'उचित सब्सिडी, मुफ्त की रेवड़ियों में अंतर करना जरूरी'



 देश के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (कैग) गिरीश चंद्र मुर्मू ने सोमवार को कहा कि उचित सब्सिडी और मुफ्त की रेवड़ियों के बीच अंतर करना जरूरी है। उन्होंने साथ ही राज्यों को अपने राजस्व स्रोतों से अपने पूंजीगत व्यय को पूरा करने की सलाह दी।

देश के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (कैग) गिरीश चंद्र मुर्मु ने सोमवार को कहा कि उचित सब्सिडी और मुफ्त की रेवड़ियों के बीच अंतर करना जरूरी है। इसके साथ ही उन्होंने राज्यों को अपने राजस्व स्त्रोतों से अपने पूंजीगत व्यय को पूरा करने की सलाह दी।

राज्यों को जीगत व्यय को पूरा करने की दी सलाह

वार्षिक महालेखाकार सम्मेलन को संबोधित करते हुए कैग ने इस बात पर भी जोर दिया कि राज्यों को सब्सिडी के उचित लेखांकन को बनाए रखने के लिए कदम उठाने चाहिए। उन्होंने कहा कि राजकोषीय घाटे को कम करने, राजस्व घाटे को खत्म करने और बकाया ऋण को स्वीकार्य स्तर पर रखने के लिए विवेकपूर्ण उपाय करने चाहिए।

केंद्र और कई राज्य सरकारें कर रही हैं एफआरबीएम अधिनियम लागू

उन्होंने कहा राजकोषीय प्रबंधन में सुधार के लिए, केंद्र सरकार और कई राज्य सरकारें दोनों राजकोषीय उत्तरदायित्व और बजट प्रबंधन (एफआरबीएम) अधिनियम लागू कर रही हैं। उन्होंने कहा, हम वंचितों की मदद के लिए सब्सिडी के महत्व को समझते हैं। ऐसी सब्सिडी के लिए पारदर्शी खाता होना जरूरी है।
उचित सब्सिडी, मुफ्त की रेवड़ियों में अंतर करना जरूरी- कैग

इसके साथ ही वार्षिक महालेखाकार सम्मेलन को संबोधित करते हुए कैग ने कहा कि हमें उचित सब्सिडी और मुफ्त की रेवडि़यों के बीच अंतर करने की जरूरत है। चुनावों से पहले राजनीतिक दल जिस तरह मुफ्त उपहारों का वादा करते हैं, उसे लेकर चल रहे विवाद के बीच यह टिप्पणी महत्वपूर्ण है।

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