इजरायल- ईरान युद्ध में वायरल होते रहीं फर्जी खबरें, विशेषज्ञों का कहना झूठ से भारत की छवि बिगाड़ने लगा रहा पाक
इजरायल ईरान युद्ध के दौरान एक ओर जहां दोनों देशों में बीच ड्रोन, मिसाइल- फाइटर प्लेन से हमले किए जा रहे थे, तो दूसरी ओर फेक न्यूज- वीडियो वॉर चलाया जा रहा था। इजरायल और ईरान युद्ध से जुड़े फर्जी मैसेज, खबरें और वीडियो को भारत में सोशल मीडिया में वायरल की जा रही थी। यह एक सोची-समझी साजिश के तहत कुछ पड़ोसी देशों, खासकर पाकिस्तान के जरिए बड़े स्तर पर सोशल मीडिया में किया जा रहा है। रक्षा और साइबर विशेषज्ञों का कहना है कि फेक न्यूज और मिस इंफॉर्मेशन के जरिए दोनों देशों के बीच चल रहे युद्ध को एक अलग नजरिये से दिखाने और भारत के लोगों को भ्रमित करने के लिए इस तरह का अभियान चलाया जा रहा था। अमेरिका के ईरान पर हवाई हमले करने के बाद सोशल मीडिया में एक फर्जी मैसेज वायरल किए जाने लगा कि यूएस को ईरान पर हमला करने के लिए भारत ने अपना एयरबेस दिया। इसे लेकर पाकिस्तान की तरफ से सोशल मीडिया में भी कई दावे किए जाने लगे, जबकि सच्चाई यह है कि अमेरिका ने ईरान पर हवाई हमले के लिए भारत के किसी भी एयरबेस का उपयोग नहीं किया। इजरायल और ईरान युद्ध के दौरान हवाई हमले या अन्य किसी तरह की भूमिका नहीं रही है।
फेक वायरल मैसेज- ईरान हमले के लिए भारतीय एयरबेस यूज करने का दावा

कुछ सोशल मीडिया हैंडलर द्वारा एक मैसेज प्रसारित कर एक दावा किया जाने लगा कि अमेरिका ने ईरान के खिलाफ सैन्य कार्रवाई ‘ऑपरेशन मिडनाइट हैमर’ के लिए भारतीय हवाई क्षेत्र का उपयोग किया गया था। इस मैसेज के साथ भारत का तिंरगा, मिडनाइट हैमर और पीएम की लगी हुई तस्वीर लगाई गई थी। ईरान टाइम्स के सौशल मीडिया हैंडल से किए गए इस फेक दावे को लेकर पाकिस्तान की तरफ से वायरल किए जाने लगा। केंद्र सरकार की फैक्ट चेकिंग यूनिट पीआईबी ने इस मैसेज की जांच की और बताया कि यह दावा पूरी तरह से झूठा है। अमेरिका ने ईरान पर किए हवाई हमले के लिए भारतीय हवाई क्षेत्र का कोई उपयोग नहीं किया। यह पूरी तरह फेक न्यूज है।
फेक वायरल मैसेज- युद्ध के विरोध में इजरायली संसद में लड़ाई का दावा

23 जून को सोशल मीडिया में प्रकाशित एक पोस्ट में यह लिखा मैसेज वायरल हो रहा था कि ”इजरायली पार्लियामेंट में खुलकर लड़ाई। जायोनिष्ट सरकार को खुद इजरायल के सांसद समर्थन नहीं करते और भारत के गोबरभक्त “इजरायल तुम संघर्ष करो, हम तुम्हारे साथ है” का नारा लगाकर अपना गोबर कर्तव्य पूरा कर रहे है। ये गोबरभक्त देश की शांति के लिए इतने ही खतरारूप है जितना जायोनिष्ट विश्वशांति के लिए।” इस मैसेज में किए जा रहे दावे को लेकर जागरण डिजिटल की फैक्ट चेकिंग यूनिट विश्वास न्यूज ने जांच की। उन्होंने पाया कि यह मैसेज पूरी तरह से फेक है। अप्रैल 2024 को द गार्जियन की वेबसाइट पर भी वीडियो और इससे जुड़ी खबर दिखाई दी। दी गई जानकारी के अनुसार, ”जॉर्जिया के सांसदों के बीच संसद में एक विवादास्पद ‘विदेशी एजेंट’ विधेयक पर मतदान से पहले झड़प हुई, जिसके तहत विदेशों से 20% से अधिक धन प्राप्त करने वाले संगठनों को विदेशी प्रभाव एजेंट के रूप में पंजीकरण कराना होगा। इस मामले पर सीएनएन डॉट एडिशन की 15 अप्रैल 2024 