आज राजेन्द्र कुमार उर्फ जुबली कुमार की 24वी पुण्यतिथि है...



 भोपाल / आज सदाबहार अभिनेता राजेन्द्र कुमार उर्फ जुबली कुमार की 24वी पुण्यतिथि है आज ही के दिन यानी 12 जुलाई 1999 को राजेन्द्र कुमार का कैंसर की बीमारी से निधन हो गया था।

राजेन्द्र कुमार का जन्म 24 जुलाई 1929 को हुआ था। अभिनेता बनने की चाह उनको मुम्बई ले आई जहाँ राजेन्द्र कुमार को 1950 में पहली फ़िल्म मिली जोगन, इस फ़िल्म के मुख्य कलाकर नरगिस और दिलीप कुमार थे। इस फ़िल्म में किसी ने भी राजेन्द्र कुमार को नोटिस नही किया और फिल्मों में छोटी-मोटी भूमिकाएं करते रहे। इसके बाद मेहबूब खान की कालजयी फ़िल्म मदर-इंडिया आई जो भारतीय फिल्म जगत में मील का पत्थर साबित हुई इस फ़िल्म में राजेंद्र कुमार ने नरगिस के बेटे की भूमिका निभाई थी जो लोगो को बहुत पसंद आई थी इस महान फ़िल्म के बाद राजेन्द्र कुमार को नोटिस किया जाने लगा और इसके 2 साल बाद 1959 में राजेंद्र कुमार की म्यूज़िकल फ़िल्म गूंज उठी शहनाई आई जो बॉक्स-ऑफिस पर सुपर हिट साबित हुई इस फ़िल्म के गानों ने मानो धूम मचा दी थी और यही से राजेन्द्र कुमार को अमर गायक मो. रफी साहब का साथ मिला और रफी साहब ने राजेन्द्र कुमार के लिए एक से बढ़कर एक गीत गाये। जो बहुत ही ज़्यादा चर्चित रहे। रफी साहब का स्टाइल और राजेंद्र कुमार का अभिनय गीत को अद्भुत बना देते थे। फ़िल्म गूंज उठी शहनाई के बाद राजेन्द्र कुमार को कई बड़े निर्माता-निर्देशक ने अपनी फिल्मों में बतौर अभिनेता कॉस्ट किया। जिनमे मुख्य रूप से धूल का फूल, आस का पंछी, आई मिलन की बेला, दिल एक मंदिर, मेरे मेहबूब, आप आए बहार आई, आरज़ू, सूरज, गहरा-दाग, अमन, ज़िन्दगी, पालकी, संगम, गोरा और काला, अंजाना, तांगेवाला, आदि सुपर-हिट फिल्में थी इन फिल्मों की कामयाबी ने राजेन्द्र कुमार को भारत के शीर्ष पंक्ति के अभिनेताओं में शुमार कर दिया था। 60 के दशक में राजेंद्र कुमार की हर फिल्म जुबली मनाती थी इसलिए फिल्मी दुनिया मे राजेन्द्र कुमार का नाम जुबली कुमार पड़ गया था फ़िल्म धूल का फूल, संगम, मेरे मेहबूब, और आरज़ू में राजेंद्र कुमार को फ़िल्म-फेयर अवार्ड के लिए नॉमिनेट किया गया था पर अफसोस राजेन्द्र कुमार फ़िल्म-फेयर अवार्ड कभी जीत नही पाए। 1969 में भारत सरकार ने राजेंद्र कुमार को पद्मश्री से सम्मानित किया था 70 के दशक में बॉलीबुड के पहले सुपर-स्टार राजेश खन्ना के आवागमन से राजेन्द्र कुमार के साथ अन्य स्थापित बड़े अभिनेताओं का स्टारडम हिल गया था इस दौरान राजेन्द्र कुमार को बतौर अभिनेता फिल्मे मिलना बंद हो गई तो राजेन्द्र कुमार ने चरित्र-अभिनेता के तौर पर अपनी दूसरी पारी की शुरुआत की और में तुलसी तेरे आँगन की, साजन बिना सुहागन, साजन की सहेली, दो जासूस आदि चर्चित फिल्मो में अपने अभिनय की छाप छोड़ी। 1982 में अपने बेटे कुमार गौरव को लेकर लव-स्टोरी बनाई जो सुपरहिट साबित हुई इसके बाद महेश भट्ट को बतौर निर्देशक लेकर फ़िल्म नाम बनाई जो बॉक्स-ऑफिस पर सुपरहिट साबित हुई लेकिन इस फ़िल्म से कुमार गौरव को कोई फायदा नही हुआ और फ़िल्म का सारा क्रेडिट संजय दत्त ले उड़े। जो रिश्ते में कुमार गौरव के साले थे राजेन्द्र कुमार ने अपने बेटे को फिल्मों में स्थापित करने के लिए 1992 में एक और नाकाम कोशिश की थी 90 की दशक की सबसे सफल और चर्चित नायिका माधुरी दीक्षित को लेकर फ़िल्म फूल बनाई जो टिकट खिड़की पर औंधे मुँह गिरी। इसके बाद राजेन्द्र कुमार ने फिल्मो के निर्माण से तौबा कर ली और 1999 में कैंसर जैसी गम्भीर बीमारी से राजेन्द्र कुमार उर्फ जुबली कुमार का निधन हो गया।

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