पहले कुत्तों के साथ किया दुष्कर्म, फिर 40 को उतारा मौत के घाट; ब्रिटेन के इस जूलॉजिस्ट के गंदे काम सुन हर कोई हैरान, 249 साल की मिली सजा
ब्रिटेन के एक मगरमच्छ विशेषज्ञ का कुत्तों के साथ दुष्कर्म करने का मामले सामने आया है। उन्होंने स्वीकार किया था कि उन्होंने 40 से अधिक कुत्तों के साथ गलत काम करके उन्हें मार डाला। ब्रिटन पर पशु क्रूरता के 60 से अधिक आरोप थे। हाल ही में इस मामले में कोर्ट में फिर से सुनवाई हुई सुनवाई के दौरान आरोपी के वकील ने एक नई रिपोर्ट पेश की है।

ब्रिटन पर दर्जनों कुत्तों की मौत का आरोप
ब्रिटेन के मगरमच्छ विशेषज्ञ एडम ब्रिटन की कुत्तों के साथ दुष्कर्म मामले को लेकर सुनवाई हुई। मिरर की रिपोर्ट के अनुसार,ब्रिटन पर बलात्कार और दर्जनों कुत्तों की मौत का आरोप है। उन्होंने 40 से अधिक कुत्तों के साथ दुष्कर्म किया था, फिर उन्हें मार डाला। उन्हें ऑस्ट्रेलिया में 249 साल की जेल की सजा सुनाई गई।
ब्रिटन पर पशु क्रूरता के 60 से अधिक आरोप थे। वह ऑस्ट्रेलिया के डार्विन में कुत्तों पर अत्याचार करता था और उन्हें पीट-पीटकर मार डालता था। ब्रिटन इसके बाद क्रूरता की हरकत को वीडियो में रिकॉर्ड भी करता था। रिपोर्ट में कहा गया है कि ब्रिटन के पास एक एक शिपिंग कंटेनर था, जहां वह कुत्तों का यौन उत्पीड़न करता था।
कोर्ट का कमरा छोड़ने का अनुरोध
रिपोर्ट के मुताबिक, ब्रिटन मामले में सुनवाई शुरू होने से एनटी सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश माइकल ग्रांट ने अपने कर्मचारियों और पशु अधिकार कार्यकर्ताओं से सुनवाई शुरू होने से पहले कमरा छोड़ने का अनुरोध किया। बता दें कि ऐसा इसलिए किया गया, क्योंकि अपराधों का भयानक उल्लेख करना, किसी कमजोर दिल वाले को नुकसान पहुंचा सकता था।
30 घंटे तक चला इलाज
जब लोग अंतिम फैसले का इंतजार कर रहे थे, तभी एडम के वकील ने एक नई रिपोर्ट पेश करके माहौल में हलचल पैदा कर दी वकील ने न्यायाधीश से इस रिपोर्ट पर विचार करने का अनुरोध किया। रिपोर्ट में कहा गया है कि जेल में मनोवैज्ञानिक की तरफ से करीब 30 घंटे तक उनका इलाज किया गया। इस रिपोर्ट में उनकी मौजूदा मानसिक स्थिति के बारे में बात की गई है।
बचपन से थी ये बीमारी
वकील ने आगे ब्रिटन का बचाव करते हुए कहा,'यह इंसान बचपन से ही इस बीमारी से पीड़ित है। इसमें उसकी गलती नहीं है। वकील ने आगे कहा, यह ऐसी बीमारी है, जिससे समाज में कई बार अजीब सी स्थिती पैदा हो जाती है। समाज के लोग ऐसे लोगों की बीमारी को समझ नहीं पाते हैं। वकील ने आगे ये भी कहा, मुझे उम्मीद है कि अदालत यह स्वीकार कर सकती है कि एडल्ट होने तक इस बीमारी के साथ जीना और इसे संभालना बहुत मुश्किल रहा होगा।' अदालत ने सुनवाई के दौरान ये बात बोली हैं, अब ये सुनवाई अगस्त तक टाल दी गई है।
ब्रिटेन के मगरमच्छ विशेषज्ञ एडम ब्रिटन की कुत्तों के साथ दुष्कर्म मामले को लेकर सुनवाई हुई। मिरर की रिपोर्ट के अनुसार,ब्रिटन पर बलात्कार और दर्जनों कुत्तों की मौत का आरोप है। उन्होंने 40 से अधिक कुत्तों के साथ दुष्कर्म किया था, फिर उन्हें मार डाला। उन्हें ऑस्ट्रेलिया में 249 साल की जेल की सजा सुनाई गई।
ब्रिटन पर पशु क्रूरता के 60 से अधिक आरोप थे। वह ऑस्ट्रेलिया के डार्विन में कुत्तों पर अत्याचार करता था और उन्हें पीट-पीटकर मार डालता था। ब्रिटन इसके बाद क्रूरता की हरकत को वीडियो में रिकॉर्ड भी करता था। रिपोर्ट में कहा गया है कि ब्रिटन के पास एक एक शिपिंग कंटेनर था, जहां वह कुत्तों का यौन उत्पीड़न करता था।
कोर्ट का कमरा छोड़ने का अनुरोध
रिपोर्ट के मुताबिक, ब्रिटन मामले में सुनवाई शुरू होने से एनटी सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश माइकल ग्रांट ने अपने कर्मचारियों और पशु अधिकार कार्यकर्ताओं से सुनवाई शुरू होने से पहले कमरा छोड़ने का अनुरोध किया। बता दें कि ऐसा इसलिए किया गया, क्योंकि अपराधों का भयानक उल्लेख करना, किसी कमजोर दिल वाले को नुकसान पहुंचा सकता था।
30 घंटे तक चला इलाज
जब लोग अंतिम फैसले का इंतजार कर रहे थे, तभी एडम के वकील ने एक नई रिपोर्ट पेश करके माहौल में हलचल पैदा कर दी वकील ने न्यायाधीश से इस रिपोर्ट पर विचार करने का अनुरोध किया। रिपोर्ट में कहा गया है कि जेल में मनोवैज्ञानिक की तरफ से करीब 30 घंटे तक उनका इलाज किया गया। इस रिपोर्ट में उनकी मौजूदा मानसिक स्थिति के बारे में बात की गई है।
बचपन से थी ये बीमारी
वकील ने आगे ब्रिटन का बचाव करते हुए कहा,'यह इंसान बचपन से ही इस बीमारी से पीड़ित है। इसमें उसकी गलती नहीं है। वकील ने आगे कहा, यह ऐसी बीमारी है, जिससे समाज में कई बार अजीब सी स्थिती पैदा हो जाती है। समाज के लोग ऐसे लोगों की बीमारी को समझ नहीं पाते हैं। वकील ने आगे ये भी कहा, मुझे उम्मीद है कि अदालत यह स्वीकार कर सकती है कि एडल्ट होने तक इस बीमारी के साथ जीना और इसे संभालना बहुत मुश्किल रहा होगा।' अदालत ने सुनवाई के दौरान ये बात बोली हैं, अब ये सुनवाई अगस्त तक टाल दी गई है।