Bombay HC on Loudspeaker: बॉम्बे हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा कि किसी भी धर्म में लाउडस्पीकर का उपयोग अनिवार्य नहीं है। अदालत ने लाउडस्पीकर ...और पढ़ें

लाउडस्पीकर पर बॉम्बे हाईकोर्ट का फैसला। फाइल फोटो
धार्मिक स्थानों पर लाउडस्पीकर का इस्तेमाल करना किसी भी धर्म का अहम हिस्सा नहीं है, यह फैसला बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर बेंच ने सुनाया है। हाईकोर्ट के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट ने भी अपने फैसले में लाउडस्पीकर को अनिवार्य नहीं बताया था।
हाईकोर्ट का यह फैसला एक मस्जिद द्वारा दायर याचिका पर आया है। दरअसल महाराष्ट्र के गोंडिया जिले में स्थित गौसिया मस्जिद ने लाउडस्पीकर के इस्तेमाल को फिर से बहाल करने की मांग की थी। इसके लिए मस्जिद की तरफ से हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई थी, जिसपरप सुनवाई करते हुए अदालत यह सुप्रीम कोर्ट के फैसले को बरकरार रखा है।
कोर्ट ने क्या कहा?
कोर्ट के अनुसार, मस्जिद पक्ष किसी भी ऐसे दस्तावेज को सबूत के तौर पर पेश करने में नाकाम रहा, जिसमें लिखा हो कि नमाज पढ़ने के लिए लाउडस्पीकर का इस्तेमाल जरूरी है।
कोर्ट के अनुसार,
सु्प्रीम कोर्ट ने साफ कहा था कि कोई भी धर्म म्यूजिक इंस्ट्रूमेंट और ढोल बजाकर शांति भंग करते हुए पूजा पाठ करने की सलाह नहीं देता है।
अदालत ने मांगे थे सबूत
बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर बेंच ने 16 अक्टूबर को मामले की सुनवाई करते हुए याचिकाकर्ता को सबूत पेश करने का आदेश दिया था, जिससे साबित हो सके कि नमाज पढ़ने के लिए लाउडस्पीकर का इस्तेमाल अनिवार्य है। हालांकि, याचिकाकर्ता ऐसा कोई भी दस्तावेज पेश करने में नाकामयाब रहा।
ध्वनि प्रदूषण का दिया हवाला
हाईकोर्ट ने कहा, "पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम 1986 के तहत भी लाउडस्पीकर से ध्वनि प्रदूषण होता है, जिसका स्वास्थ्य पर गंभीर असर हो सकता है। भारत में सभी को सुनने या सुनने से इनकार करने का अधिकार है। ऐसे में आप किसी को अपनी आवाज सुनने के लिए मजबूर नहीं कर सकते हैं।"