आंवले का आयुर्वेद में खास स्थान है। कई बीमारियों से बचाव से लेकर इलाज तक आंवले का कई तरीकों से इस्तेमाल किया जाता है। इसके क्या फायदे (Amla Benefits) होते हैं और किन तरीकों से इसका इस्तेमाल किया जा सकता है इस बारे में जानने के लिए जागरण की टीम ने एक आयुर्वेदाचार्य से बात की गई। आइए जानते हैं उन्होंने क्या-क्या बताया।

Amla Health Benefits: प्राचीन काल से ही एक कहावत है कि खनिजों में जो स्थान सोने का है, औषधियों में वही महत्व आंवले का है। चरक और सुश्रुत जैसे आचार्यों ने ऐसी कोई बीमारी का वर्णन नहीं किया, जिसमें किसी न किसी रूप में आंवले के उपयोग शामिल न हो। यहां तक कि मध्यकालीन औषधीय पौधों के वेत्ता पंडित भावप्रकाश ने तो कहा है कि आंवला एक रसायन है जो रोगों को दूर करने के साथ वृद्धावस्था की गति को भी कम कर देता है।
आंवले का पेड़ वैसे तो संपूर्ण भारत में पाया जाता है, लेकिन मध्य ऊंचाई वाले पहाड़ी क्षेत्रों में इसकी अधिकता होती है। पूरे पेड़ में ही औषधीय गुण विद्यमान होता है, पर मुख्य रूप से इसके फल को ही प्रयोग में लाया जाता है। आंवले के दो भेद मिलते हैं जिन्हें देसी और बनारसी के नाम से जाना जाता है। बनारसी आंवला आकार में बड़ा और अधिक पुष्ट होता है। आंवले के फायदों के बारे में, डा. आर. वात्स्यायन (आयुर्वेदाचार्य, राष्ट्रीय आयुर्वेद विद्यापीठ) ने बताया।
इम्युनिटी बूस्टर है आंवलाआंवला विटामिन-सी का उत्तम स्रोत है, इसमें एनर्जी बढ़ाने वाला, बुखार और इंफ्लेमेशन कम करने, मूत्र की मात्रा को बढ़ाने वाले, ब्लड क्लॉटिंग और शरीर के पूरे स्वास्थ्य को बढ़ाने वाले गुण होते हैं। आंवले को शरीर के सभी प्रणालियों और क्रिया कलापों के लिए एक अत्यंत उत्तम टॉनिक माना जाता है। इन्हीं गुणों के चलते आंवले को बुखार कम करने वाला, एनीमिया में उपयोगी, एसिडिटी और अल्सर रोधी, शरीर से ब्लीडिंग को रोकने वाला, प्रजनन क्षमता बढ़ाने वाला, बालों और आंखों के लिए हितकारी और सभी बीमारियों को दूर करने वाला माना जाता है।
अनेक पोषक तत्वों की प्रचुरता आंवला एक ऐसा विलक्षण फल है, जिसमें लवण रस को छोड़कर अन्य पांचों रस मौजूद होते हैं। अनुसंधानों में पाया गया है कि प्रति 100 ग्राम आंवला जूस में 700 मिग्रा. विटमिन-सी पाया जाता है, जो कि इतनी मात्रा में पाए जाने वाले संतरे के रस से बीस गुणा ज्यादा है। इसके अलावा आंवले में विटामिन-बी, प्रोटीन, कैल्शियम, फास्फोरस एवं लौह तत्व भी पाए जाते हैं। आंवले के फलों को अगर छांव में रख कर सुखा दिया जाए, तो इसकी गुणवत्ता कम नहीं होती।
आंवले के विविध प्रयोग और लाभ
पेट की समस्या
अम्लपित्त अथवा एसिडिटी इस युग की बहुत आम समस्या है। ऐसी दशा में सूखे आंवले का एक से दो ग्राम चूर्ण पिसी हुई थोड़ी-सी मिश्री में मिलाकर सुबह-शाम लेने से छाती में जलन और खट्टे डकार की समस्या से छुटकारा मिल जाता है। रोग की तीव्रावस्था में इसी योग में दो रत्ती शंख भस्म भी मिलाई जा सकती है।
बवासीर और नकसीरदो से तीन ताजा हरे आंवलों के रस को थोड़े से गिलोय सत्व के साथ लेने से ब्लीडिंग वाली बवासीर में तुरंत आराम मिलता है। यही योग नकसीर फूटने की स्थिति में भी इस्तेमाल किया जा सकता है।
संक्रमण और जलनमूत्र की जलन को दूर करने के लिए 500 मिग्रा. हल्दी पाउडर और दो चम्मच आंवला रस को एक गिलास पानी में मिला कर दिन में दो से तीन बार लेने से यूरिनरी ट्रैक्ट की जलन और बार-बार होने वाले संक्रमण से काफी आराम मिल जाता है।
बालों और आंखों के लिएबालों और नेत्रों के लिए आंवला बहुत हितकारी है। सभी परंपरागत केश तेलों में आंवलों का काफी प्रयोग होता आया है। इसके अतिरिक्त सूखे आंवलों को रात में पानी में भिगो कर सुबह उसका पानी नितार कर उससे सिर धोने से बाल झड़ने और असमय सफेद होने के अवस्था में अच्छा लाभ होता है। इसी पानी को अच्छी तरह छान कर आंखों को धोया जा सकता है, जो कि आंखों में इरिटेशन और आंखों में खुजली आदि की समस्या के लिए लाभदायक है।
आमलकी रसायनसूखे आंवलों के पिसे हुए चूर्ण को ताजा आंवलों के रस में एक सप्ताह तक अच्छी तरह घोंट कर सुखाकर रख लें। ग्रंथों में इस योग को आमलकी रसायन कहा गया है। इसे एक ग्राम के मात्रा तक प्रतिदिन लेने से शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है और शरीर में नई ऊर्जा का संचार होता है।
त्रिफला चूर्ण, धात्री लौह, च्यवनप्राश और ब्राह्म रसायन जैसी अनेकों प्रसिद्ध आयुर्वेदीय औषधियां हैं जो सदियों से जनमानस के कल्याण के लिए उपयोग होती आ रही हैं।