चुनावी वर्ष में बन सकता है घरों की बिक्री का रिकॉर्ड, आंकड़े भी इस ओर कर रहे इशारा
चुनावी सालों में कीमतों के रुझान की बात करें तो 2014 में शीर्ष सात शहरों में औसत कीमतें पिछले वर्ष यानी 2013 की तुलना में छह प्रतिशत अधिक बढ़कर 5168 रुपये प्रति वर्ग फुट हो गई। वहीं 2019 में औसम कीमतें सालाना केवल एक प्रतिशत बढ़कर 5588 रुपये प्रति वर्ग फुट हो गई। 2016 से 2019 के बीच रियल एस्टेट क्षेत्र में मंदी का दौर चला।

एनरॉक के चेयरमैन अनुज पुरी का कहना है, ''घर खरीदार रियल एस्टेट बाजार को लेकर काफी आशावादी हैं।''
HIGHLIGHTSपिछले दो चुनावी वर्ष यानी 2014 और 2019 में भी अभूतपूर्व रही थी घरों की बिक्री
नोटबंदी, रेरा और जीएसटी से आया बड़ा बदलाव, खरीदारों का विश्वास बहाल हुआ
अगर सबकुछ ठीक रहा तो वर्तमान चुनावी वर्ष यानी 2024 में घरों की बिक्री का रिकॉर्ड बन सकता है। इससे पहले दो चुनावी वर्ष यानी 2014 और 2019 में भी घरों की बिक्री का रिकॉर्ड बना था। रियल एस्टेट कंसल्टेंसी फर्म एनरॉक के अनुसार, 'आम चुनाव और आवासीय रियल एस्टेट आपस में जुड़े हुए प्रतीत होते हैं और कम से कम पिछले दो चुनावी वर्षों के आंकड़े तो यही कहानी कहते हैं।
2014 में देश के सात शहरों में घरों की बिक्री 3.45 लाख यूनिट पर पहुंच गई जबकि इस दौरान 5.45 लाख नई यूनिट की लॉन्चिंग हुई। 2019 के चुनावी वर्ष में एक बार फिर घरों की बिक्री 2.61 लाख यूनिट के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई और नई लॉन्च होने वाली यूनिट की संख्या 2.37 लाख यूनिट रही।
पिछले दो चुनावी वर्ष में अभूतपूर्व रही थी घरों की बिक्री
चुनावी सालों में कीमतों के रुझान की बात करें तो 2014 में शीर्ष सात शहरों में औसत कीमतें पिछले वर्ष यानी 2013 की तुलना में छह प्रतिशत अधिक बढ़कर 5,168 रुपये प्रति वर्ग फुट हो गई। वहीं, 2019 में औसम कीमतें सालाना केवल एक प्रतिशत बढ़कर 5,588 रुपये प्रति वर्ग फुट हो गई। 2016 से 2019 के बीच रियल एस्टेट क्षेत्र में मंदी का दौर चला। 2016 के आखिरी में नोटबंदी, 2017 में रेरा और जीएसटी जैसे सुधारों से सेक्टर में बड़ा बदलाव आया। इसके अलावा, 2018 में आइएलएंडएफएस मुद्दे से एनबीएफसी का संकट गहराया। इससे आवासीय रियल एस्टेट उद्योग में काफी उथल-पुथल मची।
2019 में स्थिति कुछ सुधरी, लेकिन 2020 की शुरुआत में कोरोना महामारी के चलते एक बार फिर सेक्टर मुसीबतों में घिर गया। हालांकि 2021 के बाद से आवासीय रियल एस्टेट सेक्टर तेज गति से आगे बढ़ा और यह गति आज भी जारी है।
घरों की बिक्री के रिकार्ड के पक्ष में कारकअधिकांश रियल एस्टेट सुधार और मानदंड पहले से लागू हैं।
प्रमुख सुधारों ने रियल एस्टेट को एक संगठित और विनियमित उद्योग में बदल दिया। इससे घर खरीदारों में विश्वास की बहाली हुई।
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष जैसे संगठनों द्वारा जीडीपी वृद्धि के लिए जताई गई संभावनाएं।
अगले कुछ वर्षों में अर्थव्यवस्था के तेजी से बढ़ने की संभावना है और इसका सकारात्मक असर रियल एस्टेट बाजार पर दिखेगा।
वर्तमान में मुद्रास्फीति नियंत्रण में है, जिससे घर खरीदारों के बीच आत्मविश्वास बढ़ा है।
अच्छे ट्रैक रिकार्ड और ठोस बैलेंस शीट वाले कई बड़े डेवलपर अपनी उपस्थिति बढ़ाने के लिए नए क्षेत्रों में कदम रख रहे हैं।
