उनके खिलाफ एक शब्द नहीं...'Gautam Gambhir के समर्थन में उतरे Yograj Singh; आलोचकों की कर दी बोलती बंद
युवराज सिंह के पिता योगराज सिंह ने गौतम गंभीर का समर्थन करते हुए कहा कि टीम उनके नेतृत्व में बेहतर प्रदर्शन कर रही है। उन्होंने गंभीर की आलोचनाओं को अनुचित बताया और कहा कि खिलाड़ियों को प्रोत्साहित करना चाहिए। योगराज ने कहा कि गंभीर युवराज और द्रविड़ जैसे खिलाड़ी भारतीय क्रिकेट को वापस कुछ देने की कोशिश कर रहे हैं और उनका सम्मान किया जाना चाहिए।

Yograj Singh On Gautam Gambhir: भारतीय टीम के पूर्व क्रिकेटर युवराज सिंह के पिता योगराज सिंह ने टीम इंडिया के हेड कोच गौतम गंभीर का समर्थन किया है। उन्होंने कहा कि गंभीर पर अनुचित आलोचना नहीं होनी चाहिए क्योंकि टीम उनके नेतृत्व में बेहतर प्रदर्शन कर रही है और आगे बढ़ रही है।
Gautam Gambhir के समर्थन में उतरे Yograj Singh
दरअसल, हेड कोच गौतम गंभीर (Gautam Gambhir) को लीड्स में पहले टेस्ट में भारत की हार के बाद खूब आलोचनाओं का सामना करना पड़ा था।
यहां तक कि उन्हें जान से मारने की धमकियां भी दी गई थी। हालांकि, शुभमन गिल की कप्तानी में टीम ने दूसरे टेस्ट जो कि बर्मिंघम में खेला गया, उसमें जोरदार वापसी की और 336 रनों के बड़े अंतर से मैच जीतकर इतिहास रच दिया।
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एजबेस्टन टेस्ट में मिली जीत के बाद योगराज सिंह (Yuvraj Singh Father Yograj Singh) ने न्यूज एजेंसी ANI से बात करते हुए कहा,
“आपने देखा होगा कि भारतीय खिलाड़ी अब अच्छा खेल रहे हैं और लगातार बेहतर हो रहे हैं। खिलाड़ियों को कभी गाली नहीं देनी चाहिए या यह नहीं कहना चाहिए कि इसे टीम से निकालो, यह क्यों लिया गया, यह लायक नहीं है। खिलाड़ियों के लिए इस तरह की बातें नहीं होनी चाहिए।”
योगराज ने कहा कि उनके जैसे पूर्व क्रिकेटर खेल को कुछ लौटाने की कोशिश कर रहे हैं और उन्हें सम्मान मिलना चाहिए-हालांकि रचनात्मक आलोचना जरूर हो सकती है।
योगराज ने आगे कहा,
“गौतम गंभीर के बारे में कुछ नहीं कहना चाहिए। वो बहुत अच्छा कर रहे हैं। युवराज सिंह, गौतम गंभीर और राहुल द्रविड़ जैसे लोग आज भी भारतीय क्रिकेट को कुछ वापस देने की कोशिश कर रहे हैं, क्योंकि क्रिकेट ने उन्हें बहुत कुछ दिया है।अगर हमारे खिलाड़ी सीरीज हार भी जाएं, तब भी हमें यह लिखना चाहिए कि बच्चों ने अच्छा खेला। कोई बात नहीं दोस्त, जीत-हार चलती रहती है। लेकिन हार बर्दाश्त नहीं कर पाते, तो फिर समझाओ। अगर जीत गए तो कुछ कहने की जरूरत नहीं होती-बात इतनी सी है।”