शनिवार को नेशनल स्टाक एक्सचेंज (एनएसई) में शिष्टाचार भेंट के दौरान होसबाले ने कहा कि कोई भी राष्ट्र विश्वास और पारदर्शिता के बल पर ही फल-फूल सकता है। उन्होंने कहा कि केवल दर्शन में ही नहीं बल्कि व्यापार में भी हम विश्वगुरु बन सकते हैं। साथ ही उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि हमें एनएसई पर गर्व होना चाहिए।

HIGHLIGHTSभारत में लंबे समय से व्यापार की परंपरा रही है
केवल दर्शन में ही नहीं, बल्कि व्यापार में भी हम विश्वगुरु बन सकते हैं
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा पारस्परिक टैरिफ की घोषणाओं के कारण विश्व व्यापार में आए बड़े बदलाव के मद्देनजर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले ने कहा है कि दर्शन के साथ-साथ व्यापार के क्षेत्र में भी भारत 'विश्वगुरु' बन सकता है।
शनिवार को नेशनल स्टाक एक्सचेंज (एनएसई) में शिष्टाचार भेंट के दौरान होसबाले ने कहा कि कोई भी राष्ट्र विश्वास और पारदर्शिता के बल पर ही फल-फूल सकता है। उन्होंने कहा, ''केवल दर्शन में ही नहीं, बल्कि व्यापार में भी हम विश्वगुरु बन सकते हैं।''
भारत में लंबे समय से व्यापार की परंपरा रही है
इस बारे में विस्तार से बताते हुए उन्होंने कहा कि विश्वगुरु बनने का मतलब है दुनिया को व्यापार और नैतिकता के अच्छे तौर-तरीकों के बारे में सिखाना है। इसमें विज्ञान, राजनीतिक क्षेत्र, परिवार और कार्यस्थल में अच्छे व्यवहार के बारे में बोलना भी शामिल है।''विश्वास और पारदर्शिता'' के मूल मंत्र के संदर्भ में होसबाले ने कहा कि समाज और राष्ट्र इन्हीं मूल्यों के बल पर फल-फूल सकते हैं। भारत में लंबे समय से व्यापार की परंपरा रही है।
हमें एनएसई पर गर्व होना चाहिए
उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि ''हमें एनएसई पर गर्व होना चाहिए''। उन्होंने कहा कि भारत की आर्थिक वृद्धि की उच्च गति और लोगों के व्यवहार में बदलाव, एनएसई जैसी संस्थाओं की वजह से है।
शनिवार को नेशनल स्टाक एक्सचेंज (एनएसई) में शिष्टाचार भेंट के दौरान होसबाले ने कहा कि कोई भी राष्ट्र विश्वास और पारदर्शिता के बल पर ही फल-फूल सकता है। उन्होंने कहा, ''केवल दर्शन में ही नहीं, बल्कि व्यापार में भी हम विश्वगुरु बन सकते हैं।''
भारत में लंबे समय से व्यापार की परंपरा रही है
इस बारे में विस्तार से बताते हुए उन्होंने कहा कि विश्वगुरु बनने का मतलब है दुनिया को व्यापार और नैतिकता के अच्छे तौर-तरीकों के बारे में सिखाना है। इसमें विज्ञान, राजनीतिक क्षेत्र, परिवार और कार्यस्थल में अच्छे व्यवहार के बारे में बोलना भी शामिल है।''विश्वास और पारदर्शिता'' के मूल मंत्र के संदर्भ में होसबाले ने कहा कि समाज और राष्ट्र इन्हीं मूल्यों के बल पर फल-फूल सकते हैं। भारत में लंबे समय से व्यापार की परंपरा रही है।
हमें एनएसई पर गर्व होना चाहिए
उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि ''हमें एनएसई पर गर्व होना चाहिए''। उन्होंने कहा कि भारत की आर्थिक वृद्धि की उच्च गति और लोगों के व्यवहार में बदलाव, एनएसई जैसी संस्थाओं की वजह से है।