मधुमिता हत्याकांड: सुप्रीम कोर्ट ने दोषी की सजा माफी याचिका पर तय की समयसीमा, धामी सरकार को दी चेतावनी

 मधुमिता हत्याकांड: सुप्रीम कोर्ट ने दोषी की सजा माफी याचिका पर तय की समयसीमा, धामी सरकार को दी चेतावनी


मधुमिता शुक्ला की नौ मई 2003 को लखनऊ के पेपर मिल कालोनी में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी जब वह गर्भवती थीं। उत्तर प्रदेश के पूर्व मंत्री अमरमणि त्रिपाठी को कवयित्री की हत्या के सिलसिले में सितंबर 2003 में गिरफ्तार किया गया था जिनके साथ उनका कथित तौर पर रिश्ता था। हत्या की साजिश के सिलसिले में अन्य आरोपितों को भी गिरफ्तार किया गया।


सुप्रीम कोर्ट ने दोषी की सजा माफी याचिका पर तय की समयसीमा (फोटो- पीटीआई)

 सुप्रीम कोर्ट ने कवयित्री मधुमिता शुक्ला की सनसनीखेज हत्या के मामले में एक दोषी की सजा माफ करने की याचिका पर विचार करने के लिए उत्तराखंड सरकार के लिए समयसीमा तय की है। शीर्ष अदालत ने चेतावनी दी है कि देरी होने पर दोषी की जमानत याचिका पर विचार किया जाएगा।


मधुमिता शुक्ला की नौ मई, 2003 को लखनऊ के पेपर मिल कालोनी में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी, जब वह गर्भवती थीं। उत्तर प्रदेश के पूर्व मंत्री अमरमणि त्रिपाठी को कवयित्री की हत्या के सिलसिले में सितंबर 2003 में गिरफ्तार किया गया था, जिनके साथ उनका कथित तौर पर रिश्ता था।


अदालत ने दोषियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई
हत्या की साजिश के सिलसिले में अन्य आरोपितों को भी गिरफ्तार किया गया। मामले की जांच सीबीआइ ने की और उत्तराखंड में मुकदमा चलाया गया। अदालत ने दोषियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई।


जस्टिस अभय एस ओका और उज्ज्वल भुइयां की पीठ ने पहले माना था कि दोषी रोहित चतुर्वेदी की सजा माफ करने के मामले पर विचार करने के लिए उत्तराखंड सरकार ही उपयुक्त प्रदेश सरकार है। पीठ ने समय से पहले रिहाई के मामले की जांच कर रहे पैनल को राज्य सरकार के समक्ष अपनी सिफारिश पेश करने के लिए एक सप्ताह का समय दिया।


केंद्र सरकार की सहमति के लिए अपना निर्णय भेजेगी
पीठ ने कहा, हम निर्देश देते हैं कि राज्य स्तरीय समिति की सिफारिश आज से अधिकतम एक सप्ताह के भीतर राज्य सरकार के समक्ष रखी जाएगी और उसके बाद दो सप्ताह के भीतर राज्य सरकार उचित कदम उठाएगी। उत्तराखंड सरकार तीन दिनों के भीतर केंद्र सरकार की सहमति के लिए अपना निर्णय भेजेगी।

पीठ ने कहा, केंद्र सरकार का उपयुक्त अधिकारी राज्य सरकार की सिफारिश प्राप्त होने के एक महीने के भीतर उचित निर्णय लेगा। यदि हम पाते हैं कि निर्णय लेने की प्रक्रिया में देरी हो रही है, तो हम अंतरिम जमानत देने के लिए याचिकाकर्ता की प्रार्थना पर विचार करेंगे।

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