इलाहाबाद हाई कोर्ट ने एक फैसला सुनाते हुए कहा था कि लड़की को गलत तरीके से पकड़ना और उसके पजामे का नाड़ा खोलना बलात्कार नहीं है। इस पर स्वाति मालीवाल ने कड़ी प्रतिक्रिया जाहिर की है और कहा है कि ऐसे फैसलों से समाज में गलत संदेश जाएगा। उन्होंने इस फैसले को शर्मनाक और बिल्कुल गलत बताया है। केंद्रीय मंत्री अन्नपूर्णा देवी ने भी फैसले पर आपत्ति जताई है।
इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले पर केंद्रीय मंत्री और स्वाति मालीवाल ने जताई आपत्ति (फाइल फोटो)राज्यसभा सांसद स्वाति मालीवाल ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के उस फैसले को "शर्मनाक" और "बिल्कुल गलत" बताया जिसमें कहा गया है कि किसी महिला को गलत तरीके से पकड़ना और 'पजामा' का नाड़ा तोड़ना बलात्कार के अपराध के बराबर नहीं है।
मालीवाल ने क्या प्रतिक्रिया दी?
मालीवाल ने इस तरह के फैसले से समाज में जाने वाले संदेश पर सवाल उठाया। उन्होंने संसद के बाहर संवाददाताओं से कहा, "यह "बेहद शर्मनाक और बिल्कुल गलत है। वे समाज को क्या संदेश देना चाहते हैं कि एक छोटी लड़की के साथ इस तरह की हरकत की जा सकती है और फिर भी इसे बलात्कार नहीं माना जाएगा?"

मालीवाल ने सुप्रीम कोर्ट से तुरंत हस्तक्षेप करने और ऐसी न्यायिक फैसलों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा, "सुप्रीम कोर्ट को इस मामले में बिना देरी किए हस्तक्षेप करना चाहिए और सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए।"
केंद्रीय मंत्री ने जताई कड़ी आपत्ति
स्वाति मालीवाल ही नहीं, केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री अन्नपूर्णा देवी ने भी सुप्रीम कोर्ट से इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले में हस्तक्षेप करने की मांग की है। लोकसभा के बाहर पत्रकारों से बात करते हुए केंद्रीय मंत्री ने कहा कि वह फैसले से पूरी तरह असहमत हैं और उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से मामले का संज्ञान लेने का आह्वान किया।
उन्होंने कहा, "मैं इस फैसले के पूरी तरह खिलाफ हूं और सुप्रीम कोर्ट को इस पर गंभीरता से विचार करना चाहिए। सभ्य समाज में इस तरह के फैसले के लिए कोई जगह नहीं है। कहीं न कहीं इसका समाज पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा और हम इस मामले पर आगे चर्चा करेंगे।"

क्या था हाई कोर्ट का फैसला?
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने नाबालिग के वक्ष का स्पर्श और वस्त्र का नाड़ा तोड़ने को दुष्कर्म के प्रयास की जगह ‘गंभीर यौन उत्पीड़न’ माना।
न्यायमूर्ति राम मनोहर नारायण मिश्र की एकल पीठ ने कासगंज के स्पेशल जज (पोक्सो कोर्ट) का समन आदेश संशोधित कर दिया है और नए सिरे से समन करने का आदेश दिया है।
हाई कोर्ट ने निर्देश दिया है कि आरोपितों के खिलाफ धारा 354-बी आइपीसी (निर्वस्त्र करने के इरादे से हमला या आपराधिक बल का प्रयोग) के मामूली आरोप के साथ पोक्सो अधिनियम की धारा 9/10 (गंभीर यौन हमला) के तहत मुकदमा चलाया जाए।क्या है मामला?
बता दें, यह मामला उत्तर प्रदेश के कासगंज में 11 वर्षीय लड़की से जुड़ा है, जिस पर 2021 में दो लोग पवन और आकाश ने हमला किया था। आरोपियों ने उसको गलत तरीके से पकड़ा, उसके पायजामे का नाड़ा तोड़ दिया और उसे एक पुलिया के नीचे खींचने का प्रयास किया था। जब उसकी चीखें सुनकर लोग वहां पहुंचे तो आरोपी वहां से भाग गए थे।