एनरॉक के चेयरमैन अनुज पुरी का कहना है, ''घर खरीदार रियल एस्टेट बाजार को लेकर काफी आशावादी हैं। सभी संकेत 2024 में आवासीय बाजार के पक्ष में हैं, और यह वर्ष आवास बिक्री और नए लॉन्चिंग के मामले में रिकार्ड बना सकता है। 2014 और 2019 में घरों की बिक्री के अभूतपूर्व प्रदर्शन का एक बड़ा कारण निर्णायक चुनाव परिणाम थे।''
HIGHLIGHTSपिछले दो चुनावी वर्ष यानी 2014 और 2019 में भी अभूतपूर्व रही थी घरों की बिक्री
नोटबंदी, रेरा और जीएसटी से आया बड़ा बदलाव, खरीदारों का विश्वास बहाल हुआ
अगर सबकुछ ठीक रहा तो वर्तमान चुनावी वर्ष यानी 2024 में घरों की बिक्री का रिकॉर्ड बन सकता है। इससे पहले दो चुनावी वर्ष यानी 2014 और 2019 में भी घरों की बिक्री का रिकॉर्ड बना था। रियल एस्टेट कंसल्टेंसी फर्म एनरॉक के अनुसार, 'आम चुनाव और आवासीय रियल एस्टेट आपस में जुड़े हुए प्रतीत होते हैं और कम से कम पिछले दो चुनावी वर्षों के आंकड़े तो यही कहानी कहते हैं।
2014 में देश के सात शहरों में घरों की बिक्री 3.45 लाख यूनिट पर पहुंच गई जबकि इस दौरान 5.45 लाख नई यूनिट की लॉन्चिंग हुई। 2019 के चुनावी वर्ष में एक बार फिर घरों की बिक्री 2.61 लाख यूनिट के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई और नई लॉन्च होने वाली यूनिट की संख्या 2.37 लाख यूनिट रही।
पिछले दो चुनावी वर्ष में अभूतपूर्व रही थी घरों की बिक्री
चुनावी सालों में कीमतों के रुझान की बात करें तो 2014 में शीर्ष सात शहरों में औसत कीमतें पिछले वर्ष यानी 2013 की तुलना में छह प्रतिशत अधिक बढ़कर 5,168 रुपये प्रति वर्ग फुट हो गई। वहीं, 2019 में औसम कीमतें सालाना केवल एक प्रतिशत बढ़कर 5,588 रुपये प्रति वर्ग फुट हो गई। 2016 से 2019 के बीच रियल एस्टेट क्षेत्र में मंदी का दौर चला। 2016 के आखिरी में नोटबंदी, 2017 में रेरा और जीएसटी जैसे सुधारों से सेक्टर में बड़ा बदलाव आया। इसके अलावा, 2018 में आइएलएंडएफएस मुद्दे से एनबीएफसी का संकट गहराया। इससे आवासीय रियल एस्टेट उद्योग में काफी उथल-पुथल मची।
2019 में स्थिति कुछ सुधरी, लेकिन 2020 की शुरुआत में कोरोना महामारी के चलते एक बार फिर सेक्टर मुसीबतों में घिर गया। हालांकि 2021 के बाद से आवासीय रियल एस्टेट सेक्टर तेज गति से आगे बढ़ा और यह गति आज भी जारी है।
घरों की बिक्री के रिकार्ड के पक्ष में कारकअधिकांश रियल एस्टेट सुधार और मानदंड पहले से लागू हैं।
प्रमुख सुधारों ने रियल एस्टेट को एक संगठित और विनियमित उद्योग में बदल दिया। इससे घर खरीदारों में विश्वास की बहाली हुई।
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष जैसे संगठनों द्वारा जीडीपी वृद्धि के लिए जताई गई संभावनाएं।
अगले कुछ वर्षों में अर्थव्यवस्था के तेजी से बढ़ने की संभावना है और इसका सकारात्मक असर रियल एस्टेट बाजार पर दिखेगा।
वर्तमान में मुद्रास्फीति नियंत्रण में है, जिससे घर खरीदारों के बीच आत्मविश्वास बढ़ा है।
अच्छे ट्रैक रिकार्ड और ठोस बैलेंस शीट वाले कई बड़े डेवलपर अपनी उपस्थिति बढ़ाने के लिए नए क्षेत्रों में कदम रख रहे हैं।
एनरॉक के चेयरमैन अनुज पुरी का कहना है, ''घर खरीदार रियल एस्टेट बाजार को लेकर काफी आशावादी हैं। सभी संकेत 2024 में आवासीय बाजार के पक्ष में हैं, और यह वर्ष आवास बिक्री और नए लॉन्चिंग के मामले में रिकार्ड बना सकता है। 2014 और 2019 में घरों की बिक्री के अभूतपूर्व प्रदर्शन का एक बड़ा कारण निर्णायक चुनाव परिणाम थे।''