भारत के साथ हुई नाइंसाफी! 30-35 ओवर पुरानी बॉल देने पर गुस्साई गिल ब्रिगेड; ICC से कर डाली शिकायत

 भारत के साथ हुई नाइंसाफी! 30-35 ओवर पुरानी बॉल देने पर गुस्साई गिल ब्रिगेड; ICC से कर डाली शिकायत


IND vs ENG भारत और इंग्लैंड के बीच टेस्ट सीरीज में ड्यूक्स बॉल को लेकर विवाद बढ़ रहा है। लॉर्ड्स टेस्ट (Lords Test) में गेंद बदलने पर भारतीय टीम ने आईसीसी से शिकायत की है। टीम इंडिया का कहना है कि बदली गई गेंद 30-35 ओवर पुरानी थी जिससे गेंदबाजी में परेशानी हुई। अब भारत ने आईसीसी से गेंद बदलने के नियमों में सुधार की मांग की है।


IND vs ENG: ड्यूक्स गेंद को लेकर भारत ने ICC से की ये मांग



 IND vs ENG: भारत और इंग्लैंड के बीच खेले जा रहे टेस्ट सीरीज में ड्यूक्स बॉल को लेकर लगातार विवाद बढ़ता जा रहा है। दोनों टीमों के खिलाड़ियों ने शिकायत की है कि बॉल बहुत जल्दी ही नरम हो जाती है, अक्सर लगभग 10 ओवर के अंदर ही।


इस कड़ी ने खासा तूल तब पकड़ा जब इस महीने लॉर्ड्स टेस्ट के तीसरे दिन सुबह के सत्र में दो बार गेंद बदली गई। अब ये खबर सामने आई है कि भारतीय टीम ने इस मसले पर अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (ICC) से शिकायत दर्ज की है। आइए जानते हैं पूरा माजरा क्या है?


IND vs ENG: ड्यूक्स गेंद को लेकर क्या है विवाद?

भारत और इंग्लैंड (IND vs ENG) के बीच तीसरे टेस्ट के तीसरे दिन की सुबह के सेशन में भारी विवाद हुआ था, जब बॉल को दो बार बदला गया। भारतीय टीम को जो बदली गई बॉल मिली, वह लगभग 10 ओवर पुरानी होनी चाहिए थी, लेकिन असल में वह 30-35 ओवर पुरानी थी।


अंपायरों ने बताया कि 10 ओवर पुरानी बॉल उपलब्ध नहीं थी। ऐसे में 30 साल पुरानी गेंद, जो अपनी सख्ताई और आकार खो चुकी थी, उससे गेंदबाजी करने में भारतीय टीम को बड़ी परेशानी हुई। यह मुकाबला टीम इंडिया ने 22 रन से गंवा दिया था।


अब इस कड़ी में भारत ने इस मुद्दे को अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (ICC) के दखल के लिए उठाया है और बॉल बदलने के नियमों में सुधार की मांग की है।

ईएसपीएनक्रिकइन्फो की रिपोर्ट के अनुसार, दूसरी नई गेंद औसतन 1.869 डिग्री स्विंग करती थी और 0.579 डिग्री सीम मूवमेंट देती थी। वहीं बदली गई गेंद ने सिर्फ 0.855 डिग्री स्विंग दी, हालांकि सीम मूवमेंट लगभग 0.594 डिग्री समान रहा।
भारतीय टीम ने क्या मांग की?

भारतीय टीम का कहना है कि आईसीसी को इस नियम में बदलाव करना चाहिए और गेंद की उम्र और स्थिति के बारे में स्पष्ट जानकारी टीम को दी जानी चाहिए, ताकि वे सूझबूझ के साथ फैसला ले सकें।

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