क्या अब दलहन में आत्मनिर्भर बनेगा भारत, बुवाई का रकबा 6 फीसदी बढ़ा

 क्या अब दलहन में आत्मनिर्भर बनेगा भारत, बुवाई का रकबा 6 फीसदी बढ़ा


मौजूदा सत्र के 20 अगस्त तक दलहन की बुवाई का रकबा बढ़कर 120.18 लाख हेक्टेयर हो गया जो पिछले साल इसी अवधि में 113.69 लाख हेक्टेयर था। अरहर की बुवाई का रकबा 40.74 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 45.78 लाख हेक्टेयर हो गया। उड़द की बुवाई का रकबा भी बढ़ा है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट में दलहन में आत्मनिर्भर बनने की बात कही थी।


मोटे अनाज और 'श्री अन्न' (बाजरा) का रकबा भी बढ़ा।


मौजूदा 2024-25 खरीफ (ग्रीष्म) सत्र में अब तक धान का रकबा छह प्रतिशत बढ़कर 369.05 लाख हेक्टेयर हो गया है। यह एक साल पहले की अवधि में 349.49 लाख हेक्टेयर था। यह जानकारी कृषि मंत्रालय ने दी है। मुख्य खरीफ फसल धान की बुवाई जून में दक्षिण-पश्चिम मानसून की शुरुआत के साथ शुरू होती है और सितंबर से कटाई होती है।
दलहन का रकबा बढ़ा

मौजूदा सत्र के 20 अगस्त तक दलहन की बुवाई का रकबा बढ़कर 120.18 लाख हेक्टेयर हो गया, जो पिछले साल इसी अवधि में 113.69 लाख हेक्टेयर था। अरहर की बुवाई का रकबा 40.74 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 45.78 लाख हेक्टेयर हो गया। 'उड़द' की बुवाई का रकबा 29.52 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 28.33 लाख हेक्टेयर हो गया।




मोटे अनाज और 'श्री अन्न' (बाजरा) का रकबा एक साल पहले की समान अवधि के 176 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 181.11 लाख हेक्टेयर हो गया। मोटे अनाजों में मक्का का रकबा 81.25 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 87.23 लाख हेक्टेयर हो गया। तिलहन की बुवाई का रकबा इस खरीफ सीजन में मामूली रूप से बढ़कर 186.77 लाख हेक्टेयर हो गया, जो एक साल पहले 185.13 लाख हेक्टेयर था।

गन्ने की बुवाई भी बढ़ी

नकदी फसलों में गन्ने की बुवाई का रकबा 57.11 लाख हेक्टेयर से मामूली रूप से बढ़कर 57.68 लाख हेक्टेयर हो गया। वहीं, कपास का रकबा 122.15 लाख हेक्टेयर से घटकर 111.07 लाख हेक्टेयर हो गया, जबकि जूट-मेस्ता का रकबा 6.56 लाख हेक्टेयर से घटकर 5.70 लाख हेक्टेयर रह गया।

सभी खरीफ फसलों की बुवाई का कुल क्षेत्रफल पिछले वर्ष की समान अवधि के 1,010.52 लाख हेक्टेयर की तुलना में 2 प्रतिशत अधिक यानी 1,031.56 लाख हेक्टेयर रहा। भारत में दक्षिण-पश्चिम मानसून वर्तमान में सक्रिय है और अच्छी प्रगति कर रहा है, तथा विभिन्न क्षेत्रों में पर्याप्त वर्षा दर्ज की गई है।

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