की खबर के अनुसार, “जॉर्जिया की संसद में सोमवार को सत्तारूढ़ दल और विपक्ष के सांसदों के बीच एक कानून को लेकर मारपीट हो गई। फुटेज में देखा गया कि विपक्षी सांसद ने सत्तारूढ़ दल के नेता को मुक्का मारा, जिसके बाद संसद में हंगामा हो गया। यह कानून पिछले साल भी विरोध के कारण रोका गया था, लेकिन अब सरकार ने इसे फिर से पेश किया है।” इस बारे में इजरायल के फैक्ट चेकर उरिय्या बार मीर का कहना है, “यह वीडियो इजरायल की संसद नेसेट का नहीं है।” यह पूरी तरह से फेक न्यूज थी।
फेक न्यूज मैसेज- अमेरिकी बी-2 बॉम्बर्स विमान को मार गिराए जाने का झूठ
एक अन्य वायरल मैसेज में सोशल मीडिया यूजर्स इसी विमान की तस्वीर को शेयर करते हुए दावा कर रहे हैं कि इस अभियान के दौरान ईरान ने इस विमान को मार गिराया। जागरण डिजिटल की फैक्ट चेकिंग यूनिट विश्वास न्यूज ने अपनी जांच में इस दावे को फेक पाया। ईरान के खिलाफ ‘ऑपरेशन मिडनाइट हैमर’ में बी-2 बॉम्बर्स विमान को मार गिराए जाने का दावा फेक है। साथ ही इस दावे से वायरल हो रही तस्वीर एआई क्रिएटेड पाई गई। वायरल तस्वीर में जमीन पर गिरे बी-2 बमवर्षक विमान की तस्वीर नजर आ रही है। तस्वीर में नजर आ रहे कई विजुअल एलिमेंट इसके स्वाभाविक नहीं होने का संदेह पैदा करते हैं। इसलिए हमने इस तस्वीर को एआई डिटेक्टर टूल की मदद से चेक किया। wasitai और sightengine.com की एनालिसिस में इस तस्वीर के एआई से बने होने की संभावना जताई गई।
फेक न्यूज से भारत की छवि खराब करने की नाकाम कोशिश
12 दिन तक चले इजरायल- ईरान युद्ध के साथ ही भारतीय सोशल मीडिया में की स्क्रीन शॉट, वीडियो और फर्जी खबरें वायरल की जाने लगी कि इस युद्ध में भारत ने इजरायल का साथ दिया, ईरान पर हुए हवाई हमले में भारत के एयरबेस का उपयोग हुआ, ऐसे कई मैसेज वारयल कराए गए। इसके अलावा इजरायल और ईरान युद्ध में हुए मिसाइल व ड्रोन हमले के नुकसान को दिखाने के लिए पुराने वीडियो या अन्य देशों की घटनाओं को इस युद्ध से जोड़कर नए सिरे से सोशल मीडिया पर परोसे जाने लगा। इसे लेकर जब जागरण प्राइम ने रक्षा और साइबर विशेषज्ञों से बात की। उनकी तरफ से बताया गया कि इस तरह के वायरल मैसेज, खबरें व वीडियो पूरी तरह से फेक हैं। इन पर विश्वास नहीं किया जाना चाहिए। देश व दुनिया में किसी भी तरह की कोई घटना, हमला या युद्ध होने पर पड़ोसी देश खासकर पाकिस्तान व बांग्लादेश द्वारा फर्जी न्यूज वायरल किए जाते हैं। इस तरह के फेक न्यूज से भारत की छवि खराब करने की नाकाम कोशिश की जाती है। भारत में इसे लोग असली समझकर बिना जांच-पड़ताल के फॉरवर्ड कर देते हैं। इस तरह की अफवाह से लोग भ्रमित होते हैं।
फेक न्यूज के पीछे पाक का हाथ, युद्ध में भारत की भूमिका नहीं
लेफ्टिनेंट जनरल (रिटायर्ड) राज कादयान ने बताया कि यह पूरी प्लानिंग और साजिश के तहत किया जाता है। ऐसे फेक न्यूज का सबसे ज्यादा उपयोग पाकिस्तान की आईएसआई भारत के खिलाफ करती है। हाल ही में इजरायल-ईरान युद्ध के दौरान उनकी तरफ से यह दावा किया गया कि भारत के एयरबेस से अमेरिका ने ईरान पर हमला किया। यह दावा पूरी तरह से झूठ है। इजरायल और ईरान के बीच हुए युद्ध में भारत की किसी भी तरह की कोई भूमिका नहीं थी। इजरायल और ईरान दोनों से