के संपर्क में अधिक हैं।
29 डिग्री सेल्सियस से अधिक तापमान का भारत में दिखा असर
शोधकर्ताओं द्वारा समीक्षा किए गए सात अध्ययनों में से दो भारत के प्राथमिक विद्यालय के छात्रों से संबंधित थे। इसमें सामने आया कि पिछले वर्ष में 15-17 डिग्री सेल्सियस तापमान की तुलना में 29 डिग्री सेल्सियस से अधिक औसत दैनिक तापमान वाले दिन ने पढ़ाई और गणित की क्षमताओं को प्रभावित किया। विश्लेषण में यंग लाइव्स सर्वे के डाटा का भी उपयोग किया गया।
कैसे प्रभावित करता है तापमान?
विशेषज्ञों के मुताबिक, गर्मी का दा देखने को मिलता है जब अब हमारा शरीर खुद के स्वस्थ तापमान को कायम रखने के लिए पर्याप्त रूप से ठंडा नहीं कर पाता है। पिछले दिनों यूनिवर्सिटी आफ इलिनोइस अर्बाना शैम्पेन के न्यूरोसाइंटिस्ट और इलेक्ट्रिकल एंड कम्प्यूटर इंजीनियरिंग के एसोसिएट प्रोफेसर लव वार्शने का कहना है कि इससे हमारे दिमाग के संज्ञानात्मक कार्यों को करने की क्षमता कम हो जाती है।
बहुत ज्यादा गर्मी का सामना करने से हमारे दिमाग को होने वाले खून के बहाव के साथ आक्सीजन की आपूर्ति भी प्रभावित होती है जिससे बेहोश होने की स्थिति बनने लगती है। उनके मुताबिक, ज्यादा तापमान से दिमाग और खून के बीच का अवरोध टूट जाता है और दिमाग में अवांछनीय प्रोटीन और आयन जमा होने लगते हैं।
लिहाजा दिमाग में सूजन और उसके सामान्य कार्यों में बाधा आने लगती है और मस्तिष्क कोशिकाएं मरने लगती है। इतना ही नहीं इससे शरीर को नियंत्रित करने वाला दिमागी हिस्सा भी प्रभावित होता है जो पसीने के जरिए शरीर का तापमान नियंत्रित करता है।