समाज के हर वर्ग को अपना शिकार बना रहे साइबर अपराधी, वित्तीय स्थिति जानने के बाद शुरू होता है खेल
साइबर अपराधियों ने ठगी के लिए कई स्तर पर जाल बुना है। इसमें हैकर सॉफ्टवेयर विशेषज्ञ तक शामिल हैं। ये मैसेज या एप परमिशन के माध्यम से लोगों के मोबाइल लैपटाप व कंप्यूटर में सेंध लगाकर निजी जानकारियां उड़ा ले रहे हैं और उसका इस्तेमाल ठगने में किया जा रहा है। साइबर ठग किसी को नहीं छोड़ रहे हैं वे समाज के हर वर्ग को चंगुल में ले रहे हैं।

साइबर अपराध पिछले तीन-चार वर्षों में वैश्विक समस्या बन चुका है। भय, लालच व अज्ञानतावश बड़ी संख्या में लोग इसका शिकार हो रहे हैं। साइबर ठगी का शिकार लोगों की फेहरिस्त में बड़े उद्यमी-कारोबारी, सेवानिवृत्त सैन्य अधिकारी से लेकर सरकारी कर्मचारी, पुलिस महकमे के लोग और बैंक अधिकारी तक शामिल हैं, जो शिक्षित हैं और बड़ी जिम्मेदारियों का निर्वहन करते रहे हैं या कर रहे हैं। यानी साइबर ठग किसी को नहीं छोड़ रहे हैं, वे समाज के हर वर्ग को चंगुल में ले रहे हैं और उनकी गाढ़ी कमाई झटक रहे हैं।
साइबर अपराधियों ने ठगी के लिए कई स्तर पर जाल बुना है। इसमें हैकर, सॉफ्टवेयर विशेषज्ञ तक शामिल हैं। ये मैसेज या एप परमिशन के माध्यम से लोगों के मोबाइल, लैपटाप व कंप्यूटर में सेंध लगाकर निजी जानकारियां उड़ा ले रहे हैं और उसका इस्तेमाल ठगने में किया जा रहा है।
डिजिटल अरेस्ट के जरिये ठगी की जा रही
ठगी का शिकार तलाशने के लिए सबसे बड़ा जरिया इंटरनेट मीडिया के विभिन्न मंच बन रहे हैं। यहां इनकी बड़ी टीम सक्रिय रहती है, जो प्रतिदिन लाखों प्रोफाइल का विश्लेषण करती है। इसमें उपभोक्ता द्वारा डाले गए पोस्ट, फोटो, वीडियो से ये साइबर अपराधी व्यक्ति का बैकग्राउंड व उसकी वित्तीय स्थिति का अंदाजा लगाते हैं। इसमें सबसे अधिक मामले निवेश के नाम पर और डिजिटल अरेस्ट के जरिये ठगी के आ रहे हैं।
देशभर से 19 लाख से अधिक शिकायतें आई
डिजिटल अरेस्ट में ये कभी कस्टम अधिकारी बनकर एयरपोर्ट पर पार्सल पकड़े जाने की बात करते हैं, कभी ईडी अधिकारी बनकर मनी लांड्रिंग के मामले में घेरते हैं, तो कभी सेक्सटार्शन में पुलिस अधिकारी बनकर पीड़ित से वसूली करते हैं। उगाही की रकम लेने के लिए फर्जी नाम से खोले गए बैंक खाते का उपयोग करते हैं।
पुलिस जब जांच शुरू करती है, तो खातों के हिसाब से एक शहर से दूसरे शहर तक घूमती रह जाती है, तब तक बात हाथ से निकल चुकी होती है। पुलिस के सामने इस वर्ष अब तक साइबर अपराध की देशभर से 19 लाख से अधिक शिकायतें आई हैं, जिनमें से 11 लाख शिकायतें अभी लंबित हैं।
आंकड़े बताते हैं कि अपराधियों का ओर-छोर ढूंढना पुलिस के लिए बड़ी चुनौती है। जो पकड़े भी जा रहे हैं, उन्हें मजबूत साक्ष्यों के अभाव में सजा नहीं हो पाती है। दिल्ली पुलिस की इंटेलिजेंस फ्यूजन एंड स्ट्रेटेजिक ऑपरेशंस (आइएफएसओ) यूनिट के डीसीपी डॉ हेमंत तिवारी का कहना है कि जैसे-जैसे डिजिटल दुनिया का विस्तार हो रहा है, वैसे-वैसे साइबर अपराधियों के लिए अवसर भी बढ़ रहे हैं। साइबर सुरक्षा के लिए खतरा लगातार बढ़ रहा है। ऐसे में निष्क्रियता के परिणाम गंभीर हो सकते हैं।
