राष्ट्रपति रेस से नहीं हट रहे जो बाइडन, डेमोक्रेटिक पार्टी के शीर्ष नेताओं ने संभावनाओं को किया खारिज

 राष्ट्रपति रेस से नहीं हट रहे जो बाइडन, डेमोक्रेटिक पार्टी के शीर्ष नेताओं ने संभावनाओं को किया खारिज


डोनाल्ड ट्रंप से प्रेसिडेंशियल डिबेट में पिछड़ने के बाद से अमेरिका में जो बाइडन को डेमोक्रेट प्रत्याशी न बनाने की मांग होने लगी है। वहीं पार्टी बाइडन के साथ मजबूती के साथ खड़ी हो गई है। डेमोक्रेटिक पार्टी के शीर्ष नेताओं ने राष्ट्रपति बाइडन के स्थान पर किसी दूसरे के नाम पर विचार की संभावना से साफ इनकार किया है। बाइडन ने सोमवार को अपनी बढ़ती उम्र को स्वीकार किया।

 डोनाल्ड ट्रंप से प्रेसिडेंशियल डिबेट में पिछड़ने के बाद से अमेरिका में जो बाइडन को डेमोक्रेट प्रत्याशी न बनाने की मांग होने लगी है। वहीं, पार्टी बाइडन के साथ मजबूती के साथ खड़ी हो गई है। डेमोक्रेटिक पार्टी के शीर्ष नेताओं ने राष्ट्रपति बाइडन के स्थान पर किसी दूसरे के नाम पर विचार की संभावना से साफ इनकार किया है।
इस बीच, राष्ट्रपति बाइडन ने सोमवार को अपनी बढ़ती उम्र को स्वीकार किया। उन्होंने कहा कि मैं पहले की तरह आसानी से नहीं चल पाऊंगा या सहजता से बात नहीं कर पाऊंगा। मैं शायद पहले की तरह बहस नहीं कर पाऊंगा। लेकिन मैं यह जानता हूं कि सच कैसे बोलना है।

पार्टी ने बाइडन का दिया साथ


उन्होंने संकेत दिया कि वह दौड़ नहीं छोड़ रहे हैं। रविवार को जब राष्ट्रपति जो बाइडन पारिवारिक मिलन समारोह के लिए कैंप डेविड में थे, तो प्रमुख अमेरिकी डेमोक्रेटिक नेता उनके साथ मजबूती से खड़े थे।

बाइडन को समर्थन करने वालों में जार्जिया के डेमोक्रेट सीनेटर राफील वार्नाक, प्रतिनिधि सभा में डेमोक्रेट नेता हकीम जेफ्रीज जैसे नेता शामिल हैं। उन्होंने कहा कि हम प्रतिबद्धता जता चुके हैं और जी जान से राष्ट्रपति बाइडन के साथ खड़े हैं। उम्मीद जताई कि अगली बहस में बाइडन वापसी करेंगे।
बाइडन को राष्ट्रपति की दौड़ से हट जाना चाहिए?

न्यूयार्क टाइम्स अखबार की रिपोर्ट में कहा गया है कि बाइडन के परिवार ने उनसे दौड़ से न हटने का अनुरोध किया। वहीं, अटलांटा जर्नल कांस्टीट्यूशन के रविवार के संपादकीय में कहा गया है कि बाइडन को राष्ट्रपति की दौड़ से हट जाना चाहिए, यह देश के लिए अच्छा होगा। प्रेसिडेंशियल डिबेट के बाद हुए सीबीएस पोल में भी बाइडन को प्रत्याशी न बनाने की मांग करने वाले डेमोक्रेटों की संख्या 36 प्रतिशत से बढ़कर 46 प्रतिशत हो गई।

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