2025 में कैसी रहेगी जीडीपी ग्रोथ, क्या है इकोनॉमी के लिए चिंता की बात?

 2025 में कैसी रहेगी जीडीपी ग्रोथ, क्या है इकोनॉमी के लिए चिंता की बात?


पिछले हफ्ते RBI ने मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने के लिए बेंचमार्क ब्याज दरों को 6.5 प्रतिशत पर बरकरार रखा लेकिन सिस्टम में लिक्विडिटी डालने के लिए नकद आरक्षित अनुपात (CRR) में 50 आधार अंकों की कटौती की। भारत की अर्थव्यवस्था 2023-24 में 8.2 प्रतिशत की दर से बढ़ी थी। एसएंडपी का कहना है कि इसके मुकाबले सितंबर तिमाही की 5.4 प्रतिशत जीडीपी ग्रोथ उम्मीद से काफी कमजोर रही।


S&P ने चालू वित्त वर्ष के लिए भारत के विकास पूर्वानुमान को 6.8 प्रतिशत पर बरकरार रखा है।

भारतीय उपभोक्ता लंबे समय से ब्याज दरों में कटौती का इंतजार कर रहे हैं। आरबीआई ने फरवरी 2023 से ब्याज दरों को 6.5 फीसदी पर स्थिर रखा है। सरकार ने संजय मल्होत्रा को नया आरबीआई गवर्नर नियुक्त किया है। इससे फरवरी 2025 की एमपीसी में रेपो रेट में कटौती की संभावना बढ़ गई है।


एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स का भी मानना है कि आरबीआई मौद्रिक नीति में 'मामूली ढील' दे सकता है। एसएंडपी के मुताबिक, भारतीय अर्थव्यवस्था 2025 में "मजबूत वृद्धि" के लिए तैयार है और मुद्रास्फीति के दबाव में कमी आने का अनुमान है। इससे आरबीआई रेपो रेट में कटौती करेगा। S&P ने चालू वित्त वर्ष के लिए भारत के विकास पूर्वानुमान को 6.8 प्रतिशत पर बरकरार रखा है। वहीं, वित्त वर्ष 2025-26 में 6.9 प्रतिशत ग्रोथ का अनुमान है।

S&P ग्लोबल रेटिंग्स के अर्थशास्त्री विश्रुत राणा ने कहा, "मजबूत शहरी खपत, स्थिर सेवा क्षेत्र की वृद्धि और बुनियादी ढांचे में चल रहे निवेश की बदौलत भारतीय अर्थव्यवस्था 2025 में मजबूत वृद्धि के लिए तैयार है। हमें उम्मीद है कि मुद्रास्फीति के दबाव में कमी आने पर केंद्रीय बैंक 2025 के दौरान मौद्रिक नीति में मामूली ढील देगा।"


सितंबर तिमाही की जीडीपी ग्रोथ निराशाजनक

पिछले हफ्ते RBI ने मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने के लिए बेंचमार्क ब्याज दरों को 6.5 प्रतिशत पर बरकरार रखा, लेकिन सिस्टम में लिक्विडिटी डालने के लिए नकद आरक्षित अनुपात (CRR) में 50 आधार अंकों की कटौती की। भारत की अर्थव्यवस्था 2023-24 में 8.2 प्रतिशत की दर से बढ़ी थी। एसएंडपी का कहना है कि इसके मुकाबले सितंबर तिमाही की 5.4 प्रतिशत जीडीपी ग्रोथ उम्मीद से काफी कमजोर रही।

भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए चिंता के कारणराजकोषीय खर्च के सुस्त पड़ने का ओवरऑल असर इकोनॉमी पर दिख रहा है। शहरी मध्यम वर्ग ने भी गैरजरूरी खर्च कम कर दिया है। इससे शहरी खपत भी कमजोर पड़ गई है। इसी की झलक सितंबर तिमाही में जीडीपी ग्रोथ के आंकड़ों पर दिखी। एसएंडपी का कहना है कि मैन्युफैक्चरिंग ग्रोथ में सुस्ती हमारे अनुमान के लिए जोखिम पैदा करती है।

अर्थव्यवस्था के लिए कई और भी चुनौतियां हैं। इनमें सार्वजनिक क्षेत्र और घरेलू बैलेंस शीट में महामारी के बाद की कमजोरी, अत्यधिक प्रतिस्पर्धी वैश्विक विनिर्माण वातावरण और कृषि क्षेत्र की कमजोर वृद्धि शामिल हैं।

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