जिस स्कूटर ने दिखाई चकाचौंध की दुनिया उसे बेचने की हिम्मत नहीं कर सके गुजराती सिंगर, कुछ इस तरह से दी विदाई

 जिस स्कूटर ने दिखाई चकाचौंध की दुनिया उसे बेचने की हिम्मत नहीं कर सके गुजराती सिंगर, कुछ इस तरह से दी विदाई


गुजरात के लोकगायक जिग्नेश कविराज ने अपने पुराने स्कूटर को अनोखी विदाई दी। मेहसाणा जिले के खेरालू गांव में उनके घर के सामने स्कूटर को समाधि दी गई। जिग्नेश ने इसे अपने करियर की पहली उपलब्धि बताया। उनके पिता हसमुख बारोट ने कहा कि स्कूटर उनकी जिंदगी थी और दिवाली पर समाधि स्थल पर धूप जलाएंगे। यूजर्स ने स्कूटर के प्रति लगाव को जिंदा रखने की बात कही है।

जिग्नेश कविराज ने खुद अपने फेसबुक पेज पर पोस्ट करके इसकी जानकारी दी है।


भारतीय संस्कृति में संतों और महंतों के निधन के बाद उनका अंतिम संस्कार करने के बजाय उन्हें समाधि दी जाती है। हालांकि, कई लोग अपनी प्रिय चीजों को भी समाधि देते हैं।

ऐसे में गुजरात के प्रसिद्ध लोकगायक जिग्नेश कविराज के परिवार ने भी उनके पुराने स्कूटर को कबाड़ में भेजने या किसी और को बेचने के बजाय उसे एक अनोखी विदाई दी है। दरअसल मेहसाणा जिले के खेरालू गांव में जिग्नेश कविराज के घर के सामने उनके प्रिय स्कूटर को समाधि दी गई है।


'मेरे करियर में स्कूटर का अहम स्थान'

जिग्नेश कविराज ने खुद अपने फेसबुक पेज पर पोस्ट करके इसकी जानकारी दी है। इसके साथ ही उन्होंने कुछ तस्वीरें भी शेयर की हैं।

अपनी पोस्ट में लोकगायक जिग्नेश ने लिखा, "मेरे करियर की पहली उपलब्धि, मेरे पिता का स्कूटर है। मेरे शुरुआती दिनों में मेरे पिता इसी स्कूटर से गांव-गांव कार्यक्रम करने जाया करते थे। स्मृति के तौर, हमने आज अपने खेरालू गांव में अपने घर के सामने एक स्मारक में स्कूटर को समाधि दे दी है।"

इसके साथ ही एक वीडियो भी पोस्ट किया गया है। इस वीडियो में जिग्नेश कविराज के परिवार के सदस्य एक बजाज स्कूटर को कुमकुम का तिलक कर रहे हैं, उसे फूलों की माला पहना रहे हैं और फिर घर के सामने खोदे गए गड्ढे में समाधि दे रहे हैं।



'दिवाली पर समाधि स्थल पर धूप जलाएं'

जिग्नेश कविराज के पिता हसमुख बारोट ने कहा, "यह स्कूटर मेरी जिंदगी थी, जिसे मैंने समाधि को दे दिया। मैं अपने बेटों को भी बताऊंगा कि इस स्कूटर ने हमें खुशी दी है। इसलिए दिवाली के दौरान इस समाधि स्थल पर धूप जलाएं। जब माता-पिता बूढ़े हो जाते हैं, तो उन्हें वृद्धाश्रम में नहीं रखना चाहिए। इसी तरह, यह स्कूटर, जो जीवन भर हमारे साथ रहा है, उसे कबाड़ में नहीं बेचा जाना चाहिए।"

जिग्नेश कविराज की पोस्ट पर यूजर्स ने तरह-तरह के कमेंट्स किए हैं। एक यूजर ने लिखा है कि स्कूटर के प्रति लगाव को जिंदा रखना चाहिए। एक यूजर ने कमेंट किया है कि स्कूटर को समाधि दिए बिना उसे संरक्षित करने की जरूरत है।

वहीं एक अन्य यूजर ने लिखा है कि यह स्कूटर आपकी सफलता की निशानी है। इसे संरक्षित किया जाना चाहिए ताकि अगली पीढ़ी भी इसे देख सके।

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