मेरी जिंदगी में वो पल आया...', Sharad Kelkar की आवाज का जब लोगों ने उड़ाया था मजाक आज वही है पहचान

 मेरी जिंदगी में वो पल आया...', Sharad Kelkar की आवाज का जब लोगों ने उड़ाया था मजाक आज वही है पहचान


टीवी से निकलकर बॉलीवुड में छाप छोड़ने वाले अभिनेता शरद केलकर ने अभिनय से तो दिल जीता ही है लेकिन उनकी दमदार आवाज का जादू भी लोगों के सिर चढ़कर बोला। प्रभास सहित कई साउथ स्टार्स की आवाज बनने के बाद अब उन्होंने द लीजेंड ऑफ हनुमान में रावण के किरदार के लिए आवाज दी। लेकिन क्या आपको पता है कि कभी इस आवाज का ही मजाक बनाया गया था।



शरद केलकर से खास बातचीत/ फोटो
तान्हाजी, लक्ष्मी और श्रीकांत फिल्मों के अभिनेता शरद केलकर अभिनय के साथ-साथ अपनी दमदार आवाज का भी जादू बिखेरते रहते हैं। कभी किसी फिल्म की डबिंग में तो कभी किसी एनिमेशन पात्र को आवाज देकर। हालांकि, एक समय ऐसा था जब उनकी यही आवाज सुनकर लोग हंसते थे।

वेब सीरीज द लीजेंड ऑफ हनुमान के चौथे सीजन में उन्होंने एक बार फिर रावण की भूमिका को आवाज दी है। उनकी आवाज और पेशेवर सफर से जुड़े विभिन्न पहलुओं पर बातचीत-

कभी आवाज के कारण रिजेक्ट होना पड़ा था, अब आवाज पहचान गई हैं। रिजेक्शन से पहचान के सफर को कैसे देखते हैं?

बचपन में सभी को ऐसे बहुत सारे लेक्चर मिलते हैं कि कोशिश करते रहो सफलता जरूर मिलेगी, डर के आगे जीत है। तब लगता था ये क्या फालतू बातें कर रहे हैं।

आज लगता है कि बचपन में लोग सही ही बोलते हैं। मैं आवाज नहीं कहूंगा, लेकिन जिस बोलने की शैली को लोगों ने रिजेक्ट किया, आज उसी को इतना प्यार मिल रहा है। यह मुझे अपने लिए जीत जैसी लगती है। खुशी होती है कि जो सोचा वो किया।

ऐसी कहानियां फिर दूसरे लोगों के लिए प्रेरणा भी बन जाती हैं...


लोग अपनी खामियों में उलझे रहते हैं, उन्हें समझने सुधारने की जो प्रक्रिया हैं, उसमें जुटते ही नहीं। वर्षों तक मैं भी उन्हीं में उलझा रहा। हर एक की जिंदगी में वो समय आता है कि मरता क्या न करता। जब मेरी जिंदगी में वो पल आया कि मुझे लगा कि अब तो इसे ठीक करना ही पड़ेगा। मैं अक्सर लोगों से यही कहता हूं कि असंभव को संभव बनाने के लिए सिर्फ ‘अ’ ही हटाना है।



अब इस आवाज को मेंटेन रखने के लिए क्या करते हैं?

इसके लिए मैं कुछ नहीं करता हूं। लोग मुझे सलाह भी देते हैं कि इसका ख्याल रखो, संभाल कर रखो। मैं उनसे कहता हूं अब जैसी है, वैसी है, अब इससे खराब क्या होगी।

रावण के व्यक्तित्व की किन चीजों से आप सबसे ज्यादा प्रभावित हुए?

ज्यादातर लोगों के जीवन में एक ही चीज सभी समस्याओं की जड़ होती है कि लोग आत्मसम्मान और अहंकार में अंतर नहीं समझते हैं। अहंकार की भावना इंसान के लिए सबसे विनाशकारी होती है। रावण अहंकार के कारण ही अपनी जिंदगी में सब कुछ खोता गया। अगर लोग इस फर्क को समझ लें, तो बहुत सी समस्याएं खत्म हो जाएंगी।



आगे और कौन से प्रोजेक्ट पाइपलाइन में है?

मुझे खुशी है कि पिछले डेढ़-दो वर्षों में मैंने जो भी काम किया सभी अलग-अलग थे, सभी से मैंने कुछ सीखा। आगे मराठी की सबसे बड़ी एक्शन फिल्म (रांटी) की है, एकाध महीने में उसकी रिलीज डेट आ जाएगी। एक वेब सीरीज की है। अक्षय कुमार के साथ एक और फिल्म (स्काई फोर्स) भी है।

हाउसफुल 4 और लक्ष्मी के बाद अक्षय से सेट पर दोबारा मिलने और काम करने का कैसा अनुभव रहा?

उनके साथ काम करने में मुझे बड़ा मजा आता है। जब मैं लक्ष्मी फिल्म करने गया था, तो वह अपने हिस्से का शूट कर चुके थे। मुझे उनका काम दिखाया गया था, तो मुझे पता था कि मुझे किस सीमा में रहना है और कैसे हाव-भाव रखने हैं। अक्षय की भूमिका के अंदर मेरी आत्मा थी, मैं उस भूमिका से बाहर जा ही नहीं सकता था।



सिनेमा चकाचौंध से भरी दुनिया है, क्या यहां कभी स्टारडम या किसी और बात को लेकर अहंकार का अहसास हुआ?

अतीत से इंसान बहुत ज्यादा सीखता है। जब मैंने सात फेरे शो में काम करना शुरू किया था। उस समय वो नंबर वन शो था। उसी समय एक अवार्ड सेरेमनी हुई, जिसमें हमारे शो से हमारी हीरोइन को नॉमिनेशन मिला था, उन्हें अवॉर्ड भी मिला, लेकिन मुझे नॉमिनेशन भी नहीं मिला।

मैंने इसकी शिकायत अपने चैनल हेड और निर्माता से की। तब उन्होंने मुझे समझाया कि तुम्हें स्टार बनना है या अभिनेता। मैंने कहा कि अभिनेता। फिर उन्होंने कहा कि अवॉर्ड किसी का नहीं होता, आज एक का कल दूसरे स्टार का। स्टार तो हमेशा टूट कर गिर जाता है, अच्छा कलाकार बनो। वो बात मैंने हमेशा याद रखी। मैं आज भी अपने पुराने दोस्तों से मिलता हूं, उनके साथ खाता-पीता और घूमता हूं।

Share this

Related Posts

Previous
Next Post »