फोन कॉल पर बात, कुछ ही देर में वैसा ही विज्ञापन! क्या है इसके पीछे का सच?
क्या मोबाइल फोन आपकी बातें सुन रहा है? इस सवाल पर एक वायरल वीडियो में पुलिस अधिकारी ने कॉल के दौरान इंटरनेट बंद करने की सलाह दी। जबकि AI चैटबॉट Grok के अनुसार स्मार्टफोन बातचीत सुनकर विज्ञापन नहीं दिखाते बल्कि यह विज्ञापन सर्च हिस्ट्री और लोकेशन डेटा पर बेस्ड होते हैं। Apteco की रिसर्च में यूजर्स की डिजिटल एक्टिविटी को मॉनिटर करने की बात कही गई है।

टेक्नोलॉजी डेस्क, नई दिल्ली। आपने नोटिस किया होगा कि जैसे ही आप किसी चीज के बारे में अपने फ्रैंड्स या फैमिली मेंबर्स से चैट पर बात करते हैं, कुछ ही देर बाद वैसे ही कई प्रोडक्ट्स के विज्ञापन आपकी सोशल मीडिया फीड में दिखाई देने लगते हैं। इससे यह सवाल उठता है कि क्या हमारे मोबाइल फोन हमारी बातें सुन रहे हैं? हालांकि इसी बीच इंटरनेट पर एक वीडियो भी बहुत तेजी से वायरल हो रहा है, जिसमें संदीप यादव नाम का एक पुलिस अधिकारी लोगों से कह रहा है कि फोन कॉल के दौरान इंटरनेट को ऑफ कर देना चाहिए, क्योंकि कुछ ऐप्स उस समय भी हमारी बातें सुन सकते हैं, लेकिन क्या यह सच है? आइये इसके बारे में जानते हैं...
AI चैटबॉट Grok ने दिया इसका जवाब
इसी वीडियो के बाद जब एक X यूजर ने सच्चाई जानने के लिए AI चैटबॉट Grok से सवाल पूछा तो उसे एक अलग ही जवाब मिला। Grok ने बताया कि स्मार्टफोन यूजर्स की बातें सुनकर विज्ञापन नहीं दिखाते हैं। ज्यादातर एड्स को यूजर की ऑनलाइन एक्टिविटी जैसे की सर्च हिस्ट्री, लोकेशन डेटा और वेबसाइट ब्राउज़िंग पैटर्न पर बेस पर होते हैं।
स्मार्टफोन आमतौर पर बातचीत सुनकर विज्ञापन नहीं दिखाते। विज्ञापन आपकी ऑनलाइन गतिविधियों, जैसे सर्च हिस्ट्री और लोकेशन डेटा, पर आधारित होते हैं। कुछ मार्केटिंग फर्म्स "सक्रिय सुनने" का दावा करती हैं, लेकिन गूगल और ऐप्पल जैसे बड़े टेक कंपनियां इसे नकारती हैं। अध्ययनों इसके साथ ही Grok ने यह भी कहा कि एप्पल और गूगल जैसी बड़ी टेक दिग्गज कंपनियां ‘एक्टिव लिसनिंग’ के आरोपों को पहले ही खारिज कर चुकी हैं। हालांकि, अक्सर यह सलाह जरूर दी जाती है कि यूजर्स को माइक्रोफोन एक्सेस की परमिशन एक बार जरूर चेक कर लेनी चाहिए और जिन ऐप्स पर माइक्रोफोन एक्सेस जरूरी नहीं है उसे हटा देना चाहिए।
रिसर्च में भी हुआ बड़ा खुलासा
बता दें कि हाल ही में इस मुद्दे पर एक रिसर्च फर्म Apteco ने भी एक स्टडी की थी, जिसमें ऐसा कहा गया था कि कई पॉपुलर ऐप्स यूजर्स को ट्रैक करते हैं और यहां तक कि उनकी आदतों के हिसाब से उनकी एक प्रोफाइल भी बना लेते हैं जिसमें उनका सारा डेटा रिकॉर्ड होता है। हालांकि इस रिसर्च में भी बातचीत सुनने का कोई प्रूफ नहीं मिला है, लेकिन रिसर्च में यूजर्स की हर एक डिजिटल एक्टिविटी को मॉनिटर करने की बात जरूर कही गई है।
बता दें कि हाल ही में इस मुद्दे पर एक रिसर्च फर्म Apteco ने भी एक स्टडी की थी, जिसमें ऐसा कहा गया था कि कई पॉपुलर ऐप्स यूजर्स को ट्रैक करते हैं और यहां तक कि उनकी आदतों के हिसाब से उनकी एक प्रोफाइल भी बना लेते हैं जिसमें उनका सारा डेटा रिकॉर्ड होता है। हालांकि इस रिसर्च में भी बातचीत सुनने का कोई प्रूफ नहीं मिला है, लेकिन रिसर्च में यूजर्स की हर एक डिजिटल एक्टिविटी को मॉनिटर करने की बात जरूर कही गई है।