'मेरी आंखों में आंसू आ गए', विनोद कांबली से मिलने के बाद भावुक हो गए पूर्व भारतीय स्टार, हालत पर जताया दुख
विनोद कांबली ने इस सप्ताह छत्रपति शिवाजी महाराज पार्क में द्रोणाचार्य और पद्मश्री पुरस्कार विजेता क्रिकेट कोच रमाकांत आचरेकर के स्मारक के अनावरण के दौरान अपने कुछ पूर्व साथियों से मुलाकात की। इसमें सचिन तेंदुलकर भी शामिल रहे। सचिन ने कांबली से बातचीत भी की। इस दौरान कांबली के एक साथी क्रिकेटर ने उनकी हालत पर दुख जाहिर किया है।

हाल ही में एक कार्यक्रम के दौरान पूर्व भारतीय क्रिकेटर विनोद कांबली को खड़े होने, सही से बोलने और खुद को सही तरीके से पेश करने में संघर्ष करते हुए देखकर कई फैंस का दिल टूट गया। एक समय भारत की बेहतरीन प्रतिभाओं में से एक माने जाने वाले कांबली की हालत अब बेहद खराब है। उनकी यह हालत देखकर उनके साथी क्रिकेट का दिल टूट गया।
दरअसल, छत्रपति शिवाजी महाराज पार्क में प्रसिद्ध क्रिकेट कोच रमाकांत विट्ठल आचरेकर के स्मारक के अनावरण के दौरान कांबली, सचिन तेंदुलकर से फिर से मिले। इस कार्यक्रम में पूर्व भारतीय क्रिकेटर समीर दीघे भी शामिल हुए, जिन्होंने मुंबई टीम में कांबली के साथ कई सालों तक क्रिकेट खेला है। टाइम्स ऑफ इंडिया के साथ बातचीत के दौरान दिघे भावुक हो गए, जब उन्होंने कई सालों के बाद इस कार्यक्रम में कांबली से हुई मुलाकात को याद किया।
'मेरी आंखों में आ गए आंसू'
समीर दिघे ने कहा, मैं उनसे कई सालों बाद मिला था। उन्होंने उठकर मुझे गले लगाया और 'सम्य' कहकर पुकारा। मैं उन्हें इस हालत में नहीं देख सकता था। मुझे बहुत बुरा लगा। मेरी आंखों में आंसू थे। हमने 14 साल तक (मुंबई के लिए) एक साथ खेला है; मैं भगवान से प्रार्थना करता हूं कि वह उन्हें अच्छी सेहत दें।गौरतलब हो कि शिवाजी पार्क जिमखाना द्वारा शेयर किए गए एक वीडियो में सचिन कांबली का अभिवादन करने के लिए उनके पास जाते हुए देखे जा सकते हैं। रमाकांत विट्ठल आचरेकर के शिष्य रहे दोनों ने एक-दूसरे को गले लगाया और कुछ देर बातचीत की।
सचिन ने कांबली से की मुलाकात
इस वीडियो में देखा जा सकता हैं कि कांबली को खुद खड़े होकर सचिन से हाथ मिलाना भी मुश्किल लगा। दरअसल, हाथ मिलाने के बाद कांबली ने तेंदुलकर का हाथ पकड़ लिया, जिससे एक अन्य व्यक्ति को बीच-बचाव करना पड़ा। कांबली से सचिन की मुलाकात का सोशल मीडिया पर खूब शेयर किया गया।
स्मारक समारोह के बाद, रमाकांत की बेटी विशाखा दलवी ने अपने पिता के बारे में बात की। विशाखा ने कोच आचरेकर को एक "निस्वार्थ कोच" बताया। साथ कहा कि उनके लिए शिक्षक होने का सार बच्चों का मार्गदर्शन करना था।