क्या चर्नोबिल पर मंडरा रहा है न्यूक्लियर लीकेज का खतरा? UN की रिपोर्ट में चौंकाने वाला खुलासा

 क्या चर्नोबिल पर मंडरा रहा है न्यूक्लियर लीकेज का खतरा? UN की रिपोर्ट में चौंकाने वाला खुलासा



रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच चर्नोबिल परमाणु ऊर्जा संयंत्र का सुरक्षा कवच क्षतिग्रस्त होने से रेडियोधर्मी रिसाव का खतरा बढ़ गया था। संयुक्त राष्ट्र की रिप ...और पढ़ें




चर्नोबिल न्यूक्लियर प्लांट। फोटो - रायटर्स

रूस और यूक्रेन के युद्ध के बीच एक चौंकाने वाली खबर सामने आई है। यूक्रेन के चर्नोबिल में स्थित न्यूक्लियर प्लांट का सुरक्षा कवच क्षतिग्रस्त हो गया है, जिससे रेडियोएक्टिव मटेरियल लीक होने का खतरा है। संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट में इसका खुलासा हुआ है।


यूएन की परमाणु निगरानी करने वाली संस्था अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) के अनुसार, यह चर्नोबिल में 1986 की आपदा के बाद यह सुरक्षा कवच बनाया गया था, जो रेडियोएक्टिव तरंगों को रोकने का काम करता है। हालांकि, रूस-यूक्रेन युद्ध पूरे होने के 3 साल बाद यानी इसी साल फरवरी में चर्नोबिल की शील्ड क्षतिग्रस्त हो गई है।





चर्नोबिल न्यूक्लियर प्लांट। फोटो - रायटर्स
UN की रिपोर्ट में खुलासा

2019 में स्टील की यह संरचना बनकर तैयार हुई थी। मगर, IAEA ने अपने निरीक्षण में पाया कि ड्रोन अटैक के कारण शील्ड डैमेज हो गई है। वहीं, यूक्रेन ने रूस को इसका जिम्मेदार ठहराया है।


IAEA के महानिदेशक राफेल ग्रॉसी के अनुसार,


हाल के निरीक्षण में पता चला है कि प्रोटेक्टिव शील्ड की ऊपरी सतह डैमेज हो गई है। हालांकि, इससे अभी तक न्यूक्लियर प्लांट को कोई गंभीर क्षति नहीं हुई है। शील्ड पर मरम्मत का काम पहले ही किया जा चुका है, लेकिन लंबे समय में परमाणु सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए नियमों की बहाली आवश्यक है।
फरवरी 2025 में हुआ था ड्रोन हमला

संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के अनुसार, 14 फरवरी को यूक्रेन ने घटना की जानकारी देते हुए कहा था कि विस्फोटक से भरा एक ड्रोन प्रोटेक्टिव शील्ड पर जा गिरा था। आग लगने के कारण शील्ड डैमेज हो गई।

यूक्रेन के अधिकारियों का दावा है कि वो एक रूसी ड्रोन था। हालांकि, रूस ने इन आरोपों को सिरे खारिज कर दिया है। रूस का कहना है कि उन्होंने परमाणु प्लांट पर कोई हमला नहीं किया।

चर्नोबिल विस्फोट

बता दें कि 26 अप्रैल 1986 को चर्नोबिल न्यूक्लियर प्लांट से एक विस्फोट हुआ था, जिसमें एक पूरा शहर तबाह हो गया था। परमाणु रेडिएशन का असर यूरोप और रूस तक देखा जा सकता था। साल 2000 में इस न्यूक्लियर प्लांट को पूरी तरह से बंद कर दिया गया था।

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