अब सोने की पहचान में नहीं होगा धोखा! गोल्ड बुलियन की हॉलमार्किंग अनिवार्य करने की तैयारी

 अब सोने की पहचान में नहीं होगा धोखा! गोल्ड बुलियन की हॉलमार्किंग अनिवार्य करने की तैयारी


भारत के रत्न और आभूषण क्षेत्र के बाजार का आकार 2030 तक 134 अरब डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है जो 2023 में लगभग 44 अरब डॉलर था। भारत वैश्विक स्तर पर दूसरा सबसे बड़ा सोना निर्यातक भी है जो कुल निर्यात में लगभग 3.5 प्रतिशत का योगदान देता है। सरकार अब गोल्ड बुलियन की हॉलमार्किंग अनिवार्य बनाने के प्रस्ताव पर विचार कर रही है।

जीकृत आभूषण विक्रेताओं की संख्या बढ़कर करीब 1.95 लाख हो गई है


सरकार अब गोल्ड बुलियन की हॉलमार्किंग अनिवार्य बनाने के प्रस्ताव पर विचार कर रही है। अगर इस पर मुहर लगती है, तो सोने के सभी बार और सिक्कों की हॉलमार्किंग जरूरी होगी। इससे जौहरियों को शुद्ध सोने की पहचान करने में आसानी होगी। साथ ही, सरकार लैब में तैयार हीरों के लिए भी नियम बना रही है। इस बात की जानकारी उपभोक्ता मामलों की सचिव निधि खरे ने दी है।


अभी देश में गहनों की हॉलमार्किंग अनिवार्य है। इससे उपभोक्ताओं को पता चल जाता है कि वे जो जेवरात खरीद रहे हैं, वो कितना शुद्ध है। लेकिन, जौहरियों के लिए अभी ऐसी कोई व्यवस्था नहीं है। जौहरी बाहर से जो गोल्ड बुलियन यानी बार और सिक्के मंगाते हैं, उनकी शुद्धता प्रमाणित नहीं रहती। सरकार इसी समस्या को दूर करना चाहती है।




निधि खरे ने उद्योग संगठन CII द्वारा आयोजित रत्न एवं आभूषण सम्मेलन को संबोधित करते हुए उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा करने की आवश्यकता पर जोर दिया। खरे ने कहा, 'रत्न एवं आभूषण क्षेत्र हमारी अर्थव्यवस्था का एक महत्वपूर्ण स्तंभ है, जो निर्यात और रोजगार दोनों में महत्वपूर्ण योगदान देता है।'

सचिव ने सोने के आभूषणों की अनिवार्य हालमार्किंग के सफल क्रियान्वयन पर प्रकाश डाला है। इसकी शुरुआत 23 जून, 2021 से की गई थी। उन्होंने कहा कि 40 करोड़ से अधिक सोने के आभूषणों को अब तक हॉलमार्क किया जा चुका है। इससे उपभोक्ताओं के लिए अधिक पारदर्शिता सुनिश्चित हुई है।

सचिव ने कहा, 'कई बार यह देखा गया है कि जौहरी जब सोना आयात करते हैं तो कई बार वे खुद भी उस सोने की गुणवत्ता के बारे में सुनिश्चित नहीं होते हैं। इसलिए मुझे लगता है कि पूरी वैल्यू चेन को इसकी शुद्धता की पहचान होना जरूरी है।'



खरे ने कहा कि भारत के रत्न और आभूषण क्षेत्र के बाजार का आकार 2030 तक 134 अरब डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है जो 2023 में लगभग 44 अरब डॉलर था। भारत वैश्विक स्तर पर दूसरा सबसे बड़ा सोना निर्यातक भी है, जो कुल निर्यात में लगभग 3.5 प्रतिशत का योगदान देता है।

खरे ने कहा, 'भारत सरकार इस क्षेत्र की क्षमता को पहचानती है और इसे निर्यात संवर्धन के लिए प्राथमिकता वाले क्षेत्र के रूप में रखा गया है।' सोने के आभूषणों की अनिवार्य हालमार्किंग के बारे में विस्तार से बताते हुए सचिव ने कहा कि पंजीकृत आभूषण विक्रेताओं की संख्या बढ़कर करीब 1.95 लाख हो गई है, जबकि परख और हॉलमार्किंग केंद्रों (एएचसी) की संख्या 1,600 से अधिक हो गई है।

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