डाटा की सुरक्षा के लिए कदम उठाए जाएं
व्यक्तिगत और संगठन के स्तर पर साइबर सुरक्षा के महत्व को समझा जाए और अपने डाटा की सुरक्षा के लिए कदम उठाए जाएं। सभी को इससे एकसाथ आना होगा, जिसमें जागरूकता और सतर्कता बड़ा टूल होगा। साइबर सुरक्षा और साइबर कानून विशेषज्ञ पवन दुग्गल बताते हैं, साइबर अपराध कोरोना के बाद देश में काफी तेजी से बढ़ने लगे। ये अपराध न केवल व्यक्तिगत बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा और अर्थव्यवस्था पर भी गहरा प्रभाव डालते हैं।
साइबर लुटेरे संवेदनशील डाटा की चोरी कर व्यक्तिगत जानकारी हासिल करते हैं और लोगों को जाल में फंसाते हैं। हैकर फिशिंग, स्पैम मेल्स, और रैनसमवेयर के जरिये लोगों को लगातार प्रभावित कर रहे हैं। साइबर सुरक्षा पेशेवरों की कमी के कारण खतराऔर भी बढ़ गया है। एक रिपोर्ट के अनुसार, वैश्विक स्तर पर लगभग 30 लाख साइबर सुरक्षा कर्मचारियों की कमी है।
विशेषज्ञ के टिप्स..
वेबसाइट का यूआरएल एचटीटीपीएस से शुरू हो रहा हो, इसमें 'एस' बताता है कि वेबसाइट सुरक्षित है।
प्राइमरी ई-मेल को इंटरनेट मीडिया साइट्स के लिए इस्तेमाल न करें, सेकंडरी ई-मेल बनाकर रखें।
इंटरनेट मीडिया मंचों पर अनजान लोगों की रिक्वेस्ट स्वीकार न करें। अपनी निजी जानकारी न दें।
पासवर्ड में अपर केस, लोअर केस, नंबर और स्पेशल कैरेक्टर को रखें, हर 45 दिन में इसे बदलते रहें।
हर ऑनलाइन अकाउंट के लिए अलग पासवर्ड रखें। किसी से पासवर्ड या ओटीपी साझा नहीं करें।
फ्री सॉफ्टवेयर डाउनलोड करने से पहले साफ्टवेयर और वेबसाइट होस्टिंग का पता लगा लें।
ऑनलाइन बैंकिंग का इस्तेमाल करते समय यूआरएल को मैनुअली टाइप करें।
अज्ञात ई-मेल में आए किसी अटैचमेन्ट या लिंक को क्लिक न करें।
आधिकारिक एप स्टोर से ही कोई एप डाउनलोड करें।
अनजान व्यक्ति के कहने पर रिमोट एक्सेस एप (टीम व्यूयर, एनी डेस्क, ऐमी एडविन इत्यादि) का प्रयोग न करें।
शॉपिंग और बैंकिंग के लिए फ्री या असुरक्षित वाईफाई का प्रयोग न करें।
अनजान नंबरों से प्राप्त वीडियो कॉल रिसीव न करें।- त्रिवेणी सिंह, पूर्व आइपीएस व संस्थापक फ्यूचर क्राइम रिसर्च फाउंडेशन
इस वर्ष देश भर के साइबर अपराध का विवरण
राज्य शिकायतें लंबित शिकायतें प्रक्रिया में
बिहार 82412 25479 49642
चंडीगढ़ 5235 24 1103
छत्तीसगढ़ 27365 507 23078
दिल्ली 127097 9890 69122
हरियाणा 101124 89 48576
हिमाचल 11224 2549 6858
जम्मू और कश्मीर 11361 471 7821
झारखंड 20074 14934 4824
मध्य प्रदेश 58338 16681 40620
पंजाब 40912 5755 24979
राजस्थान 101689 19926 65634
उत्तराखंड 26508 3755 10928
उत्तर प्रदेश 255007 9042 186667
इस तरह की जा रही ठगी
राजस्थान के भरतपुर से सेक्सटॉर्शन, ओएलएक्स, कस्टमर केयर और इंटरनेट मीडिया प्लेटफार्म से
झारखंड से ओटीपी स्कैम, बैंक केवाईसी, बिजली बिल और कौन बनेगा करोड़पति के नाम पर
दिल्ली से लोन एप, महंगे गिफ्ट, मैट्रीमोनियल साइट, बिजली बिल और नौकरी दिलाने के नाम पर
बिहार से फर्जी लिंक, ओटीपी और डेबिट-क्रेडिट कार्ड के नाम परराज्य शिकायतें