पाकिस्तान में 1867 हिंदू मंदिरों में केवल 37 खुले, रिपोर्ट में खुली शहबाज सरकार की पोल
पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों के धार्मिक स्थलों की स्थिति चिंताजनक है। एक हालिया रिपोर्ट के अनुसार, 1867 हिंदू मंदिरों और सिख गुरुद्वारों में से केवल 37 ...और पढ़ें
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पाकिस्तान में हिंदू मंदिरों और गुरुद्वारों की दुर्दशा उजागर। (फोटो- एएनआई)
पाकिस्तान भले दावा करता हो कि वहां पर अल्पसंख्यक पूरी तरीके से सुरक्षित हैं और उनकी भावनाओं का पूरा ध्यान रखा जाता है। लेकिन हाल में आई एक रिपोर्ट में शहबाज सरकार की पोल खुल गई है।
दरअसल, अल्पसंख्यक कॉकस की संसदीय समिति के समक्ष प्रस्तुत एक हालिया रिपोर्ट में बताया गया है कि पाकिस्तान में 1867 हिंदू मंदिरों और सिख गुरुद्वारों में से केवल 37 ही चालू हैं।
रिपोर्ट ने वास्तविकता को किया उजागर
सामने आए ये आंकड़े एक गंभीर वास्तविकता को उजागर करते हैं। वहीं, पाकिस्तान अखबार डॉन की एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि सदियों पुराने पूजा स्थल खराब सरकारी रखरखाव और हिंदू व सिख समुदाय की घटती आबादी के कारण बदतर हो गए हैं।
समिति के पहले सत्र के दौरान संयोजक सीनेटर दानेश कुमार ने संकल्प लिया कि कॉकस अल्पसंख्यकों की सुरक्षा के संवैधानिक वादों को मूर्त रूप देने का प्रयास करेगा। उन्होंने जोर देकर कहा कि पाकिस्तान के अल्पसंख्यक संवैधानिक गारंटियों के व्यावहारिक कार्यान्वयन के हकदार हैं और न्याय एवं समानता सुनिश्चित करने के लिए तत्काल नीतिगत सुधारों की मांग की।
टीपीबी का नेतृत्व किसी गैर-मुस्लिम को सौंपा जाए
बैठक में बोलते हुए डॉ. रमेश कुमार वंकवानी ने मांग की कि ईटीपीबी का नेतृत्व किसी गैर-मुस्लिम को सौंपा जाए। इस दौरान उन्होंने तर्क दिया कि तभी उपेक्षित धार्मिक संपत्तियों का जीर्णोद्धार ईमानदारी से किया जा सकेगा। वहीं, समिति ने इन धरोहर स्थलों की सुरक्षा के लिए तत्काल कदम उठाने की भी सिफारिश की, जो न केवल धार्मिक महत्व बल्कि पाकिस्तान के बहुसांस्कृतिक अतीत का भी प्रतिनिधित्व करते हैं।