भारत के संबंध बहुत अच्छे और पुराने हैं। इजरायल ने आज ऑपरेशन सिंदूर में ही नहीं बल्कि कारगिल युद्ध के दौरान भी भारत का साथ दिया था। रक्षा तकनीक का वह साझेदार देश है। वहीं ईरान से हम तेल लेते हैं, उनका चाबहार पोर्ट डेवलपमेंट करने में भारत सहयोगी है। इस तरह के फर्जी खबरें सोशल मीडिया में प्रसारित कर पाकिस्तान चाहता है कि भारत के रिश्ते किसी भी तरह ईरान व रूस से बिगड़ जाएं, लेकिन इन देशों को भारत की अहमियत व रिश्ते की असलियत पता है।
ऑपरेशन सिंदूर में फेक न्यूज फैलाई गई, अब इंफॉर्मेशन वॉर चल रहा
लेफ्टिनेंट जनरल (रिटा.) डीएस हुड्डा का कहना है कि अब सभी देश आजकल इंफॉर्मेशन वॉर कर रहे हैं। सोशल मीडिया उनका सबसे बड़ा हथियार है। प्रोपेगेंडा के जरिए सोशल मीडिया में फर्जी संदेश, खबरें और वीडियो को प्रसारित करा जाता है। सोशल मीडिया में कौन सा मैसेज असली है या नकली, इसे जांचे बिना लोग फॉरवर्ड कर देते हैं। इजरायल और ईरान युद्ध के दौरान ही नहीं ऐसे कई फेक न्यूज वायरल हुए, इतना ही नहीं ऑपरेशन सिंदूर के दौरान कई फेक वीडियो और मैसेज पाकिस्तान द्वारा प्रसारित करवाए गए। चीन में तो इसके लिए एक अलग से इंफॉर्मेशन सपोर्ट फोर्स बनाकर रखा है। इनका काम ही है कि मिस इंफॉर्मेशन और फेक न्यूज को वायरल करना। अब ये एक कदम आगे काम करते हैं, सोशल मीडिया में व्यक्ति के प्रोफाइल की स्टडी कर उसकी सोच के अनुसार फेक न्यूज भेजते हैं। टारगेट व्यक्ति के पास टारगेट मिस इंफॉर्मेशन भेजा जाता है।
मोबाइल में आने वाले मैसेज को जांचने-परखने के बाद ही फॉरवर्ड करें
सुप्रीम कोर्ट के सीनियर वकील और साइबर लॉ एक्सपर्ट पवन दुग्गल ने बताया कि फेक न्यूज और मिस इंफॉर्मेशन के दौर चल रहा है। भारत की एक बड़ी आबादी सोशल मीडिया में है, इसलिए यहां किसी भी फर्जी खबरों को बड़े स्तर पर प्रसारित किया जा सकता है। सबसे बड़ी वजह यह है कि भारत में फेक न्यूज या मिस इंफॉर्मेशन से निपटने के लिए कोई सटीक कानून नहीं है। इस कारण यहां किसी भी फर्जी मैसेज या वीडियो को वायरल करना आसान हो जाता है। इसके लिए पड़ोसी देशों ने एक रैकेट तक बनाकर रखा है। भारत को इससे लड़ने के लिए बहुत काम करने की जरूरत है। मोबाइल में आने वाले हर मैसेज को जांचने और परखने की नजर से देखना चाहिए, इसके बाद अगर सही हो तो ही आगे फॉरवर्ड करें।
झूठे मैसेज से लोगों के बीच नैरेटिव बनाते हैं, अफवाहों से बचना होगा
साइबर क्राइम एक्सपर्ट आशीष सक्सेना ने बताया कि झूठी खबरों को सोशल मीडिया में वायरल कर लोगों का नैरेटिव बदलने की कोशिश की जाती है। फेक न्यूज व वीडियो को देख कई लोग विश्वास भी कर लेते हैं, जबकि अधिकतर मामलोंं में यह पूरी तरह से फर्जी होते हैं। सोशल मीडिया में फेक न्यूज व मिस इंफॉर्मेशन के कई कंटेंट वायरल होते रहते हैं। पड़ोसी देशों के साथ भारत के अंदर भी ऐसे कई लोग हैं, जो फर्जी मैसेज व खबरों को सोशल मीडिया में फैलाते हैं। इससे देश के अंदर एक निगेटिव माहौल का तैयार करना होता है। देश की छवि को नुकसान पहुंचाने के लिए बिना सोचे-समझे किसी भी फर्जी मैसेज- वीडियो को फैलाने को लेकर सजा जैसी कार्रवाई जैसे प्रावधान होने चाहिए। इससे लोगों को डर आएगा और वे ऐसे फेक न्यूज बनाने से बचेंगे।