मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने दुष्कर्म आरोपी का नाम सार्वजनिक करने पर सवाल खड़े किए हैं। हाई कोर्ट का कहना है कि जब दुष्कर्म पीड़िता की पहचान गुप्त रखी जाती है तो दुष्कर्म आरोपी की क्यों नहीं? राज्य सरकार को 4 हफ्ते के भीतर अपना जवाब दाखिल करना होगा वरना उस पर 15 हजार रुपए का जुर्माना लगाया जाएगा। आइए जानते हैं पूरा मामला क्या है?
मध्य प्रदेश हाई कोर्ट । फाइल फोटोदुष्कर्म के मामलों में अक्सर पीड़िता की पहचान छिपा दी जाती है। पीड़िता का नाम और पता पूरी तरह से गुप्त रखा जाता है। हालांकि यही व्यवहार दुष्कर्म के आरोपी के साथ क्यों नहीं होता? मध्य प्रदेश की हाई कोर्ट ने सरकार से इसी सवाल का जवाब मांगा है। हाई कोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा है कि दुष्कर्म पीड़िता की तरह दुष्कर्म के आरोपी का नाम क्यों नहीं छिपाया जाता है? अदालत ने इसका जवाब देने के लिए सरकार को 4 हफ्तों की मोहलत दी है।
लगेगा 15 हजार का जुर्माना
मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश सुरेश कुमार कैत और न्यायमूर्ति विवेक जैन की पीठ ने मध्य प्रदेश सरकार को 4 हफ्ते में जवाब दाखिल करने का आदेश दिया है। वहीं, अगर सरकार ने बताई गई समयसीमा के भीतर जवाब नहीं दिया, तो 15 हजार रुपए का जुर्माना चुकाना पड़ सकता है। इस राशि को हाई कोर्ट विधिक सहायता कमेटी में जमा किया जाएगा।
हाई कोर्ट में याचिका दायर
दरअसल जबलपुर निवासी डॉ. पीजी नाजपांडे और डॉ. एमए खान ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। उनके वकील अजय रायजादा ने सुनवाई के दौरान दलील देते हुए कहा कि आपराधिक नियम में दुष्कर्म पीड़िता का नाम गुप्त रखने का प्रावधान है। मगर आरोपी क नाम उजागर कर दिया जाता है। यह लैंगिक भेदभाव को दर्शाता है, जो संविधान के बिल्कुल खिलाफ है।
याचिका में हुई मांग
अजय रायजादा ने कहा कि कानूनी रूप से अपराध साबित न होने तक आरोपी निर्दोष होता है। ऐसे में दुष्कर्म जैसे गंभीर अपराधों में आरोपी का नाम सार्वजनिक करने से उसकी छवि को गहरा धक्का लगता है। अजय रायजादा ने फिल्म इंडस्ट्री का हवाला देते हुए कहा कि मधुर भंडारकर जैसी कई बड़ी हस्तियां ऐसे आरोपों में बेगुनाह साबित हुई हैं, लेकिन नाम सामने आने से उनकी प्रतिष्ठा धूमिल हो गई। अजय ने अदालत से मांग की कि ट्रायल पूरा होने तक दुष्कर्म के आरोपी का नाम भी गुप्त रखा जाए।
अदालत ने पूछा सवाल
याचिका पर सुनवाई के दौरान जस्टिस सुरेश कुमार कैत और विवेक जैन की पीठ ने राज्य सरकार से इस मामले पर जवाब मांगा है। अगर राज्य सरकार 4 हफ्ते के बाद जवाब देती है, तो उसे जवाब के साथ 15 हजार रुपए का जुर्माना भी अदा करना होगा।