पब्लिक सेक्टर के बैंकों को उम्मीद, MPS मामले में 2 साल की मिल सकती है छूट

 पब्लिक सेक्टर के बैंकों को उम्मीद, MPS मामले में 2 साल की मिल सकती है छूट


देश के सभी पब्लिक सेक्टर बैंक को सेबी ने आदेश दिया था कि वह अपने एमपीएस को 25 फीसदी तक मैंटेन करें। अभी भी 5 बैंकों के पास 25 फीसदी से कम की हिस्सेदारी है। ऐसे में यह बैंक उम्मीद जता रहे हैं कि उन्हें 2 साल की और छूट मिल सकती हाै। आइए इस रिपोर्ट में विस्तार से जानते हैं।


 पब्लिक सेक्टर बैंक (PSU Bank) को उम्मीद है कि उन्हें एमपीएस (MPS) मैंटेन करने के लिए दो साल का समय और दिया जाएगा। सरकारी अधिकारी ने बताया कि एमपीएस मामले में दो साल के एक्सटेंशन की उम्मीद की जा रही है। पब्लिक सेक्टर के 12 बैंकों में से पांच बैंकों को अभी भी एमपीएस मानदंडो का पालन करना बाकी है। इन पांच बैंकों में सरकार की हिस्सेदारी 75 फीसदी से ज्यादा है।

सिक्योरिटीज एंड एक्चेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (SEBI) ने सभी लिस्टिड कंपनियों को आदेश दिया था कि वह 25 फीसदी तक एमपीसएस मैंटेन करें। इसके लिए सेबी ने अगस्त 2024 तक बैंकों को 25 प्रतिशत एमपीएस की आवश्यकता को पूरा करने के लिए समय-सीमा दिया।

फाइनेंशियल सर्विसेज सचिव विवेक जोशी ने एक साक्षात्कार में पीटीआई को बताया कि हमने विस्तार के लिए आर्थिक मामलों के विभाग को पत्र लिखा है। इस पत्र में उन्होंने 2 साल के एक्सटेंशन की उम्मीद जताई है क्योंकि अभी भी पांच बैंकों के पास 25 फीसदी से कम हिस्सेदारी है।
पांच बैंकों के पास कम है हिस्सेदारीपंजाब एंड सिंध बैंक में सरकार की हिस्सेदारी 98.25 फीसदी है।
चेन्नई में स्थित इंडियन ओवरसीज बैंक में सरकार की हिस्सेदारी 96.38 प्रतिशत है।
यूको बैंक में 95.39 प्रतिशत की हिस्सेदारी सरकार के पास है।
सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया में 93.08 फीसदी हिस्सेदारी सरकार के पास है।
बैंक ऑफ महाराष्ट्र की 86.46 प्रतिशत हिस्सेदारी सरकार के पास है।

विवेक जोशी के अनुसार उम्मीद है कि चालू वित्त वर्ष के दौरान बैंक ऑफ महाराष्ट्र में सरकार की हिस्सेदारी 75 फीसदी से नीचे आ सकती है। बैंक अपनी कैपिटल जरूरतों को पूरा करने के लिए योग्य संस्थागत प्लेसमेंट (क्यूआईपी) या अन्य माध्यम से शेयर बिक्री का फैसला ले सकती है। बैंक अपने स्टॉकहोल्डर को ज्यादा लाभ देने के लिए फैसला ले सकती है।

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