संचार साथी जबरदस्ती नहीं, चाहें तो डिलीट करें’, जासूसी विवाद पर सरकार की सफाई
दूरसंचार विभाग द्वारा संचार साथी एप को प्री-इंस्टॉल करने के निर्देश पर विवाद हुआ। विपक्ष ने जासूसी का आरोप लगाया, जबकि सरकार ने इसे साइबर सुरक्षा के लिए जरूरी बताया। केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने स्पष्ट किया कि एप अनिवार्य नहीं होगा, यह वैकल्पिक है। उन्होंने साइबर सुरक्षा के प्रति जागरूकता बढ़ाने की आवश्यकता पर जोर दिया।

कंपनियों को 90 दिन की डेडलाइन दी गई है
DoT ने सभी मोबाइल निर्माता कंपनियों को संचार साथी एप प्री-इंस्टॉल करने के लिए 90 दिन की डेडलाइन दी, तो देश की राजनीति में हाहाकार मच गया। विपक्ष सरकार पर जासूसी की कोशिश का आरोप लगाने लगा, तो वहीं सरकार ने इस साइबर सुरक्षा के लिए जरूरी बताया।
अब केंद्रीय संचार मंत्री ज्योदिरादित्य सिंधिया ने सब कुछ स्पष्ट कर दिया है। उन्होंने कहा है कि संचार साथी एप को फोन में अनिवार्य नहीं किया जाएगा, बल्कि यह ऑप्शनल होगा। सिंधिया ने साइबर सुरक्षा का हवाला देते हुए कहा कि देश में हर कोई यह नहीं जानता कि उसे फ्रॉड से बचाने के लिए एक एप है, इसलिए जानकारी फैलाना जरूरी है।
'यह कस्टमर की सुरक्षा का मामला'
ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा, 'यह कस्टमर की सुरक्षा का मामला है। इसमें कुछ भी जरूरी नहीं है। अगर आप इसे रजिस्टर नहीं करना चाहते, तो न करें। अगर आप इसे डिलीट करना चाहते हैं, तो डिलीट कर दें। लेकिन देश में हर कोई यह नहीं जानता कि उसे फ्रॉड से बचाने के लिए एक एप है। इसलिए यह जानकारी फैलाना हमारी जिम्मेदारी है।'
सिंधिया ने कहा, 'अगर कोई नहीं चाहता तो इसे एक्टिवेट न करे। अगर आप इसे अपने फोन में रखना चाहते हैं, तो रखें। अगर आप इसे डिलीट करना चाहते हैं, तो करें। जैसे जब आप फ़ोन खरीदते हैं, तो कई एप पहले से इंस्टॉल आते हैं। गूगल मैप्स भी आता है। अब अगर आप गूगल मैप्स इस्तेमाल नहीं करना चाहते हैं, तो इसे डिलीट कर दें।'
कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी ने संचार साथी एप को स्नूपिंग एप कहा। उन्होंने कहा कि यह नागरिकों की प्राइवेसी का हनन है। प्रियंका ने सरकार पर तानाशाही का आरोप भी लगाया। वहीं कांग्रेस सांसद कार्ति चिदंबरम ने सरकार पर रूस और नॉर्थ कोरिया जैसे काम करने का आरोप लगाया।